Students can Download Hindi Lesson 2 कश्मीरी सेब Questions and Answers, Summary, Notes Pdf, Activity, KSEEB Solutions for Class 10 Hindi helps you to revise the complete Karnataka State Board Syllabus and to clear all their doubts, score well in final exams.
Karnataka State Syllabus Class 10 Hindi वल्लरी Chapter 2 कश्मीरी सेब
कश्मीरी सेब Questions and Answers, Summary, Notes
अभ्यास
I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए:
प्रश्न 1.
लेखक चीजें खरीदने कहाँ गये थे?
उत्तर:
लेखक चीज़े खरीदने चौक में गये थे।
प्रश्न 2.
लेखक को क्या नजर आया?
उत्तर:
एक दुकान पर बहुत अच्छे, रंगदार, गुलाबी सेब सजे हुए नजर आए।
प्रश्न 3.
लेखक का जी क्यों ललचा उठा?
उत्तर:
दुकान पर रंगदार, गुलाबी सेब देखकर लेखक का जी ललचा उठा।
प्रश्न 4.
टोमाटो किसका आवश्यक अंग बन गया है?
उत्तर:
टोमाटो भोजन का आवश्यक अंग बन गया है।
प्रश्न 5.
स्वाद में सेब किससे बढ़कर नहीं है?
उत्तर:
स्वाद में सेब आम से बढ़कर नहीं है।
प्रश्न 6.
रोज एक सेब खाने से किनकी जरूरत नहीं होगी?
उत्तर:
रोज़ एक सेब खाने से डॉक्टर की जरूरत नहीं होगी।
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर:
प्रश्न 7.
डॉक्टर से बचने के लिए हम क्या करने को तैयार है?
उत्तर:
डॉक्टर से बचने के लिए हम निमकौड़ी तक खाने को तैयार हो सकते हैं।
प्रश्न 8.
सेब कहाँ से आए थे?
उत्तर:
सेब कश्मीर से आए थे।
प्रश्न 9.
फल कब खाने से फायदा नहीं है?
उत्तर:
रात को फल खाने से फायदा नहीं है।
प्रश्न 10.
फल कब खाने चाहिए?
उत्तर:
फल प्रातःकाल खाने चाहिए।
प्रश्न 11.
आदमी बेईमानी कब करता है?
उत्तर:
आदमी बेईमानी तभी करता है जब उसे अवसर मिलता है।
II. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
आजकल शिक्षित समाज में किसके बारे में विचार किया जाता है?
उत्तर:
आजकल शिक्षित समाज में विटामिन और प्रोटीन के बारे में विचार किया जाता है।
प्रश्न 2.
दुकानदार ने लेखक से क्या कहा?
उत्तर:
दुकानदार ने लेखक से कहा, “बाबूजी, बड़े मजेदार सेब आये हैं, खास कश्मीर के। आप ले जाएँ, खाकर तबीयत खुश हो जायेगी।”
प्रश्न 3.
दुकानदार ने अपने नौकर से क्या कहा?
उत्तर:
दुकानदार ने अपने नौकर से कहा कि आधा सेर कश्मीरी सेब लेखक के लिए निकालकर लाए।
प्रश्न 4.
सेब की हालत के बारे में लिखिए।
उत्तर:
दुकानदार के मतानुसार सेब न ताजे थे और न खाने के योग्य थे । एक सेब सड़ा हुआ था, दूसरा आधा सड़ा हुआ। तीसरा सेब दबककर पिचक गया था तो चौथा सेब काटने पर पता चला कि उसके अन्दर धब्बे हैं।
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर:
प्रश्न 5.
‘कश्मीरी सेब’ पाठ से आपको क्या सीख मिलती है?
अथवा
‘कश्मीरी सेब’ पाठ में लेखक पाठकों को क्या चेतावनी देते हैं?
अथवा
प्रेमचंद जी ने खरीदारी के बारे में क्या चेतावनी दी है?
उत्तर:
‘कश्मीरी सेब’ पाठ से हमें यह सीख मिलती है, कि हमें बाजार में खरीददारी करते समय धोखेबाजी करनेवालों से सावधान रहना चाहिए। हमारी उपेक्षा धोखा होने की संभावना को बढ़ाती है।
प्रश्न 6.
कशमीरी सेब खरीदने में लेखक का क्या अनुभव रहा?
उत्तर:
कश्मीरी सेब खरीदने में लेखक के साथ धोखा हुआ था। लेखक ने दूकानदार पर भरोसा करके, बिना देखे, सेब खरीद लिए थे। घर जाकर देखने में वे सब खराब निकले। लेखक इस नतीजे पर पहुँचते हैं कि खरीदारी करते समय अगर सावधानी नहीं बरतें तो धोखा खाने की पूरी संभावना है।
प्रश्न 7.
प्रेमचंदजी के अनुसार बाजार में होनेवाली धोखेबाजी से कैसे बच सकते हैं?
उत्तर:
प्रेमचंद जी के अनुसार आदमी बेईमानी तभी करता है जब उसे अवसर मिलता है। इसलिए सामनेवाले को बेईमानी का अवसर नहीं देना चाहिए। हमेशा सावधान रहना चाहिए। इस प्रकार बाजार में होनेवाली धोखाधड़ी से बचा जा सकता है।
प्रश्न 8.
व्यापारियों को बेईमानी करने का अवसर कब मिलता है?
उत्तर:
जब हम व्यापारी पर विश्वास कर लेते हैं और आँखों से काम नहीं लेते, या आँखे बंद करके खरीदारी करते है, तब व्यापारी बेईमानी करता है। उसे अवसर मिल जाता है। क्योंकि आदमी अवसर मिलने पर ही बेईमानी करता है।
III. जोड़कर लिखिए :
आ – ब
1) सेब को रूमाल में बाँधकर – अ) प्रातःकाल है।
2) फल खाने का समय तो – आ) मुझे दे दिया।
3) एक सेब भी खाने – इ) बनी हुई थी।
4) व्यापारियों की साख – ई) लायक नहीं।
उत्तरः
- आ;
- अ;
- ई;
- इ।
IV. विलोम शब्द लिखिए :
- शाम × _________
- खरीदना × ________
- बहुत × ________
- अच्छा × _______
- शिक्षित × _______
- आवश्यक × ________
- गरीब × _______
- रात × ________
- संदेह × ________
- साफ × _________
- बेईमान × ________
- विश्वास × __________
- सहयोग × _______
- हानि × ________
- पास × _______
- गम × ________
उत्तरः
- शाम × सबेरे
- खरीदना × बेचना
- बहुत × कम
- अच्छा × बुरा
- शिक्षित × अशिक्षित
- आवश्यक × अनावश्यक
- गरीब × अमीर
- रात × दिन
- संदेह × निःसंदेह
- साफ × गंदा
- बेईमान × ईमानदार
- विश्वास × अविश्वास
- सहयोग × असहयोग
- हानि × लाभ
- पास × दूर
- गम × खुशी
V. अनुरूपता:
- केला : पीला रंग : : सेब : ________
- सेब : फल : : गाजर : ___________
- नागपुर : संतरा : : कश्मीर : __________
- कपड़ा : नापना : : टोमाटो : _________
उत्तरः
- गुलाबी रंग;
- सब्जी;
- सेब;
- तोलना।
VI. अन्य वचन लिखिए :
- चीजों – ________
- रास्ता – __________
- फल – _________
- घर – _________
- रुपए – _________
- आँखें – ________
- कर्मचारी – _________
- व्यापारी – _________
- रेवड़ी – __________
- दुकान – ________
उत्तरः
- चीजों – चीज
- रास्ता – रास्ते
- फल – फल
- घर – घर
- रुपए – रूपया
- आँखें – आँख
- कर्मचारी – कर्मचारियों
- व्यापारी – व्यापारियों
- रेवड़ी – रेवडियाँ
- दुकान – दुकानें
VII. प्रत्येक शब्द के अंतिम अक्षर से एक और शब्द बनाइए :
उदाः सेब → बंदर → रंग → गरम
- दुकान → ______ → ______ → ________
- बाजार → ______ → ______ → ______
- रूमाल → ______ → ______ → ________
- लेखक → ______ → _______ → _______
उत्तरः
- दुकान → नदी → दीपक → कमरा → रास्ता
- बाजार → रग → गम → मकान → नमक
- रूमाल → लड़का →काला → लाल → लकड़ी
- लेखक → कवि → विचारक → कल्पना → नाटक
VIII. निम्नलिखित वाक्यों को सही क्रम मे लिखिए :
प्रश्न 1.
गाजर गरीबों भी पहले के पेट की चीज़ भरने थी।
उत्तर:
गाजर भी पहले गरीबों के पेट भरने की चीज थी।
प्रश्न 2.
अब चीज नहीं है वह केवल स्वाद की।
उत्तर:
अब वह केवल स्वाद की चीज नहीं है।
प्रश्न 3.
नहीं लायक खाने भी सेब एक।
उत्तर:
एक भी सेब खाने लायक नहीं।
प्रश्न 4.
मालूम हुई घर आकर अपनी भूल।
उत्तर:
घर आकर अपनी भूल मालूम हुई।
IX. कन्नड अथवा अंग्रेजी में अनुवाद कीजिए :
प्रश्न 1.
गाजर भी पहले गरीबों के पेट भरने की चीज़ थी।
उत्तर:
Even the carrot was earlier an item that filled the bellies of the poor.
प्रश्न 2.
दुकानदार ने कहा – ‘बड़े मजेदार सेब आये हैं।
उत्तर:
The shopkeeper said, “Very delicious apples have come.”
प्रश्न 3.
एक सेब भी खाने लायक नहीं।
उत्तर:
Not a single apple is fit for consumption.
प्रश्न 4.
दुकानदार ने मुझसे क्षमा माँगी।
उत्तर:
The shopkeeper apologised to me.
कश्मीरी सेब Summary in Hindi
कश्मीरी सेब लेखक परिचय:
प्रेमचंद जी का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के पास लमही नामक गाँव में हुआ था। इनका वास्तविक नाम धनपतराय था। वे शिक्षा विभाग में नौकरी करते थे। बचपन में ही प्रेमचंद मातृप्रेम से वंचित रहे। इनका जीवन गरीबी में ही गुजरा। वे मेट्रिक तक ही पढ़ पाये। वे यथार्थवादी कथाकार थे।
‘गोदान’, ‘सेवासदन’, ‘गबन’, ‘निर्मला’, ‘कर्मभूमि’ आदि इनके प्रमुख उपन्यास हैं। ‘बड़े घर की बेटी’, ‘नमक का दरोगा’, ‘पंच परमेश्वर’, ‘पूस की रात’ आदि इनकी प्रसीद्ध कहानियाँ हैं। प्रेमचंद की कहानियाँ ‘मानसरोवर’ नाम से संकलित हैं।
पाठ का आशय :
लेखक अपना अनुभव बताते हुए पाठकों को सचेत करते हैं कि अगर खरीदारी करते समय सावधानी नहीं बरततें तो धोखा खाने की संभावना होती है।
पाठ का सारांश :
‘कश्मीरी सेब’ कहानी के लेखक प्रेमचंद हैं। वे इस कहानी में बाजार में खरीदारी करते समय होनेवाली धोखाधड़ी पर प्रकाश डालते हैं। प्रेमचंद बताते हैं कि आजकल शिक्षित समाज खानपान को लेकर ज्यादा ही जागरूक हो गया है। अब वह अपने भोजन में प्रोटीन और विटामिन का ध्यान रखने लगा है। टमाटर और गाजर को भोजन की मेज पर जगह मिलने लगी है। सेब भी स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण फल है। प्रेमचंद जब बाज़ार जाते हैं तो दुकानदार को आध सेर सेब देने को कहते हैं। दुकानदार आध सेर सेब प्रेमचंद को लिफाफे में भरकर एवं रूमाल में बांधकर दे देता है।
प्रेमचंद दुकानदार की बातों में आ जाते हैं और उस पर भरोसा करके सेब को नहीं देखते है। वे लिफाफे को घर लाकर रख देते हैं और सुबह जब नाश्ते के लिए एक सेब निकालते हैं तो वह गला हुआ था। तब दूसरा निकाला; वह भी आधा सड़ा था। इस प्रकार वे बाकी दो सेब भी देखते हैं। वे दोनों भी कुछ न कुछ खराब थे। प्रेमचंद को बहुत अफसोस हुआ। उन्हें दुकानदार की धोखेबाजी पर गुस्सा आया। लेकिन प्रेमचन्द इसमें खुद को भी दोष देते हैं क्योंकि उन्होंने दुकानदार पर सहज विश्वास करके रूमाल उसके हाथ में रख दिया था कि भाई अच्छे वाले सेब आध सेर दे दो। एक तरह से उसे बेईमानी का मौका उन्होंने ही दिया था।
लेखक बताते हैं कि पहले का समय ऐसा नहीं था। व्यापारियों की प्रतिष्ठा बची हुयी थी। वे आपको धोखा नहीं देते थे। प्रेमचन्द गलती से एक बार पैसे की जगह अठन्नी दे आए थे लेकिन वापस जाने पर दुकानदार ने अठन्नी लौटा दी और क्षमा भी मांगी। इस कहानी में लेखक अपने अनुभव के माध्यम से पाठकों को सावधान करते हैं कि खरीदारी करते समय अगर सावधानी नहीं रखी तो धोखा खाने की संभावना है।
कश्मीरी सेब Summary in Kannada
कश्मीरी सेब Summary in English
‘Kashmiri Seb’ or ‘Kashmiri Apples’ is a short story by one of the greatest Hindi writers Munshi Premchand. It is a story about dishonest shopkeepers. Premchand had once gone to the market to buy some daily necessities. He could not control himself on seeing the red apples on display in one of the shops. Premchand says that these days educated people have started paying attention to things like vitamins and proteins. Earlier, no one ate tomatoes even if they were available for free; today, the tomato has become an essential part of a meal. Carrots too were poor people’s food; the well-off would only eat carrot halwa. But since it became known that the carrot is a storehouse of multivitamins, it started appearing on the dining tables.
Talking about apples, Premchand quotes the proverb an apple a day keeps the doctor away’ and says that the apple is considered nutritious now. So he bargained with the fruit seller and asked for half a kilogram of apples. The fruit seller picked up his weighing scale and ordered his assistant to get half a kilogram of the best apples. The boy brought out four apples and after weighing them the fruit seller wrapped them in the paper, bundled them in Premchand’s handkerchief and handed it over to him. Reaching home, Premchand put aside the parcel as it was.
The following morning when he took out an apple for breakfast, he realised there was a rotten spot. Premchand thought the fruit seller might have missed it the previous night and took out another apple. Half of this one too had gone bad. Now Premchand became suspicious. The next apple he tried had shrunk on one side. He checked the last one. It looked spotless. But it had one black hole and when Premchand cut it, it had worm-infested spots inside. Not a single apple was fit for eating.
It was not the loss of money that bothered Premchand, but the declining morals in society. The fruit seller had cheated him deliberately. But Premchand realised that he too was responsible for it. He had handed over his handkerchief to the fruit seller to bundle the apples as if urging the fruit seller to cheat him. The fruit seller had reckoned that Premchand did not look cautious enough. Premchand says that a man is deceitful only when he is given a chance. To provide someone with an opportunity to dupe, out of one’s own laxity and simplicity, is to contribute to the crime. There was a time when traders had some credibility.
They might cheat a little while weighing one’s purchase, but if they were even mistakenly given a ten-rupee note instead of a five-rupee note, there was no need to worry. One would get the money back. Premchand recalls that he had once bought sweets worth one paisa during the month of Muharram, but had paid the vendor fifty paise instead. After reaching home he had realised his folly and rushed back to the vendor.
Premchand was not expecting the vendor to return his money. But, to his surprise, he not only returned the money but also apologised. And here were vendors selling worm-infested apples and peddling them as delicious Kashmiri apples. Premchand hopes that readers will not keep their eyes shut like he did while shopping. Otherwise, they too would meet the same fate.
शब्दार्थ:
- मेवाफरोश – मेवा या ताजे फल बेचने वाला;
- नज़र – दृष्टि, निगाह, दिखायी देना;
- निमकौडी – नीम का फल;
- स्वाद – रुचि;
- लौंडा – छोकरा, बालक;
- मोल-भाव – मूल्य, कीमत, दाम;
- तराजू – तौलने का साधन;
- कायदा – नियम, रीति;
- गलना – किसी वस्तु का घनत्व कम होना;
- बेदाग – साफ, जिसमें कोई दाग न हो;
- सुराख – छेद;
- बेर – एक प्रकार का फल;
- भाँप लेना – पहचानना;
- चौकस – सचेत, सावधान;
- कचहरी – दफ्तर;
- साख – लेन-देन;
- छटाँक – सेर का सोलहवें भाग की एक तौल;
- रेवड़ी – तिल और चीनी से बनी मिठाई।