KSEEB Solutions for Class 10 Hindi वल्लरी Chapter 4 अभिनव मनुष्य

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Karnataka State Syllabus Class 10 Hindi वल्लरी Chapter 4 अभिनव मनुष्य

अभिनव मनुष्य Questions and Answers, Summary, Notes

अभ्यास

I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :

प्रश्न 1.
आज की दुनिया कैसी है?
उत्तरः
आज की दुनिया विचित्र और नवीन है।

प्रश्न 2.
मानव के हुक्म पर क्या चढ़ता और उतरता है?
अथवा
पवन का ताप किसके हुक्म पर चढ़ता-उतरता है?
उत्तरः
मानव के हुक्म पर पवन का ताप चढ़ता और उतरता है।

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प्रश्न 3.
परमाणु किसे देखकर काँपते हैं?
उत्तरः
परमाणु मनुष्य के करों (हाथों) को देखकर काँपते हैं।

प्रश्न 4.
‘अभिनव मनुष्य’ कविता के कवि का नाम लिखिए।
उत्तरः
‘अभिनव मनुष्य’ कविता के कवि रामधारीसिंह दिनकर है।

प्रश्न 5.
आधुनिक पुरुष ने किस पर विजय पायी है?
उत्तरः
आधुनिक पुरुष ने प्रकृति के हर तत्व पर विजय पायी है।

प्रश्न 6.
नर किन-किन को एक समान लाँघ सकता है?
उत्तरः
नर सरिता, गिरि और सिन्धु को एक समान लाँघ सकता है।

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प्रश्न 7.
आज मनुज का यान कहाँ जा रहा है?
उत्तरः
आज मनुष्य का यान गगन में जा रहा है।

अतिरिक्त प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 8.
मनुष्य को किसका ज्ञेय है?
अथवा
व्योम से पाताल तक किसको सब कुछ पता है?
उत्तरः
मनुष्य को व्योम से पाताल तक का ज्ञेय है।

प्रश्न 9.
परमाणु मनुष्य के करों को देखकर क्यों काँपते हैं?
उत्तरः
मनुष्य के करों में वारि, विद्युत और भाप बँधे है। उसका यान आकाश में जा रहा है। यह देख परमाणु भी काँपते हैं।

प्रश्न 10.
आधुनिक पुरुष कहाँ आसीन है?
उत्तरः
आधुनिक पुरुष प्रकृति पर आसीन है।

प्रश्न 11.
आज के नर के करों (हाथों) में क्या-क्या बँधा है?
उत्तरः
आज के नर के करों (हाथों) में वारि, विद्युत और भाप बँधा है।

प्रश्न 12.
मानव किसका आगार है?
उत्तरः
मानव ज्ञान, विज्ञान और आलोक का आगार है।

प्रश्न 13.
मानव में किसकी जानकारी है?
उत्तरः
मानव में व्योम से लेकर पाताल तक की सब कुछ जानकारी है।

प्रश्न 14.
मानव की जीत किस पर होनी चाहिए?
उत्तरः
मानव की बुद्धि पर चैतन्य उर की जीत होनी चाहिए।

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प्रश्न 15.
मानव की सिद्धि किसमें है?
उत्तरः
मानव-मानव के बीच स्नेह का बाँध बाँधने में मानव की सिद्धि है।

II. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :

प्रश्न 1.
‘प्रकृति पर सर्वत्र है विजयी पुरुष आसीन’ – इस पंक्ति का आशय समझाइए।
अथवा
आधुनिक मानव में प्रकृति पर कैसे विजय प्राप्त किया है?
उत्तरः
आज मनुष्य ने अपनी बुद्धि और सामर्थ्य का उपयोग करके प्रकृति के सभी क्षेत्रों में (आकाश, पाताल, धरती) विजय प्राप्त कर ली है। विजयी पुरुष प्रकृति पर आसीन है। प्रकृति को विकृत कर दिया है। प्रकृति के सहज स्वरूप को असहज स्वरूप बना दिया है।

प्रश्न 2.
दिनकर जी के अनुसार मानव का सही परिचय क्या है?
अथवा
दिनकर जी के अनुसार मानव का सही पहचान क्या है?
अथवा
‘अभिनव मनुष्य’ के आधार पर मनुष्य का सही परिचय कैसे स्थापित किया गया है?
अथवा
कवि के अनुसार कौन सा मानव, मानव कहलाने का अधिकारी है?
उत्तरः
जो मनुष्य सभी मानवों से स्नेह का बाँध बाँधता है वही मानव कहलाता है । जो मानव दूसरे मानव से प्रेम का रिश्ता जोडकर आपस की दूरी को मिटाता है वही सही मानव है।

प्रश्न 3.
इस कविता का दूसरा कौन-सा शीर्षक हो सकता है? क्यों?
उत्तरः
मनुष्य ने प्रकृति पर विजय पाने का सफल प्रयास किया है। उन्होंने प्रकृति के हर तत्व पर विजय प्राप्त कर ली है। इसलिए इस कविता का दूसरा शीर्षक हो सकता है – ‘प्रकृति पुरुष’।

अतिरिक्त प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 4.
कवि दिनकर जी के अनुसार मानव के लिए श्रेयस्कर क्या है?
उत्तरः
दिनकर जी के अनुसार मानव को आपस में भाई-चारा बढ़ाना चाहिए, आपसी बंधनों को तोड़ना चाहिए और मानव से प्रेम करना चाहिए। एक मानव दूसरे मानव से प्रेम का रिश्ता जोड़कर आपस की दूरी मिठाए, यही उसके लिए श्रेयस्कर है।

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प्रश्न 5.
दिनकर जी ने ‘अभिनव मनुष्य’ को क्या संदेश दिया है?
उत्तरः
कवि दिनकर जी ने कविता द्वारा यह संदेश दिया है कि मनुष्य ने प्रकृति के हर तत्व पर विजय प्राप्त कर लिया है लेकिन उसने स्वयं को नहीं पहचाना। अपने भाईचारे को नहीं समझा। इसलिए जो मानव दूसरे मानव से प्रेम का रिश्ता जोड़कर आपस की दूरी मिटाए, वही मानव कहलाने का अधिकारी होगा।

प्रश्न 6.
दिनकर जी ने आधुनिक मानव की भौतिक साधना का वर्णन कैसे किया है?
उत्तरः
दिनकर जी के अनुसार आधुनिक मानव ने अपने ज्ञान के बल पर प्रकृति पर विजय प्राप्त की है। धरती, आसमान और पाताल तक का उसे संपूर्ण ज्ञान है। हवा, ताप और विद्युत उसके मन से संचालित होते है। उसकी शक्ति को देखकर परमाणु भी काँप उठते है। उसकी भौतिक क्षमता असीमित है।

III. भावार्थ लिखिए :

प्रश्न 1.
यह मनुज, जो सृष्टि का श्रृंगार,
ज्ञान का, विज्ञान का, आलोक का आगार।
व्योम से पाताल तक सब कुछ इसे है ज्ञेय।
पर, न यह परिचय मनुज का, यह न उसका श्रेय।
यह पंक्तियाँ दिनकर जी की कविता ‘अभिनव मनुष्य’ से ली गयी हैं।
उत्तरः
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि दिनकर जी कहते हैं कि, यह जो आधुनिक मनुष्य है वह पूरी सृष्टि का श्रृंगार है। इस के भीतर ज्ञान तथा विज्ञान का प्रकाश भरा पड़ा है। जिस के कारण वह सृष्टि पर विजय प्राप्त कर चुका है। अपने ज्ञान के कारण आकाश से पाताल तक की सभी गतिविधियों को जानता है, पर यह सारी विजय भी न उसका असली परिचय देती है ना ही उसके गौरव को बढ़ाती है।

प्रश्न 2.
श्रेय उसका, बुद्धि पर चैतन्य उर की जीत,
श्रेय मानव की असीमित मानवों से प्रीत;
एक नर से दूसरे के बीच का व्यवधान
तोड़ दे जो, बस, वही ज्ञानी, वही विद्वान,
और मानव भी वही।
उत्तरः
इन पंक्तियों को ‘अभिनव मनुष्य’ कविता से लिया गया है। इस कविता के कवि श्री रामधारि सिंह दिनकर जी हैं।
कवि इन पंक्तियों में मनुष्य का असली श्रेय क्या है इसके बारे में कह रहे हैं। मनुष्य चाहे प्रकृति के सभी तत्वों पर अपनी विजय पा लिया हो, पर यह उसका गौरव नहीं है। उसके गर्व करनेवाली बात तो यह है कि वह भौतिकता के साथ-साथ मानवीयता पर भी विजय प्राप्त करें। उसका श्रेय यह भी है कि वह पूरी मानव जाति से प्रेम करे तथा मानव से मानव के बीच जो द्वेष हैं उसे मिटाएँ। जब वह मानव के बीच की शत्रुता को मिटाने में सफल होगा तभी ज्ञानी, विद्वान और मनुष्य कहलाने योग्य होगा।

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IV. उदाहरण के अनुसार तुकांत शब्दों को पहचानकर लिखिए :

उदाः नवीन – आसीन

  1. भाप – ______
  2. व्यवधान – ________
  3. श्रृंगार – ________
  4. ज्ञेय – ________
  5. जीत – _______

उत्तरः

  1. भाप – ताप
  2. व्यवधान – समान
  3. श्रृंगार – आगार
  4. ज्ञेय – श्रेय
  5. जीत – प्रीत

V. पंक्तियाँ पूर्ण कीजिए :

1) आज की दुनिया __________, नवीन;
प्रकृति __________ विजयी ___________ आसीन।
__________ में वारि, __________ भाप,
हुक्म पर _____________ का ताप।
उत्तरः
आज की दुनिया विचित्र, नवीन;
प्रकृति पर सर्वत्र है विजयी पुरुष आसीन।
है बँधे नर के करों में वारि, विद्युत, भाप,
हुक्म पर चढ़ता-उतरता है पवन का ताप।

VI. पर्यायवाची शब्द लिखिए :

  1. दुनिया – _________
  2. विचित्र – __________
  3. नवीन – __________
  4. नर – _________
  5. वारि – __________
  6. कर – _________
  7. आगार – ________

उत्तरः

  1. दुनिया – संसार, विश्व।
  2. विचित्र – अद्भुत, अनोखा
  3. नवीन – नया, नूतन
  4. नर – पुरुष, आदमी
  5. वारि – जल, अंबु
  6. कर – हस्त, हाथ
  7. आगार – स्थान, गोदाम।

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VII. विलोम शब्द लिखिए :

  1. आज × ________
  2. ________ × प्राचीन
  3. चढ़ता × ________
  4. समान × ________
  5. _______ × अज्ञान
  6. जीत × _______
  7. _______ × सीमित
  8. तोड़ × _______

उत्तरः

  1. कल;
  2. नवीन;
  3. उतरता;
  4. असमान;
  5. ज्ञान;
  6. हार;
  7. असीमित;
  8. जोड़।

VIII. एक शब्द लिखिए :

जैसे : सभी जगहों में – सर्वत्र।

  1. आसन पर बैठा हुआ – _________
  2. बचा हुआ – __________
  3. मनु की संतान – _________
  4. विशेष ज्ञान – ____________
  5. अधिक विद्या प्राप्त – __________

उत्तरः

  1. आसीन;
  2. शेष;
  3. मनुज;
  4. विशेषज्ञ;
  5. विद्वान।

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IX. अनुरूप शब्द लिखिए :

  1. गिरि : पहाड़ : : वारि : _________
  2. पवन : वायु : : सिंधु : __________
  3. ज़मीन : आसमान : : आकाश : _________
  4. नर : आदमी : : उर : _________

उत्तर:

  1. जल;
  2. सागर;
  3. पाताल;
  4. हृदय।

अभिनव मनुष्य Summary in Hindi

अभिनव मनुष्य कवि परिचय:
कवि रामधारी सिंह दिनकर जी का जन्म ई. सन् 1904 को बिहार प्रांत के मुंगेर जिले में हुआ। पहले वे रेडियो विभाग में काम करते थे। बाद में एक सरकारी कॉलेज के प्राध्यापक बने। आगे चलकर वे भारत सरकार के हिंदी सलाहकार के पद पर नियुक्त हुए। ईः सन् 1974 को इनका देहावसान हुआ।

दिनकर जी की कुछ प्रमुख रचनाएँ हैं – ‘हुँकार’, ‘रेणुका’, ‘रसवंती’, ‘सामधेनी’, ‘धूप-छाँह’, ‘कुरुक्षेत्र’, ‘बापू’, ‘रश्मिरथि’ आदि। सन् 1972 में ‘ऊर्वशी’ काव्य-कृति के लिए उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ। कवि की हर रचना में हृदय को प्रभावित और उत्साहित करने की पूर्ण शक्ति है। इनकी भाषा सजीव और विषय के अनुकूल है।

कविता का आशय :
प्रस्तुत कविता दिनकर जी के ‘कुरुक्षेत्र के षष्ठ-सर्ग से ली गई है। इसमें आधुनिक मानव तथा वैज्ञानिक युग का विश्लेषण किया गया है। यद्यपि मानव ने प्रकृति के हर क्षेत्र में विजय प्राप्त कर ली है, तथापि उसने आपसी भाईचारा और प्रेम को नहीं पाया है। अतः कवि की इच्छा है कि मनुष्य आपसी प्रेमभाव को समझे और तब कहीं वह सच्चा मानव कहलायेगा।

कविता का सारांश/भावार्थ :

1) आज की दुनिया विचित्र, नवीन;
प्रकृति पर सर्वत्र है विजयी पुरुष आसीन।
है बँधे नर के करों में वारि, विद्युत, भाप,
हुक्म पर चढ़ता-उतरता है पवन का ताप।
हैं नहीं बाकी कहीं व्यवधान
लाँघ सकता नर सरित् गिरि सिन्धु एक समान।

आज की दुनिया बड़ी विचित्र है और नवीन भी। आज प्रकृति के सर्व क्षेत्रों पर विजय पाकर मानव आसीन है। ऐसा लग रहा है कि उसने जल, विद्युत और भाप आदि पर अपना प्रभुत्व जमा लिया है। आज मनुष्य की आज्ञा से पवन का ताप घटता है और बढ़ता है। उसमें मनुष्य को कहीं रुकावट नहीं है। यहाँ तक कि सरिता, पहाड़ तथा सागर को भी आज मनुष्य सहजता से लाँघ सकता है।

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2) यह मनुज,
जिसका गगन में जा रहा है यान,
काँपते जिसके करों को देख कर परमाणु।
यह मनुज, जो सृष्टि का श्रृंगार,
ज्ञान का, विज्ञान का, आलोक का आगार।
व्योम से पाताल तक सब कुछ इसे है ज्ञेय।

आज इसी मनुष्य का वायुयान आसमान में उड़ रहा है, परमाणु भी मानो मनुष्यों के करों को देखकर काँपते हैं। यह मनुष्य जो सृष्टि का श्रृंगार है, ज्ञान, विज्ञान और आलोक का आगार है; व्योम से पाताल तक की सब-कुछ उसे जानकारी है।

अभिनव मनुष्य Summary in Hindi 1

3) पर, न यह परिचय मनुज का, यह न उसका श्रेय।
श्रेय उसका, बुद्धि पर चैतन्य उर की जीत,
श्रेय मानव की असीमित मानवों से प्रीत;
एक नर से दूसरे के बीच का व्यवधान
तोड़ दे जो, बस, वही ज्ञानी, वही विद्वान,
और मानव भी वही।

परन्तु कवि कहते हैं कि यह वास्तव में मनुष्य का परिचय नहीं है, यह उसका श्रेय नहीं है। श्रेय तो उसका है, जिसने बुद्धि पर चैतन्य उर की जीत प्राप्त की हो। श्रेय उनको है, जिन्होंने असीमित मानवों से प्रेम किया है। श्रेय उनको है, जो एक-दूसरे के बीच की बाधा को मिटा दे। वास्तव में वही ज्ञानी और विद्वान है तथा सच्चा मानव भी वही है।

अभिनव मनुष्य Summary in Kannada

अभिनव मनुष्य Summary in Kannada 1

अभिनव मनुष्य Summary in Kannada 2

अभिनव मनुष्य Summary in English

The following poem has been taken from Ramdhari Singh Dinkar’s collection of poems, ‘Kurukshetra’. In this poem, he has described the modern man and the present technological era.

The poet begins by saying that today’s world is strange and new. Man has conquered every last inch of nature and stands undefeated. The poet feels that man has even conquered natural forces like water, lightning and steam. These days, even the temperature changes based on man’s whims. Such is the position of man, that he can traverse mountains, rivers and even oceans with ease.

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Today, man-made aeroplanes fly in the air, and it seems as if even atoms shiver at the thought of man’s power. Man is not only the crown of God’s creation but also the dwelling place of knowledge, science and philosophy. Man possesses knowledge of everything that lies between heaven and hell.

However, the poet says that this is not the true value or merit of man. The merit belongs to the one whose consciousness has triumphed over wisdom. The merit belongs to those who give unlimited love to mankind. The merit belongs to those who strive to settle the differences between themselves and their fellow men. In reality, only such a man is knowledgeable and wise, and only such a man is a true man.

शब्दार्थ :

  • अभिनव – नया, नवीन, आधुनिक;
  • वारि – जल;
  • भाप – बाष्प, vapour;
  • हुक्म – आज्ञा;
  • व्यवधान – परदा, रुकावट, बाधा;
  • सरित् – नदी, सरिता;
  • सिंधु – सागर, समुद्र;
  • आलोक – प्रकाश;
  • ज्ञेय – जानकारी;
  • श्रेय – यश, कल्याण, मंगल।