2nd PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Gaurav पद्य Chapter 1 रैदासबानी

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Karnataka 2nd PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Gaurav पद्य Chapter 1 रैदासबानी

रैदासबानी Questions and Answers, Notes, Summary

2nd PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Gaurav पद्य Chapter 1 रैदासबानी

भावार्थ :
प्रस्तुत पदों में संत रैदास ने भगवान के प्रति अपना दास्यभाव प्रकट किया है। राम के प्रति वे पूर्णरूप से समर्पित है। रैदास इन पदो में स्वयं को पानी, पाती, धागा, दास संबोधित कर भगवान को चंदन, दीपक, मोती और स्वामी के रूप में स्वीकार कर रहे है।

1) अब कैसे छूटै राम रट लगी।
प्रभु जी तुम चंदन हम पानी,
जाकी अग-अंग बास समानी।
प्रभु जी तुम धन बन हम मोरा।
जैसे चितवत चंद चकोरा।
प्रभु जी तुम दीपक, हम बाती,
जाकी. जोति बरै दिन राती।
प्रभु जी तुम स्वामी हम दासा।
ऐसी भगति करै रैदासा।।

रैदास अपने आपको राम के प्रति समर्पित कर कह रहे है कि प्रभु तुम और मैं अलग कैसे है? हम तो एक दूसरे में समा गए है। जहाँ आप हो वहाँ मैं हूँ। हम तो एक दूसरे में समा गए है। जहाँ आप हो वहाँ मैं हूँ। रामनामकी रट से अब मैं कैसे छुटकारा पाऊँ? हे प्रभु तुम चंदन की तरह हो और मैं पानी। मेरे अंग-अंग में तुम्हारी खुशबु समा गई है। हम दोनों अलग कैसे हो सकते है?

प्रभुजी तुम धने जंगल हो और मैं जंगल का मोर हूँ। जंगल को छोड मोर कहाँ जा सकता है? जैसे चकोर पंछी को चाँद लुभाता है वैसे ही तुम मुझे लुभाते हो।

हे प्रभु तुम दीपक और मैं बाती हूँ जो दिन-रात जलती रहती है। और तू प्रकाश देता रहता है। है प्रभु, तुम मेरे स्वामी हो और मैं तुम्हारा दास हूँ रैदास तुमसें इसतरह जुड़ा हुआ है। रैदास तुम्हारा ऐसा भक्त है।

2nd PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Gaurav पद्य Chapter 1 रैदासबानी

2. रैदास श्रम करि खाइहि
जो लौ पार बसाय।
नेक कमाई जड करइ कबहुँ
न निहफल जाय।।2।।
यहाँ परिश्रम का महत्व बताते हुए रैदास कह रहे है सब को परिश्रम कर जीवन यापन करना चाहिए। ना ही कोई आलसी हो न कोई कामचोर। इस जिंदगी से वही पार होगा जिसने श्रम का, मेहनत का महत्व जान लिया हो। परिश्रम में धोखा न हो इसलिए आगे वे कहते है कि नेकी से जो कमाई करोगे तो कुछ भी निष्फल न होगा। इमानदारी बडी चीज है, जीवन में सफलता उसीसे मिलेगी।

3. ऐसा चाहो राज में,
जहाँ मिले सबन को अभ
छोटा-बड़ो सभ सम बसै
रैदास रहे प्रसन्न

रैदास इन पक्तियों में एक राज्य के बारे में कह रहे है कि मुझे ऐसे राज्य में रहना है, जहाँ कोई भूखा न रहता हो सबको खाने के लिए अन्न मिलता हो। जहाँ अमीर-गरीब, उँच-नीच का कोई भेदभाव न हो/सब को जहाँ समान रूप से सम्मान मिलता हो। छोटे-बड़े का भेदभाव न हो।

I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर: लिखिए:

प्रश्न 1.
रैदास किसकी रट लगाए हुए है?
उत्तर:
रैदास राम नाम की रट लगाए हुए है।

प्रश्न 2.
अंग-अंग में किसकी सुगंध, समा गई है?
उत्तर:
अंग-अंग में चंदन की सुगंध, समा गई है।

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प्रश्न 3.
चकोर पक्षी किसे देखता रहता है?
उत्तर:
चकोर पक्षी चाँद देखता रहता है।

प्रश्न 4.
रैदास अपने-आपको किसका सेवक मानते है?
उत्तर:
रैदास अपने-आपको राम याने अपने स्वामी के सेवक मानते है।

प्रश्न 5.
रैदास किस प्रकार जीवन का निर्वाह करने के लिए कहते है?
उत्तर:
रैदास श्रम कर जीवन का निर्वाह करने के लिए कहते है।

प्रश्न 6.
रैदास के अनुसार कभी क्या निष्फल नही जाता?
उत्तर:
रैदास के अनुसार नेकी से कमाया धन कभी निष्फल नही जाता।

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प्रश्न 7.
रैदास किस राज्य की कामना करते है?
उत्तर:
रैदास ऐसे राज्य की कामना करते है जहाँ सबको खाना मिलता हो और जहाँ बडे-छोटे का भेदभाव न हो।

II. निम्न लिखित प्रश्नों के उत्तर: लिखिए।

प्रश्न 1.
रैदास ने भगवान और भक्त के संबंध को कैसे वर्णित किया है?
उत्तर:
पहले पद का भावार्थ।

प्रश्न 2.
परिश्रम के महत्व के प्रति रैदास के क्या विचार है?
उत्तर:
दूसरे पद का भावार्थ।

प्रश्न 3.
रैदास ने किस प्रकार के राज्य का वर्णन किया है?
उत्तर:
तीसरे पद का भावार्थ।

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III. ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए।

अब कैसे छूटै राम रट लागी।
प्रभु जी तुम चंदन हम पानी
जाकी अंग-अंग बास समानी।
उत्तर:
प्रस्तुत पक्तियाँ रैदास के लिखे रैदासबानी से ली गई है। रैदास अपने आपको राम के प्रति समर्पित कर कह रहे है कि प्रभु तुम और मैं अलग कैसे है? हम तो एक दूसरे में समा गए है। जहाँ आप हो वहाँ मैं हूँ। हम तो एक दूसरे में समा गए है। जहाँ आप हो वहाँ मैं हूँ। रामनामकी रट से अब मैं कैसे छुटकारा पाऊँ? हे प्रभु तुम चंदन की तरह हो और मैं पानी। मेरे अंग-अंग में तुम्हारी खुशबु समा गई है। हम दोनों अलग कैसे हो सकते है?

रैदासबानी Summary in English

Now God, how do you think that I will live without you, we both are one; we belong to each other. Oh God! you are the sandalwood and I am the water. Like the fragrance of sandal emanating when mixed with water, so are we.

Oh God! You are like a dense forest and I am a peacock. So, wherever you there. Oh, God! Like how the bird Chakar gets attracted to the moon, I am attracted to you. God! You are the light and I am the wick of that lamp, which burns day and night. God, you are the pearl and I am that thread, which holds it. It was created such good togetherness. God, you are the boss (swami) and I am your servant. Bhakta Raidas’s devotion is like that.

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Raidas says that you do the hard work for your livelihood, only then, you will get the fulfillment. Hard work will never go as waste. Earn your livelihood by your own efforts. I want to live in such a Kingdom where everyone gets enough food to eat. Where everyone is. treated equally. Raidas will be happy to stay at such a place.

रैदासबानी Summary in Kannada

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