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Karnataka 1st PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Vaibhav Chapter 11 कबीरदास के दोहे
कबीरदास के दोहे Questions and Answers, Notes, Summary
I. एक शब्दा या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
किसके प्रताप से सब दुःख दर्द मिटता है ?
उत्तरः
सद्गुरु के प्रताप से सब दुःख दर्द मिटता है।
प्रश्न 2.
कबीर के गुरु कौन थे ?
उत्तरः
रामानन्द कबीर के गुरु थे।
प्रश्न 3.
कबीर किस पर बलिहारी होते है ?
उत्तरः
अपने गुरु पर कबीर बालिहारी होते है ।
प्रश्न 4.
माटी कुम्हार से क्या कहती है ?
एक मै भी तुम्हें रैंगी इस प्रकाररा माटी कुम्हार से कहती है ।
प्रश्न 5.
किसको पास रखना चाहिए ?
निन्दा करनेवालों अपने पास रखना चाहिए ।
प्रश्न 6.
कस्तूरी कहा बसती है ? ।
उत्तरः
कस्तूरी हिरण के नाभी में बसती है ।
प्रश्न 7.
कबीर किसकी राह देखते है ?
उत्तरः
श्रीराम की राह देखते है।
प्रश्न 8.
क्रोध किसके समान है ?
उत्तरः
क्रोध काल (मृत्यु) के समान है ?
प्रश्न 9.
दुःख में मनुष्या क्या करता है ?
उत्तरः
दुःखा में मनुष्या भगवान का स्मरण करता है।
प्रश्न 10.
कबीरदास के अनुसार किसकी जाती नही पूछनी चाहिए?
उत्तरः
कबीरदास के अनुसार साधु (गुरु) की जाति नहि पूछनी चाहिए।
II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
गुरु की महिमा के बारे में कबीर क्या कहते है ?
उत्तरः
कबीरदास कहते है – सदगुरु के प्रभाव से सारे दुःख दर्द दूर हो जाते है जब गुरु रामानन्द मिले तो मन की
संशय दूर होगई ।
कहते है – एक तरफ गुरु खडे है, और एक तरफ भगवान । पहले मे गुरु के चरणों को प्रणाम करूंगा। भगवान के महिमा के बारे में गुरु ने ही ज्ञान प्रदान किया । इसलिए मै, मेरा सब कुछ गुरु पर न्युछावर करदुंगा । इस तरह गुरु की महिमा के बारे में कबीर कहते है। .
प्रश्न 2.
जीवन की नश्वरता के बारे में कबीर के क्या विचार है?
उत्तरः
कबीरदास इस जीवन की नश्वरता के बारे में उस प्रकार अपना विचार प्रकट करते है – जब कुम्हार मि ी को अपने पैरों तले कुचलता है । लेकिन एक दिन ऐसा आता है कि मि ी ही अपने पौरों तले हमें कुछल देती है। अर्थात्, मिीत से बनी शरीर एक दिन मि ी में मिल जाता है । इस जीवन को त्यागकर । इस प्रकार जीवन की नश्वरता के बारे में कबीर दास कहते है।
प्रश्न 3.
दया और धर्म के महत्व का वर्ण कीजिए ?
उत्तरः
कबीरदास, दया और धर्म के महत्व का वर्णन इस प्रकार करते है ।
जंहा – धर्म है, वाहाँ दया हैं । जहाँ दया है, वहाँ धर्म है । जहाँ धर्म निभाया नही जाता, वहाँ लोभ, क्रोध और पाप बढ़ने लगते है । इस से मौत निश्चित है । कहते है – जंहा दया और धर्म है वहा क्षमा है । जहा क्षमा है वँहा भगवान विचरण करते
प्रश्न 4.
समय के सदुपयोग के बारे में कबीर क्या कहते है ?
उत्तरः
समय के सदुपयोग के बारे में कबीरदास कहते है कि, कोई भी उत्तम कार्य करने के लिए देरी नही करनी चाहिए ।
आज करनेवाली काम को कलतक न टालिए : इसलिए कबीरदास कहते है कल करेसो आज करो, आज करे सो अभी करो, अगर पलमें पलय आगया तो फिर अधुरा न रह जाए । इस तरह कबीरदास का कहना है।
प्रश्न 5.
कबीरदास के अनुसार ज्ञान का क्या महत्व है ?
उत्तरः
कबीरदास कहते है – किसी साधु (गुरु) से जाती नही, पुछनी चाहिए। उनसे ज्ञन पाने की इच्छा रखनी चाहिए। फिर कबीर कहते है – हमें तलवार किस तरह चलना चाहिए यह सोचना है, ना कि तलवार रखने कोष के बारे में नहीं। इस तरह कबीर के अनुसार ज्ञान का महत्व है।
III. संसदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए :
प्रश्न 1.
माटी कहै कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोय ।
इक दिन ऐसो होयगो, मैं रौंदुंगी तोय ॥
उत्तरः
संदर्भ : प्रस्तुत पदावली को कबीरदास के दोहे से लिया गया है । कवि हैं – सर्वाधिक प्रतिभाशाली कबीरदास ।
स्पष्टीकरण : जब कुम्हार मिी को अपने पौरों पले रौंदता है । कुचलत्ता है । तो, मि ी कहती हैं । कि क्या मुझे कुचलता हैं । एक दिन एसा आएग, कि मैं तुझे रौंदंगी अर्थात इस नश्वर शरीर को एक दिन मि ी में ही मिल्जाबा होता है । इस तरह जीवन की नश्वरता के बारे में कबीरदास कहते है।
प्रश्न 2.
कस्तूरी कुंडलि बसो, मृग दूंढे बन मांहि ।
ऐसे घटी घटी राम हैं, दुनिया देखे नांहि ॥
उत्तरः
संदर्भ : प्रस्तुत पदावली को, कबीरदास के दोहे से लिया गया हैं । कवि है, सर्वाधीन प्रतिभाशाली कबीरदास ।
स्पष्टीकरण : हिरण मृग के नाभी में कस्तूरी होती हैं । लेकिन यह मृग वन-वन में ढूँढती है, इसी तरह भगवान राम हर तरफ है । लेकिन मनुष्य उन्हे यहाँ-वहाँ ढूँढता है । उनको पता नही भगवान राम अपने दिल में हैं।
कबीरदास के दोहे Summary in Hindi
Kabir Das, was one who started the Nirguna Bhakti Marga. According to this, God does not have any particular form god is everywhere. Kabir was not a scholar, but a great saint. He moved from place to place and gained experience. One of his followers, Mr. Dharma Dasa, noted all his sayings and collected. That has become a great epic called Kabir Granthavali, In this, three parts – Sakhi, Sabada and Ramainy.
In these Dhohe, Kabir tells about morality, Guru Bhakthi the vastness of God and about the eternal life. Kabir says-i it an able and scholarly Guru. Got a Guru like Ramananda. AL doubts got cleared. Kabir gave more importance to the Gurai than the God.
He says if both Guru and God come and stand in front of me, first, I will touch the feet of the Guru and then God. Because, he only explained me about the existence of the God. Similarly, he in the form of the earth tells to the pot maker – O’pot maker, you are smashing me every day.
But olay will come, when I will stamp and smash you permanently. It means, one day or the other every one should go to the earth. Kat is says, keep an abusive person very close to you. Because, every now and then he will find out your mistake. By that we can correct ourselves.
By doing so our mind and heart will become pure. While teaching to the innocent people, he gives an example- the musk-deer is having musk in his omphalos (Naabhi). But the deer search for it in the entire forest. Similarly, the God is in the heart of every man.
But without knowing he will reach for him on the top of hills, in the caves and in the temples. The poet is greedy to see the God. He prays Oh! God, without having your darshan, I became sad and worried. My soul is very much suffering to see you. Before the destruction of my body and eyes please give me the Darshan.
He further, says where there is kindness, there is Dharma, where there is greed, there is sin. Similarly where there is respect. Like this in which person, the kindness, pity, forgiveness are there, he is the real human. Pointing towards the lazy persons, he says, do the tomorrow’s work today and today’s work now. Who knows, tomorrow may or may not come in your life time.
The destruction may come within a second. So, don’t postpone any work. Kabir says-in each and every one’s life, the happiness and sadness will keep coming one after the other. This is nature’s rule. But the foolish people will pray God only when they get worries or sadness. One who pray God always, he
कठीण शब्दार्थ :
परताप : Power, heroism ; काके = whose ; दोऊ = both ; मोये = for me ; नियरे = near ; सुभाय = behaviour ; मृग = deer ; काल = death ; बहुरि = again ; काहे = why ; दुविध = doubt ; बलिहारी = sacrifice ; गैंदन = smashing to stamp ; तोको = for you ; कुंडली = circular (hole) nativity; Jiant = waiting ; 4874 = destruction ; EFFECT = prayer, remembrance ; 216 = sword’s case.