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Karnataka 1st PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Vaibhav Chapter 29 दोपहर का भोजन
दोपहर का भोजन Questions and Answers, Notes, Summary
I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
रामचंद्र कितने वर्ष का था?
उत्तरः
रामचंद्र इक्कीस (21) वर्ष का था।
प्रश्न 2.
प्रूफरीडरी का काम कौन सीख रहा था?
उत्तरः
प्रूफरीडरी का काम रामचंद्र सीख रहा था।
प्रश्न 3.
सिद्धेश्वरी के मँझले लडके का नाम लिखिए।
उत्तरः
सिद्देश्वरी के मँझले लडके का नाम मोहन।
प्रश्न 4.
सिद्धेश्वरी के छोटे लडके का उम्र कितनी थी?
उत्तरः
सिद्धेश्वरी के छोटे लडके का उम्र छह (6) वर्षीय।
प्रश्न 5.
मुंशी चंद्रिका प्रसाद कितने साल के लगते थे?
उत्तरः
मुंशी चंद्रिका प्रसाद पैंतलीस (45) वर्ष थी, किंतु पचास पचपन के लगते थे।
प्रश्न 6.
किसकी शादी तय हो गई थी?
उत्तरः
गंगाशरम बाबू की लडकी की शादी तय होगई थी।
प्रश्न 7.
मुंशी जी की तबीयत किस से ऊब गई थी?
उत्तरः
मुंशी जी की तबीयत अन्न और नमकीन चीजों से तबीयत ऊब गई
प्रश्न 8.
मुंशी जी छैटनी किस विभाग से हो गई थी?
उत्तरः
मकान – किराया – नियंत्रण विभाग की क्लर्का सेउनकी छंटनी हो गई थी।
प्रश्न 9
‘दोपहर का भोजन’ कहानी के लेखक कौन हैं?
उत्तरः
अमरकांत ‘दोपहर का भोजन’ कहानी के लेखक हैं।
II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
प्रश्न 1.
सिदेश्वरी के परिवार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तरः
सिद्धेश्वरी एक गरीब घर की औरत हैं। उस के तीन बेटे हैं। उसका बडा लडका रामचंद्र, जो उसकी उम्र लगभग इक्कीस (21) वर्ष का था। वह एक स्थानीय दैनिक समाचार पत्र के दफ्तर में अपनी मर्जी के प्रूफरीडरी का काम करता था। मोहन सिद्धेश्वरी का मँझला (बीच) का लडका था। उस का उम्र अठ्ठारह (18) वर्ष थी। तीसरा लडका सबसे छोटा बेटा प्रमोद, उम्र छह (6) वर्षीय था और पति मुंशीचंद्रिका प्रसाद, उनकी उम्र लगभग पैंतलीस (45) के थे। यह सिद्धेश्वरी का परिवार परिचय।
प्रश्न 2.
बीमार प्रमोद की हालत कैसी थी?
उत्तरः
बीमार बच्चा प्रमोद नंग – धडंग पड़ा था। उस के गले का तथा छाती की हडिया साफ दिखाई देती थी। उसके हाथ पैर बासी ककड़ियों की तरह सूखे तथा बेजान पड़े थे। उसका पेठ हंडिया कि तहर फूला हुआ था। उस का मुंह खुला हुआ था और उस पर बहुत सारे मक्खियाँ उड रही थी।
प्रश्न 3.
रामचंद्र का परिचय दीजिए।
उत्तरः
रामचंद्र सिध्देश्वरी का बड़ा बेटा हैं। उसका उम्र लगभग इक्कीस (21) वर्ष। और शरीर लवा कद, दुबला – पतला, गोरा रंग, बडी – बडी आँखे और होठों पर झुर्रियाँ पडी हैं। और वह एक स्थानीय दैनिक समाचार पत्र के दफ्तर में अपनी मर्जी से प्रूफरीडरी का काम करता था।
प्रश्न 4.
मँझले लडके मोहन के रूप – रंग और स्वभाव के बारे में लिखिए।
उत्तरः
मोहन सिद्धेश्वरी का मँझल बेटा है। उसका उम्र अट्ठारह (18) वर्ष। और वह इस साल हाईस्कूल का प्राईवेट इम्तहान देने की तैयारी कर रहा था। और रंग से कुछ साँवला था उसके आँखे छोटी थी। उसके चेहरे पर चंचल के दाग थे। वह भी अपनी भाई की तरह दुबला – पतला था, किंतु उतना लंबा न था। लेकिन उम्रकी अपेक्षा कही अधिक गंभीर उदास दिखाई पड़ रहा था। तो यह था मोहन।
प्रश्न 5.
सिध्देश्वरी की आँखो से आँसू क्यों टपकने लगे?
उत्तरः
सिद्धेश्वरी खाने पर बैटगई, मगर दाल परा कटोरी भर भी न था। थोडी सी चने की भाजी बची थी। और रोटीयाँ भी एक ही बची थी। वो भी मोटी. भहदी जली हुई थी। लेकिन अचानक उसकी नजर बीमार बेटे प्रमोद के तरफ देखा तो पता नही कहाँ से आंखों में आँसू टपकने रगे थे।
प्रश्न 6.
मुंशी चंद्रिका प्रसाद की लाचारी का वर्णन कीजिए।
उत्तरः
मुंशी चंद्रिका प्रसाद के घर में मल्खियों भन – भन कर रहा था। आंगन में एक गंदी कपडे टॅगी थी, बाहर की एक कोठरी में मुंशी जी औंधे मुँह होकर निश्चित होकर सो रहे थे। जैसे डेढ़ महीने पूर्व मकान – किराया नियंत्रण विभाग की प्लर्जी में उनकी छंटना न हुई हो और शाम को उनको काम तलाश में कहीं जाना न हो…।
दोपहर का भोजन Summary in English
This story has been written by Amarkanth. In this, he narrated the life of a poor family, those who were struggling for their daily meals. In India, about 80% of the people were living below the poverty line. Such one is here.
Clerk Chandrika Prasad aged about 50 years. But he appears like 75 years old. The skin on his body got loose and had lines on his fore head and other parts of the face. His eyes were like a pit and shineless. He was wearing an ugly, torn old dhoti and a baniyan. He was suspended by the house rent control office and he was
doing some petty works, out of which he used to get meagre income. In his family there were 5 members clerk Chandrika Prasad, his wife Siddeshwari, elder son Ramachandra, the middle son Mohan and the youngest son Pramod. The poverty was attacked this family.
Ramachandra, who studied upto intermediate, aged about 21 years, appears to be weak and tired. His hairs were scattered and he was wearing an old, torn shoes which were covered with full of dust. Siddeshwari, wife of clerk Chandrika Prasad made 7 (seven) (Roties) breads for their mid-day-meal. Afterwords she felt worries and sadness.
She drank water, collecting from an earthern pot. Only water filled her stomach. She laid down on the floor. The clock struck 12 ‘O clock (noon). She got up and went to the main door and stood there waiting for her elder son. Once her sight went towards the youngest son Pramod who was slept on a small broken cot, without having cloths covered on his body. Then she saw Ramachandra was advacing towards the house slowly.
On seeing him, Siddeshwari quickly went in and arranged for his meals. Ramachandra, washed his hands and legs and sat on a seat. He was learning proof reading work in a local news paper office. Siddeshwari served him to breads (roties) with side dish and started to tell some satisfying words such that he can eat peacefully. After the completion of eating she asked to give one more. But he said, no stomach is full.0
At the same time Siddeshwari’s second son came by running & quickly washed his hands and sat for eating. She served two breads (roties) for him. He had the marks of smallpox on his face and his built up was almost similar to his elder brother. He was aged 18 years and he was preparing for High School Examination in private.
By eating one bread, he finished all his side dish. Then his mother gave him a little. He was in the habit of teeling lie. He used to say-I was studying with my friend.
When he finished eating, clerk Chandrika Prasad came slowly. After washing his legs and hands he sat on stool. He also had two breads with side dish while eating slowly he enquired about his sons. Siddeshwari told positively on each of her sons. He said all my three sons are good and then loughed, when she asked Chandrika Prasad for one more bread, he replied – I don’t want bread, give me little joggery juice, Accordingly, he got the Juice.
At last Siddeshwari pulled his plate only and get served the last, burnt, shapeless bread with the remaining side dish. She was about eat, immediately she remembered her youngest son who was sleeping in the Varadha. Then she kept half of the bread for him and started to eat slowly.
She had tears in her eyes. She was wearning a dull, torn old saree. Her both sons gone out, husband was slept in the hall. Pramod was suffering with fever. The flies were flying on his face with all these worries Siddeshwari suffered a lot.
कठीण शब्दार्थ :
घडलू ,बेरा कठोक = understructed, falling ground ; पँदल = by walk; गगरा = a large earthen jar; ओसारा = portico ; खटोअला = baby cot ; गार्द= dust particle; पीढ़ा = stool ; पनिपाई= watery, पनियाई = watery, चेचक= smallpox, जुगाली = rumination, cudding अव्वल = first ; उन्माद = insanity ; बर्राक = poor, orphan ; बीनना to choose ; कनखी = squint ; छटा = splender ; छिपुली = small plate ; अलगनी = towel rail ; छँटनी = to be removed.