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Karnataka 2nd PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Gaurav पद्य Chapter 8 एक वृक्ष की हत्या
एक वृक्ष की हत्या Questions and Answers, Notes, Summary
भावार्थः
1. अब की घर लौटा तो देखा वह नही था
वही बूढ़ा चौकीदार वृक्ष
जो हमेशा मिलता था घर के दरवाजे पर तैनात
पुराने चमडे का बना उसका शरीर वही सख्त जान
झुर्रियोंदार खुरदरा तना मैला कुचैला,
राइफल सी एक सूखी डाल,
एक पगडी फूल पत्तीदार
पॉवों में फटा पुराना जूता
चरमराता लेकिन अक्कड़ बल बूता।
उत्तरः
इसमें कवि कुँवर नारायण ने वृक्ष के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त की है। बचपन से जिस वृक्ष को देखते थे, उसके न दिखने से वह दुःखी हो जाते है। यहाँ वह कह रहे है जब इस बार मैं घर लौटा तो चौकीदार के तरह घरके दरवाजे पर वह वृक्ष नही था उसकी याद में खोकर वे कहते है उसका शरीर कितना सख्त था, पुराना होने के कारण वह बहुत झुर्रियोदार और खुरदरा था। उस पर घूल जम गई थी- जिसके कारण वह मैला-कुचैला सा था, एक सूखी डाल राइफल सी तनी खडी तो ऊपर के तरफ फूल और पत्तो जैसे किसी ने पगडी पहनी हो। उसकी जड़ इतनी कठोर और सख्त थी जैसे पुराना जूता, फटापूराना चरमराता सा लेकिन फिर भी टिकाऊ सा।
2. धूप में. बारिश में,
गर्मी में, सर्दी में,
हमेशा चौकन्ना
अपनी खाकी वर्दी में
दूर से ही ललकारता कौन?
मैं जवाब देता ‘दोस्त’।
और पल भर को बैठ जाता उसकी ठंडी छाँव में।
उत्तरः
जहाँ तक कवि के याद है बचपन से वे उस पेड को वैसे ही खडा पाते है। घूप हो, बारिश हो, गर्मी हो या सर्दी। खाकी वर्दी पहने चौकने से चौकीदार की तरह वह खडा दिखता। कवि उसे अपने दोस्त की तरह मानते है। कविने उसके साथ एक रिश्ता सा बना लिया था। जैसे वह दोस्त उससे बाते करता, पूछता कौन और कवि कहते तुम्हारा दोस्त। पलभर के लिए उस पेड की छाया में वह बैठ जाता और ऐसे सकून को महसूस करता जैसे वह अपने दोस्त के पास बैठा हो।
3. दरअसल शुरु से ही था हमारे अंदेशोमें
कहीं एक जानी दुश्मन
कि घर को बचाना है लुटेरों से
शहर को बचाना है लुटेरों से
देश को बचाना है, देश के दुश्मनोंसे।
बचाना है-
नदियों को नाला हो जाने से
हवा को धुंआ हो जाने से
खाने को जहर हो जाने से
बचाना है – जंगल को, मरुथल हो जाने से बचाना है – मनुष्य को, जंगल हो जाने से।
उत्तरः
पेड के कट जाने से कवि संवेदनशील हो गए है, उसकी याद में वह भावनाशील हो गए हैं। वह कह रहे है शुरु से ही मुझे डर था कि कोई दुश्मन इस पेड़ को काट न दे। अब सवाल एक पेड का नहीं, ऐसे कई पेड, कई जगह पर कटे जा रहे है। अपने स्वार्थ के लिए, कभी जगह के लिए तो कहीं लकडी का फर्निचर घर बनाने लोग पेड़ों को काट रहे है। इन लूटेरों में अब हमे बचाना है। इन आतंक फैलाने वालों से, अपने शहर को बचाना है। अपने देश को इन गद्यारोंसे बचाना है क्योंकि वे अपने देश या यहाँ के लोगों के बारे में नही सोच रहे है। आज वे इन पेडों को काट रहे है कल ये लूटेरे सारे देश को लूटेंगे नही तो एक दिन ये नदियाँ नाले जैसे बन जाएँगे, हवा घुआ हो। जाएगा, धुओ से भर जाएगा, तो साँस लेना भी मुश्किल हो जाएगा। पेड नही रहेंगे, बारिश न होगी, हवा गंदी हो, जाएगी तो खाना भी जहर हो जाएगा, जंगल कट जाँएगे और मरुस्थल बन जाएगा। इसके पहले कि यह हाल बनाएँगे हमे बचाना है इस देश को नही तो एकदिन यहाँ सिर्फ मनुष्यों का जंगल बन जाएगा और सभी मनुष्य जानवर जैसे व्यवहार करने लगेगे।
I. एक शब्द या वाक्यांश में उत्तर दीजिए।
प्रश्न 1.
कवि ने बूढा चौकीदार किसे कहा है?
उत्तर:
कवि ने बूढा चौकीदार वृक्ष को कहा है।
प्रश्न 2.
वृक्ष का शरीर किससे बना है? .
उत्तरः
वृक्ष का शरीर पुराने चमड़े का सख्त बना है।
प्रश्न 3.
सूखी डाल कैसी है?
उत्तरः
सूखी डाल राइफिल सी है।
प्रश्न 4.
वृक्ष की पगड़ी कैसी है?
उत्तरः
वृक्ष की पगड़ी फूल-पत्तीदार है।
प्रश्न 5.
देश को किससे बचाना है?
उत्तरः
देश को दुश्मनों से बचाना है।
प्रश्न 6.
राणा की हुंकार कहाँ सुनी जा सकती है?
उत्तरः
राणा की हुंकार राजस्थान में सुनी जा सकती है।
प्रश्न 7.
जंगल को क्या हो जाने से बचाना है?
उत्तरः
जंगल को मरुस्थल बनाने से बचाना है।
II. निम्न लिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
प्रश्न 1.
वृक्ष न दिखने पर कवि उसकी यादों में कैसे खो गये।
उत्तरः
कवि कुँवर नारायण जी अबकी बार घर लौटे तो देखा कि वह बूढ़ा चौकीदार वृक्ष घर के दरवाजे पर नहीं है। वे बहुत उदास हो जाते हैं, उसकी यादों में खो जाते हैं। उसका शरीर पुराने चमड़े का बना था। वह बहुत ही मजबूत था। झुर्रियोंदार खुरदरा उसका तन मैला कुचैला था। उसकी एक सूखी डाली राइफिल सी थीं। फूल-पत्तीदार पगड़ी धारण किया वह वृक्ष बहुत ही सालों से स्थिर मजबूत ढंग से खड़ा था। धूप में, बारिश में, गर्मी में, सर्दी में अर्थात् सभी मौसमों में हमेशा चौकन्ना होकर घर की रखवाली करता था। कवि और उसके बीच एक प्रकार से दोस्ती हो गयी थी। उसकी ठंडी छाया में कुछ पल बैठकर ही कवि घर के अंदर प्रवेश करते थे।
प्रश्न 2.
वृक्ष की महत्ता पर प्रकाश डालिए।
उत्तरः
जहाँ तक कवि के याद है बचपन से वे उस पेड को वैसे ही खड़ा पाते है। घूप हो, बारिश हो, गर्मी हो या सर्दी। खाकी वर्दी पहने चौकने से चौकीदार की तरह वह खडा दिखता। कवि उसे अपने दोस्त की तरह मानते है। कविने उसके साथ एक रिश्ता सा बना लिया था। जैसे वह दोस्त उससे बाते करता, पूछता कौन और कवि कहते तुम्हारा दोस्त। पलभर के लिए उस पेड की छाया में वह बैठ जाता और ऐसे सकून को महसूस करता जैसे वह अपने दोस्त के पास बैठा हो।
प्रश्न 3.
पर्यावरण के संरक्षण के संबंध में कवि कुँवर नारायण के विचार लिखिए।
उत्तरः
वृक्षों के महत्व का वर्णन करते हुए पर्यावरण के संरक्षण के संबंध में कुँवर नारायण जी कहते हैं कि वृक्ष हर मौसम में मानव का हमदर्द बन कर उसकी भलाई करता है। हम जानते हैं कि मनुष्य को जीने के लिए जो हवा और पानी की आवश्यकता है, वे वृक्षों के कारण ही प्राप्य है। पर्यावरण में प्राणवायु वृक्षों के द्वारा ही बढ़ती है जिससे मानव आराम से साँस ले सके। वृक्ष गर्मियों में छत्र छाया बन कर हमारी थकावट दूर करते हैं। वृक्षों से ही बारिश होती है। वृक्षों को काटना नहीं चाहिए। वृक्षों के बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। इसके बिना मनुष्य का जीना दूभर हो जाएगा इसलिए पर्यावरण का संरक्षण बहुत ही आवश्यक है।
III. ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:
1. अबकी घर लौटा तो देखा वह नहीं था –
– वही बूढ़ा चौकीदार वृक्ष
जो हमेशा मिलता था घर के दरवाजे पर तैनात।
उत्तरः
प्रसंग : कविता ‘एक वृक्ष की हत्या’, कवि है कुँवर नारायण।
व्याख्या : कवि कुँवर नारायण ने वृक्ष के प्रति अपनी भावनाएँ व्यक्त की है। बचपन से जिस वृक्ष को देखते थे, उसके न दिखने से वह दुःखी हो जाते है। यहाँ वह कह रहे है जब इस बार मैं घर लौटा तो चौकीदार के तरह घरके दरवाजे पर वह वृक्ष नही था उसकी याद में खोकर वे कहते है उसका शरीर कितना सख्त था, पुराना होने के कारण वह बहुत झुर्रियोदार और खुरदरा था।
2. दरअसल शुरु से ही था हमारे अंदेशों में
कहीं एक जानी दुश्मन
कि घर को बचाना है लटेरों से
शहर को बचाना है नदिरों से
देश को बचाना है, देश के दुश्मनों से।
उत्तरः
प्रसंग : यह पक्तियाँ कवि कुंवर नारायण के लिखे कविता एक वृक्ष की हत्या से लिया गया है।
व्याख्या पेड के कट जाने से कवि संवेदनशील हो गए है, उसकी याद में वह भावनाशील हो गए हैं। वह कह रहे है शुरु से ही मुझे डर था कि कोई दुश्मन इस पेड को काट न दे। अब सवाल एक पेड का नहीं, ऐसे कई पेड, कई जगह पर कटे जा रहे है। अपने स्वार्थ के लिए, कभी जगह के लिए तो कहीं लकडी का फर्निचर घर बनाने लोग पेड़ों को काट रहे है। इन लूटेरों से अब हमे बचाना है। इन आतंक फैलाने वालों से, अपने शहर को बचाना है। अपने देश को इन गद्यारोंसे बचाना है क्योंकि वे अपने देश या यहाँ के लोगों के बारे में नहीं सोच रहे है। आज वे इन पेडों को काट रहे है कल ये लूटेरे सारे देश को लूटेंगे नही तो एक दिन ये नदियाँ नाले जैसे बन जाएंगे, हवा घुआ हो। जाएगा, घुओ से भर जाएगा, तो साँस लेना भी मुश्किल हो जाएगा। पेड नही रहेंगे, बारिश न होगी, हवा गंदी हो, जाएगी तो खाना भी जहर हो जाएगा, जंगल कट जाँएगे और मरुस्थल बन जाएगा।
एक वृक्ष की हत्या Summary in English
In this poem, Kunwar Narayan has expressed his feelings about a tree. He was very sad by the sudden disappearance of the tree which he used to see since his childhood. He says that one time when he returned home, he noticed that the tree which used to stand guard next to the main door was missing. Lost in the memories of the tree that was no more there, he says it had a grand body.
Due to its age, its trunk had wrinkles, rough and hard. It was covered with dust. A dried branch looked as though it was pointing a rifle, whereas the top of the tree was rich with foliage and flowers, as though it was wearing a turban. Its roots were so tough and hard, that they looked like a pair of worn-out shoes. The tree had always been a part of his life in all seasons like a friend, and he had spent a lot of time under its shade.
He is upset that the tree has been cut down and he had always feared that this would happen one day. His fear now is, that all the trees may be cut down the same way. The way we protect our houses, our cities, and country from intruders, we have to save our environment, society, rivers, air, water bodies, and our food also in the same way. Else, this land will turn into the barren land, and humans will lose humanity and become like animals.