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Karnataka 2nd PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Gaurav पद्य Chapter 7 कायर मत बन
कायर मत बन Questions and Answers, Notes, Summary
ले-देकर जीना क्या जीना? कब तक गम के आँसू पीना? मानवता ने सींचा तुझको बहा युगों तक खून-पसीना कुछ न करोगार किया करेगा…. रे मनुष्य-बस कातर क्रंदन? कवि इसमें मनुष्य को अपनी हिम्मत अपनी ताकत’ पर भरोसा कर, किसी भी परिस्थिति में दुनिया से टक्कर लेने को कह रहे है। परिस्थिति के सामने न झुकने, आह्वान उसे कवि यहाँ दे रहे है।
दुनिया में जीते हुए हमप र कई कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, उन बाधाओं का नाश कर, बाधाओं के सामने घुटने न टेक इसलिए कवि कह रहे है कुछ भी बन बस कायर मत बना। हार मानकर जीना भी कोई जीना होता है। क्यों गम के आँसू बहाना, जब तक तुम्हारे अंदर मानवता है, मानवता की रक्षा के लिए कितने लोगों का खून-पसीना बहा है। तो तुम क्या कुछ भी नही करोगे? बस मजबूर होकर रोते ही रहोगे? नही, ‘तू कुछ भी बन, बस कायर मत बना। कायरता वीरों को शोभा नही देता तुम हिम्मत से काम लेना यही संदेश कवि ने दिया है।
2. युद्ध दोहि कहे जब पामर
दे न दुहाई पीठ फेर कर
या तो जीत प्रीतिके बल पर
या तेरा पद चूमे तस्कर।
प्रतिहिंसा भी दुर्बलता है
पर कायरता अधिक अपावन
कुछ भी बन बस कायर मत बना।
कुछ भी बन बस कायर मत बन कवि कह रहे है अगर कोई दृष्ट, क्रूर मनुष्य तुमसे टक्कर लेने खडा हो जाए तो उसकी ताकत से डरकर तू पीछे मत हट। पीठ दिखाकर भाग न खडा हो। बुद्ध – मदर तेरेसा जैसे कई महापूरुष/स्त्रियाँ होकर गई है जिन्होने अपने प्यार और सेवाभाव से दृष्टों को भी जीत लिया है। क्योंकि हिंसा का जवाब प्रतिहिंसा से देना भी दुर्बलता है लेकिन फिर भी कायरता तो उससे भी अपवित्र है। इसलिए कुछ भी बन लेकिन कायर मत बन।
3. तेरी रक्षा का न मोल है
पर तेरा मानव अमोल है,
यह मिटता है वह बनता है,
यही सत्य की सही तोल है,
अर्पण कर सर्वस्व मनुज को,
कर न दृष्ट को आत्मसमर्पण
कुछ भी बन बस कायर मत बना
कुछ भी बन बस कायर मत बन कवि कह रहे है मानवता की रक्षा करना तुम्हारा पहला कर्तव्य है, खुद की रक्षा से भी बढकर है। किसी के मिट जाने से भी मानवता बच जाए, उसकी रक्षा हो जाए। तभी सत्य की जीत होती। अपन निजी स्वार्थ के लिए हम मनुष्यता का नाश न करे, उसे नुकसान न पहुँचाए। मनुष्य-जाति के लिए, जन-जाति के भालाई के लिए भले ही तू अपने आपको मिटा दे। अच्छाई के लिए आत्मसमर्पण कर दे लेकिन दृष्टों के सामने सिर न झुका, उनकी जीत न होने पाए। कुछ भी कर पर कायर मत बन।
I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर दीजिए।
प्रश्न 1.
कवि नरेन्द्र शर्मा क्या न बनने का संदेश देते है?
उत्तर:
कवि नरेन्द्र शर्मा कायर न बनने का संदेश देते है।
प्रश्न 2.
कौन राह रोकता है?
उत्तरः
रास्ते के पत्थर हमारे राह रोकते है।
प्रश्न 3.
कवि नरेन्द्र शर्मा के अनुसार मनुष्य को किसने सींचा है?
उत्तर:
कवि नरेन्द्र शर्मा के अनुसार मनुष्य को मानवता ने सींचा है।
प्रश्न 4.
कवि नरेन्द्र शर्मा मनुष्य को किसके बल पर जीतने को कहते है?
उत्तरः
कवि नरेन्द्र अपने प्रीति/प्रेमके बल पर जीतने को कहते है।
प्रश्न 5.
कवि नरेन्द्र के अनुसार प्रतिहिंसा क्या है?
उत्तरः
कवि नरेन्द्र के अनुसार प्रतिहिंसा दुर्बलता है।
प्रश्न 6.
कवि नरेन्द्र शर्मा ने किसे अधिक अपावन कहा है?
उत्तर:
कवि नरेन्द्र शर्मा ने कायरता को अधिक अपावन कहा है।
प्रश्न 7.
कवि नरेन्द्र शर्मा किसके सामने आत्मसमर्पण न करने के लिए कहते है?
उत्तरः
कवि नरेन्द्र शर्मा दुष्टो के सामने आत्मसमर्पण न करने के कहते है।
II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
प्रश्न 1.
‘कायर मत बन’ कविता के द्वारा कवि हमें क्या संदेश देते है?
उत्तर:
‘कायर मत बन’ कविता में कवि नरेन्द्र शर्मा हमें संदेश देते हैं कि कुछ भी बन, बस कायर मत बन। मानवता को कभी मत छोड़ना। मूर्ख वैरी जब ललकारता है तो उसे पीठ मत दिखाना, उसके सामने कभी घुटने मत टेकना। प्यार से समझाने का प्रयत्न करो, जब न सुने तो उसे सबक सिखा दो। कायरता प्रतिहिंसा से भी अधिक अपावन है। दुष्ट के सामने आत्मसमर्पण नहीं करना चाहिए। मानवता को ज्यादा महत्व देते हुए कायरता को छोड़कर, धैर्य और साहस से जिन्दगी में आगे बढ़ना चाहिए।
प्रश्न 2.
कवि नरेन्द्रशर्मा ने प्रतिहिंसा और कायरता के संबंध में क्या कहा है?
उत्तर:
कुछ भी बन बस कायर मत बन कवि कह रहे है अगर कोई दृष्ट, क्रूर मनुष्य तुमसे टक्कर लेने खडा हो जाए तो उसकी ताकत से डरकर तू पीछे मत हट। पीठ दिखाकर भाग न खडा हो। बुद्ध – मदर तेरेसा जैसे कई महापूरुष/स्त्रियाँ होकर गई है जिन्होने अपने प्यार और सेवाभाव से दृष्टों को भी जीत लिया है। क्योंकि हिंसा का जवाब प्रतिहिंसा से देना भी दुर्बलता है लेकिन फिर भी कायरता तो उससे भी अपवित्र है। इसलिए कुछ भी बन लेकिन कायर मत बन।
प्रश्न 3.
मानवता के प्रति कवि नरेन्द्र शर्मा के विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर:
कुछ भी बन बस कायर मत बन कवि कह रहे है मानवता की रक्षा करना तुम्हारा पहला कर्तव्य है, खुद की रक्षा से भी बढकर है। किसी के मिट जाने से भी मानवता बच जाए, उसकी रक्षा हो जाए। तभी सत्य की जीत होती। अपन निजी स्वार्थ के लिए हम मनुष्यता का नाश न करे, उसे नुकसान न पहुँचाए। मनुष्य-जाति के लिए, जन-जाति के भालाई के लिए भले ही तू अपने आपको मिटा दे। अच्छाई के लिए आत्मसमर्पण कर दे लेकिन दृष्टों के सामने सिर न झुका, उनकी जीत न होने पाए। कुछ भी कर पर कायर मत बन।
कायर मत बन English Summary in English
Sri Narendra Sharma is the poet of this poem, telling a man that one should be brave under all circumstances. One should have faith and belief in one’s own strength and courage. In life, we come across many difficult situations and problems. One should not be scared of these hurdles, must face them bravely and try to remove those obstacles which are blocking the way.
Be anything but never be a coward. Why do you have to cry in helplessness? What is the purpose of life if you feel defeated and give up easily. Humanity is more important. To save that, you have to do something. You cannot just sit and mope. Be brave, face the world. Do something but never be a coward.
If some bad elements try to stop you or if someone tries to discourage you, don’t be disheartened. Saving mankind and serving humanity are things which are more precious than one’s life and one day or the other, the truth will win. Sacrifice your life for the good of others and don’t bow down in front of cruelty. Don’t show your back and run away from obstacles.
Be anything in life, do anything you want, but never be a coward. Don’t ever deviate from the right path. Win over your enemies with your love and acceptance, as killing for the sake of killing is also not good. Be anything but never be a coward. Cowardliness is worst than anything.
कायर मत बन English Summary in Kannada