2nd PUC Hindi Model Question Paper 3 with Answers

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Karnataka 2nd Hindi Model Question Paper 3 with Answers

Time: 3.15 Hours
Max Marks: 100

सूचना:

  1. सभी प्रश्नों के उत्तर हिन्दी भाषा तथा देवनागरी लिपि में लिखना आवश्यक है ।
  2. प्रश्नों की क्रम-संख्या लिखना अनिवार्य है ।

I. (अ) एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर – लिखिए : ( 6 x 1 = 6 )

प्रश्नः 1.
सुजान के बड़े बेटे का नाम लिखिए।
उत्तर:
सुजन के बड़े बेटे का नाम भोला हैं।

प्रश्नः 2.
किसका व्यापारीकरण हो रहा है?
उत्तर:
धर्म का व्यापारीकरण हो रहा हैं।

प्रश्नः 3.
कॉलेज से किसका पत्र आया?
उत्तर:
कॉलेज से प्रिन्सिपाल का पत्र आया।

2nd PUC Hindi Model Question Paper 3 with Answers

प्रश्नः 4.
कावेरी नदी का बाँध किस नाम से मशहूर हैं?
उत्तर:
कावेरी नदी का बाँध कृष्ण राज सागर नाम से मशहूर है।

प्रश्नः 5.
बड़े साहब की लड़की क्या सीखती है?
उत्तर:
बड़े साहब की लडकी गाना बजाना सीखती है।

प्रश्नः 6.
गौतम बुद्ध को जापानी भाषा में क्या कहते हैं?
उत्तर:
गौतम बुद्ध को जापानी भाषा में दायबुत्सु कहते

आ) निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लिखिए : ( 3 x 3 = 9 )

प्रश्नः 7.
मनुष्य का परम धर्म क्या है? उसकी रक्षा कैसे करनी चाहिए ?
उत्तर:
मनुष्य का परम धर्म हैं-‘सत्यता के साथ कर्तव्य पालन करना।’ सत्य बोलने को सर्वश्रेष्ठ मानना चाहिए और कभी झूठ-नहीं बोलना चाहिए। चाहे उससे कितनी ही अधिक हानि क्यों न होती हो। सत्य बोलने से ही समाज में हमारा सम्मान हो सकेगा और हम आनंदपूर्वक अपना समय बिता सकेंगे क्योंकि सच्चे को सब लोग चाहते हैं। और झूठे से सभी घृणा करते हैं। यदि हम सदा सत्य बोलना अपना धर्म मानेंगे तो हमें अपने कर्तव्य पालन करने में कुछ भी कष्ट न होगा और बिना किसी परिश्रम और कष्ट के हम अपने मन में संतुष्ट और सुखी बने रहेंगे। अपनी आत्मा के कहने के अनुसार दृढ विश्वास और साहस से काम लेकर सत्य की रक्षा करनी चाहिए।

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प्रश्नः 8.
शामनाथ और उनकी धर्मपत्नी माँ को लेकर क्यों चिंतित थे?
उत्तर:
मिस्टर शामनाथ के घर पर चीफ की दावत थी। चीफ साहब एक अंग्रेजी अफसर थे। इस पार्टि में यदि चीफ साहब खुश हए तो शामनाथ को पदोन्नति मिलने की संभावना थी। शामनाथ और उनकी धर्मपत्नी पार्टि की तैयारियों में ज़ोर शोर से लगे हुए थे। अचानक एक गंभीर समस्या खड़ी हो गई-‘माँ का क्या होगा?’ क्योंकि उनकी माँ पुराने खयाल वाली थीं। नींद में उन्हें खर्राटे लेने की आदत थी। वे अंग्रेजी रीति रिवाज़ नहीं जानती थी। अचानक चीफ की भेंट माँ से हुआ या मेहमान लोग, देसी अफसर उनकी स्त्रियाँ माँ को देखकर हँसेंगे तो सारा किया धरा बरबाद हो जायेगा। इसलिए शामनाथ और उनकी
धर्मपत्नी चिंतित थे।

प्रश्नः 9.
समाज में कौन-कौन सी समस्याएँ बढ़ रही हैं?
उत्तर:
समाज में प्रदूषण की समस्या हैं जो दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। चरित्र का संकट भी है। चरित्र ”का अस्तित्व ही मिट गया है। क्योंकि सेवा करने से चरित्र बनता है। लेकिन अब सेवा ही मेवा बन गई है। अब धर्म की भी एक समस्या है। . देश में धर्म को जीवन में अलग कर रखा है। जब तक गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों के अनुसार ‘आचरण नहीं करते तब तक अपेक्षित सुधार नहीं हो सकता। महँगाई, रिश्वतखोरी और पाशविकता बढ़ती जा रही है। धर्म का भी व्यापारीकरण हो रहा है। दलों में लडाई चलती है जो दलदल यानी कीचड़ पैदा करती है । लोग कुर्सी यानी अधिकार के लिए, धन, वैभव और सम्मान के लिए लड़ रहे हैं। पशु-पक्षी भी मनुष्य के कुकमों पर हँस रहे हैं।

प्रश्नः 10.
विश्वेश्वरय्या के गुण स्वभाष का परिचय दीजिए।
उत्तर:
सर.एम्. विश्वेश्वरय्या एक कर्मयोगी थे। वे समय के पाबन्द थे। वे समय के सदुपयोग के बारे में अच्छी तरह जानते थे। समय पर अपने सभी काम करते थे। उन्होंने जीवनपर्यंत विश्राम नहीं लिया। वे सदा मेहनत करते थे। दूसरों से भी यही आशा रखते थे। वे सेवाभाव को अत्यंत पवित्र आचरण मानते थे। जिन्दगी भर देश की तथा मानव-समाज की सेवा में लगे रहे। उनका चरित्र आदर्शपूर्ण था। वे विनयशील तथा साधु प्रकृति के थे। ईमानदारी तो उनके चरित्र की अटूट अंग ही थी। असाधारण प्रतिभा रखते हुई भी उन्होंने गर्व का कभी अनुभव नहीं किया। अपने श्रम और स्वावलम्बन द्वारा कोई भी सफलता के शिखर तक पहुँच सकता हैं, उसके ज़बरदस्त प्रमाण हैं – ‘विश्वेश्वरय्या’.

प्रश्नः 11.
अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन के बारे में लेखिका के क्या विचार हैं?
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में कई हिन्दी पुस्तकों का लोकार्पण होता हैं; विद्वानों को अंगवस्त्र, श्रीफल आदि से सम्मानित किया जाता है । अन्यान्य विषयों पर वक्ताओं के भाषण होते हैं। कई भारतीय मूल के लोग जापान में रहते हैं । वहाँ के लोगों से हिल-मिल गये हैं । मंच से जब एक-एक का नाम लिया गया, तब पता चला कि इतने इलाहाबादी यहाँ हैं । भारतीय भाषाएँ, सभ्यता और संस्कृत का यह अनूठा संगम है।

II. निम्नलिखित वाक्य किसने किससे कहे : ( 4 x 1 = 4 )

प्रश्नः 12.
‘आधी रोटी खाओ भगवान का भजन करो और पड़े रहो ।’
उत्तर:
यह वाक्य बुलाकी ने अपने पति सुजान भगत से कहा।

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प्रश्नः 13.
लौटकर बहुत कुछ गुबार निकल जाए तब भुलाना।
उत्तर:
इस वाक्य को लेखिका मन्नू भण्डारी अपनी माँ से कहती हैं।

प्रश्नः 14.
वह ज़रूर बना देंगी। आप उसे देखकर खुश होंगे।
उत्तर:
इस वाक्य को शामनाथ ने चीफ साहब से कहा।

प्रश्नः 15.
क्यों धर्मराज ? कैसे चिंतित बैठे हैं?
उत्तर:
इस वाक्य को नारद ने धर्मराज से कहा ।

(आ) निम्नलिखित में से किन्हीं दो का ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए: ( 2 x 3 = 6 )

प्रश्नः 16.
‘कर्तव्य करना न्याय पर निर्भर है ।’
उत्तर:
प्रस्तुत गद्यांश को ‘कर्तव्य और सत्यता’ नामक पाठ से लिया गया है जिसके लेखक डॉ. श्यामसुन्दर दास हैं । कर्तव्य करने की महत्ता का वर्णन करते हुए लेखक इस वाक्य को पाठकों से कहते हैं।

स्पष्टीकरण : कर्तव्य करना हम लोगों का परम धर्म है। संसार में मनुष्य का जीवन कर्तव्यों से भरा पड़ा है। घर में पारिवारिक सदस्यों के बीच और समाज में मित्रों, पड़ोसियों और प्रजाओं के बीच मनुष्य को अपना कर्तव्य निभाने से हम लोगों के चरित्र की शोभा बढ़ती है। कर्तव्य करना न्याय पर निर्भर है । ऐसे सामाजिक न्याय को समझने पर हम लोग प्रेम के साथ कर्तव्य निभा सकते है।

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प्रश्नः 17.
‘अब तक जिस घर में राज किया, उसी घर में पराधीन बनकर वह नहीं रह सकता।’
उत्तर:
प्रस्तुत गद्यांश ‘सुजान भगत’ नामक कहानी से लिया गया है जिसके लेखक प्रेमचंद हैं। प्रस्तुत वाक्य को सुजान भगत जब अपने ही घर में वह अपने आपको तिरस्कृत होता हुआ देखकर अपनी पत्नी बुलाकी से कहता है।

स्पष्टीकरण-जब सुजान भगत को पत्नी और पुत्रों से कुछ न कुछ सुनना पड़ता है, तो वह परेशान हो जाता हैं और अपनी पत्नी से कहता हैं कि एक समय था कि इस घर में मेरा ही राज था । पर आज मैं पराधीन हो गया हूँ। इस प्रकार वह अपनी मजबूरी बताता है।

प्रश्नः 18.
‘यह लड़की कहीं मुहँ दिखाने लायक नहीं रखेगी।’
उत्तर:
प्रस्तुत गद्यांश ‘एक कहानी यह भी’ नामक पाठ से लिया गया है, जिसकी लेखिका मन्नू भण्डारी हैं।
संदर्भ-एक बार कॉलेज से प्रिंसिपाल का पत्र आया कि पिता जी से आकर मिले । पत्र पढ़ते ही पिता जी आग बबूला होकर यह वाक्य अपनी पत्नी से कहते हैं।

स्पष्टीकरण – यश कामना पिताजी की सबसे बड़ी दुर्बलता थी। वे हमेशा सोचा करते कि कुछ ऐसे काम करने चाहिए कि समाज में उनका नाम हो, सम्मान हो, वर्चस्व हो। अपने वर्चस्व को धक्का लगनेवाली किसी भी बात को वे बरदाश्त नहीं कर पाते। एक बार कॉलेज से प्रिंसिपाल का पत्र आया कि आपकी बेटी के खिलाफ अनुशासनात्मक कारवाई क्यों नहीं की जाय? पत्र पढ़ते ही मन्नू के पिताजी आग-बबूला होकर
उपरोक्त वाक्य कहते हैं।

प्रश्नः 19.
‘साधु-संतों की वीणा से तो और अच्छे स्वर निकलते हैं।’
उत्तर:
प्रस्तुत गद्यांश ‘भोलाराम का जीव’ नामक पाठ से लिया गया है। जिसके लेखक हरिशंकर परसाई हैं। सरकारी दफतर के बड़े साहब ने इस वाक्य को समझाते हुए नारद जी से कहा।

स्पष्टीकरण-नारद जी भोलाराम के जीव को ढूँढते हुए पृथ्वी पर आए। भोलाराम की पत्नी से सारी कथा सुनकर उसकी रूकी हुई पेंशन दिलाने का प्रयत्न करने का आश्वासन देते हुए सरकारी दफ्तर में पहँचे। एक बाबू साहब से पता चला कि भोला राम ने दरख्वस्ते तो भेजी थीं, घर उन पर वज़न नहीं रखा था। बड़े साहब नारदजी को समझाते हुए कहते हैं कि जैसे आपकी यह सुंदर वीणा है, उसका भी वज़न मलाराम की दरख्वास्त पर रखा जा सकता है मेरी लड़की गाना बजाना सीख रही है । यह मैं उसे दे दूँगा, साधु संतों की वीणा से तो और अच्छे स्वर निकलते हैं । तब कहीं नारद समझ पाये।

III. (अ) एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए : ( 6 x 1 = 6 )

प्रश्नः 20.
चकोर पक्षी किसे देखता रहता है?
उत्तर:
चकोर पक्षी चाँद को देखता रहता है।

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प्रश्नः 21.
चिता किसे जलाती है?
उत्तर:
चिता निर्जीव को जलाती है।

प्रश्नः 22.
बेटी किन्हें गहने मानती है ?
उत्तर:
बेटी अपना बचपन और माँ के मातृत्व को गहने’ मानती है।

प्रश्नः 23.
कौन राह रोकता है?
उसर:
पाहन या पत्थर राह रोका है।

प्रश्नः 24.
देश को किससे बचाना है?
उत्तर:
देश को दुश्मनों से बचाना है।

प्रश्नः 25.
कवि के अनुसार क्या शर्त थी?
उत्तर:
कवि के अनुसार समाज की बुनियाद हिलने की शर्त थी।

(आ) निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो के उत्तर लिखिए। ( 2 x 3 = 6 )

प्रश्नः 26.
सूरदास ने माखन चोरी प्रसंग का किस प्रकार वर्णन किया है?
उत्तर:
एक बार माखन चोरी करते हुए कन्हैया गोपिका के हाथों पकडे गए । गोपिका गुस्से से उन्हें कहती है कि मुझे तुमने दिन-रात बहुत सताया। मैं तंग आ चुकी हूँ। मेरा माखन, दूध एवं दही सब खा लिया है। लेकिन अब नहीं चलेगा। तुम्हारा घर से सब माखन, दूध एवं दही मँगाऊँगी। कृष्ण कहते हैं कि तेरी कसम मैंने माखन नहीं खाया है। मेरे मित्र सब खाकर चले गये। उनके मुख पर माखन लगे देख गोपिका सारा रहस्य समझ जाती है। गोपिका का गुस्सा क्षण भर में समाप्त हो जाता है और वह उन्हें गले लगा लेती है।

प्रश्नः 27.
जीवन की सार्थकता किसमें हैं?
उत्तर:
महादेवी वर्मा कहती हैं कि जीवन में सुख और दुःख दोनों का समान महत्व है। ये जीवन के अभिन्न अंग हैं। जिस तरह मेघ की सार्थकता पिघल कर बरसने में, जग को आनंद देने में है, उसी तरह जीवन की सार्थकता परिस्थितियों का सामना करने में है न कि उनसे पलायन करने में। मनुष्य के लिए आवश्यक हैं कि वह जीवन को उसकी परिपूर्णता में स्वीकार करे।

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प्रश्नः 28.
‘गहने’ कविता के द्वारा कवि ने क्या आशय व्यक्त किया है?
उत्तर:
गहने’ कविता के द्वारा कवि कुवेम्यु ने सरल जीवन का संदेश दिया है। गहने और सम्पत्ति से ज़्यादा रिश्ते-नाते महत्वपूर्ण हैं। यह कविता माँ बेटी की संवाद के रूप में है। माँ बेटी को रंगीन कपड़े पहनाना चाहती है, गहने पहनाना चाहती है ताकि उसकी बेटी बहुत सुंदर दिखे। मगर बेटी यह कहकर गहनों को ठुकरा देती है कि वे तकलीफ देते हैं। रंगीन कपडों को मना करती है क्योंकि वे मिट्टी में खेलने नहीं देते। इन्हें पहनने से देखने वालों को आनंद मिलता है लेकिन वह लडकी बड़ा बंधन महसूस करती है। फिर बेटी कहती है- मेरा यह बचपन, तुम्हारा मातृत्व ही मेरे लिए गहने हैं। अन्य गहने क्यों चाहिए।

प्रश्नः 29.
बिहार राज्य की भव्यता का वर्णन कीजिए?
उत्तर:
बिहार की भूमि में पितरों का तर्पण होता है । यहीं पर जयप्रकाश नारायण जिन्हें प्यार से लोग जेपी कहते थे, उनकी मध्यस्थता विचारों से प्रभावित होकर डाकू लोग भी आत्म-समर्पण कर देते थे। यहीं पर विश्व विख्यात नालंदा, वैशाली विश्वविदयालय हैं। गौतम बुद्ध, महावीर आदि ने यहीं पर अपने उपदेशों से लोगों को प्रभावित किया। इस प्रदेश में नूतनता उभरती है।

प्रश्नः 30.
(1) प्रभु जी तुम चंदन हम पानी,
जाकि अंग-अंग बास समानी।
प्रभु जी तुम घन बन हम मोरा।
जैसे चितवत चंद चकोरा।।
उत्तर:
प्रस्तुत पद्यांश रैदास बानी’ से लिया गया है। इसके रचयिता संत रैदास हैं।
कवि ने भगवान के प्रति परे समर्पण भाव को स्वीकारते हुए स्वयं को पानी तथा प्रभु को बंदन के रूप में स्वीकार किया है। रैदास कहते हैं-प्रभु जी चंदन के समान है और हम पानी के समान है जिसके शरीर पर लगाने से अंग-अंग सुगंध से भर गया है। प्रभु जी बादल के समान है और भक्त मोर के समान है। आसमान में बादल दिखते ही मोर नाच उठता हैं। वैसे ही प्रभु का नाम सुनते ही भक्त रोमांचित हो जाता है।

विशेष-अलंकार, अंत्यानुपास, दास्य भक्ति, शरणागत तत्व आदि का परिपूर्ण भाव प्रकट हुआ है।

अथवा

अति अगाधु अति औथरौ, नदी, कूप, सरू बाइ।
सो ताकौ सागरु जहाँ, जाकि प्यास बुझाइ।
उत्तर:
संदर्भ-इन पंक्तियों को ‘बिहारी के दोहे’ से लिया गया हैं। प्रसंग और भावार्थ-कवि कहता है वैसे तो इस जगत में गहरे और सभी प्रकार के कुएँ, सरोवर नदियाँ और बावडियाँ हैं। परंतु जिसकी प्यास जहाँ बुझ जाए, उसके लिए तो वहीं सागर हैं। इसी प्रकार यदि बड़े आदमी से उसका कोई काम न निकले और छोटे आदमी से काम निकल जाए तो उसके लिए वह छोटा व्यक्ति ही सागर के समान महान है।

अथवा

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प्रश्नः 31.
ले-देकर जीना क्या जीना?
कब तक गम के आँसू पीना।
मानवता ने सींचा हैं तुझको
बहा युगों तक खून पसीना।
उत्तर:
प्रस्तुत पद्यांश कापर मत गन’ नामक कविता मे लिया गया है। जिसके रचयिता नरेन्द्र शर्मा है। प्रस्तुत पक्तियों में कवि ने मनुष्य को कायर न बनने का संदेश देते हुए कहा है कि मनुष्य को मनुष्यता का ध्यान भी रखना आवश्यक है।

भाव-स्पष्टीकरण-कवि इसमें मानवता को अत्यधिक महत्व देते हुए दुष्टों के सम्मुख आत्म समर्पण न करने के लिए कहते हैं। हमेशा समझौता करके हार के, ले देकर जीना, जीना नहीं है। कब तक तुम दुःख के आँसू पीते हुए, कष्ट सहते ही रहोगे? मानवता ने तुम को अमृत जल से सींचा है। तुम्हें सुख भोगने का अधिकार हैं। इसलिए शत्रुओं से डटकर मुकाबला करो, कायरता छोड दो, साहसी बनो।

अथवा

दर असल शुरु से ही था हमारे अनदेशों में
कहीं एक जानी दुश्मन
कि घर को बचाना हैं लुटेरों से,
शहर को बचाना हैं नादिरों से
देश को बचाना हैं देश के दुश्मनों से।।
उत्तर:
प्रस्तुत पद्यांश ‘एक वृक्ष की हत्या’ नामक आधुनिक कविता से लिया गया हैं। जिसके रचयिता कुँवर नारायण हैं।
संदर्भ-इस कविता में कवि ने वृक्षों के प्रति अपनी संवेदना जताई है।
भाव स्पष्टीकरण-बचपन से ही अपने घर पर तैनात चौकीदार वृक्ष न दिखने पर कवि उदास हो जाते हैं और उसकी याद में खो जाते हैं। कवि और उस वृक्ष का एक रिश्ता बना हुआ था। दोस्ती हो गई थी। धूप में, गर्मी में, बारिश में, सर्दी में हमेशा चौकन्ना, छायादार पेड़ के कट जान पर कवि का क्षोभ बढ़ जाता है। वृक्षों के महत्व को समझाते हुए कवि कहते हैं-ऐसे जानी दुश्मनों से, नादिरों से, लुटेरों से, घर के शहर को देश को बचाना है। कवि ने स्वार्थी
मनुष्य को धिक्कारा है।

IV. (अ) एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए। ( 5 x 1 = 5 )

प्रश्नः 32:
दादाजी का छोटा पोता किस पद पर था?
उत्तर:
दादाजी का छोटा पोता परेश नायब तहसीलदार के पद पर था।

प्रश्नः 33.
घृणा को किससे नहीं मिटाया जा सकता है?
उत्तर:
घृणा को घृणा से नहीं मिटाया जा सकता।

प्रश्नः 34.
दादाजी को किस कलाना से सिहरन होने लगती है?
उत्तर:
दादाजी को पेड़ से अलग होने वाली डाली की कल्पना से सिहरन होने लगती हैं।

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प्रश्नः 35.
भारवि में किस कारण अहंकार बढ़ता जा रहा था ?
उत्तर:
भारवि में पण्डितों की हार से अहंकार बढ़ता जा रहा था।

प्रश्नः 36.
बसंत ऋतु में किसके स्वर से सभी परिचित है?
उत्तर:
बसंत ऋतु में कोकिल के स्वर से सभी परिचित है।

(आ) निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो के उत्तर लिखिए। ( 2 x 5 = 10 )

प्रश्नः 37.
दादाजी के बड़प्पन के संबंध में क्या विचार थे?
उत्तर:
दादाजी के बड़प्पन के संबंध में अपने मंझले लड़के कर्मचंद से कहते हैं कि -बड़प्पन बाहर की वस्तु नहीं हैं। बड़प्पन तो मन का होना चाहिए। घृणा को घृणा से मिटाया नहीं जा सकता। छोटी बहू तभी अलग होना चाहेगी जब उसे घृणा के बदले घृणा दी जायेगा। यदि उसे घृणा के बदले स्नेह मिले तो उसकी सारी घृणा धुंधली पड़कर लुप्त हो जायेगी। महानता किसीसे मनवाई नहीं जा सकती, अपने व्यवहार से अनुभव कराई जा सकती है। दूँठ वृक्ष आकाश को छूने पर भी अपनी महानता का सिक्का हमारे दिलों पर उस समय तक नहीं बैठा सकता, जब तक अपनी शाखाओं में वह ऐसे पत्ते नहीं लाता, जिनकी शीतल सुखद छाया मन के सारे ताप को हर ले और जिसके फूलों की भीनी-भीनी सुगंध हमारे प्राणों में पुलक भर दे।

अथवा

बेला अपने मायके क्यों जाना चाहती थी?
उत्तर:
बेला अपने मायके इसलिए जाना चाहती थी क्योंकि उसे ऐसा लगता था कि जैसे वह अपरिचितों में आ गयी है। कोई उसे नहीं समझता और वह किसी को नहीं समझती। जब वह जाती है तो बड़ी भाभी, मँझली और माँजी तक खड़ी हो जाती थी। उसके सामने कोई हँसता नहीं उससे अधिक समय तक कोई बात नहीं करना चाहता। सब उससे ऐसा डरती है जैसे मुर्गी के बच्चे बाज़ से । बेला अपने मायके जाना चाहती थी।

प्रश्नः 38.
भारवि अपने पिता से क्यों बदला लेना चाहता था?
उत्तर:
भारवि के पिता श्रीधर भरी सभा में उसका अपमान करते हैं। वहाँ बैठे हुए सभी पण्डित भारवि के स्वर में ही बोलकर उसका परिहास करते हैं। इस बात को भारवि अपने दिल से लगा लेता है और उसके मन में यह बात घर कर जाती है कि पिता ने सबके सामने उसका अपमान किया। उनके रहते वह अपनी ज़िदगी में आगे नहीं बढ़ सकता । इस वजह से पिता के प्रति उसका क्रोध अंतिम सीमा तक पहँच जाता है और वह अपने पिता से बदला लेना चाहता था।

अथवा

प्रायश्चित को लेकर पिता और पुत्र के बीच हुए संवाद को लिखिए।
उत्तर:
प्रायश्चित्त को लेकर पिता और पुत्र के बीच का संवाद कुछ इस प्रकार है। भारवि क्रोध और ग्लानि से-भरकर अपने पिता श्रीधर की हत्या करना चाहता था। जब उसे पता चलता है कि उसके पिता की ताड़ना के पीछे उनकी शुभकामानाएँ और मंगलकामनाएँ छिपी है तो वह दुःखी हो जाता है। उसने अपने पिता से कहा कि वह अपने अपराध के लिए प्रायश्चित करना चाहता है। पिता कहते हैं कि पश्चात्ताप ही प्रायश्चित है। वे उसे माँ की सेवा कर अपने जीवन को सफल बनाने के लिए कहते हैं।

भारवि कहता है-माता की सेवा तो मेरे जीवन की चरम साधना है, ही लेकिन यदि आप चाहते हैं, कि आपका पुत्र भारवि जीवित रहे तो उसे दण्ड दीजिए। पुत्र के बहुत कहने पर वे उसे दण्ड देते हैं -छ: मास तक ससुराल में जाकर सेवा करना और जूठे भोजन पर अपना पोषण करना। भारवि उसे सहर्ष स्वीकार कर लेता है।

V. (अ) वाक्य शुद्ध कीजिए : ( 4 x 1 = 4 )

प्रश्नः 39.
(अ) मेरा प्राण बेचैन है।
उत्तर:
मेरे प्राण बेचैन हैं ।

(आ) तुम जा सकता है।
उत्तर:
तुम जा सकते हो।

(इ) मैंने मकान बनवाने के लिए मैसूर जाना है।
उत्तर मुझे मकान बनवाने मैसूर जाना है।

(ई) तुलसी दास ने राम-चरित मानस का रचना किया।
उत्तर:
तुलसीदास ने राम-चरित मानस की रचना की।

(आ) कोष्टक में दिये गये उचित शब्दों से रिक्त स्थान भरिए। ( 4 x 1 = 4 )
(समान, घृणा, प्रवृत्ति, कर्तव्य)

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प्रश्नः 40.
(1) सत्य बोलने से हमारा ……… होगा।
उत्तर:
सम्मान

(2) कुत्सित लोगों से सभी ….. करते हैं।
उत्तर:
घृणा

(3) सच्चाई की ओर हमारी …………… झुकती है।
उत्तर:
प्रवृत्ति

(4) स्वार्थी लोग अपने पर ध्यान नहीं देते।
उत्तर:
कर्तव्य

(इ) निम्नलिखित वाक्यों को सूचनानुसार बदलिए। ( 3 x 1 = 3 )

प्रश्नः 41.
अ) सरला गाना गाती थी । (वर्तमान काल में बदलिए)
उत्तर:
सरला गाना गाती है।

आ)वह गद गद कंठ से कहता है। (भूतकाल में बदलिए)
उत्तर:
वह गद्गद कण्ठ से कहता था।

इ) राहुला कुंभ मेले में जा रहा है। (भविष्यत् काल में बदलिए)
उत्तर:
राहुल कुम्भ मेले में जानेवाला है।

(ई) निम्नलिखित मुहावरों को अर्थ के साथ जोड़कर लिखिए। ( 1 x 4 = 4 )

प्रश्नः 42.
(i) टोपी उछालना – (a) क्रोध करना
(ii) छाती से लगाना – (b) अपमानित करना
(iii) पानी पानी होना – (c) प्यार करना
(iv) लाल-पीला होना – (d) लज्जित होना
उत्तर:
1 – d
2 – c
3 – b
4 – a

IV. 43. (उ) अन्य लिंग रूप लिखिए। ( 3 x 1 = 3 )
(i) सम्राट
(ii) शिष्य
(iii) गुणवान उत्तर
उत्तर:
(i) सम्राज्ञी
(ii) शिष्या
(iii) गुणवती

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(ऊ) अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए। ( 3 x 1 = 3 )

प्रश्नः 44.
(1) रास्ता दिखानेवाला
उत्तर:
पथप्रदर्शक या मार्गदर्शक

(2) ईश्वर में विश्वास रखनेवाला
उत्तर:
आस्तिक

(3) जो धर्म का काम करे
उत्तर:
धार्मिक

(ए) निम्नलिखित शब्दों के साथ उपसर्ग जोड़कर नए शब्दों का निर्माण कीजिए। ( 2 x 1 = 2 )

प्रश्नः 45.
(i) शिक्षित (ii) वन
उत्तर:
(i) प्रशिक्षित (ii) उपवन

(ऐ) निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय अलग कर लिखिए। ( 2 x 1 = 2 )

प्रश्नः 46.
(i) राष्ट्रीय (ii) पागलपन
उत्तर:
(i) राष्ट्र – ईय (ii) पागल – पन

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VI. (अ) किसी एक विषय पर निबंध लिखिए। ( 1 x 5 = 5 )

प्रश्नः 47. (i)
(a) स्वावलंबन
(b) गणतंत्र दिवस
(c) पुस्तकालय
उत्तर:
(a) स्वावलंबन
‘स्वावलम्बन’ में दो शब्द हैं-स्व. और अवलम्बन। ‘स्व’ का अर्थ है अपना और अवलम्बन का अर्थ है ‘सहारा’ । अर्थात्, अपना सहारा स्वयं बनना। दूसरे शब्दों में, अपने आत्मबल को जागृत करना ही स्वावलंबन कहलाता है।

स्वावलंबी व्यक्ति के सामने असंभव कार्य भी संभव दिखने लगता है। स्वावलंबन के दो पहलू हैं-पहला आत्मनिश्चय और दूसरा आत्मनिर्भरता। इसके ठीक विपरीत छोटे-छोटे कार्यों के लिए दूसरों पर आश्रित रहना परावलम्बन कहलाता है। परावलम्बित व्यक्ति हाथ रहते हुए भी लूला और पैर रहते हुए भी लंगड़ा रहता है। जिसमें-अपने पैरों पर खड़े होने की सामर्थ्य नहीं है, वह दूसरों का कंधा पकड़कर कब तक चलता रहेगा? एक झटका लगते ही धाराशायी हो जायेगा। ईश्वर उसीकी सहायता करता है, जो अपनी सहायता स्वयं करते हैं।

विश्व का इतिहास ऐसे महापुरुषों के उदाहरणों से भरा पड़ा है, जिन्होंने स्वावंबन का सहारा लिया है। महाकवि तुलसीदास बचपन से ही अनाथ थे। वे दाने-दाने के लिए मुहताज रहते थे। फिर भी अपनी आत्मनिर्भरता के सहारे वे स्वतंत्र लेखन करके भारत के लोक कवि कहलाए। ईश्वरचंद्र विद्यासागर एक निर्धन परिवार की संतान थे। वे सड़की की रोशनी में पढ़ते थे। उन्होंने जो यश अर्जित किया, उसका आधार स्वावलम्बन ही था। अब्राहम लिंकन जूते की सिलाई करते थे; लेकिन अपनी आत्मनिर्भरता और अपने आत्मनिश्चय को एक दिन वे अमेरिका जैसे शक्तिशाली राष्ट्र के राष्ट्रपति बनकर उभर आये।

इसी तरह छत्रपति शिवाजी, न्यूटन, नेपोलियन, शेरशाह और महात्मा गाँधी इत्यादि अनगिनत नाम हैं। इस प्रकार स्वावलंबन ही जीवन है और परावलम्न मृत्यु। स्वावलंबन पुण्य है और परावलम्बन पाप। अतः हर माता पिता को चाहिए कि वह बचपन से ही अपने बच्चों में स्वावलंबन की भावना भरें। छात्रों को अपने छोटे-छोटे कार्य-कमरे की सफाई, वस्त्रों की धुलाई, भोजन बनाना आदि स्वयं करने के आदत डालनी चाहिए। ऐसे विद्यार्थी स्वावलम्बी बनकर देश के योग्य नागरिक बनते हैं और उनके सहयोग से स्वावलम्बी राष्ट्र का निर्माण होता है।

(b) गणतंत्र दिवस
15 अगस्त 1947 को हमारा देश स्वतंत्र हुआ और 26 जनवरी 1950 के दिन गणतंत्र घोषित किया गया। उस दिन ब्रिटिश कानून का स्थान अपने नए संविधान ने लिया और हमारे देश का शासन भारतीय संविधान के अनुसार शुरू हुआ। इसलिए 26 जनवरी हमारे देश के लिए गर्व और गौरव का दिन है। प्रतिवर्ष यह दिन गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।

गणतंत्र दिवस की पूर्वसंध्या को हमारे राष्ट्रपति राष्ट्र के नाम संदेश प्रसारित करते हैं। इस संदेश में वे देश की प्रगति का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करते हैं। देश की विभिन्न समस्याओं की चर्चा करते हैं। उन समस्याओं के समाधान के लिए देशवासियों का आह्वान करते हैं।

26 जनवरी को सूर्योदय के साथ ही देश भर में स्थान-स्थान पर ध्वज-वंदन की तैयारियाँ होने लगती हैं। बच्चे बड़े उत्साह से अपने-अपने विद्यालयों में पहुँच जाते हैं और विशेष कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। स्थान-स्थान पर राष्ट्रध्वज फहराया जाता है। सारा वातावरण उत्साह से भर जाता है। इस दिन सरकारी दफ्तरों और पाठशालाओं में छुट्टी रहती है। स्कूलों और कॉलेजों में मनोरंजन के विविध कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाते हैं। एक और नाटकों की धूम मचती है, तो दूसरी ओर संगीत और नृत्य की बहार। कहीं कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता है तो कहीं मुशायरे का।

गणतंत्र दिवस मनाते समय हम स्वाधीनता और लोकतंत्र की रक्षा करने का संकल्प करते हैं। देश की एकता और अखंडता के लिए सर्वस्व बलिदान करने का व्रत लेते हैं। गणतंत्र का दिन राष्ट्रीय भावना और आनन्द से भरपूर ऐतिहासिक पर्व है। सचमुच, यह दिन हमारे देश के गौरव और स्वाभिमान का दिन है।

(c) पुस्तकालय
उत्तर:
मनुष्य के जीवन में ज्ञान का बहुत महत्त्व है। ज्ञान प्राप्ति केवल स्कूल और कॉलेज में ही नहीं होती, पुस्तकालय में भी होती है। सचमुच, पुस्तकालय तो एक पवित्र ज्ञान तीर्थ है। वह सरस्वती देवी का पावन मंदिर है।

पुस्तकालय में साहित्य, विज्ञान, राजनीति, कला, दर्शनशास्त्र आदि अनेक विषयों की पुस्तकें होती हैं। इनके अलावा अनेक संदर्भ ग्रंथ और शब्दकोश होते हैं। सभी विषयों की इतनी पुस्तकें कोई भी व्यक्ति नहीं खरीद सकता। समृद्ध पुस्तकालय में अनेक सामयिक और विविध भाषा के दैनिक पत्र मंगाए जाते हैं। पुस्तकालय में प्रायः वाचनालय की भी सुविधा रहती है। कोई भी व्यक्ति ऐसे सार्वजनिक पुस्तकालय से लाभ उठा सकता है। पुस्तकालय का सदस्य बनकर कोई भी व्यक्ति पुस्तकें और पत्रिकाएँ पढ़ने के लिए अपने घर भी ले जा सकता है। इस प्रकार पुस्तकालय के माध्यम से मनुष्य ज्ञान के अथाह सागर में डुबकियाँ लगा सकता है।

अवकाश का समय ताश, शतरंज, सिनेमा आदि में बिताने के बदले पुस्तकालय में बिताना लाभदायक है। महान लेखकों की कृतियाँ पढ़ने से मनुष्य को ज्ञान के अतिरिक्त मनोरंजन भी प्राप्त होता है। देश-विदेश का साहित्य पढ़ने से लोगों में जागृति आती है। वास्तव में, बौद्धिक विकास में पुस्तकालय का योगदान सबसे अधिक पुस्तकालय का सदस्यता शुल्क बहुत कम होना चाहिए, जिससे साधारण व्यक्ति भी उसका लाभ उठा सके। उसमें शिष्ट साहित्य और ज्ञानविज्ञान की अधिक से अधिक पुस्तकों का संग्रह सचमुच, पुस्तकालय ज्ञान का दीपक है। भारत जैसे अविकसित देश में प्रत्येक गाँव में पुस्तकालयों की स्थापना होनी चाहिए। पुस्तकालय से प्रकाश पाकर ही हमारा समाज ज्ञान रूपी प्रकाश प्राप्त कर सकता है।

अथवा

(ii) अपने मित्र को नव वर्ष की शुभकामना देते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर:

से,
क, ख, ग
सप्तापुर बावि,
धारवाड़
दिनांक 25- दिसंबर -2019

प्रिय मित्र योगेश,
सप्रेम नमस्ते।

अंग्रेज़ी कैलेण्डर के अनुसार जनवरी की पहली तारीख को नया वर्ष मनाया जाता है। भारतीय परंपरा के अनुसार हमारे देश में प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को भी नया वर्ष मनाया जाता है। इस दिन को गुडि पाडवा या युगादि भी कहते है। इस वर्ष यह 31 मार्च को मनाया गया। मैं अपनी और अपने परिवार की ओर से तुम्हें और तुम्हारे सारे परिवारवालों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ भेज रहा हूँ और कामना करता हूँ कि यह नया वर्ष आप सब के जीवन में ढेर सारी खुशियाँ लायें और सबका स्वास्थ्य बरकरार रखें।

तुम्हारा प्रिय मित्र
क ख ग

को,
योगेश श्रीमनी
हेरो हल्ली
मंगलूर

आ) 48. निम्नलिखित अनुच्छेद पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए। ( 5 x 1 = 5 )
भारत विश्व सभ्यता का जनक है क्योंकि उसकी सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यता है। प्रलय के बाद सर्वप्रथम भारत भूमि पर ही मनु द्वारा सृष्टि की रचना हुई। धरती का स्वर्ग तथा अनेक ऋषि, मुनियों, देवताओं और महापुरुषों की पुण्यभूमि भारत पर स्वयं भगवान राम और कृष्ण ने अवतार लेकर उसकी मिट्टी को तिलक करने योग्य बना दिया। दुनिया की अनेक संस्कृतियाँ मिट गई, परंतु भारत की संस्कृति आज भी जीवित है। अपने ऐश्वर्य और समृद्धि के कारण यह सोने की चिडिया कहलाया। सभी प्रकार की कलाओं और विधानों का शुभारंभ इसी धरती पर हुआ। तथा मोक्ष का मूल मंत्र भी सर्वप्रथम इसी धरती के लोगों के हाथ लगा जिसे सम्पूर्ण विश्व में फैलाकर भारत विश्वगुरु कहलाया। आज भारत ने हर क्षेत्र में अद्भुत प्रगति की है। इसलिए हम गर्व से कहेंगे मेरा भारत महान है।

प्रश्न : 1.
भारत को किसका जनक कहा जाता है?
उत्तर:
भारत को विश्व सभ्यता का जनक कहा जाता है ।

प्रश्न : 2.
प्रलय के बाद किसकी रचना हो गई?
उत्तर:
प्रलय के बाद सर्वप्रथम भारत भूमि पर ही मनु के द्वारा सृष्टि की रचना हुई ।

प्रश्न : 3.
धरती को स्वर्ग और मिट्टी को तिलक किस-किसने बनाया?
उत्तर:
ऋषि-मुनियों, देवता और महापुरुषों ने धरती को स्वर्ग बनाया और राम और कृष्ण ने धरती पर अवतार लेकर इस मिट्टी को तिलक करने योग्य बना दिया।

प्रश्न : 4.
किसके कारण भारत को सोने की चिडिया कहा जाता है?
उत्तर:
अपने ऐश्वर्य और समृद्धि के कारण यह भारत र सोने की चिड़िया कहलाता है ।

प्रश्न : 5.
किसका शुभारंभ भारत भूमि पर हुआ है?
उत्तर:
सभी प्रकार की कलाओं और विधानों का शुभारंभ इसी धरती पर हुआ ।

2nd PUC Hindi Model Question Paper 3 with Answers

49. (इ) हिन्दी में अनुवाद कीजिए । ( 5 x 1 = 5 )

2nd PUC Hindi Model Question Paper 3 with Answers 1