KSEEB Class 9 Hindi पूरक वाचन

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Karnataka State Syllabus Class 9 Hindi पूरक वाचन

1. निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए:

भारत की जिन नारियों ने अपने बलबूते पर देश का मस्तक ऊँचा किया, उनमें एक और नाम जुड़ गया है – कल्पना चावला । प्यार से उसे पूरा देश ‘अंतरिक्ष-परी’ कहता है। हरियाणा के करनाल नगर में जन्मी कल्पना के पिता का नाम बनारसीलाल चावला है।

कल्पना ने मॉडल टाउन करनाल के टैगोर विद्यालय से आरंभिक शिक्षा प्राप्त की। वह आरंभ से ही कुशाग्र बुद्धि, दृढ़ निश्चयी, प्रतिभाशालिनी तथा मौनी थी। उसने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़ से एरो स्पेस में बी.ई. की डिग्री प्राप्त की।

कल्पना अत्यंत सौम्य स्वभाव की महिला थी। बचपन से उसकी एक ही आकांक्षा थी – चाँद-सितारों को छूना। इसलिए उसने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में एरोनाटिक्स में प्रवेश लेने की इच्छा व्यक्त की तो वहाँ के एक प्रोफेसर ने कहा कि यह क्षेत्र लड़कियों के लिए नहीं है। परंतु अपनी दृढ़ इच्छा-शक्ति का परिचय देते हुए उसने यही क्षेत्र चुना। बाद में उसने अमरीका के टेक्सास विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री प्राप्त की। सन् 1988 में उसकी नियुक्ति अमरीका के सर्वोच्च अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र नासा में हुई।

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सन् 1994 में उसे अंतरिक्ष-यात्रा के लिए चुना गया। 19 नवंबर, सन् 1997 को वह सौभाग्यशाली दिन आया, जब वह विश्व की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री के रूप में आकाश में उड़ी। कल्पना के आकाश में तो सभी उड़ते हैं किंतु कल्पना वास्तविक आकाश में उड़ी। आगे चलकर कल्पना ने कोलंबिया अंतरिक्ष अभियान के 28वें सफर में मिशन-विशेषज्ञ के रूप में कार्य सँभाला।

फरवरी 2003 को अंतरिक्ष यान को अमरीका की धरती पर उतरना था। परंतु दुर्भाग्य सिर पर मँडरा रहा था। यान धरती के वायुमंडल में प्रवेश करना चाह रहा था कि अंतरिक्ष यान में विस्फोट हो गया। उसमें सवार सभी यात्री काल के गाल में समा गए। कल्पना भी उन्हीं के साथ इतिहास बन गई। जो लोग ढ़ोलनगाड़ों के साथ अपनी अंतरिक्ष-परी के अनुभव सुनने के लिए व्यग्र थे, वे ठगे-से रह गए। बस हमारे पास आँसू के सिवाय कुछ न था। परंतु ये आँस गौरव के आँसू थे, श्रद्धा के आँसू थे। कल्पना चावला मर कर भी अमर हो गई। उसका नाम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।

प्रश्न 1.
कल्पना चावला को प्यार से क्या कहा जाता था?
उत्तर:
कल्पना चावला को प्यार से पूरा देश ‘अंतरिक्ष परी’ कहता है।

प्रश्न 2.
कल्पना का जन्म कहाँ हुआ था?
उत्तर:
कल्पना का जन्म हरियाणा के करनाल जिले में हुआ था।

प्रश्न 3.
कल्पना की बचपन की क्या आकांक्षा थी?
उत्तर:
कल्पना की बचपन में चाँद-सितारों को छूने की आकांक्षा थी।

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प्रश्न 4.
सन् 1988 में कल्पना किस केंद्र में नियुक्त हुई?
उत्तर:
सन् 1988 में कल्पना अमरीका के सर्वोच्च अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र नासा में नियुक्त हुई।

प्रश्न 5.
कल्पना चावला का देहांत कब हुआ?
उत्तर:
कल्पना चावला का देहांत फरवरी 2003 को हुआ।

प्रश्न 6.
इस गद्यांश के लिए उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
अंतरीक्ष परी : कल्पना चावला।

2. निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिएः

कई साल पहले ओलिंपिक खेलों के दौरान एक विशेष दौड़ होने जा रही थी। सौ मीटर की इस दौड़ में एक गज़ब की घटना हुई। नौ प्रतिभागी शुरुआत की रेखा पर तैयार खड़े थे। उन सभी को कोई-न-कोई शारीरिक विकलांगता थी।

सीटी बजी, सभी दौड़ पड़े। बहुत तेज़ तो नहीं पर उनमें जीतने की होड़ ज़रूर तेज़ थी। सभी जीतने की उत्सुकता के साथ आगे बढ़े। तभी एक छोटा लड़का ठोकर खाकर लड़खड़ाया, गिरा और रो पड़ा। उसकी आवाज सुनकर बाकी प्रतिभागी दौड़ना छोड़ देखने लगे कि क्या हुआ? फिर, एक-एक करके वे सब उस बच्चे की मदद के लिए उसके पास आने लगे। सब के सब लौट आए। उसे दोबारा खड़ा किया। उसके आँसू पोंछे, धूल साफ की। लड़के की दशा देख एक बच्ची ने उसे अपने गले से लगा लिया, और उसे प्यार से चूम लिया, यह कहते हुए कि, ‘अब ठीक हो जाएगा’।

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फिर तो सारे बच्चों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़ा और साथ मिलकर दौड़ लगाई। सब के सब अंतिम रेखा तक एक साथ पहुँच गए। दर्शक मंत्रमुग्ध होकर देखते रहे, इस सवाल के साथ कि सब के सब एक साथ बाजी जीत चुके हैं, इनमें से किसी एक को स्वर्ण पदक कैसे दिया जा सकता है। निर्णायकों ने भी सबको स्वर्ण पदक देकर समस्या का शानदार हल ढूंढ़ निकाला। सब के सब एक साथ विजयी इसलिए हुए कि उस दिन दोस्ती का अनोखा दृश्य देख दर्शकों की तालियाँ थमने का नाम नहीं ले रही थीं।

प्रश्न 1.
छोटा लड़का क्यों रो पड़ा?
उत्तर:
छोटा लड़का ठोकर खाकर गिर गया था। इसलिए रो पड़ा।

प्रश्न 2.
प्रतिभागियों ने लड़के की मदद कैसे की?
उत्तर:
प्रतिभागियों ने उसे दोबारा खड़ा किया।

प्रश्न 3.
दर्शक कैसे देखते रहे?
उत्तर:
दर्शक मंत्रमुग्ध होकर देखते रह गए।

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प्रश्न 4.
निर्णायकों ने समस्या का हल कैसे ढूँढ़ निकाला?
उत्तर:
निर्णायकों ने सबको स्वर्ण पदक देकर समस्या का शानदार हल ढूँढ़ निकाला।

प्रश्न 5.
सबके सब एक साथ विजयी क्यों हुए?
उत्तर:
दोस्ती के अनोखे दृश्य के कारण सब एक साथ विजयी हुए।

3. निम्नलिखित कविता पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए:

मैं नाम ले तुम्हारा – कब से बुला रहा हूँ
अपनी दया के दो कण – बरसाओ इस वतन में।

तुम हो कहाँ, यहाँ पर – क्या क्या न हो रहा है
आओ बहाओ गंगा – इस आग के विपिन में।

देखो ये भूखे-भुखे – जीवन में मर रहे हैं
दो अन्न किसानों को – बस जाओ इनके मन में।

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यह विनय पत्रिका है – टूटे हुए दिलों की,
मंजूर कर दो, भर दो – पीयूष विश्व जन में।

कुछ ऐसी शक्ति दे दो – बन मल्लिका, चमेली
काँटों को चूम लूँ मैं – भर दूं सुगंध उनमें।

मुझको दो स्नेह इतना – पावन कि उमड़ कर मैं
भर दूं प्रकाश बुझते – दीपों के तन में मन में।

सारा जगत सुखी हो – माताएँ मुस्कुरायें
सूरज व चाँद चमकें – प्रत्येक के वदन में

शुभ हो निशा व संध्या – शुभ हो दिवस सुखद हो
भगवान विनती सुन लो – सब हो पुरोगमन में।

प्रश्न 1.
प्रस्तुत कविता में कवि किससे विनती कर रहे हैं?
उत्तर:
कवि ईश्वर से विनती कर रहे हैं।

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प्रश्न 2.
कवि कहाँ गंगा बहाना चाहते हैं?
उत्तर:
कवि आग के विपिन में गंगा बहाना चाहते हैं।

प्रश्न 3.
आग बुझाने के लिए ईश्वर से कवि क्या माँगते हैं?
उत्तर:
कवि आग बुझाने के लिए ईश्वर से दया रूपी गंगा माँगते हैं।

प्रश्न 4.
कवि बुझते दीपों के तन-मन में क्या भरना चाहते हैं?
उत्तर:
कवि बुझते दीपों के तन-मन में प्रकाश भरना चाहते हैं।

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प्रश्न 5.
इस कविता के लिए उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
‘विनती’।