1st PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Vaibhav Chapter 23 अभिनंदनीय नारी

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Karnataka 1st PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Vaibhav Chapter 23 अभिनंदनीय नारी

अभिनंदनीय नारी Questions and Answers, Notes, Summary

I. एक शब्दा या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए :

प्रश्न 1.
नारी किसके सामान सहनशील होती है ?
उत्तर:
नारी धर (धरती) की समान सहनशील होती है।

प्रश्न 2.
नारी बचपन में किसके मन में हिलोरे उठाती है ?
उत्तर:
नारी बचपन में माता-पिता के मन में हिलोरे उठाती है ।

प्रश्न 3.
नारी इस धरती को धन्य कैसे किया ?
उत्तर:
नारी ने इस धरती को स्नेह और सेवा से धन्य किया ।

प्रश्न 4.
स्वार्थी संसार क्या याद नही रखता है ?
उत्तर:
स्वार्थी संसार किसी के उपकारों को याद नही रखता है।

प्रश्न 5.
नारी अबला नहीं बल्कि क्या है ?
उत्तर:
नारी अबला नहीं बल्कि नारी रणचंडी भी है।

प्रश्न 6.
जिस घर में नारी का सम्मान हो, वहाँ क्या होता है ?
उत्तर:
जिस घर में नारी का सम्मान हो, वहा आनंद का आगर होता है।

प्रश्न 7.
अभिनंदनीय नारी इस कविता को किस काव्य-संग्रह से लियागया है ?
उत्तर:
अभिनंदनीय नारी इस कविता को यथार्थ काव्य – संग्रह से लिया गया है।

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

प्रश्न 1.
नारी के विभिन्न गुणों का परिचय दीजिए ।
उत्तर:
नारी के विभिन्न गुण इस प्रकार है- नारी सहनशीलता का और कोमलता का मूर्ती है । नारी कोमल रस धार की तरह सुःख का सार है । नारी वंदनीय, अभिनंदनीया है। धरती की तरह सहनशील है, जल की तरह निमिल, फूलोंमी कोमल है। और इस जीवन की गीत, व जीवन की प्रेम, जीवन की मति नाशी ही है, इस तरह नारी की शक्ति व सेवा-भाव का चित्रण किया है।

प्रश्न 2.
नारी के बचपन का चित्रण कीजिए ।
उत्तर:
नारी, बचपन में, उसका चहकना, उसका महकना और नन्ही सी चिडिया की तरह इठलाती फिरती रहती है । इस तरह उसी बचपन में माता-पिता के मन में आनंद के तरंगे उठाती है। जब चलती है, तो पैज़नीयाँ छन-छन बजति है। बाबूल के आंगन की तुलसी की पौधे की तरह नारि है।

प्रश्न 3.
नारी के शक्ति रूपों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर:
नारी रणचंडी है, जो विनाश कारी है। और जिसे आसानी से दमन न किया जा सके ; वो देप्य नशिनी दुर्गा माँ भी है । महा शक्ति और शिवानी है, साक्षात पार्वती का रूप है, और दैत्यों के खून पिने वाली महाकाली भी है। इस प्रकार नारी के शक्ति व रूपों का वर्णन है।

प्रश्न 4.
नारी किस प्रकार से सृष्टि का श्रृंगार है?
उत्तर:
विभिन्न रूपों में सजी हुई यह नारी सृष्टि का श्रृंगार है। यदि इस संसार में नारी ही न हो, तो फिर यह संसार किस काम का? जिस घर में नारी का सम्मान होता है, वह घर आनंद का सागर है।
यदि जीवन में नारी न हो, तो मानव जीवन ही व्यर्थ है।
विशेष : “जहाँ नारियों का सम्मान होता है, वहाँ देवताओं का वास होता है।’

III. संसदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए

प्रश्न 1.
इस धरा पर मृदुल रस धार-सी तुम सुख का सार हो नारी
तुम वंदनीय हो, अभिनंदनीय हो, सादर नमन तुम्हें हे नारी…!
धरा सी सहनशील, जल-सी निर्मल, फूलों सी कोमल तुम नारी
जीवन की गति, जीवन की रति, जीवन की मति हो तुम नारी…!
उत्तर:
प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘अभिनंदनीय नारी’ नामक कविता से लिया गया हैं जिसके रचयिता जयन्ती प्रसाद नौटियाल हैं।
संदर्भ : नारी की महत्ता का गौरव बताते हुए कवि कहते हैं कि वह वंदनीय, अभिनंदनीय है, वह धरती जैसी सहनशील, पानी जैसी निर्मल और कोमल है।
स्पष्टीकरण : नारी धरती की कोमल रस-धारा और सुख की सागर है। नारी वंदनीय, पूजनीय है। उसे सादर प्रणाम! नारी में धरती-सी सहनशीलता, जल-सी निर्मलता, फूलों-सी कोमलता है। नारी जीवन की गति, जीवन की रति और जीवन की मति है।

प्रश्न 2.
नारी अबला नहीं बल्कि यह नारी रणचंडी भी है,
कृत्या है यह दुर्दम, दैत्य नाशिनी दुर्गा माँ भी है।
शक्ति और शिवानी है यह और कात्यायिनी भी है
दैत्यों के शोणित को पीने वाली महाकाली भी है॥
उत्तर:
प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘अभिनंदनीय नारी’ नामक कविता से लिया गया हैं जिसके रचयिता जयन्ती प्रसाद नौटियाल हैं।
संदर्भ : नारी की शक्ति का परिचय देते हुए कवि कहते हैं कि नारी अबला नहीं। अन्याय और अत्याचार के विरोध में वह रणचण्डी से कम नहीं है।
स्पष्टीकरण : कवि कहते हैं कि नारी अबला नहीं, बल्कि रणचंडी है। राक्षसों का संहार करने वाली माँ दुर्गा है। नारी शक्ति-स्वरूपा, शिवानी और कात्यायनी है। नारी राक्षसों के खून को पीनेवाली महाकाली भी है।

अभिनंदनीय नारी कवि परिचयः
हिन्दी साहित्य के आधुनिक कवि जयन्ती प्रसाद नौटियाल का जन्म उत्तरांचल राज्य के देहरादून में 3 मार्च 1956 को हुआ। आपने एम.ए. (हिन्दी तथा अंग्रेजी), एल.एल.बी., एम.बी.ए., पीएच.डी. (भाषा विज्ञान) तथा डी.लिट. की उपाधियाँ प्राप्त की हैं। डॉ. नौटियाल मूलतः तकनीकी साहित्य के लेखक हैं। आपके लेख विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। आप संप्रति भारत सरकार के अग्रणी बैंक कार्पोरेशन बैंक में सहायक महाप्रबंधक पद पर कार्यरत हैं।

कविता का आशयः
प्रस्तुत कविता में भारतीय नारी की सहनशीलता, कोमलता, शक्ति और सेवाभाव को चित्रित किया गया है।

अभिनंदनीय नारी Summary in English

The poem, Abhinandaneeya Nari (An applauded lady) is written by Dr. Jayanthi Prasad Natiyal. In this poetry the writer gave importance for the courage, tenderness and power of a woman while addressing an women, the poet says ‘o’ women on this earth, you are the source of happiness and tenderness. My heartful thanks for you.

You are having tolerance like an earth, you are as pure as water and as tender as a flower. Let the wisdom and love be your way of life. In your childhood your noise was like a bird and in your youthhood you were dreaming about your feature. Like a fountain of joy, you attracted the parents.

You are child among children, a lover with a lively man. You are child among children, a lover with a lovely man. You are full of excuses and kindness. You have made this earth sacred by your services. But in this world, no one will remember your services.Against to.yourkindness, honesty, tenderness, affection, this world will not give anything.

The woman is not powerless but she is powerfull. She is like durga, the goddess of evil destroyer. You are the Maha Kali, who sucked the blood of demons, evils. You have many forms and you are the cause of the creation without woman, this world and life is useless.

In which house woman has respect and honoured, that home is a happy palace. If woman is not there, in man’s life, his life will be useless. Like these the poet praised the woman, who is a sister, mother, daughter and wife.

कठीण शब्दार्थ :

हिलोए = wave ; धरा = earth ; मृदुल = soft (tender); सार = summary ; वंदनीय = adorable ; नमन प्रणाम = to low down, to pray; रति = love ; मति = mind knowledge ; चिरैय्या = bird ; हिलोर = wave; tiparet = an ornament of the ankles ; strat = varandha, yard ; बिरव = plant ; ऋजुता = simplicity; प्रतिदान = redonation; अबला = helpless, week ; कृत्य = destructive work ; दुर्दम = which cannot be destroyed ; कात्यायिनी = goddess parvathi; शोणित = blood, bloodshed ; इठलाना = to show proudness ; चहक = noise (sound); बाबुल = father.