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Karnataka State Syllabus Class 10 Hindi Grammar व्याकरण
व्याकरण
1) स्वर संधि :
दीर्घ संधि :
- समान + अधिकार = समानाधिकार
- धर्म + आत्मा = धर्मात्मा
- विद्या + अर्थी विद्यार्थी
- विद्या + आलय = विद्यालय
- कवि + इंद्र = कवींद्र
- गिरि + ईश = गिरीश
- मही + इन्द्र = महीन्द्र
- रजनी + ईश = रजनीश
- लघु + उत्तर = लघूत्तर
- सिंधु + ऊर्जा = सिंधूर्जा
- वधू + उत्सव = वधूत्सव
- भू + ऊर्जा = भूर्जा
- पितृ + ऋण = पितृण
- धर्म + अधिकारी = धर्माधिकारी
- शिव + आलय = शिवालय
- पर्वत + आवली = पर्वतावली
- संग्रह + आलय = संग्रहालय
- जल + आशय = जलाशय
गुण संधि :
- गज + इंद्र = गजेंद्र
- परम + ईश्वर = परमेश्वर
- महा + इंद्र = महेंद्र
- रमा + ईश = रमेश
- वार्षिक + उत्सव = वार्षिकोत्सव
- जल + ऊर्मि = जलोर्मि
- महा + उत्सव = महोत्सव
- महा + ऊर्मि = महोर्मि
- सप्त + ऋषि = सप्तर्षि
- महा + ऋषि = महर्षि
- पर + उपकार = परोपकार
- जल + ऊर्मि = जलोर्मि
वृद्धि संधि :
- एक + एक = एकैक
- मत + ऐक्य = मतैक्य
- सदा + एव = सदैव
- महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
- परम + ओज = परमौज
- वन + औषध = वनौषध
- महा + ओजस्वी = महौजस्वी
- महा + औषधि = महौषधि
यण संधि :
- अति + अधिक = अत्यधिक
- इति + आदि = इत्यादि
- प्रति + उपकार = प्रत्युपकार
- मनु + अन्तर = मन्वंतर
- सु + आगत = स्वागत
- पितृ + अनुमति = पित्रनुमति
- पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
- पितृ + उपदेश = पित्रुपदेश
- अति + अंत = अत्यंत
- सहन + अनुभूति = सहानुभूति
अयादि संधि :
- चे + अन = चयन
- ने + अन = नयन
- गै + अक = गायक
- नै + इका = नायिका
- भो + अन = भवन
- पौ + अन = पावन
- नौ + इक = नाविक
2) व्यंजन संधि :
- दिक् + गज = दिग्गज
- सत् + वाणी = सद्वाणी
- अच् + अन्त = अजन्त
- षट् + दर्शन = षड्दर्शन
- वाक् + जाल = वाग्जाल
- तत् + रूप = तद्रूप
- जगत + मोहन = जगनमोहन
- सत् + आचार = सदाचार
- सत् + जन = सज्जन
3) विसर्ग संधि :
- निः + चय = निश्चय
- निः + कपट = निष्कपट
- निः + रस = नीरस
- दुः + गंध = दुर्गंध
- मनः + रथ = मनोरथ
- पुरः + हित = पुरोहित
- निः + चिंत = निश्चिंत
KSEEB SSLC Class 10 Hindi व्याकरण समास
1) अव्ययीभाव समास :
विग्रह – सामासिक शब्द
- जन्म से लेकर – आजन्म
- खटके बिना – बेखटके
- पेट भर – भरपेट
- जैसा संभव हो – यथासंभव
- बिना जाने – अनजाने
- जैसी स्थिति हो – यथास्थिति
- होश के बिना – बेहोश
- दर्द के बिना – बेदर्द
- बिना देखे – अनदेखे
- रात ही रात – रातोंरात
- बिना जाने – अनजाने
2) कर्मधाराय समास :
3) तत्पुरुष समास :
क) कर्म तत्पुरुषः
- स्वर्ग को प्राप्त – स्वर्गप्राप्त
- ग्रंथ को लिखनेवाला – ग्रंथकार
- गगन को चूमनेवाला – गगनचुंबी
- चिड़िया को मारनेवाला – चिड़ियामार
- परलोक को गमन – परलोकगमन
ख) करण तत्पुरुषः
- अकाल से पीड़ित – अकालपीड़ित
- सूर के द्वारा कृत – सूरकृत
- शक्ति से संपन्न – शक्तिसंपन्न
- रेखा के द्वारा अंकित – रेखांकित
- अश्रु से पूर्ण – अश्रुपूर्ण.
ग) संप्रदान तत्पुरुषः
- सत के लिए आग्रह – सत्याग्रह
- राह के लिए खर्च – राहखर्च
- सभा के लिए भवन – सभाभवन
- देश के लिए भक्ति – देशभक्ति
- देश के लिए प्रेम – देशप्रेम
- गुरु के लिए दक्षिणा – गुरुदक्षिणा
घ) अपादान तत्पुरुषः
- धन से हीन – धनहीन
- जन्म से अंधा – जन्मांध
- पथ से भ्रष्ट – पथभ्रष्ट
- देश से निकाला – देशनिकाला
- बंधन से मुक्त – बंधनमुक्त
- धर्म से विमुख – धर्मविमुख
च) संबंध तत्पुरुषः
- प्रेम का सागर – प्रेमसागर
- भू का दान – भूदान
- देश का वासी – देशवासी
- राजा की सभा – राजसभा
- जल की धारा – जलधारा
- राजा के पुत्र – राजपुत्र
छ) अधिकरण तत्पुरुषः
- आप पर बीती – आपबीती
- कार्य में कुशल – कार्यकुशल
- दान में वीर – दानवीर
- शरण में आगत – शरणागत
- नर में श्रेष्ठ – नरश्रेष्ठ
4) दिवगु समास:
- सात सौ दोहों का समूह – सतसई
- तीन धाराएँ – त्रिधारा
- पाँच वटों का समूह – पंचवटी
- तीन वेणियों का समूह – त्रिवेणी
- सौ वर्षों का समूह – शताब्दी
- चार राहों का समूह – चौराह
- बारह मासों का समूह – बारहमासा
- नौ रात्रियों का समूह – नवरात्री
- चार मासों का समूह – चौमासा
5) द्वंद्व समास:
विग्रह – समस्तपद
- सीता और राम – सीता-राम
- पाप अथवा पुण्य – पाप-पुण्य
- सुबह और शाम – सुबह-शाम
- सुख या दुख – सुख-दुख
- दाल और रोटी – दाल-रोटी
- इधर और उधर – इधर-उधर
- दो और चार – दो-चार
- भला या बुरा – भला-बुरा
- श्रद्धा और भक्ति – श्रद्धा-भक्ति
- देश और विदेश – देश-विदेश
- राम और लक्ष्मण – राम-लक्ष्मण
- पति और पत्नी – पति-पत्नी
- दाल और चावल – दाल-चावल
- दिन तथा रात – दिन-रात
- अच्छा या बुरा – अच्छा-बुरा
6) बहुव्रीहि समासः
- घन के समान श्याम रंग है जिसका (कृष्ण) – घनश्याम
- श्वेत अंबर (वस्त्रों) वाली (सरस्वती) – श्वेतांबरी
- लंबा है उदर जिसका (गणेश) – लंबोदर
- चक्र है पाणि (हाथ) में जिसके (विष्णु) – चक्रपाणि
- तीन हैं नेत्र जिसके (शिव) – त्रिनेत्र
- दस हैं आनन (मुँह) जिसके (रावण) – दशानन
- नील है कंठ जिसका (शिव) – नीलकंठ
- वीणा ही पाणी जिसके (सरस्वती) – वीणापाणी
KSEEB SSLC Class 10 Hindi व्याकरण अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
- जिसकी कल्पना भी न की जा सके – कल्पनातीत
- जिसकी कल्पना की जा सके – काल्पनिक
- जिसकी आँखे न दिखाई दे – अंधा
- जिसे कहा न जा सके – अकथनीय
- जो क्षमा न किया जा सके – अक्षम्य
- जिसका क्षय न हो – अक्षय
- बड़ा भाई – अग्रज
- जिसका कोई शत्रु पैदा न हुआ हो – अजातशत्रु
- जो किसी से जीता न जाय – अजेय
- ऐसे स्थान का वास जहाँ कोई पता न पा सके – अज्ञातवास
- जिसकी तुलना (समता) न की जा सके – अतुलनीय
- जो दूर की न सोचे – अदूरदर्शी
- जिसके समान कोई दूसरा न हो – अद्वितीय
- जो दिखाई न दे – अदृश्य
- जिसका अंत न हो – अनंत
- जिसका माँ-बाप या रक्षक न हो – अनाथ
- जिसे टाला न जा सके – अनिवार्य
- छोटा भाई – अनुज
- जो परीक्षा में सफल न हो – अनुत्तीर्ण
- जिस पर अपराध सिद्ध हो चुका हो – अपराधी
- जो परिचित न हो – अपरिचित
- कभी नहीं मरनेवाला – अमर
- जो काम मनुष्य से न हो सके – असंभव
- जो कभी मिटता नही – अमिट
- ऐसी वस्तु जिसका कोई मूल्य न हो सके – अमूल्य
- जो थोड़ा जानता हो – अल्पज्ञ
- जिसकी बुद्धि कम हो – अल्पबुद्धि
- जिसका कोई वर्णन न हो सके – अवर्णनीय
- जिसका विश्वास न किया जा सके – अविश्वसनीय
- जो बिना वेतन काम करे – अवैतनिक
- जो उचित समय पर न हो – असामयिक
- अपनी हत्या करनेवाला – आत्मघाती
- जिसमें शक्ति न हो – अशक्त
- जो शिक्षित न हो – अशिक्षित
- जिसे क्षमा न किया जा सके – अक्षम्य
- जो ईश्वर में विश्वास करता हो – आस्तिक
- जो परीक्षा में सफल हो – उत्तीर्ण
- ऊपर लिखा गया – उपरिलिखित
- जो ऊपर कहा गया हो – उपर्युक्त
- जिसने ऋण ले रखा हो – ऋणी
- जो कविताएँ लिखता है – कवि
- जो कविताएँ लिखती है – कवयित्री
- बर्तन बेचनेवाला – कसेरा
- काम से जी चुराने वाला – कामचोर
- जो खेत में हल चलाता है – किसान
- जो उपकार को माने – कृतज्ञ
- जो अपने प्रति किए गए उपकार को न माने – कृतघ्न
- जिसमें कृपा हो – कृपालु
- पल भर टिकनेवाला – क्षणिक
- जो बीत चुका हो – गत, अतीत
- गण(प्रजा) से निर्वाचित प्रतिनिधि द्वारा शासित राष्ट्र – गणतंत्र (प्रजातंत्र)
- जो गीत गाता हो – गायक
- जो ग्राम में रहता हो – ग्रामीण
- जो दूध देता है – ग्वाला
- जिसकी चार भुजाएँ हों – चतुर्भुज
- जो चिन्ता से घिरा हो – चिन्ताग्रस्त
- जिसकी चिन्ता दूर हो गयी हों – चिन्तामुक्त
- जो देर तक स्मरण करने योग्य हो – चिरस्मरणीय
- वर्षा के चार महीनों का समूह – चौमासा
- जो जन्तु पानी में रहता हो – जलचर
- जानने की इच्छा – जिज्ञासा
- जिस व्यक्ति को जानने की इच्छा हो – जिज्ञासु
- जो कपड़ा बुनता है – जुलाहा
- जिसे बहुत ज्ञान हो – ज्ञानी
- जिसे दण्ड.देना उचित हो – दण्डनीय
- जिसे दण्ड दिया गया हो – दण्डित
- पति और पत्नी – दम्पती
- दस वर्षों का समूह – वशाब्दी
- जो दूर की बात सोचे – दूरदर्शी
- जो देश से दगा करे – देशद्रोही
- जो नगर में रहता हो – नागरिक
- जो ईश्वर को न माने – नास्तिक
- जिसमें दया न हो – निर्दयी, निर्दय
- नीचे लिखा – निम्नलिखित
- जिसका कोई अर्थ न हो – निरर्थक
- जो एक अक्षर न पढ़ा हो – निरक्षर
- जिसकी कोई आकार न हो – निराकार
- जिसका कोई आधार न हो – निराधार
- जिसे जवाब न सूझे – निरुत्तर
- जिसमें संदेह न हो – निःसंदेह
- जो आँखों या इन्द्रियों के सामने न हो – परोक्ष
- जो दूसरों का उपकार/भलाई करे – परोपकारी
- पढ़नेवाला – पाठक
- जिसे प्यास हो – पिपासु
- जो पूजा करने के योग्य हो – पूजनीय
- जो आँखों अथवा इन्द्रियों के सामने हो – प्रत्यक्ष
- केवल फल खाकर रहनेवाला – फलाहारी
- जो पिता की बहन हो – फूफी (बुआ)
- जो सुन न सके – बधिर
- किसी वस्तु या व्यक्ति को न अपनाना – बहिष्कार
- जो बहुत जानता हो – बहुज्ञ
- खानेवाला – भक्षक
- जो आनेवाली है – भावी
- मन को प्रसन्न करनेवाला – मनोरंजक
- माँस खानेवाला – माँसाहारी
- तीस दिनों का समूह – मास (महीना)
- जो सोच समझकर खर्च करता हो – मितव्ययी
- जो थोड़ा बोलता हो – मितभाषी
- जो सबसे प्रसन्नतापूर्वक मिलता-जुलता हो – मिलनसार
- जो बोल न सके – मूक
- रक्षा करनेवाला – रक्षक
- जिसके नीचे रेखा हो – रेखांकित
- जो पुस्तक या लेख आदि लिखे – लेखक
- एक वर्ष के बाद होनेवाली – वार्षिक
- जो बहुत बोलता हो – वाचाल
- विद्या पाने की इच्छा वाला – विद्यार्थी
- जिसका पति मर चुका हो – विधवा
- जिसकी पत्नी मर चुकी हो – विधुर
- जिस पर विश्वास किया जा सके – विश्वसनीय
- विमान चलानेवाला – वैमानिक
- व्याकरण का विद्वान या ग्रन्थकार – वैय्याकरण
- सौ वर्षों का समूह – शताब्दी
- शाक-भाजी का भोजन करनेवाला – शाकाहारी
- जो श्रद्धा का पात्र हो – श्रद्धेय
- एक ही जाति के – सजातीय
- अच्छे आचरण वाला – सदाचारी
- जो सहनशील हो – सहिष्णु
- जिसका पति जीवित हो – सधवा
- सात दिनों का समूह – सप्ताह
- जो सब कुछ जानता हो – सर्वज्ञ
- जो साथ पड़ता हो – सहपाठी
- जो हर स्थान पर विद्यमान हो – सर्वव्यापी
- जो सब कुछ कर सकता हो – सर्वशक्तिमान
- जिसका आकार हो – साकार
- समाज से सम्बन्ध रखनेवाला – सामाजिक
- जो सुधार करे – सुधारक
- जो सोने जैसे रंगवाला हो – सुनहला
- जो सोने के गहने बनाता है – सुनार
- जो धरती पर निवास करता हो – स्थलचर
- जो सुख-दुःख में समान रूप से रहता हो – स्थितप्रज्ञ
- जो किसी को मार डाले – हत्यारा
- जो हर समय हँसता रहता हो – हँसमुख
KSEEB SSLC Class 10 Hindi व्याकरण मुहावरें और कहावतें
- जो वाक्यांश अपने सामान्य अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ को प्रकट करता है, वह ‘मुहावरा’ कहलाता है।
- लोक द्वारा कही गई उक्ति ‘लोकोक्ति’ कहलाती है। इसे ‘कहावत’ भी कहते हैं। ये स्वतंत्र वाक्य होते हैं।
मुहावरे:
- आँखें चुराना – अपने को छिपाना
- आँख की किरकिरी – बुरा लगना (दुश्मन)
- अक्ल का अंधा – मूर्ख
- अंधे की लकड़ी – एकमात्र सहारा
- आपे से बाहर होना – मर्यादा को लाँघना
- आँखों में धूल झोंकना – धोखा देना
- आस्तीन का साँप – कपटी मित्रः
- ईद का चाँद होना – बहुत दिनों के बाद मिलना
- ईंट का जवाब पत्थर से देना – शत्रु को कड़ा जवाब देना
- कान भरना – चुगली करना
- खून का प्यासा – जान लेने पर उतारू होना
- होश उड़ जाना – घबरा जाना
- दाँत खट्टे करना – बुरी तरह हराना
- कलई खुलना – भेद खुलना
- नौ-दो ग्यारह होना – भाग जाना
- एक और एक ग्यारह होना – एकता में बल
- हवा से बातें करना – बहुत तेज दौड़ना
- बात का धनी – वादे का पक्का
- बाल बाँका न होना – जरा भी नुकसान न होना
- दाँतों तले उँगली दबाना – आश्चर्य प्रकट करना
- अकल पर पत्थर पड़ना – बुद्धि नष्ट होना
- भंडाफोड़ होना – भेद खुल जाना
- आँख मारना – इशारा करना
- नाक कटना – इज्जत जाना
- हवा हो जाना – गायब हो जाना
- अंगूठा दिखाना – देने से स्पष्ट इन्कार करना।
- अंगारे उगलना – क्रोध में कठोर वचन बोलना।
- अपना उल्लू सीधा करना – काम निकालना/स्वार्थ पूरा करना।
- आग बबूला होना – अधिक क्रोधित होना।
- आसमान सिर पर उठाना – शोर करना।
- कमर कसना – तैयार होना।
- खून पसीना एक करना – बहुत मेहनत करना।
- छक्के छुड़ाना – बुरी तरह हराना।
- दाल न गलना – सफल न होना।
- बाल-बाल बचना – खतरे से बच जाना।
- सातवें आसमान पर पहुँचना – अधिक क्रोध होना।
- घोड़े बेचकर सोना – निश्चिंत होना।
- पसीना बहाना – परिश्रम करना।
- हिम्मत न हारना – धीरज रखना।
- बीड़ा उठाना – जिम्मेदारी लेना।
- घाट-घाट का पानी पीना – बहुत अनुभव पाना।
- नाक में दम करना – अधिक तंग करना।
- उँगली पर नचाना – वश में रखना।
कहावतें:
- अंधों में काना राजा – मूों में थोड़ा ज्ञानी
- उलटा चोर कोतवाल को डाँटे – अपराधी निरपराध को डाँटे
- एक अनार सौ बीमार – चीज थोड़ी, माँगने वाले अधिक
- चार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात – सुख के कुछ दिनों के बाद दुख का आना
- कोयले की दलाली में मुँह काला – बुरों के साथ बुराई ही मिलती है
- भैंस के आगे बीन बजाना – मूर्ख को अच्छी बात बताना
- नाच न जाने आँगन टेढ़ा – काम आता न हो और दूसरों के दोष निकालना
- साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे – आसानी से काम हो जाना
- बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद – मूर्ख गुणों की महिमा नहीं जानते
- मुँह में राम बगल में छुरी – बाहर से मित्रता, पर भीतर से बैर
- अंधा क्या चाहे दो आँखें – मनचाही बात हो जाना
- आँख का अंधा नाम नयन सुख – गुणों के विरुद्ध नाम होना
- ऊँट के मुँह में जीरा – जरूरत से बहुत कम
- कंगाली में आटा गीला – गरीबी में मुसीबत पर मुसीबत आना
- जैसी करनी वैसी भरनी – कर्म के अनुसार फल मिलता है
- बहती गंगा में हाथ धोना – अवसर का लाभ उठाना
- अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत – समय निकल जाने के पश्चात् पछताना व्यर्थ होता है
- एक हाथ से ताली नहीं बजती – झगड़े की वजह एक व्यक्ति नहीं होता
- गागर में सागर भरना – थोड़े शब्दों में बहुत-कुछ कहना
- जिसकी लाठी उसकी भैंस – बलवान की ही जीत होती है
- सौ सुनार की एक लुहार की – शक्तिशाली की एक और निर्बल की सौ चोट बराबर
- कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली – दो लोगों की स्थितियों में बहुत अंतर
- जो गरजते हैं वे बरसते नहीं – अधिक शोर मचाने वाले कम काम करते हैं।
- अधजल गगरी छलकत जाय – कम गुणों वाला व्यक्ति अधिक दिखावा करता है।
- आम के आम गुठलियों के दाम – दुगुना लाभ।
- खोदा पहाड़ निकली चुहिया – बहुत प्रयत्न करने पर भी कम लाभ पाना।
- चिराग तले अँधेरा – अपनी बुराइयाँ न दिखाई देना।
- चोर की दाढ़ी में तिनका – अपराधी स्वयं भयभीत रहता है।
- डूबते को तिनके का सहारा – मुसीबत के समय थोड़ी भी सहायता बहुत होती है।
- हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और – सामने कुछ और, पीछे कुछ और।
KSEEB SSLC Class 10 Hindi व्याकरण विराम चिह्न
- अल्प विराम – (,)
- अर्ध विराम – (;)
- पूर्ण विराम – (|)
- प्रश्न चिह्न – (?)
- विस्मयादिबोधक/भावसूचक चिह्न – (!)
- योजक चिह्न – (-)
- उद्धरण चिह्न – (” “) (‘ ‘)
- कोष्टक चिह्न – ( )
- विवरण चिह्न – (:-) (:)
KSEEB SSLC Class 10 Hindi व्याकरण काल
1. भूतकाल
अ) सामान्य भूतकाल
- सोनू और मोनू ने मिठाई खायी।
- रामू ने किताब पढ़ी।
आ) आसन्न भूतकाल
- माताजी अभी बाजार गई है।
- हलवाई ने जलेबी बनायी है।
इ) पूर्ण भूतकाल
- किरण खाना खा चुका था।
- ड्राइवर गाड़ी लेकर जा चुका था।
ई) अपूर्ण भूतकाल
- राहुल खेल रहा था।
- रोहित गीत गा रहा था।
उ) संदिग्ध भूतकाल
- सुशीला खाना बना चुकी होगी।
- प्रशान्त खेल चुका होगा।
ऊ) हेतुहेतुमद् भूतकाल
- कपिल पढ़ता तो पास हो जाता।
- वर्षा होती तो अच्छी फसल हो जाती।
2. वर्तमान काल
- पिताजी अखबार पढ़ रहे हैं।
- चिड़ियाँ उड़ रही हैं।
क) सामान्य वर्तमान काल
- वह घर जाता है।
- गायें घास चरती हैं।
ख) अपूर्ण वर्तमान काल
- कपिल खिलौने से खेल रहा है।
- आचार्य नृत्य सिखा रहे हैं।
ग) संदिग्ध वर्तमान काल
- अद्यापक महोदय आते होंगे।
- तुम्हारे पिताजी घर पहुँचते होंगे।
3. भविष्यत् काल
- मैं भी कल से विद्यालय जाऊँगा।
- 25 दिसंबर को विद्यालय बंद रहेगा।
च) सामान्य भविष्यत् काल
- सुरेश आम खाएगा।
- माली पौधों को पानी देगा।
छ) संभाव्य भविष्यत् काल
- शायद बारिश हो जाएं।
- शायद अमित कल आ जाए।
KSEEB SSLC Class 10 Hindi व्याकरण लिंग
स्त्रीलिंग – पुल्लिंग
- छात्र – छात्रा
- आचार्य – आचार्या
- साहब – साहिबा
- नाना – नानी
- कुत्ता – कुतिया
- बेटा – बिटिया/बेटी
- सुनार – सुनारिन
- नाई – नाइन
- ठाकुर – ठकुराइन
- हलवाई – हलवाइन
- बालक – बालिका
- सेवक – सेविका
- सेठ – सेठानी
- नौकर नौकरानी
- शेर – शेरनी
- मोर – मोरनी
- महान – महती
- श्रीमान – श्रीमती
- भाग्यवान – भाग्यवती
- स्वामी – स्वामिनी
- एकाकी – एकाकिनी
- दाता – दात्री
- विधाता – विधात्री
- भाई – बहन
- नर – मादा
- देव – देवी
- घोड़ा – घोड़ी
- माली – मालिन
- पण्डित – पण्डिताइन
- बुद्धिमान – बुद्धिमति
- लेखक – लेखिका
- नायक – नायिका
- गायक – गायिका
- बंदर – बंदरिया
- बूढा – बुढिया/बूढ़ी
- अध्यापक – अध्यापिका
- सदस्य – सदस्या
- अध्यक्ष – अध्यक्षा
- पिता – माता
- युवक – युवती
- कवि – कवयित्री
- राजा – रानी
- आदमी – औरत
- पुरुष – स्त्री
- माँ – बाप
- भक्त – भक्तिन
- भिखारी – भिखारिन
- मालिक – मालकिन
- साथी – साथिन
- भगवान – भगवती
- बच्चा – बच्ची
- लड़का – लड़की
- बकरा – बकरी
- शिक्षक – शिक्षिका
निर्जीव वस्तुओं का लिंग (Gender of non-living things):
पुल्लिंग
- पलंग/बिस्तर – तार
- कंप्यूटर – कटोरा
- पेन/कलम – फ्रिज
- बल्ब – टेलीविज़न
- कपड़ा – मसाला
- कांच – घर
- चश्मा – देश
- दरवाजा – गिटार
- भोजन/खाना – कमरा
- पानी – पंखा
- काम – पहाड़
- जूता – जहाज
- कप – आकाश
स्त्रीलिंग
- कुर्सी – शर्ट
- चाय – पेंट/पतलून
- माचिस – टाई
- लकड़ी – प्लेट
- दीवार – चम्मच
- सिगरेट – छत
- बंदूक – कार/गाडी
- रोटी – बस
- बिजली – रेलगाड़ी
- वायु/हवा – सड़क
- किताब – माला
- बोतल – नाव
- खिड़की – चिड़िया
- चप्पल – सीडी
KSEEB SSLC Class 10 Hindi व्याकरण कारक
1) कर्ता कारक :
- रमेश ने सुरेश की सहायता की।
- बाजीगर ने अनेक चमत्कार दिखाये।
2) कर्म कारक:
- मालिक ने नौकरों को वेतन दिया।
- लोगों ने चोर को पकड़ा।
3) करण कारक:
- किसान हल से खेत जोत रहा है।
- रमेश कलम से पत्र लिखता है।
4) संप्रदान कारक:
- माता ने बेटी के लिए एक अंगूठी खरीदी।
- नेहा शोभा के लिए पुस्तक लायी।
5) अपादान कारक:
- गंगा हिमालय से निकलती है।
- पेड़ से फल गिरा।
6) संबंध कारक :
- सरोवर का पानी स्वच्छ होता है।
- सोहन के दादा निरक्षर थे।
- शशि की माता खुश थी।
7) अधिकरण कारक:
- रमेश के पिता मुंबई में रहते हैं।
- पेड़ पर अनेक पंछी बैठते हैं।
8) संबोधन कारक:
- अरे! यह क्या हो गया?
- वाह! कितना अच्छा है!
KSEEB SSLC Class 10 Hindi व्याकरण विरुद्धार्थक शब्द
- संतुष्ट × असंतुष्ट
- न्याय × अन्याय
- होश × बेहोश
- देश × विदेश
- अंधकार × प्रकाश
- आय × व्यय
- आगे × पीछे
- अमृत × विष/मृत
- आधार × निराधार
- परतंत्र × स्वतंत्र
- जय × पराजय
- सफल × विफल/असफल
- आदर × अनादर
- चल × अचल
- लिखित × अलिखित
- आवश्यक × अनावश्यक
- अंत × आदि
- अंदर × बाहर
- अंधेरा × उजाला
- अच्छा × बुरा
- अतिवृष्टि × अनावृष्टि
- अनुराग × विराग
- अपना × पराया
- अपव्यय × मितव्यय
- अपेक्षा × उपेक्षा
- अफसोस × खुशी
- अमीर × गरीब
- अल्प × अधिक
- असली × नकली
- आज्ञा × अवज्ञा
- आतंक × निरातंक
- आदान × प्रदान
- आदि × अनादि
- आकाश × पाताल
- आरोह × अवरोह
- आशा × निराशा
- आसान × मुश्किल
- आस्था × अनास्था
- आहार × निराहार
- ईमान × बेईमान
- उचित × अनुचित
- उदय × अस्त
- उदार × कृपण
- उत्तीर्ण × अनुत्तीर्ण
- उन्नति × अवनति
- उपस्थित × अनुपस्थित
- उष्ण × शीत
- ऊँच × नीच
- कपट × निष्कपट
- कमजोर × मजबूत
- काला × गोरा
- कोमल × कठिन
- कृतज्ञ × कृतघ्न
- कृश × स्थूल
- क्रूर × दयालु
- क्षुण्ण × अक्षुण्ण
- खण्ड × अखण्ड
- गर्मी × सर्दी
- गुरु × लघु
- चर × अचर
- चेतन × जड़
- जनम × मरण
- जीत × हार
- जीवन × मृत्यु/मरण
- जोड़ना × तोड़ना
- टूट × अटूट
- डर × निडर
- तनिक × ज्यादा
- तीव्र × मन्द
- दिन × रात
- दोस्त × दुश्मन
- द्वितीय × अद्वितीय
- नज़दीक × दूर
- नया × पुराना
- नवीन × पुरातन, प्राचीन
- नश्वर × अनश्वर
- निकट × दूर
- निर्माण × नाश
- निश्चय × अनिश्चय
- नैतिक × अनैतिक
- परिवर्तन × अपरिवर्तन
- पवित्र × अपवित्र
- पास × फेल
- पुरस्कार × तिरस्कार
- पूर्ण × अपूर्ण
- प्रश्न × उत्तर
- प्रसन्न × अप्रसन्न
- प्राचीन × अर्वाचीन, नवीन
- प्रिय × अप्रिय
- प्रीति × ईर्ष्या
- प्रेम × द्वेष
- बंधन × मुक्त
- बढ़ना × घटना
- बोध × अबोध
- भाग्य × दुर्भाग्य
- भाग्यवश × दुर्भाग्यवश
- भिन्न × अभिन्न
- मंगल × अमंगल
- मान × अपमान
- मिलन × विरह
- मीठा × खट्ठा
- योग्य × अयोग्य
- राग × विराग
- ज्ञान × अज्ञान
- लंबा × चौड़ा
- लाभ × नष्ट
- वास्तव × अवास्तव
- विवाह × अविवाह
- वीर × कायर
- विश्वास × अविश्वास
- शांति × अशांति
- शरम × बेशरम
- शाकाहारी × मांसाहारी
- शुद्ध × अशुद्ध
- शुभ × अशुभ
- संभव × असंभव
- संयोग × वियोग
- सच × झूठ
- सज्जन × दुर्जन
- सत्य × असत्य
- सदुपयोग × दुरुपयोग
- समझ × नासमझ
- समान × असमान
- समानता × असमानता, विषमता
- सरल × जटिल
- सस्ता × महंगा
- सहयोग × असहयोग
- सुंदर × कुरुप, असुंदर
- सुख × दुःख
- सुर × असुर
- सुशिक्षित × अशिक्षित
- सूक्ष्म × स्थूल
- सौभाग्य × दुर्भाग्य
- स्तुति × निंदा
- स्थिर × अस्थिर
- स्मरण × विस्मरण
- स्वतंत्रता × परतंत्रता
- स्वर्ग × नरक
- स्वराज्य × परराज्य
- स्वाधीन × पराधीन
- स्वाधीनता × पराधीनता
- स्वाभाविक × अस्वाभाविक
- स्वावलंबन × परावलंबन
- हँसना × रोना
- हिंसा × अहिंसा
- छोटा × बड़ा
- आरंभ × अंत
- थोड़ा × बहुत
- खरीदना × बेचना
- देना × लेना
- बैठना × उठना
- इधर × उधर
KSEEB SSLC Class 10 Hindi व्याकरण वचन
एकवचन – बहुवचन
- बहन – बहनें
- रात – रातें
- बात – बातें
- किताब – किताबें
- आँख – आँखें
- कलम – कलमें
- थाली – थालियाँ
- गति – गतियाँ
- देवी – देवियाँ
- टोपी – टोपियाँ
- रीति – रीतियाँ
- नदी – नदियाँ
- तिथि – तिथियाँ
- सखी – सखियाँ
- वस्तु – वस्तुएँ
- लता – लताएँ
- सभा – सभाएँ
- गाथा – गाथाएँ
- कविता – कविताएँ
- कन्या – कन्याएँ
- बहू – बहुएँ
- माता – माताएँ
- बच्चा – बच्चे
- बेटा – बेटे
- छाता – छाते
- पंखा – पंखे
- लड़का – लड़के
- घोड़ा – घोड़े
- संतरा – संतरे
- गधा – गधे
- चुहिया – चुहियाँ
- खटिया – खटियाँ
- डिबिया – डिबियाँ
- लुटिया – लुटियाँ
- चिड़िया – चिड़ियाँ
- गुड़िया – गुड़ियाँ
- बालक – बालकगण
- छात्र – छात्रवृंद
- देव – देवगण
- पक्षी – पक्षीवृंद
- पाठक – पाठकवर्ग
- विद्वान – विद्वज्जन
- प्रजा – प्रजाजन
- अध्यापक – अध्यापकगण
- गिरि – गिरि
- घर – घर
- छाया – छाया
- कल – कल
- याचना – याचना
- क्षमा – क्षमा
- पानी – पानी
- जल – जल
- क्रोध – क्रोध
- मुनि – मुनि
- लड़की – लड़कियाँ
- जाति – जातियाँ
- गाड़ी – गाड़ियाँ
- बकरी – बकरियाँ
- स्त्री – स्त्रियाँ
- मेज – मेजें
- गाय – गाएँ
- माला – मालाएँ
- गुरू – गुरूजन
- नेता – नेतागण
- डॉक्टर – डॉक्टरलोग
- पुलिस – पुलिस
- भीड़ – भीड़
- जनता – जनता
- बकरा – बकरे
- गधा – गधे
- मेज – मेजें
- कपड़ा – कपड़े
- पहिया – पहिये
- शाखा – शाखाएँ
- भावना – भावनाएँ
- कक्षा – कक्षाएँ
- वार्ता – वार्ताएँ
- लता – लताएँ
- अध्यापिका – अध्यापिकाएँ
- भैंस – भैंसें
- सड़क – सड़कें
- बहन – बहनें
- आदत – आदतें
- नीति – नीतियाँ
- नारी – नारियाँ
- पाठक – पाठकगण
- अधिकारी – अधिकारी गण
- पेड़ – पेड़
- लोग – लोग
- हाथ – हाथ
- ग्रंथ – ग्रंथ
- फल – फल
- पत्र – पत्र
- दोस्त – दोस्त
- मंदिर – मंदिर
- संतान – संतान
- पत्थर – पत्थर
- फूल – फूल
- कंप्यूटर – कंप्यूटर
- रिश्तेदार – रिश्तेदार
- धन – धन
- खेत – खेत
- आदमी – आदमी
- रास्ता – रास्ते
- कमरा – कमरे
- पैसा – पैसे
- कौआ – कौए
- 108) नंगा – नंगे
- डिब्बा – डिब्बे
- बात – बातें
- मेज़ – मेजें
- सड़क – सड़कें
- चादर – चादरें
- आँख – आँखें
- संस्था – संस्थाएँ
- आशा – आशाएँ
- कविता – कविताएँ
- महिला – महिलाएँ
- वस्तु – वस्तुएँ
- मूर्ति – मूर्तियाँ
- कृति – कृतियाँ
- उपाधि – उपाधियाँ
- रोटी – रोटियाँ
- उँगली – उँगलियाँ
- खिड़की – खिड़कियाँ
- कुटिया – कुटियाँ
- पक्षी – पक्षी वृंद