Students can Download Hindi Lesson 17 कबीर के दोहे Questions and Answers, Summary, Notes Pdf, Activity, KSEEB Solutions for Class 8 Hindi helps you to revise the complete Karnataka State Board Syllabus and to clear all their doubts, score well in final exams.
Karnataka State Syllabus Class 8 Hindi वल्लरी Chapter 17 कबीर के दोहे
कबीर के दोहे Questions and Answers, Summary, Notes
अभ्यास
I. एक वाक्य में उत्तर लिखिएः
प्रश्न 1.
कैसी वाणी बोलनी चाहिए?
उत्तर:
मीठी और मधुर वाणी बोलनी चाहिए।
प्रश्न 2.
कबीर सच्चाई और झूठ को किसके समान मानते हैं?
उत्तर:
सच्चाई तप के समान है। झूठ पाप के समान है।
प्रश्न 3.
किसके हृदय में ईश्वर रहता है?
उत्तर:
जिसके हृदय में सच्चाई हैं उसके हृदय में ईश्वर रहता हैं।
प्रश्न 4.
खजूर के पेड़ से किसे छाया नहीं मिलती?
उत्तर:
खजूर के पेड़ से पंथी (यात्रियों) को छाया नहीं मिलती।
II. तीन-चार वाक्यों में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
खजूर के पेड़ से हमें क्या सीख मिलती है?
उत्तर:
खजूर का पेड़ लंबा और ऊँचा होता है, इसलिए उससे राहगीरों को छाया नहीं मिलती । उसमें उगनेवाले फल भी बहुत ऊपर होते हैं। ऐसे ही इन्सान भी बड़ा कहलाने से बड़ा नहीं होता । दूसरों के लिए उपयोगी होने पर ही वह महान बन सकता है।
प्रश्न 2.
मन से बुरे विचार कैसे मिट जाते हैं?
उत्तर:
बुरे गुणों को मिठाकर मन को पवित्र शुद्ध रख सकते हैं। तब मन से बुरे विचार मिट जाते हैं।
प्रश्न 3.
हमें किस तरह की बातें करनी चाहिए?
उत्तर:
अहंकार या घमंड न हो, सरल मीठे बातें करना चाहिए।
प्रश्न 4.
भगवान का स्मरण मनुष्य कब और क्यों करता है?
उत्तर:
सब लोग दुःख और विपत्ति के समय में भगवान का स्मरण करते हैं। लेकिन सुख प्राप्त करने के लिए स्मरण करते हैं
प्रश्न 5.
सच और झूठ में क्या अंतर है?
उत्तर:
सत्य बोलने के समान दूसरी कोई तपस्या नहीं, साधना नहीं, इसके विरोध में झूठ बोलने या झूठ व्यवहार से बढ़कर कोई पाप या बुरा कर्म नहीं है।
III. विलोमार्थक शब्द लिखिए :
उदाः सत्य × असत्य
- धर्म × ________
- न्याय × ________
- चेत × ________
- हित × ________
- शांत × ________
- सफल × ________
उत्तरः
- धर्म × अधर्म
- न्याय × अन्याय
- चेत × अचेत
- हित × अहित
- शांत × अशांत
- सफल × असफल।
IV. उदाहरण के अनुसार समानार्थक शब्द लिखिए:
उदाः अपेक्षा – इच्छा
- अग्नि – __________
- उत्तर – __________
- कनक – __________
- खग – __________
- गुरु – __________
- तारा – __________
उत्तरः
- अग्नि – आग
- उत्तर – जवाब
- कनक – सुवर्ण, सोना
- खग – द्विज, पक्षी (पंखी)
- गुरु – अध्यापक, शिक्षक
- तारा – नक्षत्र।
V. उदाहरण के अनुसार शब्दों के अन्य रूप लिखिए :
नमूनाः बानी – वाणी
- साँच – _________
- हिरदै – _________
- सीतल – _________
- जुग – _________
- पंथी – _________
उत्तरः
- साँच – सच
- हिरदै – हृदय
- सीतल – शीतल
- जुग – युग
- पंथी – पंची।
VI. पद्यभाग पूर्ण कीजिए :
ऐसी बानी _____________।
__________ आपहुँ सीतल होय॥
साँच बराबर ______________।
___________ ताके हिरदै आप॥
उत्तरः
ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय।
औरन को सीतल करै, आपहुँ सीतल होय ॥
साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप ।
जाके हिरदै साँच है, ताके हिरदै आप॥
VII. नीचे लिखे शब्दों को उलटकर लिखिए – देखिए इनसे कौन-से शब्द बनते हैं।
उदाः नाच – चना
- याद – ___________
- रमा – ___________
- नव – ___________
- लता – ___________
- हरा – ___________
- नदी – ___________
उत्तरः
- याद – दया
- रमा – मार
- नव – वन
- लता – ताल
- हरा – राह
- नदी – दीन
VIII. नीचे लिखे शब्दों को उचित वर्गों के अंतर्गत लिखिए :
पीपल, वसंत, रविवार, शनिवार, ग्रीष्म, होली, नीम, दशहरा, अक्तूबर, खजूर, हेमंत, ताड़, सितंबर, मंगलवार, ईद, क्रिसमस, वर्षा, मई, बुधवार, फरवरी
उत्तरः
IX. वाक्य शुद्ध कीजिए :
1) मोहसीन का माँ बीमार है।
मोहसीन की माँ बीमार है।
2) हमारी भाषा के नाम हिंदी है।
हमारी भाषा का नाम हिन्दी है।
3) दिल्ली भारत की राजधानियाँ है।
दिल्ली भारत की राजधानी है।
4) कृष्णा, गोदावरी, कावेरी दक्षिण भारत की नदी हैं।
कृष्णा, गोदावरी, कावेरी दक्षिण भारत की नदियां हैं।
5) सच का विलोम शब्द झूठा है।
सच का विलोम शब्द झूठ है।
6) शीतलता का अर्थ ठंडा है।
शीतल का अर्थ है ठंडा।
7) अध्यापिका पाठ पढ़ाता है।
अध्यापिका पाठ पढ़ाती है।
X. शब्दों को शुद्ध कीजिए :
- समुन्द्र – _________
- कक्षा – _________
- पंक्षी – _________
- सध्या – _________
- कम्र – _________
- मिठी – _________
उत्तरः
- समुन्द्र – समुद्र
- कक्क्षा – कक्षा
- पंक्षी – पक्षी
- सध्या – संध्या
- कम्र – क्रम
- मिठी – मीठी
XI. निम्नलिखित शब्द एक जैसे लगते हैं, परंतु इनके अर्थ समान नहीं हैं। अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
1) बाघ – भाग
बाघ : जंगली जानवर।
बाघ जंगली जानवर है।
भाग : हिस्सा
कश्मीर भारत का भाग है।
2) अनल – अनिल
अनल : आग।
अनल की ज्वाला फैली है।
अनिल : हवा।
शीतल अनिल बह रहा है।
3) परिणाम – परिमाण
परिणाम : नतीजा
कल मेरी परीक्षा का परिणाम आएगा।
परिमाण : नाप
इस लोहे का वजन परिमाण में 10 किलो निकला।
4) माता – माथा
माता : माँ
मेरी माता बड़ी परोपकारी है।
माथा : मस्तक
दुर्घटना में उसका माथा फूट गया।
5) बाल – भाल
बाल : केश
बाल कटवाने हैं।
भाल : मस्तका
हिन्दी भारत माता के भाल की बिंदी है।
6) ओर – और
ओर : तरफ
वह शहर की ओर गया है।
और : तथा
राम और सीता वनवास गए।
XII. कन्नड़ या अंग्रेज़ी में अनुवाद कीजिए :
XIII. दोहे कंठस्थ कीजिए।
ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय।
औरन को सीतल करै, आपहुँ सीतल होय ॥
साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप।
जाके हिरदै साँच है, ताके हिरदै आप ॥
बड़ा भया तो क्या भया, जैसे पेड़ खजूर ।
पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर ॥
दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करै न कोय ।
जो सुख में सुमिरन करें, तो दुख काहे होय ॥
पूरक वाचन
सीखें हम दो अच्छी बातें –
1) सबसे कड़वी बात, लड़ाई।
सबसे मीठी सुलह – सफाई।
2) कुहू कुहू कोयल,
झूठ न बोल।
सच कहने में
लगे न मोल।
3) तू-तू, मैं-मैं
गरम लड़ाई,
तू चुप,
मैं चुप खतम लड़ाई।
प्रश्न 1.
लड़ाई किस बात से होती है?
उत्तर:
कड़वी बात से लड़ाई होती है।
प्रश्न 2.
किस प्रकार की बात पर मोल नहीं लगता?
उत्तर:
सच कहने में मोल नहीं लगता है।
प्रश्न 3.
चुप रहने का लाभ क्या है?
उत्तर:
चुप रहने से लड़ाई नहीं होती है।
कबीर के दोहे Summary in Hindi
कबीर के दोहे कवि परिचय :
कबीरदास (सन् 1398-1518) “वाणी के डिक्टेटर” थे। नीरु-नीमा नामक मुसलमान जुलाहे परिवार में उनका पालनपोषण हुआ। सहजता, निर्भीकता इनके काव्य के प्रमुख गुण हैं। इनकी वाणी में समाज सुधार की भावना कूट-कूट कर भरी है। वे बड़े दार्शनिक कवि थे। कबीर का काव्य बुद्धि और हृदय का संगम है। इतना ही नहीं, वे बड़े संत कवि थे। उन्हें जीवन-नीति के धर्म गुरु भी कहा जाता है। कबीर की रचनाएँ ‘बीजक’ नाम से संकलित हैं, जिनके तीन भाग हैं – साखी, सबद, रमैनी।
दोहे का भावार्थ :
1) ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय।
औरन को सीतल करै, आपहुँ सीतल होय ॥
कबीर कहते हैं कि आप ऐसे भाषा बोलिए जिससे आपका अहंकार मिट जाए। मन में जो गर्व है, घमंड है वह दूर होना चाहिए। आपकी बोल से दूसरों को शीतलता मिले और अपना मन भी शीतल हो जाए। इससे दूसरे लोगों को तो सुख पहुँचता ही है, इसके साथ साथ खुद को भी आनंद का अनुभव होता है।
कहने का तात्पर्य है कि हमारी वाणी मधुर और मीठी होनी चाहिए। उसे सुनकर दूसरों के मन की कडुवाहट दूर हो और वे भी हमारे साथ मीठा व्यवहार करने के लिए प्रेरित हों।
शब्दार्थ :
- बानी – वाणी, बचन;
- आपा – अहंकार, गर्व, घमंड;
- खोय – गँवाना, छोड़ देना, नष्ट करना;
- औरन – दूसरे लोगों को, औरों को;
- सीतल – ठंडा।
2) साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप।
जाके हिरदै साँच है, ताके हिरदै आप ॥
जो सत्यवादी है अर्थात् जो सच बोलता है, जिसका व्यवहार भी सही होता है, उसका चरित्र भी नेक होता है। भगवान भी ऐसे ही लोगों को अपनाते हैं।
कबीर इस सच्चाई के बारे में कहते हैं – सत्य बोलने के समान दूसरी कोई तपस्या नहीं, साधना नहीं। इसके विरोध में झूठ बोलने या झूठे व्यवहार से बढ़कर कोई पाप या बुरा कर्म नहीं है। जिसके दिल में सच्चाई होती है, जो हमेशा सच ‘ बोलता है, सही मार्ग पर चलता है, भगवान भी उसीके हृदय में निवास करते हैं। कहने का तात्पर्य है – भगवान को भी सत्यवादी ही प्रिय होते हैं।
शब्दार्थ :
- साँच – सच, सत्य, रेड;
- बराबर – समान;
- तप – तपस्या, साधना;
- जाके – जिसके;
- ताके – उसके;
- हिरदै – हृदय, दिल;
- आप – भगवान, परमात्मा।
3) बड़ा भया तो क्या भया, जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर।।
इन्सान धन-दौलत या पद-अधिकार से चाहे जितना भी बड़ा बने, बड़प्पन का सही निशान तो उसका परोपकार ही होता है। इस भाव को कबीरदास ऐसे प्रस्तुत करते हैं – खजूर का पेड़ लंबा और ऊँचा होता है, इसलिए उससे राहगीरों को छाया नहीं मिलती। उसमें उगनेवाले फल भी बहुत ऊपर होते हैं। ऐसे ही इन्सान भी बड़ा कहलाने से बड़ा नहीं होता। दूसरों के लिए उपयोगी होने पर ही वह महान् बन सकता है। तात्पर्य यह है कि मानव को परोपकारी होना चाहिए।
शब्दार्थ :
- बड़ा – लंबा और चौड़ा, अधिक ऊँचा;
- भया – होना, बनना;
- खजूर का पेड़ – ताड़ जैसा एक लंबा पेड़;
- पंथी – पथिक, राही, यात्री
4) दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करै न कोय।
जो सुख में सुमिरन करें, तो दुख काहे होय॥
जो सुख प्राप्त करता है वह एक दिन दुःख भी भोगता है। उसी तरह जिसे आज दुःख का अनुभव करना पड़ा है उसे . भविष्य में सुख जरूर मिलेगा। लेकिन हमें दोनों समय भगवान का स्मरण करना चाहिए। इसी विचार को कबीर ऐसे कहते हैं – सब लोग दुःख और विपत्ती के समय में भगवान का स्मरण करते हैं। लेकिन सुख प्राप्त होने पर भगवान की याद नहीं करते। कबीर कहते हैं कि अगर सुख के समय में भी भगवान की याद करते तो दुःख की स्थिति उत्पन्न नहीं होती। कहने का तात्पर्य है कि सुख और दुख दोनों भगवान की ही देन है, इन दोनों को हम समान मनोभाव से स्वीकार करें, तो हमारा जीवन सुगम होता है।
शब्दार्थ :
- सुमिरन – स्मरण करना, याद करना;
- काहे – क्यों, किसलिए, किस कारण से;
- कोय – कोई;
- होय – होता है।
कबीर के दोहे Summary in Kannada
कबीर के दोहे Summary in English
1. In speech use such words that your ego is eliminated. Don’t brag, don’t gloat, don’t make yourself out to be big, important, rich or anything else that the ego attaches to. If the ego is lost in one’s speech, the listener finds joy from listening to it. Kabir, in this couplet, highlights the power of the spoken word. He teaches us to speak in such a manner that keeps us harmonious and composed thereby making the listener feel a sense of joy in the communication.
2. There is no virtue higher than truth in this world. There is no vice worse than falsehood. God resides in those who have truth in their heart.
3. Being big, important, powerful, wealthy is of no consequence. Kabir likens this to a date tree. A date tree grows very tall, projecting eminence and a distinction of its own. Yet, it does not provide shade to weary travellers. Besides, its fruits grow so high that one cannot easily pluck it. Kabir points out that we should be willing to give and share. Only then we will be blessed and become a blessing to others.
4. This world is full of selfishness. Everyone in this world remembers God when in distress, but forgets Him when he is comfortable. Everyone, leading a comfortable life, under the effect of delusions and attachments, forgets Him. If one remembers Him when he is leading a comfortable life, there is no reason why he should be struck by distress. And so, one should remember God under all circumstances, whether he is living a comfortable life or a sorrowful life.