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Karnataka 2nd PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Gaurav पद्य Chapter 6 गहने
गहने Questions and Answers, Notes, Summary
कविता के हर पद का भावार्थः
प्रश्न 1.
सोने के गहने क्योंकर, माँ?
तकलीफ देते है नहीं चाहिए,
माँ! रंगीन कपडे क्यों कर, माँ?
मिट्टी में खेलने नहीं देते, माँ!
उत्तरः
यह माँ और बेटी के बिच का संवाद है। माँ अपनी बेटी को गहने पहनाना चाहती है ताकि वह सुंदर दिखे लेकिन बेटी उसे मना करते कहती है कि सोने के गहने क्यों पहनना माँ? सोना तो इतना महाँगा होता है, पहनने से यहाँ वहाँ चूमता भी है और उसे संभालना भी पडता है, फिर हम क्यों पहने? रंगीन सुंदर कपडे भी क्यों पहनना माँ, उसके कारण मिट्टी में भी नही खेल सकते क्यों कि – वह गंदे हो जाएंगे, फिर ऐसे कपड़े पहने ही क्यों?
प्रश्न 2.
ताकि दिखाई दो सुंदर, बहुत ही सुंदर-यो कहती हो
सुंदर, लगे किसका, कहो माँ?
देखने वालों को लगता है सुंदर, देता है आनंद ;
मगर मुझे बनता है बड़ा बनना!
उत्तर:
बेटी माँ से पूछ रही है कि यह रंगीन कपडे, यह सोने-चाँदी के गहने सुंदर दिखने के लिए पहनाती हो? क्या यह सब पहनकर ही मैं सुंदर दिसूंगी? लेकिन यह सुंदर दिखना क्यो? दूसरो के लिए मुझे सुंदर दिखना है? मैं सुंदर दिखू यह तुम्हारे लिए खुशी की बात है, मेरे लिए भी लेकिन यह हर काम में रुकावट से लगते है। मैं मुक्त, आजाद रूप से रह नही सकती। क्या यह जरूरी है कि मैं, यह सारा पहनकर सुंदर दिखाई हूँ? वह भी दूसरों के आँखो के लिए। नही माँ, नही चाहिए यह बंधन मुझे।
प्रश्न 3.
मेरा यह बचपन तुम्हारा मातृत्व ये ही गहने है मेरे लिए माँ, मैं तुम्हारा गहना, तुम मेरा गहना, फिर अन्य गहने क्यों चाहिए, माँ?
उत्तरः
माँ और बेटी के बिच, का यह संवाद है। बेटी माँ से कह रही है कि मुझे पाकर तुम माँ बन गइ हो तुम्हारा यह मातृत्व ही तुम्हारे लिए एक गहना है ना? माँ का वात्सल्य, प्रेम तुम्हारे चेहरे पर झलकता है। मैं अपने मुग्ध बचपन में निरागस, निष्पाप, सी, ऐसे ही सुंदर हूँ। जब में तुम्हारा गहना हूँ और तुम मेरा गहना हो तो और गहने पहन कर अपने को और सुंदर बनाने की क्या जरुरत है माँ? हम तो ऐसे ही सुंदर है जैसे भगवान ने हमे बनाया है। हमे गहनों की क्या जरूरत है माँ?
I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
प्रश्न 1.
बेटी सोने के गहने क्यों नहीं चाहती?
उत्तर:
बेटी सोने के गहने पहनना नही चाहती क्योंकि वे उसे तकलीफ देते है।
प्रश्न 2.
बेटी रंगीन कपड़े पहनने से क्यों इनकार करती है?
उत्तरः
रंगीन कपडे पहन कर वह मिट्टी में खेल नही सकती।
प्रश्न 3.
माँ रंगीन कपडे और गहने पहनने के लिए क्यों आग्रह करती है?
उत्तर:
माँ बेटी को रंगीन कपडे और गहने पहनने के लिए आग्रह करती है क्योंकि वह सुंदर दिखे।
प्रश्न 4.
बेटी को क्यों सुंदर दिखना है?
उत्तर:
देखनेवालों को वह सुंदर दिखे इसलिए उसे सुंदर दिखना है।
प्रश्न 5.
बेटी सजने-घजने से क्या महसूस करती है?
उत्तर:
बेटी को सजना-घजना बंधन सा महसूस करती है।
प्रश्न 6.
बेटी किन्हे गहने मानती है?
उत्तर:
बेटी अपनी सादगी और अपनी प्राकृतिक सुंदरता अपने बचपन को गहने मानती है।
प्रश्न 7.
माँ और बेटी एक दूसरे के लिए क्या बनते है?
उत्तर:
माँ का मातृत्व और बेटी का बचपन एक दूसरे के गहने है।
II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
प्रश्न 1.
बेटी रंगीन कपड़े और गहने क्यों नहीं चाहती?
उत्तरः
बेटी रंगीन कपड़ों को ठुकराते हुए अपनी माँ से कहती है कि वे कपड़े उसे मिट्टी में खेलने नहीं देते। वे खेलने के आनंद से वंचित रह जाती है। ये कपड़े दूसरों के लिए भले ही सुंदर दिखाई दें पर मेरे लिए नहीं। सोने के गहने मुझे तकलीफ़ देते हैं। इस तरह ये मुझे बंधन के समान लगते हैं।
प्रश्न 2.
गहने कविता के द्वारा कवि ने क्या आशय व्यक्त किया है?
उत्तर:
कुवेंपु जी ने ‘गहने’ कविता के द्वारा सरल जीवन का सन्देश दिया है। गहने और सम्पत्ति से ज्यादा रिश्ते-नात महत्वपूर्ण हैं। यह कविता माँ-बेटी के संवाद के रूप में है। माँ बेटी को रंगीन कपड़े पहनाना चाहती है, गहने पहनाना चाहती है ताकि उसकी बेटी बहुत सुंदर दिखे। मगर बेटी यह कहकर गहनों को ठुकरा देती है कि वे तकलीफ़ देते हैं। रंगीन कपड़ों को मना करती है क्योंकि वे मिट्टी में खेलने नहीं देते। इन्हें पहनने से देखनेवालों को आनंद होता है लेकिन वह बड़ा बन्धन महसूस करती है। फिर बेटी कहती है – मेरा यह बचपन, तुम्हारा मातृत्व ही मेरे लिए गहने हैं। अन्य गहने क्यों चाहिए?
प्रश्न 3.
ससंदर्भ व्याख्या कीजिए-
ताकि दिखाई दो सुंदर, बहुत ही सुंदर – यों कहती हो
सुंदर लगे किसको, कहो माँ?
देखने वालों को लगता है सुंदर देता है आनंद।
मगर मुझे बनता है बड़ा बंधन!
उत्तर:
गहने कविता के द्वारा कवि यह कहना चाहते है कि नैसर्गिक सुंदरता ही असली सुंदरता होती है।
सुंदर दिखने के लिए सोने चांदीके गहने पहनना जरूरी नही होता। सोने-चांदीके गहने बहुत मँहगे होते है। माँ-बाप अपनी सारी मेहनत की कमाई गहने खरिदने में खर्च करते है। कुछ बच्चों को गहने पसंद नहीं आते, नाहि रंगबिरंगे, मँहगे कपडे पहनना। फिर वे मिट्टी में आदि खेल नही सकते। मातृत्व को पाकर एक औरत के चेहरे पर संतुष्टी का भाव आता है, वही उसकी सुंदरता होती है। वैसे ही बच्चेका निष्पाप रुप भी उतना ही सुंदर होता है। उन्हे गहनों की क्या जरूरत? माँ का गहना उसकी बच्ची है और बच्ची का गहना उसकी माँ है। दूसरों को दिखाने के लिए, सुंदर दिखने के लिए हम क्यों गहने पहने?
गहने Summary in English
This Poem is by the great National poet Kuvempu, titled ‘Odevegalu’. The Kannada original is translated to Hindi by Mrs. M.Vimala.
It is in the form of a conversation between a mother and her daughter. The mother is telling her daughter to wear some golden ornaments to look good, but the daughter refuses to do so.
Daughter asks “Why do we have to wear gold jewelry Ma? I don’t feel comfortable wearing them. And why do we have to wear new, colorful clothes Ma? Wearing them, I cannot even play freely in the mud. Why do you think Ma that I should wear jewelry and wear good clothes? To look good? But why? Why should I look beautiful for others? Why should I think that people will be happy looking at me? But for me Ma, it is like bondage, I don’t like to wear them”.
She further adds“Ma, This, my childhood and your motherhood aren’t they more beautiful? We complement each other very well. My innocence and your contentment show on our faces, then. why do we have to wear golden ornaments or nice clothes to look beautiful? We are each other’s ornaments. Tell me Ma-Why should I wear those golden ornaments?”