1st PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Vaibhav Chapter 21 तुम आओ मन के मुग्धमीत

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Karnataka 1st PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Vaibhav Chapter 21 तुम आओ मन के मुग्धमीत

तुम आओ मन के मुग्धमीत Questions and Answers, Notes, Summary

I. एक शब्दा या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए :

प्रश्न 1.
कवि अपने मित्र से क्या कहता हैं ?
उत्तरः
कवि अपने मित्र से झट से आने के लिए कहता है ।

प्रश्न 2.
कवि अपने मित्र का स्वागत कैसे करता है ?
उत्तरः
कवि अपने मित्र का स्वागत शिर झुकाकर विनय से करता है ।

प्रश्न 3.
कवि किससे बिछुडकर रह गया हैं ?
उत्तरः
कवि अपने मुग्ध मित्र से बिछुडकर रह गया है ।

प्रश्न 4.
तुम आओ मन के मुग्ध मीत कविता के कवि कौन हैं ?
उत्तरः
डॉ. सरगु कृष्णमूर्ति इस कविता के कवि हैं।

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

प्रश्न 1.
अपने मुग्ध मित्र से बिछुडकर कवि की आतमा कैसे तडप रही है ?
उत्तरः
इस कविता में मुग्ध मित्र से बिछुडकर तडपति हुई व्याकुल आत्मा दहकरही है । कितने दिन, कितने संध्याँए, कितने युग बितगए, मै कब से राह देख रह हुँ । तुम आओ तो झूम उठेमा मेरा अतीत । इस प्रकार है । चुकारते रहे और तडपते रहे।

प्रश्न 2.
कवि अपने मित्र को किन-किन शब्दों में पुकारता हैं ?
उत्तरः
कवि अपने मित्र को बहुत सुंदर शब्दों में पुकारते है – जैसे कवि अपने मित्र को टिमटिमाती चिराग, झिलमिलाती सूर्य, चंद्रमा कहकर संभोदित करते हैं । दोपहर की धूप भी मित्र के आने काल बनजाता है, और अपने मित्र एक मात्र निस्वार्थ मित्र कहते है । इस पीडित हृदय को एक मंदार गीत बनकर, और संसार की इस जीवन मरण की आंधी तुफान में तुम प्रकाश बनकर, इस प्रकार आत्मा के साथी मानते है।

प्रश्न 3.
कवि अपने मित्र की जुदाई से कैसे व्याकुल हो रहा हैं ?
उत्तरः
आत्मा के सहचर किरण मित्र के साथी है । इस लिए कवि को अपने मित्र के जुदाई व्याकुल करती है । बार-बार बुलाते हुए कहते अंधकार से डर सा लगता है। तुम किरण बनकर आना । अपने मुग्ध मित्र से बिछडकर तडपति हुई व्याकुल आत्मा की दहकती हुई चाहत है, गूंजती हुई आह है ; इस प्रकार व्याकुल है।

प्रश्न 4.
कवि की दुःखी आत्मा का परिचय दीजिए :
उत्तरः
हर दिन मानो कवि, दुःख आश्रु, दारिद्री जैसे निरन्तर जल प्रवाह की तरह बहनेवाली समस्यायों में उलझ सा गए थे । जीवन-मरण की इस आंधी तुफान में फस गये थे। अपने मित्र को बार-बार बुलाते रहे । कवि की दुःखी आत्मा अपने मित्र से बिछडकर कांपरहा है ; और उलझगया है ।
संसदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए :

प्रश्न 5.
झन झनन झनन झंझा-से झंकृत यह जीवन निशिय सब क्षणिक, वणिक तत् स्वार्थ मग्न तुम एक. मात्र निस्वर्थ मीत।
उत्तरः
संदर्भ : प्रस्तुत पदावली तुम आओ मन के मुग्ध मीत कविता से लिया गया है । और कवि है, सरल जीवन के परिचयक सरगु कृष्णमूर्ति ।
स्पष्टीकरण : क्षणमात्र रहने वाला इस जीवन में अर्धरात्रि को झनकार शब्द उत्पन्न करने वाला आंधि और तेज हवा का झाका, इस तरह-तरह के गुंज उत्पन्न करने वाला जीवन एक व्यापारी की तरह स्वार्थी है । लेकिन तुम एक मात्र निस्वार्थ मित्र हो। दुख दैन्य अश्रु दारिदय धार-कर गाय मुझे ही मनो-नीत तुफान और इस आँधी में मुनवाने रज का जीव गीत ।
संदर्भ : प्रस्तुत पदावली को तुम आओ मन के मुग्ध मीत इस कविता से लिया गया है । और कवि है, सरल जीवन के परिचयक सुरग कृष्णमूर्ति ।
स्पष्टीकरण : दुःख दैन्य अश्रु दारिद्प इन प्रवाहवों ने मुझे ही चुना है। और इस जीवन-मरण रूपी तुफान और आंधी में इस संसार को प्रकाशमय गीव सुनादेना।

तुम आओ मन के मुग्धमीत Summary in English

‘O’innocent minded friend, come. Modern times. South Indian poet and writer Dr. Saragur Krishna Murthy in his poem requesting his innocent friend to come without finding his kind, innocent friend the poets mind became restless.

I am afraid, you please come immediately. If you come, diminishing light my heart will shine like a sun or full moon. If you come my hearfelt affection will increase. Morning like life of mine is entering into hot mid day.

You are my life and death companion you are the winner of my defeats. To invite you, my humble mind and soul are waiting eagerly. ‘O’my affectionate friend, come to make my mind happy one. If you came, my past life will ring a bell. You came like an heavenly tree. Many days, nights and decades passed.

I am affected very much by wind, cold and danger. My life is ruined and it is in a midnight. In my life all are dealing like business people or like a selfish person. You are the only self-less, truthful and honest friend. You come and take me ahead, worries sufferings and poverty are made me to suffer. In the stroem of life, I may thrown off.

I selected you as a singer of my life song. You are my purchased friend. I am fastly keeping my steps towards the sky. This may be my opportunity or my ill-luck. You don’t know how much of love and affection I am having for you. “O’friend of good qualities, you are my form less or form of god and quality-full or quality-less person.

You are my lime light. You are my heavenly song. You are my beautiful and endless ambitions. ‘O’ my good friend you please come. If you do so, my affection will be smiled. Like this the poet is requesting his friend, a ray of hopes.

कठीण शब्दार्थ :

तमस्तों = अंधकार fully dark ; मीत = friend ; प्रांजल = simple ; Bidia = past time ; = problem (hurdle); int = ghost ; मंदार = heavenly tree ; निशीथ = mid night ; वणिक = business man ; टेरना = calling ; त्रीत = purchased ; प्रगीत = song.