KSEEB Solutions for Class 9 Hindi वल्लरी Chapter 15 वीरांगना चेन्नम्मा

Students can Download Hindi Lesson 15 वीरांगना चेन्नम्मा Questions and Answers, Summary, Notes Pdf, Activity, KSEEB Solutions for Class 9 Hindi helps you to revise the complete Karnataka State Board Syllabus and to clear all their doubts, score well in final exams.

Karnataka State Syllabus Class 9 Hindi वल्लरी Chapter 15 वीरांगना चेन्नम्मा

वीरांगना चेन्नम्मा Questions and Answers, Summary, Notes

अभ्यास

I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए:

प्रश्न 1.
चेन्नम्मा का जन्म किस वंश में हुआ था?
उत्तर:
चेन्नम्मा का जन्म काकतीय वंश में हुआ था।

प्रश्न 2.
चेन्नम्मा शब्द का अर्थ क्या है?
उत्तर:
चेन्नम्मा शब्द का अर्थ ‘सुन्दर महिला’ है।

प्रश्न 3.
कित्तूर कहाँ है?
उत्तर:
कित्तूर कर्नाटक के बेलगावी जिले में है।

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प्रश्न 4.
चेन्नम्मा का विवाह किसके साथ हुआ?
उत्तर:
चेन्नम्मा का विवाह राजा मल्लसर्ज के साथ हुआ।

प्रश्न 5.
शिवलिंग रुद्रसर्ज ने किसको गोद लिया था?
उत्तर:
अपने संबंधी गुरुलिंग मल्लसर्ज को गोद लिया था।

प्रश्न 6.
चेन्नम्मा को अंग्रेज़ों ने कहाँ बंदी बनाया था?
उत्तर:
चेन्नम्मा को अंग्रेजों ने बैलहोंगला के दुर्ग में कारागार में बंदी बनाया था।

अधिक प्रश्नोत्तरः

प्रश्न 7.
चेन्नम्मा ने किनके मार्गदर्शन में उर्दू, मराठी और संस्कृत भाषाओं का अध्ययन किया?
उत्तर:
चेन्नम्मा ने जंगमगुरु के मार्गदर्शन में उर्दू, मराठी और संस्कृत का अध्ययन किया।

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प्रश्न 8.
रानी चेन्नम्मा की कोख से जन्में शिशु का नाम क्या था?
उत्तर:
रानी चेन्नम्मा की कोख से जन्में शिशु का नाम शिवबसवराज था।

प्रश्न 9.
राजा मल्लसर्ज की पहली पत्नी का नाम क्या था?
उत्तर:
राजा मल्लसर्ज की पहली पत्नी का नाम रुद्रम्मा था।

प्रश्न 10.
किस अंग्रेज़ प्रतिनिधि ने रानी को भाँति-भाँति के संदेश भेजे?
उत्तर:
थैकरे ने रानी को भाँति-भाँति के संदेश भेजे।

प्रश्न 11.
कित्तुर के दीवान का नाम लिखिए।
उत्तर:
कित्तुर के दीवान गुरुसिद्धप्पा थे।

प्रश्न 12.
रानी चेन्नम्मा की जीवन ज्योति सदा के लिए कब बुझ गई?
उत्तर:
2 फरवरी 1829 को चेन्नम्मा की जीवन ज्योति सदा के लिए बुझ गई।

II. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिएः

प्रश्न 1.
चेन्नम्मा के माता और पिता का नाम लिखिए।
उत्तर:
चेन्नम्मा के पिता का नाम धूलप्पा देसाई और माता का नाम पद्मावती था।

प्रश्न 2.
चेन्नम्मा को उनके पिता से कौन-सी कलाएँ प्राप्त हुई थी?
उत्तर:
घुड़सवारी, शस्त्रास्त्रों का अभ्यास, आखेट आदि युद्ध कलाएँ उन्हें अपने वीर पिता से प्राप्त हुई।

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प्रश्न 3.
कित्तूर राज्य की समृद्धि के बारे में लिखिए।
उत्तर:
कित्तूर व्यापार का प्रसिद्ध केन्द्र था। देश-विदेश के व्यापारी वहाँ के बाजारों में हीरे-जवाहरातें खरीदने आते थे।

प्रश्न 4.
कित्तूर का पतन शुरु होने का कारण क्या था?
उत्तर:
कित्तूर का पतन शुरु होने का कारण शिवलिंग रुद्रसर्ज द्वारा चेन्नम्मा की सलाह न मानकर चाटुकारों से गहरी मित्रता करना था।

प्रश्न 5.
येल्लप्पशेट्टी और वेंकटराव कित्तूर के भेद खोलने क्यों तैयार हो गये?
उत्तर:
थैकरे ने येल्लप्पशेट्टी और वेंकटराव को कित्तूर का आधाआधा राज्य सौंपने का लालच दिखाया था। इससे वे कित्तूर के भेद खोलने को तैयार हो गए।

प्रश्न 6.
कर्नाटक की जनता के लिए गर्व की बात क्या है?
उत्तर:
कर्नाटक की जनता के लिए गर्व की बात है कि कर्नाटक की वीरांगना चेन्नम्मा ने पहली बार स्वतंत्रता की जो चिनगारी डाली थी, बाद में वह सारे भारत में फैल गई।

अधिक प्रश्नोत्तरः

प्रश्न 7.
रानी ने युद्धभूमि में अपने सैनिकों को ललकार कर क्या कहा?
उत्तर:
रानी ने ललकार कर कहा – ‘मातृभूमि के सपूतो! अपने प्राणों की बाजी लगाकर हम अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हैं। अंग्रेज इसे हमसे बलपूर्वक छीनना चाहते हैं, लेकिन इसे हम कैसे छोड़ सकते हैं?

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प्रश्न 8.
थैकरे की धमकी का जवाब रानी ने किस तरह दिया?
उत्तर:
रानी मर्दानी वेश में शेरनी की तरह अंग्रेजों की सेना पर टूट पड़ी। उनके साथ दो हजार योद्धा थे। अंग्रेज सेना भाग खड़ी हुयी और थैकरे मारा गया।

III. इन शब्दों का विलोम शब्द पाठ में से ढूँढकर लिखिएः

  1. अस्वस्थ × _________
  2. कुरुप × _________
  3. देश × _________
  4. शत्रुता × _________
  5. बाहर × _________
  6. देशभक्त × _________
  7. कायर × _________
  8. पराजय × _________

उत्तरः

  1. अस्वस्थ × स्वस्थ
  2. कुरुप × सुन्दर
  3. देश × विदेश
  4. शत्रुता × मित्रता
  5. बाहर × अन्दर
  6. देशभक्त × देशद्रोही
  7. कायर × वीर
  8. पराजय × विजय

IV. अन्य लिंग शब्द लिखिए:

  1. पिता – __________
  2. रानी – __________
  3. पुत्री – __________
  4. बाप – __________
  5. दादा – __________
  6. शेरनी – __________

उत्तरः

  1. पिता – माता
  2. रानी – राजा
  3. पुत्री – पुत्र
  4. बाप – माँ
  5. दादा – दादी
  6. शेरनी – शेर

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V. जोड़ी मिलाइएः

1) चेन्नम्मा का जन्म – अ) सन् 1829
2) चेन्नम्मा की कोख से जन्मा पुत्र – आ) गवरनर-जनरल
3) शिवलिंग रुद्रसर्ज की मृत्यु – इ) सन् 1778
4) डालहौसी – ई) सन् 1824
5) चेन्नम्मा की जीवन ज्योति बुझी – उ) शिवबसवराज
उत्तरः
1. इ;
2. उ;
3. ई;
4. आ;
5. अ।

VI. अनेक शब्द के लिए एक शब्द लिखिएः

जैसेः एक से ज्यादा भाषा जाननेवाला – बहुभाषी

  1. सामान खरीदना एवं बेचना – _________
  2. झूठी प्रशंसा करनेवाले – _________
  3. जिनका कोई संतान न हो। – _________
  4. देश के प्रति द्रोह करनेवाला – _________
  5. जो परिचित न हो – _________
  6. स्वयं को समर्पित करना – _________

उत्तरः

  1. व्यापार;
  2. चाटुकार;
  3. निःसंतान;
  4. देशद्रोही;
  5. अपरिचित;
  6. समर्पण।

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VII. पुराने समय में युद्ध करने के लिए तलवार, भाले, तीर-कमान आदि शस्त्रास्त्रों का उपयोग होता था। अब आप तीन वाक्यों में लिखिए कि अगर आजकल युद्ध होता है तो किस प्रकार की चीज़ों का उपयोग किया जाता है?
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उत्तर:
वर्तमान में युद्ध लड़ाक टैंकों, स्वचालित तोपों से लड़ा जाता है। सैनिक अब तलवार से नहीं बल्कि आधुनिक बंदूकों से लड़ते हैं। वायुसेना का उपयोग किया जाता है। लड़ाकू विमान आकाश से बम गिराते हैं।

VIII. कित्तूर रानी चेन्नम्मा के जो भी संवाद इस पाठ में आये हैं, उनका अभिनय कक्षा में करके दिखाइए।

IX. कन्नड़ में अनुवाद कीजिए:

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X. वीरांगना चेन्नम्मा जैसी अनेक महिलाओं का जन्म भारत देश में हआ था। ‘ओनके (मसल) ओबव्वा’ कर्नाटक की ही थी। उनकी कहानी पढ़कर कक्षा में सुनाइए और दोनों महिलाओं की तुलना कीजिए।

ओनके (मूसल) ओबव्वा :
मदकरी नायक चित्रदुर्ग के शासक थे। मदकरी नायक के शासन काल में हैदर अली की सेनाओं द्वारा चित्रदुर्ग शहर की घेराबंदी कर दी गयी थी। हैदर अली ने एक महिला को चट्टानों के बीच छेद (किन्डी) से चित्रदुर्ग में प्रवेश करते देखा और अपने सैनिकों को भी उसी मार्ग से अंदर भेज दिया। उस छेद के निकट के मचान का पहरेदार दोपहर के भोजन के लिए घर गया हुआ था। घर पर पानी न होने के कारण उसकी पत्नी ओबव्वा बाहर निकली।

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मार्ग में उसने हैदर अली के सैनिकों को छेद के रास्ते किले में प्रवेश करते देखा। वो अपने पति के भोजन में खलल नहीं डालना चाहती थी। इसलिए उसने एक ओनके (छान पीटने का डंडा) उठाया और किले के अंदर घुसने की कोशिश करनेवाले सैनिकों को एक-एक कर मारना शुरु कर दिया। इस प्रकार चेन्नम्मा की तरह ओबव्वा ने भी बहादुरी का परिचय दिया। उसने अपने शत्रुओं से किले की रक्षा की।

XI. इस पाठ में आये हुए सभी पात्रों की सूची बनाइए और उनके बारे में एक-एक वाक्य लिखिए:

जैसेः

  1. चेन्नम्मा – कर्नाटक की एक वीरांगना थी।
  2. धूलप्पा देसाई – ___________
  3. _________
  4. __________
  5. ____________
  6. __________
  7. __________

उत्तरः

  1. चेन्नम्मा – कर्नाटक की एक वीरांगना थी।
  2. धुलप्पा देसाई – चेन्नम्मा के पिता थे।
  3. पद्मावती – चेन्नम्मा की माता थी।
  4. राजा मल्लसर्ज – कित्तूर के राजा एवं चेन्नम्मा के पति थे।
  5. शिवबसवराज – चेन्नम्मा के पुत्र थे।
  6. डालहौसी – भारत के गवर्नर जनरल थे।
  7. थैकरे – अंग्रेजी सेना का सेनापति था।

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XII. भारत देश को अंग्रेजों से बचाने के लिए जिन देशभक्तों ने दिन-रात परिश्रम किया, उनका चित्र इकट्ठा कीजिए और उनके बारे में दो-तीन वाक्य लिखिए।
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उत्तर:
1. रानी लक्ष्मीबाई : झांसी की रानी थी। चेन्नम्मा की तरह ही अंग्रेजों ने रानी के दत्तक पुत्र को झाँसी का उत्तराधिकारी मानने से इनकार कर दिया था। रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों का युद्ध में बहादूरी से मुकाबला किया और वीरगति प्राप्त किया।
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2. महात्मा गाँधी : महात्मा गाँधी पूरे भारत की आवाज़ थे। उन्होंने प्रण किया कि वे अंग्रेज़ों का मुकाबला अहिंसात्मक साधनों से करेंगे। गाँधी ने चंपारण सत्याग्रह, नमक सत्याग्रह, असहयोग आन्दोलन, सविनय अवज्ञा आन्दोलन एवं अंग्रेजों भारत छोड़ो आन्दोलन का नेतृत्व किया। 1947 में उनके प्रयत्नों से देश को आजादी मिली।
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3. भगत सिंह : भगत सिंह क्रान्तिकारी थे। वे भारत को आजाद करवाने के लिए हिंसात्मक रास्ते को सही मानते थे। 1929 को भगत सिंह ने केन्द्रीय असेम्बली में बम फेंका। परिणामस्वरूप 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह को फाँसी दे दी गई।
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XIII. अनुरूपताः

  1. चैन्नम्मा के पिता : धूलप्पा देसाई : : चेन्नम्मा की माता : ___________
  2. चेन्नम्मा के पति : मल्लसर्ज : : चेन्नम्मा का पुत्र : ___________
  3. गुरुसिद्दप्पा : कुशल दीवान : : चेन्नबसप्पा : ___________
  4. 1778 : चेन्नम्मा का जन्म : : 1829 : ___________

उत्तरः

  1. पद्मावती;
  2. शिवबसवराज;
  3. वीर योद्धा;
  4. चेन्नम्मा की मृत्यु।

वीरांगना चेन्नम्मा Summary in Hindi

वीरांगना चेन्नम्मा पाठ का आशयः
छात्र कर्नाटक की वीर महिला चैन्नम्मा की देशभक्ति का परिचय प्राप्त करते हैं। चेन्नम्मा कर्नाटक की वीर महिला थी। अंग्रेज़ों की अनेक कोशिशों के बाद भी कित्तूर को चेन्नम्मा ने बचाया। लेकिन चेन्नम्मा के बंदी बन जाने के कारण कित्तूर अंग्रेजों के वश में गया। चेन्नम्मा जैसी वीर महिला के कारण कर्नाटक गर्व का अनुभव करता है।

सारांशः
यह कहानी वीरांगना कित्तूर रानी चेन्नम्मा के बलिदान एवं वीरता की कहानी है। 18वीं शताब्दी में वीरांगना चेन्नम्मा ने अंग्रेजों से मुकाबला किया था। सन् 1778 में धूलप्पा देसाई और पद्मावती के घर चेन्नम्मा का जन्म हुआ। बचपन में ही उन्होंने युद्ध कला के साथ-साथ मराठी और संस्कृत भाषाओं का अध्ययन किया।

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कित्तूर बेलगावी जिले में है। उन दिनों यह व्यापार का प्रसिद्ध केन्द्र था। कित्तूर के राजा मल्लसर्ज से चेन्नम्मा का विवाह हुआ। उन्हें एक पुत्र भी हुआ, जिसका नाम शिवबसवराज था। लेकिन बचपन में ही उसकी मृत्यु हो गई। मल्लसर्ज की मृत्यु के बाद चेन्नम्मा ने मल्लसर्ज की पहली पत्नी रुद्रम्मा के पुत्र शिवलिंग रुद्रसर्ज को गद्दी पर बैठाया। लेकिन उसने चाटुकारों से मित्रता कर ली जिससे कित्तूर का पतन शुरु हुआ।

वीरांगना चेन्नम्मा Summary in Hindi

शिवलिंग रुद्रसर्ज की मृत्यु के बाद चेन्नम्मा ने एक संबंधी गुरुलिंग मल्लसर्ज को गोद लिया। डालहौसी ने इसे स्वीकार न कर कित्तूर को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया। रानी ने इसे अपना अपमान समझा और अंग्रेजों से बदला लेने की तैयारी शुरु कर दी। थैकरे ने रानी को समझौते के ‘संदेश भेजे। थैकरे को कित्तूर राज्य के येल्लप्पशेट्टी और वेंकटराव नामक देशद्रोही मिल गए। थैकरे ने उन्हें आधे राज्य का लालच दिखाया। लेकिन रानी ने उन दोनों को यह कह कर हटा दिया कि जब तक मैं जीवित हूँ कित्तूर राज्य स्वतंत्र है। थैकरे ने कित्तूर पर आक्रमण कर दिया। रानी मर्दानी वेश में थैकरे की सेना पर टूट पड़ी। भयानक युद्ध के बाद थैकरे मारा गया।

कुछ ही समय बाद अंग्रेजों ने कित्तूर पर फिर आक्रमण किया। इस बार उन्होंने ज्यादा सेना के साथ आक्रमण किया लेकिन फिर भी कित्तूर को हरा नहीं पाये। तीसरी बार अंग्रेजों ने युद्ध में रणचंडी चेन्नम्मा को बंदी बना लिया। चेन्नम्मा को बैलहोंगला दुर्ग के कारागार में डाल दिया। बंदीगृह में 2 फरवरी, 1829 को चेन्नम्मा की जीवन ज्योति सदा के लिए बुझ गई। चेन्नम्मा का बलिदान ने भारत में पहली बार स्वतंत्रता की चिनगारी डाली थी जो पूरे भारत में फैल गई। कर्नाटक को इस वीरांगना पर गर्व है।

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वीरांगना चेन्नम्मा Summary in Kannada

वीरांगना चेन्नम्मा Summary in Kannada 1

वीरांगना चेन्नम्मा Summary in Kannada 2

वीरांगना चेन्नम्मा Summary in Kannada 3

वीरांगना चेन्नम्मा Summary in Kannada 4

वीरांगना चेन्नम्मा Summary in Kannada 5

वीरांगना चेन्नम्मा Summary in Kannada 6
मुहावरेः

  1. नाकों चने चबाना – बहुत ही हैरान करना
  2. रक्त खौलना – अत्यधिक क्रोधित होना
  3. लोहा लेना – बदला लेना
  4. अपना-सा मुँह लेकर चले जाना – अपमानित हो जाना
  5. प्राणों की बाजी लगाना – जान पर खेलना
  6. टूट पड़ना – आक्रमण करना
  7. काम तमाम करना – खत्म करना, मार डालना
  8. जीवन ज्योति बुझ जाना – देहांत होना, मर जाना।

वीरांगना चेन्नम्मा Summary in English

Through this lesson, students learn about the patriotism of the brave woman of Karnataka, Chennamma. She saved the kingdom of Kittur despite many attempts of the English to annex it. However after she was captured and imprisoned by the British, Kittur was annexed by them. Karnataka is proud of Chennamma, the brave woman.

Chennamma was the first Indian to humble the imperialist British. She was born in 1778. Her father was Dhoolappa Desai and mother Padmavati. She was beautiful and healthy. The word ‘Chennamma’ means ‘a beautiful woman’. She was educated and brought up according to the royal tradition. She learnt horse riding, use of arms and weapons, hunting and the art of warfare from her father. She studied Urdu, Marathi and Sanskrit under a teacher.

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Kittur is situated in the northern part of Belgavi district in Karnataka. In those days Kittur was also the centre of trade and commerce in Karnataka. Merchants from India and abroad came here to purchase pearls and gems. The benevolent Mallasarja was the ruler of this kingdom. Chennamma was married to Mallasarja.

Chennamma lived in comfort in the palace and in course of time she gave birth to a son who was named Shivabasavaraja. But he passed away when still a child. Rudramma was the first wife of Mallasarja. Patwardhan of Poona tricked Mallasarja and imprisoned him. He died in prison. After his death, Chennamma placed Rudramma’s son Shivalinga Rudrasarja on the throne. But Shivalinga began to ignore the advice of Chennamma. He made friends with sycophants which resulted in the decline of Kittur.

Shivalinga Rudrasarja died in 1824. The British considered this a great opportunity to annex Kittur. The king had died without an heir. He had adopted Gurulinga Sarja, a relative of his. But the British did not recognise an adopted child as their to the kingdom. Lord Dalhousie was the Governor-General of India at that time. In such circumstances, Chennamma took over the reins of Kittur and took an oath to protect Kittur.

When the English soldiers entered her kingdom Chennamma’s blood boiled but she could not do anything at that time. Secretly she made preparations to cross swords with them. Thackeray, the British Collector, sent messages to her repeatedly asking her to accept the British regime. But the queen was not prepared to give up the sovereignty of her kingdom. Meanwhile, two traitors by name Yellappashetty and Venkatarao joined Thackeray. Thackeray tempted them by promising half of the kingdom to each of them in exchange for their help.

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In return, they agreed to give all the secrets of Kittur and cooperate fully with the British. The traitors approached Chennamma with a written order from Thackeray asking her to hand over the administration of the kingdom to them. She tore the letter into pieces and said that Kittur is an independent kingdom and would remain so as long as she is alive. Hearing this the traitors were ashamed and left the court in disgrace. Kittur had a wise minister by name Gurusiddappa and brave soldiers such as Balanna, Rayanna, Gajaveera and Chennabasappa; there was no danger to Kittur as long as they were alive.

The people of Kittur were familiar with the tactics of the Englishmen. Thackeray himself arrived in Kittur with a huge army. Put the queen was not scared. Thackeray ordered his army of 500 soldiers to lay siege to the fort of Kittur. The queen instilled patriotic feelings in her soldiers and asked them to defend the motherland with all their might.

Thackeray issued a warning that she should surrender in 20 minutes, otherwise the fort would be destroyed. Within no time Chennamma, dressed in a man’s attire, pounced on the enemy army like a tiger. Her army of 2000 soldiers was behind her. There was heavy fighting. The English army could not face the attack. The soldiers fled and Thackeray was killed. The traitors also were killed. However, the queen was liberal with the English officers and they were let off. But this victory did not last long.

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A few days later the English army invaded Kittur again. The English now had a bigger army. But thanks to the brave soldiers of Kittur, the English had to accept defeat again. The English gathered all their forces once again and attacked Kittur with all their might. In this battle, Chennamma was captured. The English army plundered Kittur. She was imprisoned in the Bailhongal Fort. She finally breathed her last on February 2nd, 1829. It is a matter of pride for the people of Karnataka that the spark ignited by Chennamma spread all over the country in the course of time.