1st PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Vaibhav Chapter 18 उल्लास

You can Download 1st PUC Hindi Textbook Answers Chapter 18 उल्लास Questions and Answers Pdf, Notes, Summary helps you to revise the complete syllabus.

Karnataka 1st PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Vaibhav Chapter 18 उल्लास

उल्लास Questions and Answers, Notes, Summary

I. एक शब्दा या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए :

प्रश्न 1.
कवयित्री ने शैशव प्रभात में क्या देखा?
उत्तर:
कवयित्री ने शैशव प्रभात में नव विकास देखा।

प्रश्न 2.
कवयित्री ने यौवन के नशे में क्या देखा?
उत्तर:
कवयित्री ने यौवन के नशे में यौवन का उल्लास देखा।

प्रश्न 3.
कवयित्री ने किसका विकास देखा?
उत्तर:
कवयित्री ने आशा का विकास देखा।

प्रश्न 4.
कवयित्री ने किसका प्रकाश देखा?
उत्तर:
कवयित्री ने आकांक्षा, उत्साह तथा प्रेम का क्रमिक विकास देखा।

प्रश्न 5.
कवयित्री को किसने कभी नहीं रुलाया?
उत्तर:
कवयित्री को जीवन में निराशा ने कभी नहीं रुलाया।

प्रश्न 6.
कवयित्री ने हमेशा किस प्रकार का व्यवहार किया?
उत्तर:
कवयित्री ने सदा सबसे मधुर प्यार का ही व्यवहार किया।

प्रश्न 7.
कवयित्री को प्रेम का क्या दिखाई देता है?
उत्तर:
कवयित्री को प्रेम का पारावार (सागर) दिखाई देता है।

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

प्रश्न 1.
उल्लास कविता के आधार पर हृदय में उठनेवाले भावों कों अपने शब्दों में लिखिए ।
उत्तर:
बचपन एक सुन्दर सबेरे के तरह है।
और यौवन एक नशीली लाली की तरह,
जीवन मे, बारिष के साथ तेज आंधी की
तरह सुःख-दुःख भी होते है । लेकिन कभी निराश न होना। और जीवन में चाहे कितना भी निराश हो, रोते रहना नहीं चाहिए । हिम्यत काम लेना चाहिए।
इस संसार में सभी से मधुरता बनाय रखना चाहिए और जिसके दिल में प्यार है, उन्हें सारी संसार प्यारा सा लगने लगता है । मानव हृदय में उठनेवाले भावों इस प्रकार हमने अपने शब्दों में व्यक्त किया है।

प्रश्न 2.
कवयित्री ने जीवन सम्बन्ध में क्या कहा है ?
उत्तर:
कवियित्रि ने जीवन के सम्बन्ध में इस प्रकार कहति है – जीवन में उन्होंने कभी निराश को नही देखा । जग झूठा है इस तरह उनके मन में कोई वैराग्य कभी नही आया। और इनके मन में शत्रुओं के लिए नफरत कभी नही आया । और कवयित्री कहती है-वे जिंदगी में कभी रोई नही, देखा इस संसार जो रोते हुए। सदा सभी से प्यार से व्यवहार किया ।

प्रश्न 3.
उल्लास जीवन का आशय संक्षेप में लिखिए ?
उत्तर:
कवयित्री कहती है-बचपन एक सुन्दर सबेरे की तरह है। यहाँ से नय नय विकास का शुरुवात होती है । और यौवन की शुरुवात नशीली लाली में एक हर्ष-उल्लास होता है । बारीष के साथ वे आंधी की तरह सुःख और दुःख में भी मन आशा लिए आगे बढ़ना चाहिए । जीवन में चाहे कितनी भी निराश हो कभी रोना नही चाहिए । हिम्मत से आगे बढ़ना चाहिए।

नफरत और अशांति को दिल में कभी लाना नहीं चाहिए। फिर कवयित्री कहती है-इस संसार में सभी के साथ मधुरता से व्यवहार करनी चाहिए । प्यार बांटने से बढ़ता है । ए हमेशा याद रखनी चाहिए।

जिसके दिल में प्यार है, उनको सारी संसार में प्रेम का सागर नजर आता है। इस निर्मल प्यार को लुटाते रहना । और जीवन में जो रोता नही है, उसे सारी संसार उल्लासित दिखता है । अगर आँखों में आँसु आते भी है तो, वह . कोमल प्रेम के ही चार बूँद आँसु होनी चाहिए ।

III. संसदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए :

प्रश्न 1.
जीव्न में न निराशा मुझको,
कभी रूलाने को आई
जग झूठा है यह विराक्ति भी,
नहीं सिखाने को आई ॥
उत्तर:
संदर्भ : प्रस्तुत पदावली को उल्लास कविता से लिया गया है । कवयित्री है – सुभद्राकुमारी चौहान ।
स्पष्टीकरण : कवयित्री इस पदावाली में कहती है – जीवन में मुझे निराश ने कभी रोलाया नही।
जग झूठा है ए विरक्ति का शब्द मैने कभी सीखा नही। और माना भी नही।

प्रश्न 2.
मैं हूँ प्रेममयी, जग दिखता
मुझे प्रेम का पारावार ।
भरा प्रेम से मेरा जीवन,
लूटा रहा है निर्मल प्यार ॥
उत्तर:
संदर्भ : प्रस्तुत पद्यांश को उल्लास इस जीवन से लियागया है । कवयित्री है। सुभद्राकुमारी चौहान ।
स्पष्टीकरण : कवयित्री कहती है – मै प्रेममयी हूँ, इस लिए मुझे सारी संसार प्यार का सागर लगता है ।
मेरा जीवन प्रेम से भरा हुआ है । इस लिए लुटा रही हूँ मैं निर्मल प्यारा ।

उल्लास Summary in English

The poetess says, in my childhood I saw a beautiful dawn of my life. In my youthhood, I enjoyed the life. In the waves of sadness of this physica, life I saw the growing creeple of desire. I saw the light of affectioa desires and enthusiasm.

I don’t have dis-satisfaction in my life. My life is full of ambitions. When I had worries in my life. I didn’t feel bad. While saying this world is true or false. I am not disturbed. On looking at enemies I don’t have any hatredness towards them.

The wave of unrest will not touch my heart. I transact comfortably with everyone. I tender my softness while doing transaction of matters. My life is with full of love and affection. I will expect soft and pure affection from others. Therefore, this world does not looks worried.

कठीण शब्दार्थ :

शैशव = childhood ; प्रभात = dawn, early morning ; मादक = fascinating, intoxicating ; हुलास= happiness ; आकांक्षा = a wish (desire) ; विरत्ति = desisting ; घुण = hatred ; भीषणता = ferfull ; पारावार = sea, ocean ; मृदुल = tender, soft.