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Karnataka 2nd PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Gaurav एकांकी Chapter 1 सूखी डाली
सूखी डाली Questions and Answers, Notes, Summary
I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर: लिखिए।
प्रश्न 1.
मिश्रानी को किसने काम से हटा दिया?
उत्तर:
मिश्रानी को छोटी बहू बेला ने काम से हटा दिया।
प्रश्न 2.
मिश्रानी कितने वर्षों से मूलराज के परिवार में काम कर रही थी?
उत्तर:
मिश्रानी की पीढ़ी-दर-पीढ़ी मूलराज के परिवार में काम कर रही थी।
प्रश्न 3.
नौकरों से काम लेने के लिए क्या होनी चाहिए?
उत्तर:
नौकरों से काम लेने के लिए भी तमीज होनी चाहिए।
प्रश्न 4.
हँसी के मारे मर जाने की बात कौन कहती है?
उत्तर:
हँसी के मारे मर जाने की बात मँझली बहू करती है।
प्रश्न 5.
हर बात पर अपने मायके की तारीफ कौन करती रहती है?
उत्तर:
हर बात पर अपने मायके की तारीफ छोटी बहू बेला करती रहती है।
प्रश्न 6.
दादाजी का छोटा पोता परेश किस पद पर था?
उत्तर:
दादाजी को छोटा पोता परेश नायब तहसीलदार था।
प्रश्न 7.
मलमल के धान और अबरों को परेश किसके पास नहीं ले कर जाते?
उत्तर:
मलमल के थान और अंबरों का परेश दादा के पास नहीं लेकर जाते।
प्रश्न 8.
मूलराज के मँझले बेटे का नाम लिखिए।
उत्तर:
मूलराज के मँझले बेटे का नाम है कर्मचंद।
प्रश्न 9.
दादा जी के अनुसार उनका परिवार किस पेड़ के समान है?
उत्तर:
दादाजी के अनुसार उनका परिवार बरगद के पेड़ के समान है।
प्रश्न 10.
हल्की सी खरोंच भी दवा न लगने पर क्या बन जाती है
उत्तर:
हल्की सी खरोंच भी दवा न लगने पर नासूर बन जाती है।
प्रश्न 11.
छोटी बहू के मन में किसकी मात्रा जरूरत से ज्यादा है?
उत्तर:
छोटी बहू के मन में दर्प की मात्रा जरूरत से ज्यादा है।
प्रश्न 12.
घृणा को किससे नहीं मिटाया जा सकता?
उत्तर:
घृणा को घृणा से नहीं मिटाया जा सकता।
प्रश्न 13.
बरगद का पेड़ किन लोगों ने उखाड़ दिया?
उत्तर:
बरगद का पेड़ मल्लू और जगदीश ने उखाड़ दिया।
प्रश्न 14.
दादाजी ने परेश से छोटी बहू को कहाँ ले जाने के लिए कहा?
उत्तर:
दादाजी ने परेश को छोटी बहू को बाजार ले जाने के लिए कहा।
प्रश्न 15.
किसे दूसरों का हस्तक्षेप और आलोचना पसंद नहीं है?
उत्तर:
छोटी बहू बेला को दूसरों का हस्तक्षेप और आलोचना पसंद नहीं है।
प्रश्न 16.
व्यक्ति किन गुणों से बड़ा होता है?
उत्तर:
व्यक्ति घृणा करनेवाले से भी स्नेह और प्रेम का व्यवहार कर बड़ा होता है।
प्रश्न 17.
पेड़ की छाया को बढ़ाने का काम कौन करती है?
उत्तर:
पेड़ की डालियाँ और उसपर लगे पत्ते छाया को बढ़ाने का काम करती है।
प्रश्न 18.
दादाजी. को किस कल्पना से सिहरन होने लगती हैं?
उत्तर:
दादाजी को पेड़ की किसी डाली का उससे अलग होने की कल्पना से सिहरन होने लगती है।
प्रश्न 19.
बरगद के पेड़ की कहानी किनका निर्माण करती हैं?
उत्तर:
बरगद के पेड़ की कहानी कुटुम्ब, समाज और राष्ट्र का निर्माण करती है।
प्रश्न 20.
दादाजी किसके हक में हैं?
उत्तर:
दादाजी छोटी बहू को अलग न होने देने के हक में है।
प्रश्न 21.
किसने सारी-की-सारी छत फावड़े से खोद डाली?
उत्तर:
मालवी ने सारी की सारी छत फावडे से खोद डाली।
प्रश्न 22.
बंसीलाल का लड़का गली के गिरे पर क्या कर रहा था?
उत्तर:
बंसीलाल का लड़का गली के सिरे पर खम ठोंक रहा था।
प्रश्न 23.
बेला के अनुसार परिवार की सदस्या उससे किस प्रकार डरती है?
उत्तर:
बेला के अनुसार परिवार की सदस्या मुर्गी के बच्चे बाज से डरते हैं उस प्रकार डरती थी।
प्रश्न 24.
दादाजी ने सबको क्या समझाया था?
उत्तर:
दादाजी ने सबको समझाया कि बहू पढ़ी लिखी है, उसका समय न बरबाद करे और सही आदर दे।
प्रश्न 25.
‘सूखी डाली’ के एकांकीकार का नाम लिखिए।
उत्तर:
‘सूखी डाली’ के एकांकीकार है उपेन्द्रनाथ अश्क।
II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर: लिखिए।
प्रश्न 1.
इन्दु को अपनी भाभी बेला पर क्यों क्रोध आया?
उत्तर:
इन्दु को अपनी भाभी बेला पर क्रोध इसलिए आया क्योंकि उसने घर की पुरानी नौकरानी रजवा को काम से निकाल दिया था। बेला बात-बात पर अपने मायके के बारे में बड़ी ऊँची बातें और प्रशंसा अधिक करती थी। हर बात पर अपने घर की बड़ाई करती थी। उसे अपने ससुराल की कोई भी चीज़ पसंद नहीं आती थी। यहाँ के लोगों का खाना-पीना, पहनना-ओढ़ना कुछ भी पसंद न आता था। इस बात से इन्दू को अपनी भाभी बेला पर क्रोध आया।
प्रश्न 2.
रजवा ने छोटी भाभी से क्या कहा?
उत्तर:
रजवा मूलराज के परिवार में दस वर्षों से काम कर रही थी। छोटी बहू बेला में उसे काम से हटा दिया। उदास होकर वह छोटी भाभी के पास जाकर शिकायत करते हुए कहती है – “माँ जी, आज उन्होंने मुझे काम से हटा दिया। मैं इतने बरस से आप लोगों की सेवा कर रही हूँ। आज तक कभी किसी ने इस प्रकार अनादर नहीं किया था। आप तो मुझे अपने पास ही रखिए। मैं आज से उनका काम करने नहीं जाऊँगी।”
प्रश्न 3.
बेला ने सारा फर्नीचर और सामान कहाँ रख दिया और क्यों?
उत्तर:
बेला ने सारा फर्नीचर उठाकर कमरे के बाहर रख दिया था। उनके बुजुर्गों से खरीदा और बरसों से जो उस कमरे में रखा हुआ था उसे बेला ने टूटी-फूटी कुर्सियों और गले सड़े फर्नीचर को मेरे कमरे में नहीं रहने दूंगी कह कर निकाल दिया।
प्रश्न 4.
कर्मचन्द ने पेड़ से एक डाली टूटकर अलग होने की बात क्यों कही?
उत्तर:
कर्मचन्द दादाजी का दूसरा बेटा था। जब दादाजी हँसकर कह रहे थे कि पेड़ से टूटी डाल को लगाकर पानी भी दो तो वह नहीं पनपेगी। हमारा परिवार भी बरगद के इस महान पेड़ की भाँति ही है। तब छोटी बहू के दर्प के कारण उसे यहाँ का कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है। तो शायद परेश घर से अलग हो जाए दूसरा घर बसाए यह कहने के लिए कर्मचन्द ने टूटे डाली की बात की।
प्रश्न 5.
दादा जी के ‘बड़प्पन’ के संबंध में क्या विचार थे?
उत्तर:
बेला अपने मायके वालों को ही बड़ा समझती है। सुनने पर दादाजी ने बड़प्पन बाहर की वस्तु नहीं बड़प्पन मन का होना चाहिएकहा। अगर किसीको घृणा के बदले घृणा ही दे तो उसमें कोई महानता नहीं। महानता तो घृणा के बदले स्नेह/प्रेम देना होता है। महानता किसी से मनवाई नहीं जाती, अपने व्यवहार से अनुभव करायी जा सकती है।
प्रश्न 6.
बेला की मानसिक दशा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
बेला अमीर बाप की एकलौती बेटी थी। वह बड़े, अच्छे घर में रहती थी। घर में नौकर-चाकर थे। वह पढ़ी-लिखी थी, उसे पढ़ने का शौक था। काम करने की, इतने सारे लोगों के साथ रहने की उसको आदत नहीं थे। कमरे में रखा टूटा-फूटा फर्निचर उसे पसंद नहीं आया। दादाजी ने सबके लिए मँगाए हुए मलमल के थान और रजाई के अबरे उसे पसन्द नहीं आए। वह नए विचारवाली थी। सब उसके बारे में बात करते, उसपर हँसते जो उसे अच्छा नहीं लग रहा था। वह आज़ादी चाहती थी, दूसरों का हस्तक्षेप उसे पसंद नहीं था।
प्रश्न 7.
दादा जी ने परेश को किस प्रकार मनाया?
उत्तर:
दादाजी ने हमेशा अपने परिवार को बरगद का पेड़ समझा, उनके आँखों के सामने, उनके जीते जी उस पेड़ की डालियाँ टूट जाए, अलग हो जाए वे कभी ऐसा होने नहीं देंगे। इसलिए उन्होंने परेश को समझाया कि भगवान की कृपा से उनके घर इतनी सुसंस्कृत, सुशिक्षित बहू आई है। आगे की जिम्मेदारी दादाजी अपने ऊपर लेते है। घर के सभी सदस्यों को वे समझाएँगे। कोई भी छोटी बहू का समय बरबाद नहीं करेगा।, कोई उसपर नहीं हँसेगा, न आलोचना करेगा। परेश भी उसे बाजार ले जाए और उसकी पसंदीदा चीजें खरीदे। इस तरह दादाजी ने परेश को समझाया।
प्रश्न 8.
दादाजी ने किस अभिप्राय से सभी को बुलाया और क्या कहा?
उत्तर:
दादाजी नहीं चाहते थे कि परेश अपने बहू को लेकर परेशान हो जाए और अलग रहने जाए। इसलिए सबको यह समझाने के लिए बुलाया कि घृणा से अपमान करने से किसी पर हँसने से कुछ नहीं मिलेगा। वह समझाते हैं कि छोटी बहू बुद्धिमती, सुशिक्षित और सुसंस्कृत है, उसका आदर करना चाहिए। वह पढ़ना चाहती है तो उसका समय न बरबाद करे। उससे ज्ञान अर्जन करना चाहिए ना कि झगड़ा। अगर किसी ने भी उसका मजाक उड़ाया तो उसका दादाजी से कोई रिश्ता नहीं रहेगा।
प्रश्न 9.
दादा जी की क्या आकांक्षा थी?
उत्तर:
यह सब समझाने के पीछे दादाजी की यही आकांक्षा थी कि पेड़ की सब डालियाँ साथ-साथ बढ़े, फले-फूलें जीवन की शीतल वायु के परस से झूमें और सरसायें। पेड़ से अलग होनेवाली डाली के बारे में सुनकर ही वे सिहर जाते थे, काँप जाते थे। उनके जीते जी उनके आँखों के सामने वे यह कभी नहीं चाहते थे कि कोई भी घर से अलग होकर घर बसाए। इसीलिए छोटी बहू का पक्ष लेकर
उन्होंने घर के सभी को और खासकर मझली बहू और इन्दु को समझाया।
प्रश्न 10.
घर के लोगों के व्यवहार में बदलाव देखकर बेला की क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तर:
दादाजी के यह समझाने पर कि कोई छोटी बहू का निरादर नहीं करेंगे, उसका समय बरबाद नहीं करेंगे। हर कोई उसके साथ आदर का व्यवहार कर रहा था। उसका काम भी उन्होंने बांट लिया था। उसके कमरे में जाकर उसका समय भी वे बरबाद नहीं कर रहे थे तब बेला सोचती है कि कैसे अजीब लोग है ये। इनका कुछ पता नहीं चलता, गर्म होते हैं तो आग बन जाते हैं, नर्म होते हैं तो मोम से भी कोमल। लेकिन क्यों ये लोग पराये से व्यवहार कर रहे हैं उसके साथ उसे समझ में नहीं आता। उसे इस बात का भी गुस्सा आता है कि वे लोग उसे कुछ काम करने नहीं दे रहे हैं, उसके कमरे में बैठ नहीं रहे और उसे देखते ही हँसी को दबाते हैं।
प्रश्न 11.
मालवी ने सारी-की-सारी छत क्यों और कैसे खोद डाली?
उत्तर:
मालती ने सारी की सारी छत फावड़े से खोद डाली और बंसीलाल मुँह ताकते रह गये। दो घण्टे पहले राज-मज़दूर छत डाल गए, कारीगरों और मज़दूरों से निबट कर बंसीलाल दुकान को गया। पता नहीं कैसे मालवी को इसका पता चला कि उसके देवर ने अपनी रसोई पर छत डाल ली। बंसीलाल का बेटा कहते रहा कि उसका पूरा घर खण्डहर बना दूंगा। लेकिन मालवी कमर कसे खड़ी थी। दोनों में इतनी दुश्मनी थी।
प्रश्न 12.
बेला अपने मायके क्यों जाना चाहती थी?
उत्तर:
बेला को लग रहा था कि वह अपरिचितों में आ गई है। कोई उसे नहीं समझता और वह किसी को नहीं समझ सक रही थी। असल में दादाजी के बताने पर सब लोग उसके कमरे में जाने से कतरा रहे थे। जोर से हँस नहीं रहे थे, उसका काम खुद कर रहे थे। उसे बहुत ज्यादा आदर दे रही थी, यह सब देखकर उसे पराये से लगने ला.ळ उसका दम घुटने लगा इसलिए वह परेश से कहने लगी कि उसे मायके भेज दो।
प्रश्न 13.
इन्दु के मुँह से दादाजी की बात सुनकर बेला ने क्या कहा?
उत्तर:
इन्दु के मुँह से दादाजी की बात सुनकर बेला ने कहा कि उसने तो कभी शिकायत नहीं की। वह आदर नहीं चाहती, वह सबके साथ मिलकर काम करना चाहती है। सबने उसे कितना गलत समझा है।
प्रश्न 14.
बेला ने भावावेश में सैंधे हुए कंठ से दादा जी से क्या कहा?
उत्तर:
बेला ने भावावेश के कारण रुंधे हुए कंठ से दादाजी से कहा – दादाजी, आप पेड़ से किसी डाली का टूटकर अलग होना पसंद नहीं करते, पर क्या आप चाहेंगे कि पेड़ से लगी वह डाल सूख कर मुरझा जाय?
प्रश्न 15.
दादा जी का चरित्र चित्रण कीजिए।
उत्तर:
दादाजी घर के सबसे बड़े हैं। उनकी उम्र 72 है, शरीर अभी तक झुका नहीं और उनकी सफेद दाढ़ी नाभि को छूती है। घर में सब उनकी इज्जत करते हैं। वे अपने परिवार को बरगद के पेड़ के समान मानते हैं और पेड से एक भी डाल टटकर अलग हो जाए यह उनको पसन्द नहीं। जीते जी वह यह होने देना नहीं चाहते इसीलिए सबको बुलाकर वे बेला के साथ आदर के साथ बर्ताव करने कहते हैं। वे परेश को भी समझाते हैं और वह आधुनिक विचारों की है कहकर बाजार भी ले जाने को कहते हैं। सरंकार से मिले एक मुरब्बे को अपने परिश्रम, निष्ठा, दूरदर्शिता से उसके दस मुरब्बे बनाये हैं।
प्रश्न 16.
बेला की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
उत्तर:
बेला परेश की पत्नी है जो लाहौर के एक प्रतिष्ठित तथा सम्पन्न कुल की सुशिक्षित लड़की है। उसे कई लोगों के बीच रहना पसंद नहीं, उसे आज़ादी चाहिए, बड़ों का हस्तक्षेप नहीं। घर की औरतें जो हमेशा काम करती रहती है उसे पसंद नहीं। उसने रजवा को गँवार कहकर निकाला। उसे अपने कमरे का पुराना फर्निचर पसंद नहीं, दादा ने लाए मलमल का थान आदि उसे पसंद नहीं। वह आधुनिक काल की है। दादाजी के कहने पर जब सब लोगों का व्यवहार उसके प्रति बदल गया वैसे ही उसे भी पश्चाताप हआ।
प्रश्न 17.
टिप्पणी लिखिए।
1. परेश
उत्तर:
दादाजी का सबसे छोटा पोता है जो अभी-अभी. नायब तहशीलदार होकर उसी कस्बे में लगा है। कुछ ही दिन पहले उसका विवाह लाहौर के एक प्रतिष्ठित तथा सम्पन्न, सुशिक्षित लड़की वेला से हुई है। जिसके कारण वह मुसीबत में पड़ गया है। बेला को इस तरह साथ रहना, दूसरों का हस्तक्षेप पसंद नहीं है। दादाजी की पुराना फर्नीचर वह बाहर रखने मानता है लेकिन दादाजी के लाए थान और रजाई वह वापस नहीं ले गया। परेश की अलग जाकर रहने की इच्छा को दादाजी पसंद नहीं करते। वे सबको समझाते हैं लेकिन बेला की शिकायतें खत्म नहीं होती। सब बड़े लोगों के सामने परेश को चुप रहना पड़ता है। वह दादाजी की कोई भी बात नहीं टालता।
2. इन्दु
उत्तर:
दादाजी की पोती है इन्दु, जिसने प्रायमरी स्कूल तक बड़ी सफलतापूर्वक शिक्षा पाई है। सबसे अधिक पंढ़ी-लिखी समझी जाती है। घर में उसकी खूब चलती है क्योंकि वह दादाजी की प्यारी है। पढ़ी लिखी भाभी आने पर इन्दु और उसकी नहीं बनती क्योंकि छोटी बहू हर वक्त अपने मायके की बढ़ाई करती है काम करना नहीं चाहती। उसी को लेकर घर में चर्चा होती है। इंदु को बहुत गुस्सा भी आता है लेकिन वही इन्दु दादाजी के समझाने पर बदल जाती है भाभी का आदर करने लगती है।
3. बड़ी बहू
उत्तर:
बड़ी बहू याने दादाजी का बड़ा बेटा जो मर गया था उसकी पत्नी है। वैसे तो घर की सभी औरतें सीधी-सादी है। दिन भर जो भी काम करती रहती है। दोपहर में बरामदे में कोई चरखे कातती है, कभी गप्पे उड़ाती है, कभी लड़ती झगड़ती है। कुछ न हो तो स्नानगर में कपड़े धोती है। बेला की बातें सुनकर इन्दू को बढ़ावा देती है। दादाजी के समझाने पर वह मान भी लेती है कि बेला वर्ग में बुद्धि में उससे बड़ी है। रजवा के बहू को अपने पास रखने की सलाह वह बेला को देती है। दूसरों के घरों में क्या हो रहा है, यह भी जानने में उनको बहुत रुचि दिखाई देती है।
4. मँझली भाभी
उत्तर:
मँझली बहू हमेशा हर बात पर हँसती रहती है। इंदु के साथ उसकी खूब बनती है। छोटी बहू बेला के सामने परेश की क्या हालत हुई सबको बताकर हँसती है। वह दूसरों की बातें भी चोरी छुपे सुनती है। मालवी ने सारी छत फावडे से तोड़ डाली, बंसीलाल देखते रह गया यह भी मझली बहू ने ही सब को बताया। आखिर दादाजी ने उसे समझाया कि वह अपनी हँसी का निशाना अपनों को न बनाए। छोटी बहू बुद्धिमती है, उसका आदर करे। तब से वह बेला के साथ अच्छा व्यवहार करने लगी।
सूखी डाली Summary in English
Sukhi Dal (Dried branch of tree) is a one-act play by Sri. Upendranath (Aska). In this play, the author tells us about the importance of Joint Family System through Dadaji. The joint family system is like a big banyan tree. It gives shade to all, shelters many birds and nests, and stands strongly for years at a stretch in rain and sunshine, protecting all.
Dadaji is 72 years old. His eldest son was killed in the 1914 war, and Dadaji gets a land allotted by the Government. Dadaji with his determination and hard work develops that land. It starts a farm, a dairy, and a Sugar factory and takes care of the entire family. It is a big family comprising of his widowed daughter-in-law, her children, his two other sons, their wives, and children all stay together, under Dadaji’s strict observance of traditional values. No one dares to go against Dadaji’s wish and command. Iridu, his first son’s daughter has studied only up to primary and she is the darling of all, especially Dadaji’s.
The problems start, when his first son’s younger son Paresh, who is a police Inspector gets married to Bela, the only daughter of a rich man from Lahore. Bela is highly qualified and she wants 10 stays with her husband separately. She disagrees with all the simple, family-oriented female folk of the house, doesn’t like to do domestic work as she is not used to that kind of work. She finds fault with the servant Rajva, who has been working in that house for ages, nor does she like the old furniture which was there in her room. She keeps boasting about her parents, their house, and servants, which Indu and others do not appreciate much or care for.
When Dadaji comes to know of Bela’s feelings and other’s resentments, through his second son Karamchand, he is pained. He calls Paresh and talks to him to know the background. He then calls all the family members except Bela and advises them. According to him, Bela was new to their house and the environment there, and also not used to doing any household chores. She is educated, needs her space and needs time to read or be with her friends, etc.,
So, instead of bothering about her and her attitude, win her over with your love. Dadaji definitely is against one branch of tree separating from the big tree. The family members understand his valid points and follow his advice and orders. That changes Bela’s perception about the joint family and she finally goes to Dadaji and confesses. that how wrong she was and that she really wants to be part of that big family. So the tree will remain intact.
सूखी डाली Summary in Kannada