Students can Download 2nd PUC Hindi Model Question Paper 4 with Answers, Karnataka 2nd PUC Hindi Model Question Paper with Answers helps you to revise the complete Karnataka State Board Syllabus and to clear all their doubts, score well in final exams.
Karnataka 2nd PUC Hindi Model Question Paper 4 with Answers
Time: 3.15 Hours
Max Marks: 100
सूचना:
- सभी प्रश्नों के उत्तर हिन्दी भाषा तथा देवनागरी लिपि में लिखना आवश्यक है।
- प्रश्नों की क्रम संख्या लिखना अनिवार्य है।
I.(अ)एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए : ( 6 x 1 = 6 )
प्रश्न: 1.
तीन वर्ष लगातार कौन-सी फसल लगती गई ?
उत्तर:
तीन वर्ष लगातार ऊख की फसल लगती गयी।
प्रश्न: 2.
कर्तव्य करने से क्या बढ़ता है ?
उत्तर:
कर्त्तव्य करने से चरित्र की शोभा बढ़ती है ।
प्रश्न: 3.
पिताजी रसोई घर को क्या कहते थे?
उत्तर:
पिताजी रसोई घर को भटियारखाना कहते थे।
प्रश्न: 4.
विश्वेश्वरय्या ने किस बांध के लिए आटोमैटिक गेटों का डिज़ाइन किया?
उत्तर:
विश्वेश्वरय्या ने खडकवासला बाँध के लिए आटोमैटिक गेटों का डिजाइन किया।
प्रश्न: 5.
भोलाराम किस शहर का निवासी था?
उत्तर:
भोलाराम जबलपुर शहर में घमापुर मुहल्ले में नाले के किनारे रहता था ।
प्रश्न: 6.
‘स्लम डॉग मिलियनेर’ फिल्म किसकी पुस्तक के आधार पर बनी है?
उत्तर:
‘स्लम डॉग मिलियनेर’ फिल्म विकास स्वरूप के पुस्तक के आधार पर बनी है।
(आ) निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लिखिए : ( 3 x 3 = 9 )
प्रश्न: 7.
मनुष्य का परम धर्म क्या है? उसकी रक्षा कैसे करनी चाहिए?
उत्तर:
मनुष्य का परम धर्म है सच बोलना और सच्चाई के रास्ते पर चलना। मानव को हमेशा सच पर अडिग रहना चाहिए। उसे सत्य के पालने में चाहे कितनी भी मुसीबतें आए उनका हिम्मत से सामना करना चाहिए। सच बोलने से और उसका आचरण करने से समाज में हमारा गौरव बढ़ेगा। इससे हमें बड़े आनंद से अपना जीवन बिता सकेंगे। सच्चाई की राह पर चलने से हमारे मन में पाप की चिंता नहीं रहती। हम सुख-चैन से अपनी जीवन बिता सकते हैं ।
प्रश्न: 8.
समाज में कौन-कौन सी समस्याएँ बढ़ रही हैं?
उत्तर
लोग धर्म, पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन केवल दिखावे के लिए करने लगे हैं। भगवान के नाम पर लोगों का शोषण होने लगा। कल-कारखाने
और उद्योग-धंधे बढ़ने लगे। लेकिन गरीबी, भुखमरी, बेकारी, प्रदूषण बढ़ने लगी। मानवता से गायब होने लगी। इस प्रकार समाज में तरह-तरह
की समस्याएँ बढ़ने लगी ।
प्रश्न: 9.
विश्वेश्वरय्या के गुण-स्वभाव का परिचय दीजिए ।
उत्तर:
विश्वेश्वरय्या बड़े परिश्रमी थे। वे हर मुसीबत को हिम्मत से झेलते थे और विजय पाते थे। वे बहुत ही होनहार, चतुर और कर्मठ थे। उन्हें अपने काम से बड़ा लगाव था। वे अनुशासन, मेहनत, ईमानदारी के पुजारी थे। वे बड़े देशप्रेमी थे। उनकी बुद्धि बेमिसाल थी ।
प्रश्न: 10.
बरामदे में पहुंचते ही शामनाथ क्यों ठिठक गये?
उत्तर:
शामनाथ ने माँ को समझा दिया कि मेहमानों के आने से पहले और आने के बाद कब काम खत्म करना है और कहाँ बैठना है और कहाँ से उत्त कोठरी में जाना है। लेकिन जब मेहमान और चीफ खाना खाने बैठक से बाहर निकले तो शामनाथ ने देखा, बरामदे में ऐन कोठरी के बाहर माँ अपनी कुर्सी पर दोनों पाँव रखे हुए सिर दाये से बांयें और बांये से दांये हिलाते हुए गहरे खर्राटे ले रही थी। उसका पल्ला सिर से हट गया था। उसके झड़े हुए बाल, आधे गंजे सिर पर अस्त उत्त व्यस्त बिखर गये थे। यह सब देखकर शामनाथ ठिठक गये ।
प्रश्न: 11.
‘टफ्स’ के पुस्तकालय के बारे में लिखिए।
उत्तर:
उत्तर ‘टफ्स’ के चार मंजिली इमारत की हर मंजिल पर विशाल वाचनालय है। जहाँ पर 6,18,615 पुस्तकें है। विद्युत चालित अलमारियाँ में रखी ये पुस्तकें मात्र बटन दबाने से सामने उपलब्ध होती है। आप जी भरकर पढ़िए, पन्ने पलटिए या । नोट्स बनाइए, वापस बटन दबाइए, अलमारी अपने आप बंद हो जाएगी। एक अलार्म के द्वारा यह पता लगाया जा सकता है कि किसीने कोई बुक तो नहीं छुपाई है? इंडिक भाषा विभाग में कई दुर्लभ ग्रंथ लेखिका ने देखे । हिन्दी, अवधी, राजस्थानी, भोजपुरी, पहाड़ी और मैथिली की भी बहुतायत पुस्तकें थी। एक साथ इतनी महत्वपूर्ण सामग्री लेखिका ने अपने देश के राष्ट्रीय पुस्तकालय, कलकत्ते में भी नहीं देखी थी।
II. निम्नलिखित वाक्य किसने किससे कहे : ( 4 x 1 = 4 )
प्रश्न: 12.
“आधी रोटी खाओ, भगवान का भजन करो और पड़े रहो ।
उत्तर:
बुलाकी ने सुजान से कहा ।
प्रश्न: 13.
हमारे आपके घरों के लड़कियों को शोभा देता है यह सब?
उत्तर:
एक दकियानूसी मित्र ने मन्नू के पिता से कहा।
प्रश्न: 14.
वह ज़रूर बना देगी। आप उसे देखकर खुश होंगे।
उत्तर
शामनाथ ने चीफ से कहा ।
प्रश्न: 15.
आप साधु हैं, आपको दुनियादारी समझ में नहीं आती।
उत्तर:
सरकारी दफ्तर के बाबू ने नारद से कहा ।
(आ) निम्नलिखित में से किन्हीं दो का ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए : ( 2 x 3 = 6 )
प्रश्न: 16.
‘कर्तव्य करना न्याय पर निर्भर है ।
उत्तर:
यह वाक्य ‘कर्तव्य और सत्यता’ पाठ से लिया गया है। इ स पाठ के लेखक हैं डॉ. श्याम सुंदर दास जी। लेखक ने यहाँ कर्तव्य का पालन करने के मुख्य गुणों पर प्रकाश डाला है ।
जीवन कर्तव्यों से भरा पड़ा है । जो कर्त्तव्य का पालन करता है, वह तरक्की करता है और महान भी बनता है। यह ध्यान देने की बात है कि कर्त्तव्य न्याय पर आधारित होता है। अर्थात् न्याय और सत्य के साथ जुड़े हुए कामों को ही करना चाहिए। न्याय के मार्ग पर चलकर ही हर एक को अपने कर्तव्य को निभाना चाहिए।
प्रश्न: 17.
‘पतन की जब पराकाष्ठा हो जाती है तभी पुनः उत्थान की किरणें फूट पड़ती है।।
उत्तर
यह वाक्य ‘गंगा मैया से साक्षात्कार’ से दिया गया है। इसके लेखक हैं – डॉ. बरसाने लाल चतुर्वेदीजी। गंगा मैया लेखक से कहती है कि समाज पूरी तरह भ्रष्ट हो गया है। किसी भी व्यक्ति में दान, दया, धर्म, कर्म आदि गुण नहीं है। समाज में स्वार्थ, ईर्ष्या-द्वेष बढ़ गये हैं। घर में, समाज में और देश में अशांति फैल रही है। जब समाज पूरी तरह से नष्ट हो जाएगा तब नया समाज उभरेगा । गंगा मैया के शब्दों में वर्तमान समाज के प्रति क्षोभ है और भविष्य के प्रति विश्वास ।
प्रश्न: 18.
‘चिंता में घुलते-घुलते और भूखे मरते-मरते उन्होंने दम तोड़ दिया।
उत्तर:
यह वाक्य ‘भोलाराम का जीव’ कहानी से दिया गया है। कहानीकार का नाम है – हरिशंकर परसाई। भोलाराम की पत्नी ने यह वाक्य नारदजी से कहा। नारदजी भोलाराम की पत्नी से उसके पति की मौत का कारण पूछा। तब उसने जवाब दिया कि रिटायर होने के कई साल बाद भी उसे पेंशन के पैसे नहीं मिले। तो भूख और चिंता में तड़प-तड़प कर वे चल बसे ।
प्रश्न: 19.
यह किला जापानी संघर्षधर्मिता और जिजीविषा का प्रतीक है ।
उत्तर:
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश ‘यात्रा जापान की’ नामक पाठ से लिया गया है जिसकी लेखिका ममता कालिया हैं।
संदर्भ : जापान की ओसाका किले का वर्णन करते हुए लेखिका इसे कहती हैं ।
स्पष्टीकरण : जापानी भाषा में ‘जी’ का अर्थ है मंदिर और ‘जो’ का अर्थ है ‘किला’। ओसाका ‘जो’ 1585 ई.में सम्राट तोयोतोमी हिदेयोशी ने बनवाया था। विशाल परिसर में हरियाली और रंग-बिरंगे पुष्प-पादपों से घिरा हआ यह किला अनेक आख्यानों का पुंज है। किले के अंदर मंदिर, संग्रहालय आदि हैं जो देखने लायक हैं। यहाँ लकड़ी का इतना ज्यादा प्रयोग हुआ है कि कई बार इसमें आग लगने की दुर्घटनाएँ होती रहीं। ओसाका जो बार-बार बना और नष्ट हुआ। जापान वासियों में अपने सम्राट और अपनी संस्कृति के प्रति अपार श्रद्धा और प्रेम है। यह किला जापानी संघर्ष धर्मिता और जिजीविषा का प्रतीक है ।
III. (अ) एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए। ( 6 x 1 = 6 )
प्रश्न: 20.
अंग-अंग में किसकी सुगंध समा गई है?
उत्तर:
अंग-अंग में चंदन की सुगंध समा गई है।
प्रश्न: 21.
किसके बिना मनुष्य का अस्तित्व व्यर्थ है ?
उत्तर :
पानी के बिना मनुष्य का अस्तित्व व्यर्थ है ।
प्रश्न: 22.
बेटी सजने-धजने से क्या महसूस करती है?
उत्तर:
बेटी सजने-धजने से बंधन महसूस करती है ।
प्रश्न: 23.
कवि नरेन्द्र शर्मा क्या अर्पण करने के लिए कहते हैं ?
उत्तर:
कवि नरेंद्र शर्मा सर्वस्व अर्पण करने के लिए कहते हैं ।
प्रश्न: 24.
देश को किससे बचाना है?
उत्तर:
देश को दुश्मनों से बचाना है।
प्रश्न: 25.
कवि ने बूढ़े चौकीदार किसे कहा है ?
उत्तर:
कवि ने वृक्ष को बूढ़ा-चौकीदार कहा है ।
(आ)निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो के उत्तर लिखिए। ( 2 x 3 = 6 )
प्रश्न: 26.
सूरदास ने माखन चोरी प्रसंग का किस प्रकार वर्णन किया है?
उत्तर:
सूरदास ने माखन चोरी के प्रसंग के बारे में कुछ इस प्रकार वर्णन किया है। बालकृष्ण माखन की चोरी करते हए गोपी के हाथों में आया तब गोपी ने कन्हैया को दोनों हाथों से पकड़ कर यों कहा – ‘हे कृष्ण! तुम कई दिनों से मुझे सता रहे हो। मेरे घर में घुसकर माखन की चोरी करते आ रहे हो। आखिर तुम आज मेरी पकड़ में आ गये हो। तब कृष्ण ने भोली सूरत बना कर गोपी से कहा कि सचमुच मैंने तुम्हारे माखन की चोरी नहीं की। मेरे मित्र ही सब माखन खाकर चले गये। कन्हैया के मुग्ध वचन सुनकर गोपी ने उसे – बड़े प्रेम से गले लगाया ।
प्रश्न: 27.
‘अधिकार’ कविता में प्रयुक्त प्राकृतिक तत्वों के बारे में लिखिए ।
उत्तर:
‘अधिकार’ कविता में प्रयुक्त प्राकृतिक तत्व : कवयित्री महादेवी वर्मा वेदना की लेखिका हैं। साथ ही वे प्रकृति प्रेमी भी हैं । उन्होंने अधिकार कविता में प्रकृति का मानव जीवन के साथ सामंजस्य स्थापित किया है।
कवयित्री ने इस संदर्भ में प्रकृति के तत्वों – नक्षत्रों, बादलों और ऋतुओं का तथा जीवन के बीच के संबंध का सुन्दर चित्रण किया । नक्षत्र, बादल और ऋतु मानव जाति को सुख देकर उगते-डूबते रहते हैं। इसी प्रकार मनुष्य भी जीवन का आरंभ और अंत का परिचायक है।
प्रश्न: 28.
दक्षिण प्रदेश की महत्ता का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कवि ने दक्षिण प्रदेश का गुणगान किया है। कर्नाटक कावेरी नदी के कारण पवित्र है। यहाँ पंप, बसवेश्वर अक्कमहादेवी जैसे बड़े कवि पैदा हुए हैं। यह रामानुजाचार्य की कर्मभूमि हैं। तमिलनाडु में कम्ब जैसे महाकवि पैदा हुए हैं। यहाँ सुंदरतम मंदिर हैं। केरल की प्रकृति-शोभा निराली है। आंध्र प्रदेश में तिरुपति, काळहस्ति, भद्राचलम जैसे पुण्य क्षेत्र भी हैं ।
प्रश्न: 29.
वृक्ष की महत्ता पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर:
कवि कुँवर नारायण वृक्ष की महत्ता का वर्णन करते हैं। वृक्ष मानव के घर का चौकीदार है। वह अपनी छाया के द्वारा लोगों को ठण्डी-ठण्डी हवा देता है, राहगीरों को शांति देता है। वह सैकड़ों पक्षियों को आश्रय देता है। वह दोस्त की तरह स्नेह देता है, सहारा देता है ।
इ) ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए। ( 2 x 4 = 8 )
प्रश्न: 30.
(1) रैदास श्रम करि खाइहि,
जो लौ पार बसाय ।
नेक कमाई, जउ करइ
कबहँ, न निहफल जाइ ।।
उत्तर:
यहाँ परिश्रम का महत्व बताते हुए रैदास कह रहे हैं कि सब को परिश्रम करके जीवन यापन करना चाहिए। ना ही कोई आलसी हो, न कोई कामचोर । इस ज़िन्दगी से वही पार होगा जिसने श्रम का, मेहनत का महत्व जान लिया हो। परिश्रम में ‘धोखा’ न हो, इसलिए आगे वे कहते हैं कि नेकी से जो कमाई करोगे तो कुछ भी निष्फल न होगा। ईमानदारी बड़ी चीज़ है, जीवन में सफलता उसीसे मिलेगी ।
अथवा
समै-समै सुंदर सबै, रूप कुरूप न कोई । मन की रुचि जेति जितै, तित तेती रुचि होई।।
उत्तर:
यह समस्त सृष्टि उस प्रभु की रचना है। इसमें न कुछ सुंदर है और न असुंदर । अपने-अपने अवसर पर सब ओर समस्त वस्तुएँ सुंदर लगती हैं। मनुष्य के मन की चाह जिस समय और जितनी होती है – उस समय उस वस्तु में उसको उतनी शोभा दिखाई पड़ती है ।
बिहारी ने यहाँ सौंदर्य का बड़ा ही व्यापक रूप प्रस्तुत किया है। उनके लिए समस्त सृष्टि ही सौंदर्यमयी है। केवल मन की रुचि होनी चाहिए। मन की रुचि के अनुसार ही प्रत्येक वस्तु में सौंदर्य दिखाई पड़ेगा।
अथवा
प्रश्न: 31.
ऐसा तेरा लोक, वेदना
नहीं, नहीं जिसमें अवसाद
जलना जाना नहीं, नहीं …
जिसने जाना मिटने का सवाद
उत्तर:
महादेवी वर्मा इन पंक्तियों में कहती है, जिस लोक में अवसाद नहीं, वेदना नहीं ऐसे लोक को लेकर क्या होगा? जो खुद अपने लिये जीता है उसका जीना भी क्या? जो परिस्थितियों से 3 डटकर मुकाबला करता है वही असली जीना जीता है। जिसमें आग नहीं है, जिसने जलना नहीं जाना उसका जीना भी क्या? उसे तो खुशी से मर मिटना भी नहीं पता होता जो दःख में जल जाना सीखता है वह मुस्कुराना भी जानता
अथवा
ले-देकर जीना क्या जीना? कब तक गम के आँसू पीना? मानवता ने सींचा तुझको बहा युगों तक खून पसीना
उत्तर:
ये पंक्तियाँ ‘कायर मत बन’ कविता से ली गई है। इसके कवि हैं – ‘श्री नरेंद्र शर्मा’ । कवि कहते हैं कि-मानव को निस्वार्थ होकर देश की भलाई के लिए काम करना चाहिए। कवि कहता है कि धन-दौलत कमाकर, खर्च करके अपने लिए और अपने परिवार के लिए जीना बेकार है, बेमतलब है। दुःखी होकर जीना भी तो निरुपयोगी है। मानवता सिखाती है कि हर एक को निस्वार्थ होकर समाज के लिए, देश के लिए और सारे संसार के कल्याण के लिए जीना है। हर एक को मानव बनकर जीवन बिताना है, दानव या राक्षस होकर जीना नहीं चाहिए।
IV.(अ)एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए। ( 5 x 1 = 5 )
प्रश्न: 32.
व्यक्ति किन गुणों से बड़ा होता है?
उत्तर:
व्यक्ति बुद्धि और योग्यता से बड़ा होता है ।
प्रश्न: 33.
बरगद के पड़ की कहानी किसका निर्माण करती है?
उत्तर:
बरगद के पेड़ की कहानी कुटुम्ब का, समाज का, राष्ट्र का निर्माण करता है ।
प्रश्न: 34.
कवि किस पर शासन करता है?
उत्तर:
कवि समय पर शासन करता है ।
प्रश्न: 35.
भारवि में किस कारण अहंकार बढ़ता जा रहा था?
उत्तर:
भारवि में पंण्डितों की हार से अहंकार बढ़ता जा रहा था।
प्रश्न: 36.
भारती ने भारवि को कहाँ देखा था?
उत्तर:
भारती ने भारवि को मालिनी नदी के तट पर देखा था।
आ) निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो के उत्तर लिखिए। ( 2 x 5 = 10)
प्रश्न: 37.
घर के लोगों के व्यवहार में बदलाव देखकर बेला की क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तर:
घर के लोगों के व्यवहार में बदलाव देखकर बेला की प्रतिक्रिया थी कि ये पहले तो ऐसे नहीं थे अब – सभी के सभी कैसे बदल गए हैं ? ‘जी’ कहकर पुकारना, काम न करने देना, आदर-सत्कार करना, हँसते-मुस्कुराते हुए बातें करना आदि। सचमुच बेला को भी लगा कि अब मुझे इनके साथ रहकर चलना होगा। दादाजी भी इससे खुश होंगे ।
अथवा
दादाजी का चरित्र-चित्रण कीजिए ।
उत्तर:
दादाजी पुरानी परंपरा के थे। वे संयुक्त परिवार में बड़ा विश्वास रखते थे।। वे एक परिवार को बरगद के पेड़ से तुलना करते थे। लेकिन अमीर घर की बेटी बेला के आने के कारण घर की शांति कम होने लगी। परिवार के टूट जाने की संभावना थी। दादाजी ने अपने अनुभव के बल से टूटते परिवार को चट्टान की तरह रहने दिया। घर के सब सदस्यों में हृदय-परिवर्तन हुआ। घर बरगद के पेड़ की तरह विशाल और अटूट बना रहा ।
प्रश्न: 38.
भारती और सुशीला के वार्तालाप को अपने शब्दों में लिखिए ।
उत्तर:
भारती भारवि को मालिनी केन तट पर ध्यान मग्न बैठे देखती है। वह उन्हें मिलना चाहती थी। लेकिन अचानक उद्विग्नता में उठकर भारवि कहीं चला गया । वह उससे बात न कर सकी। वही बात वह सुशीला से कह रही है। सुशीला ने जानना चाहा कि क्या वह उसे जानती है ? तब वह कहती है कि पिछले पूर्णिमा के त्योहार में उन्होंने बहुत ही बढ़िया शास्त्रार्थ किया था। वेदान्त की सुन्दर मीमांसा की थी। उस तरह भारती ने कहीं भी नहीं सुना था। ऐसे महान कवि भारवि को कौन नहीं जानता? वह कल फिर से आने की बात कर जाने लगती है तो सुशीला उसे कहती है कि उस बीच कुछ पता मिले तो हमें भी बताना।
अथवा
भारवि ने अपने पिता से किस प्रकार का दण्ड चाहा और उसे क्या दण्ड मिला?
उत्तर:
भारवि ने क्रोध में आकर अपने पिता को मार डालने का उपाय किया था। पर पिता के मन की बात जानकर भारवि को पश्चाताप हुआ। उसने अपने पिता से कहा – वे उसे दण्ड दें। पिता ने भारवि को छः महीनों तो ससुराल में रहने का दण्ड दिया। जूठा भोजन करना भी दण्ड का एक अंश था। यह दण्ड देखने में मामूली सा लगा। भारवि को यह दण्ड भुगतने के बाद उसका प्रभाव मालूम हुआ ।
V.(अ)वाक्य शुद्ध कीजिए : ( 4 x 1 = 4 )
प्रश्न: 39.
(अ) मूसा नदी में भयंकर बाढ़ आता था ।
उत्तर:
मूसी नदी में भयंकर बाढ़ आती थी ।
(आ)कोयल डाली में बैठी है ।
उत्तर:
कोयल डाली पर बैठा है ।
(इ) हमारे पास पूरी एक शाम और रातथी?
उत्तर:
हमारे पास एक पूरी शाम और रात थी ।
(ई) बकरी ने बाघिन को देखी ।
उत्तर:
बकरी ने बाघिन को देखा ।
(आ) कोष्ठक में दिये गये उचित शब्दों से रिक्त स्थान भरिए। ( 4 x 1 = 4 )
(कि, के द्वारा, के, का, से)
प्रश्न: 40.
(1) सिंध …………… बहुत बड़ा भाग
रेगिस्तान है ।
उत्तर:
का
(2) अहमद ………… पत्र लिखा गया।
उत्तर
के द्वारा
(3) वह अपने गुरू ………… इज्ज़त करता था ।
उत्तर:
की
(4) यह काम मेरे मित्र …………… हो जाएगा ।
उत्तर:
से
(इ) निम्नलिखित वाक्यों को सूचनानुसार – बदलिए ( 3 x 1 = 3 )
प्रश्न: 41.
(अ) वह मुझे नागपुर बुला रहा है । (भूत काल में बदलिए)
उत्तर:
वह मुझे नागपुर बुला रहा था।
(आ)इस दिशा में काम शुरू हो जाएगा। (वर्तमान काल में बदलिए)
उत्तर:
इस दिशा में काम शुरू होता है।
(इ) राहुल मुझे पुस्तक देता है। (भविष्यत् काल में बदलिए)
उत्तर:
राहुल मुझे पुस्तक देगा।
(ई) निम्नलिखित मुहावरों को अर्थ के साथ जोड़कर लिखिए। ( 1 x 4 = 4 )
प्रश्न: 42.
(1) आसमान से तारे तोड़ना – (क) बीती बातें याद करना
(2) अंधे की लाठी – (ख) कार्यारम्भ करना
(3) गड़े मुर्दे उखाड़ना – (ग) असंभव कार्य करना
(4) श्रीगणेश करना – (घ) एक मात्र सहारा ।
उत्तर:
1-ग, 2-घ, 3-क, 4-ख
IV. 43. (उ) अन्य लिंग रूप लिखिए । ( 3 x 1 = 3 )
(i) कहार
(ii )मनोहारिनी
(iii) यशस्वी
उत्तर:
(i) कहारिन
(ii) मनोहर
(iii) यश
(ऊ) अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए। ( 3 x 1 = 3 )
प्रश्न: 44.
(1) जो जन्म से अंधा हो ।
उत्तर:
जन्मान्ध
(2) जिसकी कोई उपमा न हो ।
उत्तर:
निरुपमा
(ग) जानने की इच्छा रखनेवाला
उत्तर:
जिज्ञासु
(ए) निम्नलिखित शब्दों के साथ उपसर्ग जोड़कर नए शब्दों का निर्माण कीजिए । ( 2 x 1 = 2 )
प्रश्न: 45.
(i) मूर्ति
(ii) नसीब
उत्तर:
(i) प्रतिमूर्ति
(ii) बदनसीब
(ऐ) निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय अलग कर लिखिए। ( 2 x 1 = 2 )
प्रश्न: 46.
(i) मिठाई
(ii) जानकारी
उत्तर:
(i) मीठा – आई
(ii) जानकार – ई
VI. (अ) किसी एक विषय पर निबंध लिखिए । ( 1 x 5 = 5 )
प्रश्न: 47.
(i) (a) शिक्षा और कम्प्यूटर
(b) प्रदूषण की समस्या
(c) हमारा प्यारा भारतवर्ष
उत्तर:
(a) शिक्षा और कम्प्यूटर
आधुनिक जीवन में कम्प्यूटर का विशेष महत्व है। जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों में कम्प्यूटर का इस्तेमाल होता है। आज के आधुनिक जीवन में मनुष्य जन-जन के सम्पर्क में कम्प्यूटर की वजह से है। अगर आज कोई व्यक्ति कम्प्यूटर चलाना जानता है तो वह अपने व्यवसाय, रोज़गार को काफी हद तक फैल सकता है। आज किसी भी कार्यालय में छोटे से क्लर्क के पद के लिए भी कम्प्यूटर की जानकारी होना बहुत ज़रूरी है। शिक्षा के क्षेत्र में कम्प्यूटर का बड़ा योगदान है। यह शिक्षा का अच्छा स्रोत है।
आज हर स्कूल व कॉलेज में कम्प्यूटर लैब है। कम्प्यूटर के माध्यम से अध्यापकों को भी छात्रों को पढ़ाने में सहायता मिलता है। हर संस्थान में डिजिटल लाइब्रेरी ने पुस्तकों का स्थान ले लिया है। आज तो छोटी क्लास के बच्चों को भी कम्प्यूटर के बारे में बताया और पढ़ाया जा रहा है। इंटरनेट सूचनाओं का सागर है जिससे छात्रों के ज्ञान में अद्भुत वृद्धि हो रही है। विद्यार्थी पाठ्यक्रम के अलावा अन्य विशेष जानकारी हासिल करने में भी सक्षम हो रहे हैं।
यही नहीं कम्प्यूटर भण्डारण और डेटा प्रबंधन के लिए सबसे बढ़िया साधन है। कम्प्यूटर में आप अनेकों पुस्तकों को डिजिटल प्रारूप में अपने साथ रख सकते हैं और कभी भी पढ़ सकते हैं। विद्यार्थी अपने नोट्स तैयार करने में कम्प्यूटर की सहायता ले सकते हैं। शिक्षक भी विद्यार्थी को प्रभावी ढंग से किसी भी विषय को समझाने के लिए पावर पाइंट प्रेजेंटेशन बनाकर उन्हें समझा सकते हैं। छात्रों को चार्ट, चित्र और आँकड़े दिखाये जा सकते हैं।
इस प्रकार शिक्षा के क्षेत्र में आज कम्प्यूटर का उपयोग अनिवार्य बन गया है। सभी शिक्षण संस्थानों में इसकी शिक्षा धीरे-धीरे अनिवार्य बनती जा रही है। इसके द्वारा विश्वभर का ज्ञान पलभर में पी सी स्क्रीन पर झलकता दिखाई दे जाता है। इसकी शिक्षा के बाद भारी-भरकम पुस्तकें रखने, सम्हालने और उन्हें उलटनेपलटने की आवश्यकता समाप्त हो जायेगी। पुस्तकों से भरी बड़ी-बड़ी लाइब्ररियों की जगह सी.डी ले रही है जिनमें हज़ारों पृष्ठ की सामग्री एक छोटी सी डिबिया में सुरक्षित रह सकती है। इंटरनेट ने सारे विश्व को एक पाठशाला में बदल देने की अपनी क्षमता दिखा दी है।
(b) प्रदूषण की समस्या
उत्तर:
प्रदूषण
“धरती जो उगलती थी सोना, जिसकी थी बड़ी शान,
उसी धरती को प्रदूषण ने, आज बना दिया वीरान।”
पर्यावरण का मानव की क्षमता पर बहुत असर होता है। जहाँ एक ओर स्वच्छ, सुंदर वातावरण मनुष्य को कर्मशील बनाता है वहीं दूसरी ओर अस्वच्छ एवं दुषित वातावरण मानव क्षमता को कम करता है। उसे शारीरिक रूप से भी दर्बल बनाता है। वास्तव में प्राकृतिक संतुलन का बिगड़ना ही प्रदूषण कहलाता है। प्रकृति के अनमोल उपहारों को जब मानव अपनी लापरवाही से नष्ट करता है तो उसका परिणाम भी उसी को भुगतना पड़ता है।
“क्षीण वायु, क्षीण जल कैसे हो जीवन मंगल।
क्षुब्ध आयु, क्षुब्ध इंसान, कैसे हो जीवन सफल।”
प्रदूषण मुख्यतः चार प्रकार से फैलता है – वायु के द्वारा, जल के द्वारा, ध्वनि के द्वारा तथा भूमि के द्वारा।
वायु प्रदूषण कारखानों की चिमनियों, बसों, गाड़ियों, मोटरों आदि के द्वारा फैलता है। दूषित वायु में जब हम साँस लेते हैं तब अनेक रोगों से ग्रस्त हो जाते हैं, जैसे – खाँसी, दमा, जुकाम, फेफड़ों का कैंसर आदि। यदि निरंतर दूषित वायु का सेवन करना पड़े तो व्यक्ति मृत्यु को भी प्राप्त हो सकता है।
“विज्ञान भी कुछ न कर पाया,
आखिर उसी का यह जाल बिछाया।
कार का यह धुंआ,
साँसों में समा जाता मुआँ।”
ध्वनि वैसे तो जीवन के लिए अति आवश्यक है परंतु अधिकता हानिकारक है। घर से बाहर निकलते ही वाहनों का शोर, कारखानों की कर्ण विषाद ध्वनियाँ मनुष्य को दिमागी रूप से परेशान कर देती हैं जिसके कारण वह क्रोधित हो उठता है। कई बीमारियाँ उसे घेर लेती हैं। कान के पर्दे फट सकते हैं, यहाँ तक कि वह बहरा भी हो जाता है।
“यह कारों का धुआँ और बसों का हार्न कब मिलेगा मनुष्य को इन सब कष्टों से निवारण।”
दूषित जल चाहे वह घरेलू या फिर कारखानों का रासायनिक-द्रव्य, कूड़ा-करकट तथा लाशें बहाने से जल दूषित हो जाता है। यही पानी जब मनुष्य दवारा प्रयोग में लाया जाता तो उसे कई तरह की बीमारियाँ घेर लेती हैं, जैसे-खाद्यविषाक्तता, अमाशय संबंधी रोग तथा चर्म रोग इत्यादि।
रासायनिक द्रव्यों से भरपूर और कीटाणुयुक्त सीवरेज का जल हमारे खेतों तक पहँचता है तो उपजाऊ मिट्टी को भी बँजर बनाने की क्षमता रखता है, यही प्रदुषण भूमि प्रदूषण कहलाता है। कीटनाशक दवाओं के कारण भी प्रदूषण फैलता है जो कि फसलों पर बुरा प्रभाव डालती हैं।
प्रदूषण को रोकने के लिए हमें सर्वप्रथम वृक्षारोपण कार्यक्रमों में बढ़ोत्तरी करनी होगी। वृक्षों के लाभों के विषय में जनता को जागरूक करना होगा। जनसंख्या नियंत्रण पर सरकार को विशेष ध्यान देना होगा तभी काफी हद तक प्रदूषण को हम रोक सकते हैं। कारखानों को शहर से बिल्कुल बाहर स्थान देना चाहिए जिससे लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित न हो सके। प्लास्टिक की थैलियों के प्रयोग पर भी रोक लगानी चाहिए। लाउडस्पीकरों, गाड़ियों व मशीनों की आवाज को कम करना चाहिए।
सरकार को किसी भी प्रकार का प्रदूषण फैलाने वाले व्यक्ति के विरुद्ध कड़ी-से-कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्तर पर प्रदूषण नियंत्रण के उपाय करने चाहिए जिससे काफी हद तक हम अपने शहर और देश को प्रदूषण मुक्त’ रख सकते हैं और दीर्घायु भी प्राप्त कर सकते हैं
“प्रदूषण-मुक्त समाज हमारा नारा है,
दीर्घायु प्राप्ति का यही अब सहारा है।”
(c) हमारा प्यारा भारतवर्ष
उत्तर:
हमारा प्यारा भारतवर्ष संसार के नक्शे पर बहुत सारे देश विद्यमान हैं। सभी देशों की अपनी-अपनी संस्कृति, सभ्यता, भाषा, प्रकृति और रंग-रूप आदि हैं। उन सबका अपना-अपना महत्व भी निश्चय ही है। वहाँ के रहनेवाले नागरिकों के मन में अपने-अपने देश के प्रति भक्ति, प्रेम, श्रद्धा और विश्वास सब कुछ है; लेकिन उन देशों का कई दृष्टियों से यह महत्व नहीं, जो मेरे प्यारे देश भारतवर्ष का है। संसार के प्रायः अन्य सभी देशों में एकरूपता है। परन्तु जहाँ तक मेरे देश भारतवर्ष का प्रश्न है, अनेकता और अनेक रूपता को इसकी इतनी महत्वपूर्ण विशेषता माना गया है कि उस पर शेष देशों की अलग-अलग सारी विशेषताएँ, सारे रूप न्योछावर किये जा सकते हैं।
प्रकृति की गोद में बसे भारत के उत्तर में हिमालय की विशाल और दूर-दूर तक फैली हुई पर्वतमाला है। कश्मीर, मसूरी, शिमला आदि दर्शनीय पहाड़ी स्थल इसी पर्वतमाला की देन है। बाकी तीन दिशाओं में तीन सागर हैं, कि जो कन्याकुमारी में आकर घुल-मिलकर एक हो गये हैं। यहाँ बहने वाली- पवित्र नदियों की गिनती कर पाना भी कठिन है। इसी प्रकार कहीं पहाड़ी धरती है, तो कहीं कोसों तक रेगिस्तान फैले हुए हैं। इसी प्रकार कहीं दूर-दूर तक खेतों की हरियाली से भरे मैदान हैं तो कही मीलों तक फैले घने जंगल। प्रकृति का इस प्रकार का अनेक रूपोंवाला विस्तार-संसार के अन्य किसी भी देश में नहीं है। संसार के अन्य देशों में सर्दी-गर्मी आदि में से कोई ऋतु ही मुख्यरूप से हमेशा बनी रहती है। ऋतुओं की कुल-संख्या भी चार ही मानी गई है, जबकि भारत में बारी-बारी से छः ऋतुएँ आकर अपना ऐश्वर्य दिखाकर और अपना प्रभाव दिखा जाती हैं। वसंत ऋतु, ग्रीष्म, वर्षा, शीत और शिशिर ऋतु-प्रकृति के इतने रंग-रूप मेरे प्यारे भारत के सिवा और कहीं भी नहीं मिलते।
भारत भूमि की महानता तीर्थस्थानों, मंदिरों, ऐतिहासिक किलों तथा अन्य प्रकार के भवनों के कारण भी है। भारत का अतीत अनेक प्रकार के त्याग और बलिदान के इतिहासों से भरा हुआ है। भारत की नीतियाँ भी हमेशा से सबका भला चाहनेवाली रही हैं । सबके सुखों और निरोगता की कामना करनेवाले वेदों जैसे महान ग्रन्थ, रामायण, महाभारत जैसे महान काव्य – इसी देश में रचे गये। चारों कोनों पर स्थापित चार धाम
और ज्योतिपिण्ड इसकी सभ्यता-संस्कृति की एकता और महानता को, आत्मिक उच्चता के भावों को प्रकट करनेवाले हैं। सत्य, अहिंसा, प्रेम, भाईचारा का उपदेश एवं संदेश देनेवाले अपने प्यारे भारतवर्ष की महानता के सामने मेरा मस्तक अपने-आप ही झुक जाता है।
अथवा
(ii) किसी यात्रा का वर्णन करते हुए अपने मित्र के नाम पर एक पत्र लिखिए।
उत्तर:
से,
क, ख, ग
तरिकेरे
तिथि – 14-09-2019 प्रिय मित्र संतोष,
अनंत वंदन।
मैं यहाँ कुशल मंगल और स्वस्थ हूँ। आशा है कि तुम भी अपने परिवार के साथ कुशल और प्रसन्न होंगे। इस बार तुम्हारे लिए पत्र लिखने के पीछे एक विशेष बात है जिसे मैं तुम्हें बताना चाहता हूँ।
याद है बचपन में जब खेलते थे तब हम यह सोचकर खुश होते थे कि हमारे देश में कई जगह ऐसे हैं जो हम अपने माता-पिता के साथ देखकर तो आये। मगर अब दुनिया बदल गई है, मेरे दोस्त यह मोबाइल की दुनिया है। पिछले कुछ ही महीनों में मैंने देश के कुछ ऐसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थान और पर्यटक प्रदेशों की यात्रा की जिसका अनुभव मैं इस पत्र के द्वारा लिखते भेज रहा हूँ। काशी से रामेश्वर तक की यात्रा में मेरे अपने अनुभवों की दास्ताँ मैं तुमसे करना चाहता हूँ।
जो कुछ भी हो मित्रों के साथ यात्रा करने का अनुभव ही कुछ निराला है। अगली बार हम सब वैष्णोदेवी की यात्रा पर ज़रूर जाएँगे। याद रखना। इस बारे में मैं तुम्हें पत्र लिखकर सूचित करता रहूँगा। शेष कुशल अपने माता-पिता से मेरा प्रणाम कहना,
तुम्हारा प्यारा मित्र,
क,ख,ग
को
संतोष
चंद्रिका मार्ग
भद्रावती-08
(आ) 48. निम्नलिखित अनुच्छेद पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए। (5 x 1 = 5)
मित्रता अनमोल धन है। इसकी तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती है। हीरे-मोती या सोने-चाँदी से भी नहीं । मैत्री की महिमा बहुत बड़ी है। सच्चा मित्र सुख और दुःख में समान भाव से मैत्री निभाता है। जो केवल सुख में साथ होता है, उसे सच्चा मित्र नहीं कहा जा सकता। साथ-साथ खाना-पीना, सैर, पिकनिक का आनंद लेना सच्ची मित्रता का लक्षण नहीं। सच्ची मित्रता की बस एक पहचान है और वह है – विचारों की एकता ।
प्रश्न : 1.
कौन सुख और दुःख में समान भाव से मैत्री निभाता है ?
उत्तर:
सच्चा मित्र सुख और दुःख में समान भाव से मैत्री निभाता है ।
प्रश्न :2.
मित्रता की क्या पहचान है ? ।
उत्तर:
सच्ची मित्रता की बस एक पहचान है और वह है – विचारों की एकता ।
प्रश्न :3.
क्या मित्रता निभाना आसान है?
उत्तर:
मित्रता करना तो आसान है लेकिन निभाना बहुत मुश्किल।
प्रश्न :4.
मित्रता की प्राप्ति किस प्रकार हो सकती
उत्तर:
मित्रता जीवन का सर्वश्रेष्ठ अनुभव है। यह एक ऐसा मोती है, जिसे गहरे सागर में डूबकर ही पाया जा सकता है।
प्रश्न :5.
सच्चा मित्र किसको सही राह दिखा सकता
उत्तर:
सच्चा मित्र मनुष्य की सोयी किस्मत को जगा सकता है और भटके को सही राह दिखा सकता है।
49. (इ) हिन्दी में अनुवाद कीजिए। ( 5 x 1 = 5 )