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Karnataka 1st PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Vaibhav Chapter 9 राष्ट्र का स्वरूप
राष्ट्र का स्वरूप Questions and Answers, Notes, Summary
I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
किन सम्मिलन से राष्ट्र का स्वरूप बनवा है?
उत्तरः
भूमि, इस पर बसनेवाला जन और संस्कृति इन तीनो के सम्मिलन से राष्ट्र का स्वरूप बनता हैं।
प्रश्न 2.
किसकी कोख में अमूल्य निधियाँ भरी हैं?
उत्तरः
धरती माता की कोख में अमूल्य निधियाँ भरी हैं।
प्रश्न 3.
सचे अयो में पृथ्नी का पुत्र कौन हैं?
उत्तरः
पृथ्नी माता है और जन सचे अर्थो में पृथ्नी का पुत्र हैं।
प्रश्न 4.
पुत्र का स्वाभाविक कर्तव्य क्या हैं?
उत्तरः
माता के प्रति अनुराग और सेवाभाव पुत्र का स्वाभाविक कर्तव्य हैं।
प्रश्न 5.
माता अपने सब पुत्रों को किस भाव से चाहती हैं?
उत्तरः
माता अपने सब पुत्रों को समान भाव से चाहती हैं।
प्रश्न 6.
राष्ट्र का तीसरा अंग कौन सा है?
उत्तरः
संस्कृति राष्ट्र का तीसरा अंग हैं।
प्रश्न 7.
राष्ट्र का सुखदायी रूप क्या है?
उत्तरः
समन्वयुक्त जीवन ही राष्ट्र का सुखदायी रूप हैं।
प्रश्न 8.
संस्कृतिका अमित भंडार किस में भरा हुआ हैं?
उत्तरः
गाँवो, जंगलों में स्वच्छंद जन्म लेनेवाले लोकगीतों में, तारो के नीचे विकसित लोक – कथाओं में संस्कृति का अमित भंडार भरा हुआ हैं।
प्रश्न 9.
‘राष्ट्र का स्वरूप’ पाठ के लेखक कौन हैं?
उत्तरः
राष्ट्र का स्वरूप पाठ के लेखक है – वासुदेवशरण अग्रवाळ.
ii. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
प्रश्न 1.
राष्ट्र को निर्मित प्रश्नों करनेवाले तत्वों का वर्णन कीजिए।
उत्तरः
राष्ट्रीयता पृथ्वी के साथ नही जुडी वह निर्मूल होती हैं। भूमि के पार्थिव स्वरूप के प्रति हम जितने अधिक जागख होते है उतनी ही राष्ट्रीयता बलपती हो सकेगी। यह पृथ्वी सचे अर्थों में समस्त राष्ट्रीय विचार धाराओं की जननी हैं। राष्ट्रीयता की जड़े पृथ्वी में जितनी गहरी होंगी उतना ही राष्ट्रीय भावों का अंकुर पल्लवित होगा। इस तरह राष्ट्र को निर्मित करनेवाले तत्वो का वर्णन किया गया हैं।
प्रश्न 2.
धरती वसुंधरा क्यो कहलाती हैं?
उत्तरः
अनेक प्रकार की धातुओं को पृथ्वी के गर्भ में पोषण मिला है। सदा बहनेवाली नदियों ने पहाडों को पीस – पीसकर मिट्टियों से पृथ्नी को सजाया हैं। विन्ध्य की नदियों के प्रवाह में सूर्य की धूप से चमकते रहते है। उन के प्रत्येक घाट से नयी शोभा और सुंदरता छलकती हैं। और अनमोल हो जाते हैं। इस तरह धरती माँ की कोख में जो अमूल्य निधियाँ भरी है, जिनके कारण धरती वसुन्धरा कहलाती हैं।
प्रश्न 3.
राष्ट्र निर्माण में जन का क्या योगदान होता हैं?
उत्तरः
मातृभूमि पर निवास करनेवाले मनुष्य राष्ट्र का दूसरा अंग हैं। प्रथ्वी पर मनुष्य न हो तो राष्ट्र की कल्पनपा करना असंभव हैं। पृथ्वी और जन दोनों के सम्मिलन से राष्ट्र का स्वरूप निर्माण होता हैं। इस प्रकार जन के हृदय में इस सूत्र का अनुभव ही राष्ट्रीयता की कुंजी है. (माता, भूमि, पुत्रोअंड पृत्रिया)
भूमि माता है, मै उसका पुत्र हूँ। इसी भावना से राष्ट्र का निर्माण के अंकुर उत्पन्न होते हैं।
प्रश्न 4.
लेखक में संस्कृति को जीवन – विटप का पुष्य क्यो कहा
उत्तरः
लेखक ने संस्कृति को जीवन – विटप का पुष्ण इसलिये कहा कि संस्कृति ही जीवन का भस्तिक हैं। राहट्र के समग्र रूप में भूमि और जन के साथ – साथ संस्कृति का बडा ही महत्व पूर्ण स्थान है यदि भूमि और जन अपनी संस्कृति से विरहित कर दिये जाय तो राष्ट्र का दोष समझना …. चाहिए। इस लिए लेखक ने संस्कृति को जीवन का दृश्य का पुण्य कहा हैं।
प्रश्न 5.
समन्वयुक्त जीवन के संबंध में वसुदेवशरण अग्रवाल के विचार प्रकट कीजिए।
उत्तरः
समन्वयुक्त जीवन के संबंध में लेखक वासुदेवशरण अग्रवाल जी का इस प्रकार विचार है – जंगल में जिस प्रकार अनेक लता, पेड और वनस्पति अपने ब्रबल भाव से निकले हुए पारस्परिक सम्मिलन से अविरोधी स्थिति । प्राप्त करते हैं। उसी प्रकार राष्ट्रीय जन अपनी संस्कृतियों के द्वारा एक – दूसरे के साथ मिलकर राष्ट्र में रहते हैं। जल के अनंक प्रवाहं नदियों के रूप में मिलकर समुद्र में एक रूप प्राप्त करते है, उसी प्रकार राष्ट्रीय जीवन की अनेक.. विधियाँ राष्ट्रीय संस्कृति में समन्वय प्राप्त करती हैं। समन्वयनायुक्त जीवन ही राष्ट्र का सुखदायी रूप हैं।
iii. ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए।
प्रश्न 1.
भूमि माता है, मै उसका पुत्र हूँ।
उत्तरः
संदर्भ – प्रस्तुत वाक्य को ‘राष्ट्र का स्वरूप इस पाठ से लिया गया है। इस पाठ का लेखक है वासुदेवशरण अग्रवाला
स्पष्टीकरण – लेखक कहते है कि जन के कारण ही मातृभूमि की चेतना प्राप्त करती हैं। कहते है – भूमि माता है, मै उसका पुत्र हूँ इस तरह जन के हृदय में इस सूत्र का अनुभव ही राष्ट्रीयता की चावि हैं।
प्रश्न 2.
यह प्रणाम भाव ही भूमि और जन का दृढ बंधन होतता हैं।
उत्तरः
संदर्भ – प्रस्तुत वाक्य को ‘राष्ट्र का स्वरूप’ इस पाठ से लिया गया हैं। लेखक है – वासुदेवशरण अग्रवाल।
स्पष्टीकरण – लेखक कहते है – माता पृथ्वी को प्रणाम हैं। माता पृथ्नी को प्रणाम हैं।इस मर्यादा को मानकर राष्ट्र के प्रति मनुष्यों के कर्तव्य और अधिकरों का उदय होता हैं। इस दृढ भित्ति पर राष्ट्र का भवन
तैयार किया जा सकता हैं। और यही दृढ चट्टा पर देश का जीवन आश्रित रहता हैं। इस तरह प्रणाम भाव ही भूमि और जन का दृढ़े बन्धन हैं।
प्रश्न 3.
जन का प्रवाह अनंत होता हैं।
उत्तरः
संदर्भ – प्रस्तुत वाक्य को ‘राष्ट्र का स्वरूप’ इस पाठ से लिया गया हैं। लेखक है – वासुदेवशरण अग्रवाल।।
स्पष्टीकरण – जब तक सूर्य की किरणों मित्य सुबह काल प्रथ्वी को अमृत से भरदेती हैं सहस्रों वर्षों में बूमि के साथ राष्ट्रीय जन ने तत्स्वरूपता. प्राप्त किया हैं। इस तरह जन का प्रवाह अनंत होता हैं।
प्रश्न 4.
संस्कृति ही जन का मस्तिष्क हैं।
उत्तरः
संदर्भ – प्रस्तुत वाक्य को ‘राष्ट्र का स्वरूप’ इस पाठ से लिया गया हैं। लेखक है – वसुदेवशरण अग्रवाल।
स्पष्टीकरण – मनुष्यों ने युग – युगों में जिस सभ्पना का निर्माण किया है वही उस के जीवन को सांसों में बसी हैं। बिना संस्कृति के जन . की कल्पना बिना मस्तक का धड़ जैसा हैं। राष्ट्र का तीसरा अंग जन की संस्कृति हैं।
प्रश्न 5.
उन सबका मूल आधार पारस्परिक सहिष्णुता और समान्वय
उत्तरः
पर निर्भर हैं। संदर्भ – प्रस्तुत वाक्य को राष्ट्र का स्वरूप इस पाठ से लिया गया
स्पष्टीकरण – लेखक कहते है कि प्रत्येक जाति अपनी अपनी विशेषतवो के साथ इस पृथ्वि को तय करती हैं और इसी से प्रेरित संस्कृति :
का विकास करती हैं। लेकिन परन्तु उन संबका मूल आधार पारस्परिक … सहिष्णुता और समन्वय पर निर्भार हैं।
iv. निम्नलिखित वाक्य सूचनानुसार बदलिए।
प्रश्न 1.
हमारे ज्ञान के कपाट खुलते हैं। (बविष्यत्काल में बदलिए।)
उत्तरः
हमारे ज्ञान के कपाट खुलेंगे।
प्रश्न 2.
माता अपने सब पुत्रों को समान भाव से चाहती थी। (वर्तमान काल में बदलिए)
उत्तरः
माता अपने सब पुत्रों को समान भाव से चाहती हैं।
प्रश्न 3.
मनुष्य सभ्यता का निर्माण करेगा (भूतकाल में बदलिए)
उत्तरः
मनुष्य सभ्यता का निर्माण किया।
v. कोष्टक मे दिए गए कारक चिन्हों से रिक्त स्थान भरिए।
1. जन………………. प्रवाह अनंत होता हैं।
2. जीवन नदी ……………… प्रवाह की तरह हैं।
3. पृथ्वी के गर्भ ……………… अमूल्य निधियाँ हैं।
4. भूमी. ……………….जन निवास करते हैं।
उत्तर
1. का
2. के
3. में
4. पर
vi. समानार्थक शब्द लिखिए।
1. अंबर – आकाश
2. धरती – भूमी
3. पेड – वृक्ष
4. नारी – स्त्री
5. सूर्य – भास्कर, रवि
vii. विलोम शब्द लिखिए।
1. प्रसन्न x दुःखी
2. उत्साह x निरुत्साह
3. अमृत x विष
4. स्वाभाविक x अस्वाभाविक
5. जन्म x मृत्यु
6. ज्ञान x अज्ञान
राष्ट्र का स्वरूप Summary in English
We have to try to ask the question about earth, that which one is the Big sambandha and which one is small sambandha. In every villages and cities there are hundreds of centres like this learning will start needlhyu.
For example earth’s fertile strength will be raising by clouds by every year. It will come at a time and give us ‘Amruthajala’ like this from all the directions ‘gnana’ will be open. Now from hundred years.
Combining science is nations good, Swarupa’s one Chaukattu want to stand. Our this aim will be exciting and parishrama towards to be go forwards.
कठीण शब्दार्थ :
बलवती = बलिष्ठ powerful strong ; आद्योपांत = आरम्भ से अंत तक from beginning till end ;संस्कृति = आचरणगत परंपरा culture ; संस्कृति = आचरणगत परंपरा culture ; सांगोपंग = पूर्णरुप. से completely ; अमूल्य = बहुमूल्य precious ; परिवरद्धिर्त = जिसमें वृद्धि हुई है developed ; अनगढ़ = बेडौल shapeless ; तादात्म्य = एक्त्व समर्पण dedication ; संततवाही = निरन्तर contineous ; कबंध = सिर रहित धड़ beheaded body ; विटप = पेड़ tree ; संवर्धन = उन्नति development;