Students can Download 2nd PUC Hindi Model Question Paper 1 with Answers, Karnataka 2nd PUC Hindi Model Question Papers with Answers helps you to revise the complete Karnataka State Board Syllabus and to clear all their doubts, score well in final exams.
Karnataka 2nd Hindi Model Question Paper 1 with Answers
Time: 3.15 Hours
Max Marks: 100
सूचना:
- सभी प्रश्नों के उत्तर हिन्दी भाषा तथा देवनागरी लिपि में लिखना आवश्यक है।
- प्रश्नों की क्रम-संख्या लिखना अनिवार्य है।
I. (अ) एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए : ( 6 x 1 = 6 )
प्रश्नः 1.
सुजान की पत्नी का नाम क्या है?
उत्तर:
सुजान की पत्नी का नाम बुलाकी है।
प्रश्नः 2.
माँ कहाँ विराज रही थी ?
उत्तर:
माँ कुर्सि पर विराज रही थी।
प्रश्नः 3.
कॉलेज से किसका पत्र आया?
उत्तर:
कॉलेज से प्रिन्सिपल का पत्र आया।
प्रश्नः 4.
विश्वेभरैया किसके बड़े पाबंद थे?
उत्तर:
विश्वेश्वरैया समय के बड़े पाबंद थे।
प्रश्नः 5.
भोलाराम किस शहर का निवासी था?
उत्तर:
भोलाराम जबलपुर शहर के घमापुर मुहल्ले का था।
प्रश्नः 6.
जापान का गुणधर्म क्या है?
उत्तर:
जापान का गुणधर्म शालीनता है।
(आ) निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही तीन प्रश्नों के उत्तर लिखिए : ( 3 x 3 = 9 )
प्रश्नः 7.
धर्म पालन करने के मार्ग में क्या-क्या अड़चने आती हैं?
उत्तर:
धर्मपालन करने में सबसे बड़ी बाधा चित्त की चंचलता, उद्देश्य की अस्थिरता और मन की निर्बलता होती है। मनुष्य के कर्तव्य मार्ग में एक ओर तो आत्मा के भले और बुरे कामों का ज्ञान और दूसरी ओर आलस्य और स्वार्थपरता रहती है। मनुष्य इन दोनों के बीच पड़ा रहता है। अगर उसका मन पक्का हुआ तो वह आत्मा की आज्ञा मानकर अपने धर्म का पालन करता है। अगर स्वार्थ में पड़कर दुविधा में रहेगा तो धर्म के विरुद्ध काम करेगा। इसलिए आत्मा जिस बात को करने की प्रवृत्ति दे हम वही काम करे।
प्रश्नः 8.
माँ को आलिंगन में भरकर शामनाथ ने क्या कहा?
उत्तर:
जैसे ही दावत खत्म हुई, सारे मेहमान जा चुके तो काफी देर होने के बावजूद शामनाथ ने माँ के कोठरी की दरवाजा खटखटाने लगे। अन्दर घुसते ही अपनी डरी हुई माँ को झूमते हुए आगे बढ़कर आलिंगन में भर लिया और कहा कि – ओ अम्मी। तुमने जो आज रंग ला दिया। साहब तुमसे इतना खुश हुआ कि क्या कहूँ? शामनाथ खुश था कि चिफ खुश हुआ तो उसकी तरक्की पक्की है।
प्रश्नः 9.
प्रदूषण के संबंध में गंगा मैया ने क्या कहा?
उत्तर:
प्रदूषण के संबंध में गंगा मैया ने कहा है कि पूरे देश का वातावरण ही प्रदूषित हो गया है तो वह कैसे बच सकती है? लोगों के पास चरित्र नाम की कोई चीज़ नहीं रही है। इसलिए उसके पास प्रदूषण समाप्त करने की जो शक्ति है उससे भी वह दूर नहीं होता।
प्रश्नः 10.
विश्वेश्वरय्या के गुण स्वभाव का परिचय दीजिए।
उत्तर:
विश्वेश्वरय्या समय के बड़े पाबंद थे। उनकान चरित्र आदर्शपूर्ण था। वे विनयशील तथा साधु प्रकृति के पुरुष थे। ईमानदार थे। उनके चरित्र की अटूट अंग थी। असाधारण प्रतिभा रखते हुए भी उन्हें कभी गर्व नहीं था। अपने श्रम और स्वावलंबन द्वारा वे सपने देखते रहे और उन्हीं सपनों को साकार करते रहे।
प्रश्नः 11.
जापान में हिन्दी के प्रभाव-प्रसार पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
विदेश भाषा अध्ययन संस्थान जापानी छात्रों से भरा है। ‘टपत्स’ में दक्षिण परिचय ऐशियाई भाषाओं के अध्ययन के अंतर्गत हिन्दी पढ़ाई जाती है। हिन्दु-उर्दू शिक्षण की यहाँ एक शताब्दी बन गई है। दोनों भाषाओं में यहाँ शोधकार्य की सुविधा है। कई जापानी छात्र शुद्ध हिन्दी बोलते हैं। वहाँ जापानियों के साथ कई भारतीय प्रोफेसर है जो हिन्दी के प्रचार-प्रसार का कार्य करते आए है। वहाँ के पुस्तकालय में कई दुर्लभतम पुस्तकें है जितना की कलकत्ते के राष्ट्रीय पुस्तकालय में भी दिखाई नहीं देते। हिन्दी के छात्र धाराप्रवाह हिन्दी बोल सकते हैं।
II.(अ)निम्नलिखित वाक्य किसने किससे कहेः ( 4 x 1 = 4 )
प्रश्नः 12.
‘बाबा, इतना मुझसे उठ न सकेगा ।’
उत्तर:
भिक्षुक ने सुजान भगत को कहा।
प्रश्नः 13.
‘आई एम रिअली प्राउड ऑफ यू ।’
उत्तर:
अंबालाल ने मन्नू भण्डारी से कहा ।
प्रश्नः 14.
‘सच ? मुझे गाँव के लोग बहुत पसंद है?’
उत्तर:
इस वाक्य को शामनाथ के चीफ़ ने शामनाथ की माँ को कहा।
प्रश्नः 15.
‘गरीबी की बीमारी थी ।’
उत्तर:
भोलाराम की पत्नी ने इस वाक्य को नारद से कहा।
(आ) निम्नलिखित में से किन्हीं दो का ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए : ( 2 x 3 = 6 )
प्रश्नः 16.
‘कर्तव्य करना न्याय पर निर्भर है ।’
उत्तर:
प्रसंग – इस वाक्य को डा. श्यामसुन्दर दास के लिखें ‘कर्तव्य और सत्यता’ पाठ से लिया गया है।
व्याख्या-लेखक कहते हैं कि बचपन से ही घर में बाहर सब जगह हमें कर्तव्य की ही याद दिलाई जाती है। जहाँ देखो वहाँ कर्तव्य ही कर्तव्य लेकिन हम अगर हम यह समझे वही हमारा धर्म है। हमारे चरित्र की शोभा उसीसे बढ़ेगी तो सब खुशीसे अपने कर्तव्य करेंगे। यह ऐसा न्याय है जिसे समझने पर प्रेम के साथ लोग अपना कर्तव्य करेंगे।
प्रश्नः 17.
‘आदमी को चाहिए कि जैसा समय देखे, वैसा काम करें।
उत्तर:
प्रसंग – इस वाक्य को ‘सुजान भगत’ पाठ से लिया गया है, जिसके लेखक है-प्रेमचंद। व्याख्या-इस वाक्य को बुलाकी ने सुजान को समझाते हए दान-धर्म में मग्न हआ तो धीरे-धीरे उनके बेटे भोला और शंकर ने सारे अधिकार अपने हाथ ले लिए। भिखारी को भीख देने से जब उसे रोका गया तो सुजान गुस्से में भूखा ही सो आता है और सारा दोष बेरों का है कहता है तो बुलाकी उसे समझाती है कि अब हमें नाम के मालिक है, बेटे ही राज करेंगे क्यों कि वे
कमाते हैं। तब यह बात उसने कही।
प्रश्नः 18.
‘पिता के ठीक विपरीत थी हमारी बेपढ़ी लिखी माँ।’
उत्तर:
प्रसंग-‘यह भी एक कहानी’ पाठ से लिया गया। व्याख्या-मन्नू की माँ उनके पिता के ठीक विपरीत था। वह पढ़ी-लिखी नहीं थी। धरती से ज्यादा धैर्य और सहनशक्ति थी उसमें पिताजी की हर ज्यादती को सह लेती और बच्चों की हर जिद हर फरमाइश सहज भाव से स्वीकार करती। सबकी इच्छा और पिताजी की आज्ञा को पालन करने के लिए सदैव तैयार रहती। सारे बच्चों का लगाव माँ के साथ था।
प्रश्नः 19.
पर ऐसा कभी नहीं हुआ था।
उत्तर:
प्रसंग – इस वाक्य को ‘भोलाराम का जीव’ से लिया गया है जिसके लेखक है हरिशंकर परसाई। व्याख्या-धर्मराज लाखों वर्षों से असंख्य आदमियों को कर्म और सिफारिश के आधार पर स्वर्ग या नरक में निवास स्थान अलॉट करने आ रहे थे। आज भोलाराम का जीव दूत को चकमा देकर गायब हो गया था। इस तरह की बात आज पहली बार हुई है।
III.(अ)एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर – लिखिए। ( 6 X 1 = 6 )
प्रश्नः 20.
प्रेम की गली कैसी है ?
उत्तर:
प्रेम की गली संकरी है।
प्रश्नः 21.
रैदास किस राज्य की कामना करते हैं?
उत्तर:
रैदास ऐसे राज्य की कामना करते हैं जहाँ सब समान है, जहाँ सबका पेट भरता है।
प्रश्नः 22.
माँ और बेटी एक दूसरे के लिए क्या बनते
उत्तर:
माँ और बेटी एक दूसरे के लिए गहने हैं।
प्रश्नः 23.
कवि नरेन्द्र शर्मा के अनुसार प्रतिहिंसा क्या
उत्तर:
कवि नरेंद्र के अनुसार प्रतिहिंसा दुर्बलता है।
प्रश्नः 24.
वृक्ष की पगड़ी कैसी है?
उत्तर:
वृक्ष की पगड़ी फूल-पत्तेदार है।
प्रश्नः 25.
सीने में क्या जलनी चाहिए?
उत्तर:
सीने में आग जलनी चाहिए।
(आ)निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के … उत्तर लिखिए। ( 2 x 3 = 6 )
प्रश्नः 26.
गोपिकाएँ अपने आपको क्यों भाग्य शालिनी समझती है?
उत्तर:
गोपिकाएँ अपने आपको भाग्यशालिनी मानती है क्योंकि उन्हें ऐसी आँखें मिली है जिनसे वे कृष्ण को देख सकते है। जो फूलों की खुशबू से पूरे आसमान में भर देनेवाला पवन जिसके कारण भैर भी फूलों की ओर आकर्षित हो जाते हैं वैसे ही उद्धव कृष्ण से मिलकर उसका संदेश लेकर आया है तो वे बहुत ही खुश हो गई है। थोड़ी देर के लिए वह विरह व्यथा भी भूल गई है।
प्रश्नः 27.
कवयित्री अमरलोक को क्यों ठुकरा देती है?
उत्तर:
कवयित्री महादेवी को अमरों के लोक की चाह नहीं है। उसका मानना है कि भगवान की कृपा से ही मुझे यह मिटने का अधिकार मिला है। अमर होना उसके जीवन का उद्देश्य नहीं है। वह खुश है कि वह वेदना की अनुभूति करे मिट जाए। मिटने का स्वाद वही जानता है जो मुस्कुराकर जीना जानता है।
प्रश्नः 28.
बेटी रंगीन कपड़े और गहने क्यों नहीं चाहती?
उत्तर:
बेटी सोने-चांदी के गहने पहनकर या रंगीन कपड़े पहनकर सुंदर दिखना नहीं चाहती। वैसे ही सुंदर है, जैसे भगवान ने हमें बनाया है। गहने पहनना उसे एक बंधन सा लगता है, उसे तकलीफ होती है उन्हें पहनने से । कपड़े भी अगर रंग-बिरंगे हो कीमती, हो तो उसे संभालना पड़ता है वह जहाँ चाहे वहाँ, मिट्टी में खेल भी नहीं सकते इसलिए वह रंगीन कपड़े और गहने नहीं पहनना चाहती।
प्रश्नः 29.
कर्नाटक के गौरवशाली इतिहास और संस्कृति के संबंध में ‘मानव’ के क्या उद्गार है?
उत्तर:
कवि मानव अत्यंत अभिमान से कर्नाटक के बारे में कहा रहे हैं कि जहाँ पर टीपू सुलतान जैसे पराक्रमी है कर ग। जहाँ रानी चेनम्मा के बलिदान की कहानी सुनाई जाती है। जहाँ पर कावेरी जैसी पवित्र नदी बहती है। अक्कमहादेवी और बसवेश्वर जैसे वचन साहित्यकार और पम्प जैसे महा-कवि गए वह कर्नाटक नाडू विश्व भर का गर्व है, भारत का सौभाग्य है। ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए।
प्रश्नः 30.
प्रभु जी चकोरा।
अथवा
बढ़त-बढ़त लाई।
उत्तर:
रैदास अपने आपको राम के प्रति समर्पित कर कह रहे हैं कि प्रभु तुम और मैं अलग कैसे है? हम तो एक दूसरे में समा गए है। जहाँ आप हो वहाँ मैं हूँ। रामनाम की रट से अब मैं कैसे छुटकारा पाऊँ ? हे प्रभु तुम चन्दन की तरह हो और मैं पानी। मेरे अंग-अंग में तुम्हारी खुशबू समा गई है। हम दोनों अलग कैसे हो सकते हैं? प्रभुजी, तुम घने जंगल हो और मैं जंगल का मोर हूँ। जंगल को छोड़ मोर कहाँ जा सकता है? जैसे ‘चकोर’ पंछी को चाँद लुभाता है वैसे ही तुम मुझे लुभाते हो।
रैदास इन पंक्तियों में एक राज्य के बारे में कह रहे कि मुझे ऐसे राज्य में रहना है जहाँ कोई भूखा न रहता हो, सबको खाने के लिए अन्न मिलता हो। जहाँ अमीर-गरीब, ऊँच-नीच का कोई भेदभाव न हो। सब को जहाँ समान रूप से सम्मान मिलता हो। छोटे-बड़े का भेदभाव बिहारी इस दोहे में प्रेम और भक्ति के बारे में बात करते कह रहे हैं कि घन रूपी पानी जव तक बढ़ता रहता है तब तक प्रेमरूपी कमल उसमें खिलते रहते हैं। जैसे-जैसे पानी कम होता है, वैसे-वैसे कमल सूख जाते हैं, मुरझा जाते हैं। ठीक वैसे ही प्रेम के घटने से मन पूरी तरह से मुरझा जाता है, उदास और दुःखी होता है। ले देकर खून पसीना। कवि कह रहे हैं कुछ भी बन बस कायर मत बन। हार मानकर जीना भी कोई जीना होता है।
क्यों राम के आँसू बहाना, जब तक तुम्हारे अंदर मानवता है, मानवता की रक्षा के लिए कितने लोगों का खून-पसीना बहा है। तो तुम क्या कुछ भी नहीं करोगे ? बस मजबूर होकर रोते ही रहोगे? नहीं, ‘तू कुछ’ भी बन बस कायर मत बन। कायरता वीरों को शोभा नहीं देता तुम हिम्मत से काम लेना यही संदेश कवि ने दिया है। इन लुटेरों से अब हमें बचाना है। हम आतंक फैलाने वालों से अपने शहर को बचाना है, अपने देश को इन गद्दारों से बचाना है क्योंकि वे अपने देश या वहाँ के लोगों के बारे में नहीं सोच रहे हैं। आज वे इन पेड़ों को काट रहे है कल ये लुटेरे सारे देश को लूटेंगे नहीं तो एक दिन ये नदियाँ नाले जैसे बन जाएँगे, हवा धुआँ हो।
प्रश्नः 31.
मेरा यह बचपन, तुम्हारा मातृत्व
ये ही गहने हैं मेरे लिए, माँ;
मैं तुम्हारा गहना, तुम मेरा गहना;
फिर अन्य गहने क्यों चाहिए माँ?
उत्तर:
प्रस्तुत गद्यांश ‘गहने’ नामक आधुनिक कविता से लिया गया है, जिसके रचयिता कुवेंपु हैं।
संदर्भ :कुवेम्पु जी आपसी रिश्तों में प्रेम को ‘गहनों’ से भी कई ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं। वे कहना चाहते हैं कि भौतिक पदार्थ (सोना, आभूषण इत्यादी) माँ की ममता और पुत्री के स्नेह के आगे कुछ भी महत्व नहीं रखते।
भावार्थ :बेटी माँ से ‘गहनों’ की व्यस्तता के बारे में कह रही है। वह कहती है कि मेरा यह प्यारा बचपन जिसमें तुमने मुझे खूब प्यार दिया है, मेरे लिए मेरा-यह बचपन गहने से भी बढ़कर है। तुम्हारा मातृत्व -सुख दनिया का सबसे बड़ा सुख है। हमारा यह सुख (मेरा बचपन का और तुम्हारा मातृत्व का) सबसे बड़ा सुख है। इस सुख की प्राप्ति धन से या आभूषणों से नहीं की जा सकती। माँ, जब हमारे पास इतनी बड़ी सम्पत्ति है तब फिर अन्य सम्पत्ति या गहने क्यों चाहिए? इस प्रकार कुवेंपु जी माँ-बेटी के बचपन और मातृत्व के सुख को सब सुखों में बढ़कर बताते हैं। विशेष : कन्नड से अनुवादित कविता है।
अथवा
आज यह दीवार परदों की तरह हिलने लगी।
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।।
उत्तर:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के हो गई पीर पर्वत सी’ नामक आधुनिक कविता से लिया गया है जिसके रचयिता दुष्यंत कुमार हैं।
संदर्भ : इस गज़ल में कवि ने देशवासियों को जागरण का संदेश देते हुए परिवर्तन का आवाहन किया है।
भावार्थ : कवि कहते हैं कि आज यह जाति भेदभाव धर्म और शोषण की दीवार ऐसे हिल रही है, मानो खिड़कियों और दरवाज़ों के लगे हुए परदे हिल रहे हैं, वास्तव में होना यह है कि सम्पूर्ण बुनियाद ही हिल जाए ताकि फिर से कुछ नया निर्माण किया जा सके ऐसी शर्त रख रहे हैं कि परिवर्तन की चाह है जिसमें धर्म-जाति, भेदभाव, शोषण, अत्याचार को जड़ से मिटाना चाहिए।
IV.(अ) एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए। ( 6 x 1 = 6 )
प्रश्नः 32.
नौकरों से काम लेने के लिए क्या होनी चाहिए?
उत्तर:
नौकरों से काम लेने के लिए तमीज़ होनी चाहिए।
प्रश्नः 33.
दादाजी के अनुसार उनका परिवार किस पेड़ के समान है?
उत्तर:
दादाजी के अनुसार उनका परिवार एक बड़े बरगद के पेड़ समान है।
प्रश्नः 34.
व्यक्ति किन गुणों से बड़ा होता है?
उत्तर:
व्यक्ति घृणा के बदले प्रेम देकर बड़ा बनता है।
प्रश्नः 35.
भारवि में किस कारण अहंकार बढ़ता जा रहा था?
उत्तर:
अपने पांडित्य के कारण भारवि का अहंकार बढ़ता जा रहा था।
प्रश्नः 36.
प्रेम के बिना किसका मूल्य नहीं है ?
उत्तर:
प्रेम के बिना अनुशासन का कोई मूल्य नहीं ।
(आ)निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
प्रश्नः 37.
इंदु को अपनी भाभी बेला पर क्यों क्रोध आया ?
उत्तर:
बहू बेला अभी-अभी शादी कर घर आई है। वह बड़े बाप की एकलौती बेटी है। बहुत पढ़ी लिखी भी है। घर की अन्य महिलाएँ सीधीसाधी है। घर में इंदू ही सबसे अधिक पढ़ीलिखी समझी जाती थी, बहू बेला जब से घर में उसकी ही खूब चलती थी। लेकिन छोटी बहू बेला जब से घर में आई घर में तनाव बढ़ने लगा। दस साल से जो मिश्रानी उनके घर काम कर रही थी उसे बैठक साफ करने तक का सलीका नहीं है कह कर निकाल दिया। हमेशा वह अपने मायके की ही बढ़ाई करती है जैसे यहाँ के सब लोग मूर्ख और गँवार है। उसी बात को लेकर इंदू और बेले में झगड़ा हुआ। बेला का कहना था कि सिर्फ झाडू मारने से कमरा थोड़े ही साफ होता है, ऐसे फूड नौकर को उसके मायके में दो घडी भी न टिकने देते। इन बातों से इन्दु को अपनी भाभी पर क्रोध आया।
अथवा
बेला अपने मायके क्यों जाना चाहती थी?
उत्तर:
बेला को लग रहा था कि वह अपरिचितों में आ गई है। कोई उसे नहीं समझता और वह किसी को नहीं समझ सक रही थी। असल में दादाजी के बताने पर सब लोग उसके कमरे में जाने से करता रहे थे। जोर से हँस नहीं रहे थे, उसका काम खुद कर रहे थे। उसे बहत ज्यादा आदर दे रही थी, यह सब देखकर उसे पराये से लगने वाला उसका दम घुटने लगा इसलिए वह परेश
से कहने लगी कि उसे मायके भेज दो।
प्रश्नः 38.
शास्त्रार्थ में पंडितों को हराते देख पिता ने भारवि के बारे में क्या सोचा?
उत्तर:
पिता अपने बेटे भारवि का पांडित्य देखकर बहुत ही प्रसन्न है। वह जानते हैं कि कोई भी भारवि को नहीं हरा सकता। भारवि संसार का सर्वश्रेष्ठ महाकवि है। दूर-दूर के देशों में उसकी समानता करने का किसी में साहस नहीं। लेकिन वे चाहते थे कि भारवि और भी अधिक पण्डित और महाकवि बने। लेकिन आजकल भारवि में अहंकार आ गया है। अहंकार के कारण उसकी उन्नति नहीं होगी। इसलिए समय-समय पर वे उसे मूर्ख और अज्ञानी कहते हैं। उन्होंने सबके सामने भारवि का अपमान भी किया।
अथवा
सुशीला का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:
सुशीला भारवि की माँ है। संस्कृत के महापंडित श्रीधर की पत्नी है। भारवि के घर न लौटने पर वह बहुत दुःखी है। आभा से यह कहने पर की खाना खाए वह खाना नहीं खाती भारती जो भारवि को ढूंढने आई उसे भी वह भारवि को ढूँढकर लाने को कहती है। भारवि के पिता उसे समझाने की भरसक कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वह नहीं समझती। श्रीधर के डाँटने पर ही वह घर नहीं आया लेकिन उसके पीछे पुत्र के भलाई की चिंता थी यह वह समझ जाती है।
V.(अ)वाक्य शुद्ध कीजिए : ( 4 x 1 = 4 )
प्रश्नः 39.
(i) मैं आपका दर्शन करने आया हूँ ।
उत्तर:
मैं आपके दर्शन करने आया हूँ।
(ii) यह कविता अनेक भाव प्रकट करता
उत्तर:
यह कविता अनेक भाव प्रकट करती है।
(iii) वह काम किया।
उत्तर:
उसने काम किया।
(iv) उसे किसी की डर नहीं है?
उत्तर:
उसे किसी का डर नहीं है।
(आ)कोष्टक में दिये गये उचित शब्दों से रिक्त स्थान भरिए। ( 4 x 1 = 4 )
(सम्मान, घृणा, सत्य, कर्त्तव्य)
प्रश्नः 40.
(i) मनुष्य का परम धर्म ……………. बोलना है।
(सत्य)
(ii) स्वार्थी लोग अपने ध्यान नहीं देते।
(कर्तव्य)
(iii) कुत्सित लोगों से सभी ……….. करते हैं।
(घृणा)
(iv) सत्य बोलने से हमारा …. होगा।
(कल्याण)
(इ) निम्नलिखित वाक्यों को सूचनानुसार – बदलिए। ( 3 x 1 = 3 )
प्रश्नः 41.
(i) मोहित कल फिल्म देखने जाएगा।
(भूतकाल में बदलिए)
उत्तर:
मोहित कल फिल्म देखने गया था।
(ii) गीता ने कहानी लिखी।
(वर्तमान काल में बदलिए)
उत्तर:
गीता कहानी लिखती है।
(iii) बच्चे शोर मचाते हैं।
(भविष्यत् काल में बदलिए)
उत्तर:
बच्चे शोर मचाएँगे।
प्रश्नः 42.
निम्नलिखित मुहावरों को अर्थ के साथ – जोड़कर लिखिए। ( 1 x 4 = 4 )
(उ) अन्य लिंग रूप लिखिए। ( 3 x 1 = 3 )
प्रश्नः 43.
नायक, सुनार, शेरनी
उत्तर:
नायिका, सुनारिन, शेर
(उ) अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए। ( 3 x 1 = 3 )
प्रश्नः 44.
(i) जिसे भगवान पर विश्वास हो।
उत्तर:
आस्तिक
(ii) जिसकी उपमा न हो।
उत्तर:
अनुपम
(iii) जानने की इच्छा रखनेवाला।
उत्तर:
जिज्ञासु
(ए) निम्नलिखित शब्दों के साथ उपसर्ग जोड़कर इस नए शब्दों का निर्माण कीजिए । ( 1 x 2 = 2 )
प्रश्नः 45.
शासन, पूर्ण
उत्तर:
अनुशासन, अपूर्ण।
निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय अलग कर लिखिए। ( 2 x 1 = 2 )
प्रश्नः 46.
मनुष्यता, मददगार
उत्तर:
मनुष्य – ता
मदद – गार
प्रश्नः 47.
(a) मेरे जीवन का लक्ष्य
उत्तर:
एक नाव को यदि यूँ ही सागर में छोड़ दिया जाए तो वह दिशाहीन ही भटकती रहती है। उसका अंत क्या होगा, कोई नहीं जानता। उसी प्रकार मनुष्य जीवन भी यदि दिशाहीन हो तो वह अनिश्चितता के सागर में गोते खाता रहता है और कहीं भी पहुँच नहीं पाता। अतः हम सबको जीवन में आगे बढ़ने के लिए एक लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। मेरा एक सपना है कि मैं डाक्टर बनें।
वैसे तो कई व्यवसाय हो सकते हैं, जिससे मैं धन कमा सकता हूँ, लेकिन डॉक्टर बनकर मैं धन कमाने के साथ-साथ मानवता के प्रति अपने कर्तव्य की पूर्ति भी कर पाऊँगा, ऐसा मेना मानना है। जब भी मैं डॉक्टरों द्वारा मरीजों को संतुष्टि पहुँचाते देखता हूँ तो मेरी इच्छा और भी बलवती हो जाती है। इसके लिए मुझे बहुत पढ़ना होगा। डॉक्टरी शिक्षा प्राप्त करने के लिए बहुत धन भी खर्च करना होगा, साथ ही इस महान लक्ष्य को पूरा करने के लिए अपने आराम और सुविधाओं का त्याग भी करना होगा, यह मैं अच्छी तरह जानता हूँ ।
मुझे लगता है कि एक डॉक्टर को सबसे पहले एक अच्छा इंसान होना चाहिए। विनम्रता और दूसरों के प्रति सच्ची सहानुभूति होना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। मैंने देखा है कि एक डॉक्टर जब रोगी से प्रेमपूर्वक, सहृदयता से बात करता है तो उसका आधा दर्द तो स्वयमेव दर हो जाता है। मैं अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़-संकल्प हूँ और इसे पाकर ही रहँगा ।
(b) महिला सबलीकरण
उत्तर:
मातृत्व की गरिमा से मंडित, पत्नी के सौभाग्य से ऐश्वर्यशालिनी, धार्मिक अनुष्ठानों की सहधर्मिणी, गृह की व्यवस्थापिका तथा गृहलक्ष्मी, पुरुष की सहयोगिनी, शिशु की प्रथम शिक्षिका तथा अनेक गुणों से गौरवांवित नारी के महत्व को आदिकाल से ही स्वीकारा गया है। महाराज मन ने इसलिए कहा – ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता’ – जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते हैं ।
इसमें किंचित संदेह नहीं कि नारी के अभाव में मनुष्य का सामाजिक जीवन बेकार है। इसीलिए प्राचीन काल से ही नारी की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकारा गया है। नारी के इसी रूप को स्वीकारते हुए कविवर जयशंकर प्रसाद ने कहा था – नारी तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास रजत नभ पग तल में । पीयूष स्रोत सी बहा करो, जीवन के सुंदर समतल में । प्राचीन भारत में गार्गी, अनुसूया, अत्री, मैत्रेयी, सावित्री जैसी विदुषी महिलाएँ इस बात का ज्वलंत उदाहरण हैं कि वैदिक काल में भारतीय नारियाँ सम्माननीय एवं प्रतिष्ठित पद पर आसीन थीं। उन्हें शिक्षा का पूर्ण अधिकार ही नहीं था, कोई भी शुभ एवं मांगलिक कार्य अर्धांगिनी की उपस्थिति के बिना संपन्न नहीं होता था ।
मध्यकाल में नारी की वह गौरवपूर्ण स्थिति नहीं रह सकी। यवनों के आक्रमण के बाद उसका मान-सम्मान घटने लगा। अनेक प्रकार के राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल के कारण नारी को अपनी मान-मर्यादा तथा सतीत्व की रक्षा के लिए घर की चारदीवारी तक ही सीमित कर देना पड़ा। उसकी स्थिति इतनी दयनीय हो गई कि उसे पुरुष की दासी बनकर अपमान तथा यातनापूर्ण जीवन जीने पर विवश होना पड़ा । परिस्थितियाँ सदा एक-सी नहीं रहती। शनैः शनैः नारी को पुनः प्रतिष्ठित एवं सम्माननीय पद पर आसीन करने के प्रयास शुरू हुए। राजा राम मोहन राय, स्वामी दयानंद जैसे अनेक समाज-सुधारकों के सत्प्रयासों से नारी की स्थिति में परिवर्तन आया और स्वतंत्रता-प्राप्ति के समय तक भारतीय नारी के साथ कंधा-से-कंधा मिलाकर जीवन के हर क्षेत्र में पदार्पण करने लगी।
अनेक क्षेत्रों में तो उसने पुरुष को बहुत पीछे छोड़ दिया। महाकवि मैथिलीशरण गुप्त ने चाहे नारी को ‘अबला’ कहकर भले ही संबोधित किया हो, पर आज की नारी तो पूर्णतया ‘सबला’ है। आज की नारी की दोहरी भूमिका है। वह आज घर की चारदीवारी में बंद होकर पुरुष की दासी बनकर केवल उसके भोग की वस्तु नहीं है, आज तो वह शिक्षा, चिकित्सा, सेना, पुलिस, उद्योग-धंधे, प्रशासन जैसे अनेक क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा एवं योग्यता का परिचय दे रही है। आज उसकी दोहरी भूमिका है – एक ओर तो वह गृहिणी है, परिवार के उत्तरदायित्व से बँधी है, तो दूसरी ओर अपने अधिकारों तथा स्वाभिमान की रक्षा करने के लिए अपनी स्वतंत्र जीविका भी चला रही है। वह पुरुष प्रधान समाज में रहकर भी अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाए हुए है।
आज की नारी को अपने अधिकारों का भलीभाँति ज्ञान है। आज नारी दीन-हीन नहीं सबल, समर्थ तथा स्वावलंबी है। परंतु नारी की दोहरी भूमिका के कारण अनेक समस्याएँ भी उठ खड़ी हई हैं । पश्चिमी सभ्यता तथा चकाचौंध से प्रभावित होने के कारण, मानसिक तनाव तथा तलाक की घटनाएँ दिन-प्रति-दिन बढ़ती जा रही हैं। पढ़-लिखकर नौकरी करने की इच्छा के कारण आज महिलाओं को विवाह के बाद अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। महिलाओं द्वारा नौकरी करने तथा स्वावलंबी बन जाने के कारण पुरुष के ‘अहं’ को कहीं-न-कहीं ‘चोट’ अवश्य पहुँचती है जिसके कारण दांपत्य जीवन में कटुता आ जाती है। आज की नारी पुरुष के अमानवीय व्यवहार को सहन करने को तैयार नहीं, उसे केवल बच्चों की देखभाल करना, पति को परमेश्वर समझकर उसकी उचित-अनुचित हर बात को स्वीकार करना स्वीकार्य नहीं ।
भारतीय नारी को दोहरी भूमिका, समाज में उसके स्थान तथा उसके कर्तव्यों को आज हमें नए परिप्रेक्ष्य में देखना, सोचना-समझना होगा। आज की नारी की पिछली स्थिति में नहीं ले जाया जा सकता। आज तो आवश्यकता इस बात की है कि एक ओर वह अपने पारिवारिक तथा सामाजिक उत्तरदायित्वों को निभाए तथा साथ ही आर्थिक दृष्टि से स्वावलंबी बनकर एक सम्मानपूर्ण जीवन बिताये। आधुनिक नारी को अपने अधिकारों तथा स्वतंत्रता के प्रति इतना मदांध नहीं हो जाना चाहिए कि वह ममता, सहिष्णुता, त्याग, करुणा, सेवा-परायणता, उदारता तथा स्नेह जैसे गुणों को भूलकर पाश्चात्य सभ्यता का अंधानुकरण करके अपनी गरिमा को ही विस्मृत कर दे।
नौकरी करते हुए उसे आदर्श माता, आदर्श पति तथा गृहस्वामिनी के कर्तव्यों को भली-भाँति वहन करना होगा। खेद का विषय है कि स्वाधीनता के इतने वर्षों के बाद आज भी भारतीय गाँवों में नारी की स्थिति में वांछित परिवर्तन नहीं आया है। भारतीय समाज में आज भी ‘लड़के’ को ‘लड़की’ से श्रेष्ठ समझा जाता है तथा अंधविश्वासों, रूढ़ियों, अशिक्षा, गरीबी तथा अज्ञानता के कारण गाँवों में उसकी दशा दयनीय है। समाज के संतुलित विकास के लिए यह आवश्यक है कि दहेज जैसी कुप्रथाओं का समूल विनाश किया जाए और महिलाओं के उत्थान के लिए हर संभव प्रयास किया जाए। राष्ट्र का विकास भी नारी की उन्नति पर निर्भर है।
(c) पुस्तकालय
उत्तर:
मनुष्य के जीवन में ज्ञान का बहुत महत्त्व है। ज्ञान प्राप्ति केवल स्कूल और कॉलेज में ही नहीं होती, पुस्तकालय में भी होती है। सचमुच, पुस्तकालय तो एक पवित्र ज्ञान तीर्थ है। वह सरस्वती देवी का पावन मंदिर है। पुस्तकालय में साहित्य, विज्ञान, राजनीति, कला, दर्शनशास्त्र आदि अनेक विषयों की पुस्तकें होती हैं। इनके अलावा अनेक संदर्भ ग्रंथ और शब्दकोश होते हैं।
सभी विषयों की इतनी पुस्तकें कोई भी व्यक्ति नहीं खरीद सकता। समृद्ध पुस्तकालय में अनेक सामयिक और विविध भाषा के दैनिक पत्र मंगाए जाते हैं। पुस्तकालय में प्रायः वाचनालय की भी सुविधा रहती है। कोई भी व्यक्ति ऐसे सार्वजनिक पुस्तकालय से लाभ उठा सकता है। पुस्तकालय का सदस्य बनकर कोई भी व्यक्ति पुस्तकें और पत्रिकाएँ पढ़ने के लिए अपने घर भी ले जा सकता है। इस प्रकार पुस्तकालय के माध्यम से मनुष्य ज्ञान के अथाह सागर में डुबकियाँ लगा सकता है। अवकाश का समय ताश, शतरंज, सिनेमा आदि में बिताने के बदले पुस्तकालय में बिताना लाभदायक है।
महान लेखकों की कृतियाँ पढ़ने से मनुष्य को ज्ञान के अतिरिक्त मनोरंजन भी प्राप्त होता है। देश-विदेश का साहित्य पढ़ने से लोगों में जागृति आती है। वास्तव में, बौद्धिक विकास में पुस्तकालय का योगदान सबसे अधिक पुस्तकालय का सदस्यता शुल्क बहुत कम होना चाहिए, जिससे साधारण व्यक्ति भी उसका लाभ उठा सके। उसमें शिष्ट साहित्य और ज्ञानविज्ञान की अधिक से अधिक पुस्तकों का संग्रह सचमुच, पुस्तकालय ज्ञान का दीपक है। भारत जैसे अविकसित देश में प्रत्येक गाँव में पुस्तकालयों की स्थापना होनी चाहिए। पुस्तकालय से प्रकाश पाकर ही हमारा समाज ज्ञान रूपी प्रकाश प्राप्त कर सकता है।
अथवा
(ii) अपने मित्र को नव वर्ष की शुभकामना देते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर:
से,
क, ख, ग
सप्तापुर बावि,
धारवाड़
दिनांक 25- दिसंबर -2019
प्रिय मित्र योगेश,
सप्रेम नमस्ते।
अंग्रेज़ी कैलेण्डर के अनुसार जनवरी की पहली तारीख को नया वर्ष मनाया जाता है। भारतीय परंपरा के अनुसार हमारे देश में प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को भी नया वर्ष मनाया जाता है। इस दिन को गुडि पाडवा या युगादि भी कहते है। इस वर्ष यह 31 मार्च को मनाया गया। मैं अपनी और अपने परिवार की ओर से तुम्हें और तुम्हारे सारे परिवारवालों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ भेज रहा हूँ और कामना करता हूँ कि यह नया वर्ष आप सब के जीवन में ढेर सारी खुशियाँ लायें और सबका स्वास्थ्य बरकरार रखें।
तुम्हारा प्रिय मित्र
क ख ग
को,
योगेश श्रीमनी
हेरो हल्ली
मंगलूर
अथवा
परीक्षा-शुल्क भरने के लिए 500 रूपए माँगते हुए अपने पिता के नाम पत्र लिखिए।
उत्तर:
सालारगंज रोड़,
हैदराबाद
14 मार्च 2019
पूज्य पिताजी,
सादर प्रणाम,
सर्व समाचार विदित हुए।
पत्र लिखने का उद्देश्य यह रहा कि हमारे महाविद्यालय की ओर से चार दिवस की शैक्षणिक यात्रा का आयोजन किया गया है। हमें कावेरी नदी के तट पर स्थित सभी प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों के भ्रमण हेतु, यह यात्रा आयोजित की गई है। अतएव आपसे करबद्ध प्रार्थना है कि मुझे 2000 रुपये अतिशीघ्र मनिआर्डर द्वारा भेज दें ताकि मैं अपना नाम पंजीकृत कर सकूँ। आशा है कि आप मेरी प्रार्थना को नहीं ठुकराएंगे। आशा है कि आप मेरी प्रार्थना को नहीं ठकराएंगे। भैया व भाभी कैसे हैं।
शेष, आपकी पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,
आपका प्यारा पुत्र
अ.ब.स.
(आ) निम्नलिखित अनुच्छेद पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए। ( 5 x 1 = 5 )
प्रश्नः 48.
काशी में संगीत आयोजन की एक प्राचीन
एवं अद्भुत परंपरा है। यह आयोजन पिछले कई बरसों से संकटमोचन मंदिर में होता आया है। यह मंदिर शहर के दक्षिण में लंका पर स्थित है व हनुमान जयंती के अवसर पर यहाँ पाँच दिनों तक शास्त्रीय एवं उपशास्त्रीय गायन वादन की उत्कृष्ट सभा होती है। इसमें बिस्मिल्ला खान अवश्य रहते थे। अपने मज़हब के प्रति अत्यधिक समर्पित उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ की श्रद्धा काशी विश्वनाथ जी के प्रति भी अपार थी। वे जब भी काशी के बाहर रहते तब विश्वनाथ व बालाजी की दिशा की ओर मुँह करके बैठते, थोड़ी दूर ही सही, मगर उसी ओर शहनाई का प्याला घुमा दिया जाता और भीतर की आस्था रीड के माध्यम से बजती थी। खाँ साहब की एक रीड 15 से 20 मिनट के अंदर गीली हो जाती थी, तब वे दूसरी रीड का इस्तेमाल कर लिया करते थे।
(i) काशी की प्राचीन एवं अद्भुत परम्परा क्या है?
उत्तर:
काशी की प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है संगीत।
(ii) संकटमोचन मंदिर कहाँ पर स्थित है ?
उत्तर:
संकट मोचन मंदिर शहर के दक्षिण में लंका पर स्थित है।
(iii) बिस्मिल्ला खाँ की श्रद्धा किसके प्रति अपार थी?
उत्तर:
बिस्मिल्ला खाँ को अपने मजहब के प्रति अपार श्रद्धा थी।
(iv) उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ किस वाद्य को बजाते थे?
उत्तर:
उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ शहनाई बजाते थे।
(v) खाँ साहब की एक रीड़ कितने समय में गीली हो जाती थी?
उत्तर:
खाँ साहब की एक रीड़ 15 से 20 मिनट के अंदर गीली हो जाती थी।
(इ) हिंदी में अनुवाद कीजिये। ( 5 x 1 = 5 )