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Karnataka 2nd PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Gaurav गद्य Chapter 5 भारतरत्न विश्वेश्वरय्या
भारतरत्न विश्वेश्वरय्या Questions and Answers, Notes, Summary
I. एक शब्द था वाक्यांश या वाक्य में उत्तर: लिखिए:
प्रश्न 1.
विश्वेश्वरय्या का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
विश्वेश्वरय्या का पूरा नाम मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या।
प्रश्न 2.
विश्वेश्वरय्या का जन्म कहाँ हुआ?
उत्तर:
विश्वेश्वरय्या का जन्म मैसूर राज्य के कोलार जिले के मुधेनहल्ली मे हुआ।
प्रश्न 3.
विश्वेश्वरय्या किसके बडे पाबंद थे?
उत्तर:
विश्वेश्वरय्या समय के बड़े पाबंद थे।
प्रश्न 4.
विश्वेश्वरय्या किस उम्र में असिस्टेंट इंजिनियर के पद पर नियुक्त हुए?
उत्तर:
विश्वेश्वरय्या तेइस वर्ष में असिस्टेंट इंजीनियर पदपर नियुक्त हुए।
प्रश्न 5.
विश्वेश्वरय्या ने किस बांध के लिए आटोमैटिक गेटों का डिज़ाइन किया?
उत्तर:
कृष्णराजसागर के बाँध के लिए आटोमैटिक गेटों का डिज़ाइन किया।
प्रश्न 6.
नौकरी से निवृत्त होने के बाद विश्वेश्वरय्या किस राज्य के सलाहकार के रुप में नियुक्त हुए?
उत्तर:
नौकरी से निवृत्त होने के बाद राज्य के सलाहकार के रुप मे नियुक्त हुए।
प्रश्न 7.
किस नदी में भयंकर बाढ आती थी?
उत्तर:
मूसी नदी में भयंकर बाढ आती थी।
प्रश्न 8.
कावेरी नदी का बाँध किस नाम से मशहूर है?
उत्तर:
कावेरी नदी का बाँध कृष्णराज सागर बाँध के नाम से मशहूर है।
प्रश्न 9.
1955 में भारत सरकार ने विश्वेश्वरय्या को किस उपाधि से विभूषित किया?
उत्तर:
1955 में भारत सरकार ने भारतरत्न उपाधि से विभूषित किया।
प्रश्न 10.
विश्वेश्वरय्या की मृत्यु कब हुई?
उत्तर:
14 अप्रैल 1962 को विश्वेश्वरय्या की मृत्यु हुई।
प्रश्न 11.
विश्वेश्वरय्या का जन्मादिन किस नाम से मनाया जाता है।
उत्तर:
विश्वेश्वरय्या का जन्मदिन इंजिनियर्स डे. के नाम से पूरे देश में मनाया जाता है।
II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
प्रश्न 1.
विश्वेश्वरय्या के बाल्य जीवन के बारे में लिखिए।
उत्तर:
विश्वेश्वरय्या का जन्म मैसूर राज्य के कोलार जिले के मुधेनहल्ली इस छोटे से गाँव में 15 सितंबर 1861 को हुआ। उनका पूरा नाम था मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या था। विश्वेश्वरय्या के माता – पिता बहुत ही गरीब थे। उन्हे पढाने लिखाने की शाकति उनमे नही थी। फिर भी विश्वेश्वरय्या के मन मे पढ़ने की लगन थी। वे दिल लगाकर पढते थे।
प्रश्न 2.
विश्वेश्वरय्या की शिक्षा के बारे में लिखिए।
उत्तर:
विश्वेश्वरय्या के पढ़ने में बहुत रुचि थी लेकिन उनके गरीब माँ-बाप उन्हे पढा नही सकते थे। जैसे- तैसे गाँव में प्रारम्भिक शिक्षा समाप्त कर हायस्कुल की शिक्षा पाने वे बेंगलूर पहूँचे। बैंगलूर में खर्चा चलाना मुश्किल होने लगा तो रिश्तेदार के घर में रहकर टयूशन लेते वे सेंट्रल कॉलेज में भर्ती हुए। सेंट्रल काँलेज के अंग्रेज प्रिंसिपल ने प्रभावित होकर विश्वेश्वरय्या की सिफारिश मे पूना साइंस कॉलेज के प्रिन्सिपाल को पत्र लिखा जिस कारण उन्हे इंजीनियर कॉलेज में प्रवेश मिला। बादमे उन्हें छात्रवृत्ति भी मिली। इंजिनियरिंग में वे प्रथम आए।
प्रश्न 3.
विश्वेश्वरय्या की प्रसिद्धि तथा पदोन्नति देख कुछ इंजीनियर क्यों जलते थे?
उत्तर:
विश्वेश्वरय्या की प्रसिद्धि तथा पदोन्नति देखकर कुछ इंजीनियर उनसे ईर्ष्या करने लगे थे। इसके दो कारण थे – एक तो विश्वेश्वरय्या की उम्र उस वक्त केवल सैंतालीस की थी और दूसरी बात वे अनेक पुराने तथा सीनियर इंजीनियरों से वेतन तथा पद की दृष्टि से भी आगे बढ़ गये थे। वे सूपरिन्टेंडिंग इंजीनियर पहले ही से थे। हर बात में उनकी सलाह ली जाती थी। इसे देखकर अनेक इंजीनियरों में असंतोष और ईर्ष्या की भावना घर कर गई थी।
प्रश्न 4.
हैदराबाद नवाब के सामने कौन-सी मुसीबत थी? उसका समाधान विश्वेश्वरय्या ने कैसे किया?
उत्तर:
हैदराबाद नवाब के सामने यह मुसीबत थी कि वहाँ के मूसी नदी में भयंकर बाढ आती थी। जिससे बडी तबाही मच जाती। पूर हैदराबाद नगर में पानी घुस आता था। जिससे सारे काम काज बन्द हो जाते थे। विश्वेश्वरय्या मूसी नदी पर बाँध बनवाया, साथ ही हैदराबाद नगर के लिए पानी तथा नालियों का भी बड़ा अच्छा इन्तजाम किया। नगर के बीच बाग ए आम बनाकर हैदराबाद को सुंदर भी बनाया।
प्रश्न 5.
मैसूर राज्य के विकास मे विश्वेश्वरय्या के योगदान के बारे में लिखिए।
उत्तर:
मैसूर राज्य के विकास के लिए विश्वेश्वरय्या के तीन प्रमुख कार्य है कावेरी पर बाँध जो कृष्णराज सागर नाम से मशहूर है। इस बाँध के निर्माण से उद्योगों के लिए बिजली मिली। पानी सिंचाई के लिए सुविधा हुई। दूर- दूर से लोह बाँध देखने आने लगे।
वृंदावन उद्यान का निर्माण करने के कारण मैसूर जैसे इन्द्रपुरी बन गहा। शासन व्यवस्था में भी कई सुधार किए। पंचायतो की व्यवस्था की। गाँव और शहरों में जनता के द्वारा प्रतिनिधि चुने गए। एक बैंक भी खोला। मैसूर राज्य में एक अलग विश्वविद्यालय भी खोला।
प्रश्न 6.
विश्वेश्वरय्या के गुण-स्वभाव का परिचय दीजिए।
उत्तर:
विश्वेश्वरय्या का चारित्र आदर्श पूर्ण था। वे विनयशील तथा साधु प्रकृति के पुरुष थे। ईमानदारी तो उनके चरित्र की अटूट अंग थी असाधारण प्रतिभा रखते हुए भी उन्होने कभी गर्व का अनुभव नही किया समय के वे बड़े पाबंद थे। जिन्दगी भर उन्होने अथक परिश्रम किए। कई बार कई बाधाओं का सामना कर उन्होने अपनी योजना ओंको साकार बनाया।
III. कोष्टक में दिए गए कारक चिन्हों से रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए। (का, के, को, में)
- बैंगलोर में खर्च चलाना मुश्किल था।
- विश्वेश्वरय्या समय के बड़े पाबंद थे।
- सिंधं का बहुत बड़ा भाग रेगिस्तान है।
- पानी को इकठ्ठा करना था।
III. अन्य लिगं रुप लिखिए।
- सदस्य – सदस्या
- महाराजा – महारानी
- पिता – माता
- पुरुष – स्त्री
- छात्र – छात्रा
IV. अन्य वचन रुप लिखिए:
- नाली – नालियाँ
- सेवा – सेवाएँ
- माता – माताएँ
- व्यवस्था – व्यवस्थाएँ
- योजना – योजनाएँ
- कारखाना – कारखाने
V. विलोम शब्द लिखिए:
- असाधारण – साधारण
- दीर्घायु. – अल्पायु
- अच्छा – बुरा
- विश्वास – अविश्वास
- साकार – विकार
VI. निम्नलिखित अनुच्छेद पढकर उसपर आधारित प्रश्नों के उत्तर: लिखिए।
प्रश्न 1.
विश्वेश्वरय्या किस राज्य के निवासी थे?
उत्तर:
विश्वेश्वरय्या मैसूर राज्य के निवासी थे।
प्रश्न 2.
विश्वेश्वरय्या ने मैसूर राज्य के चीफ़ इंजीनियर के पद पर कितने वर्षों तक कार्य किया?
उत्तर:
विश्वेश्वरय्या मैसूर राज्य के चीफ़ इंजीनियर के पद पर तीन वर्ष तक कार्य किया। .
प्रश्न 3.
महाराज विश्वेश्वरय्या के किन गुणों पर मुग्ध हुए?
उत्तर:
विश्वेश्वरय्या की कार्यकुशलता एवं शासन पटुता पर महाराज मुग्ध हुए।
प्रश्न 4.
महाराज ने विश्वेश्वरय्या को किस पद पर नियुक्त किया?
उत्तर:
महाराजा ने विश्वेश्वरय्या को दीवन के पद पर नियुक्त किया।
प्रश्न 5.
विश्वेश्वरय्या ने अपनी योजनाओं के द्वारा किस राज्य का नक्शा ही बदल डाला?
उत्तर:
विश्वेश्वरय्या ने नौ सालों में अपनी योजनाओं के द्वारा मैसूर राज्य का नक्शा ही बदल डाला।
भारतरत्न विश्वेश्वरय्या Summary in English
Vishweshwarayya was born in Muddenahalli, Kolar district in Mysore State, (Now Karnataka) on 15th September 1861. His full name was Mokshagundam Vishweshwarayya. He was from a poor family, where giving a good education was not easy. But he was interested in studies. After completing his primary education, he lived in his relative’s house in Bangalore for further studies.
He gave tuitions while studying in Central College. The Principal recommended him to Engineering College and later he got into the Engineering College at Pune. At the age of 23, he started his work as an Assistant Engineer where he started the supply of water by taps to houses, and every household was benefitted by that.
In 1892, when he was 31 years old, he solved the water problem of Shakkar City in the desert area of the Sindh region which is now in Pakistan. This project made him world-famous. In 1904, he attended the Shimla Irrigation Conference. He then built the Khadakwasla bridge, which had electric automatic gates installed. In 1906, he was called to Aden.
He was promoted and his advices were taken seriously and he was only 45. Other engineers were jealous of him. Sensing that, he resigned from his job. Even though it was against the rules, he was paid a pension because of his contributions and efficiency. After his retirement, the wealthy Nizam of Hyderabad requested him to look into the problems of Musa River.
The people of Hyderabad suffered a lot by the frequent floods. M.V. not only solved that problem by building a bridge, but he made the city beautiful by commissioning the Baag e-Aam garden.
Then, the King of Mysore, Krishna Raja Wodeyar who was an excellent Ruler and a kind-hearted King, invited him to Mysore and made him the Dewan of Mysore. Vishweshwarayya made many useful contributions to Mysore as Dewan. He opened many factories, the Shivansamudram water project, the Electrical factory, and the Mysore University.
His most prominent achievement was the Krishnaraja Sagar Dam and Brindavan Gardens at Mysore, which have made him famous. Due to his efforts, today in Mysore we see Sandal oil factory, cement, paper, and steel factories. In Bhadravathi, he started the Iron ore factory. Here also people became jealous of him and he resigned in 1917 to go abroad. Tatas offered him a post as a Director. He became a member of the Delhi Committee.
In 1955 he was honoured with the Bharat Ratna award when he was 94 years old. In 1961, on the 15th of September, the whole of India celebrated his 100th birthday. On the 14th of April 1962, he passed away in Bangalore.
Bharat Ratna Vishweshwarayya was a great human being with high morals. He was a hard worker, and a real ‘Karma Yogi’, who never wasted a single moment of his life. With his extraordinary knowledge, he could achieve many things but he was never proud of himself. He had a dream for a prosperous and well developed India and made his dreams come true. India is truly proud of this son.
भारतरत्न विश्वेश्वरय्या Summary in Kannada