2nd PUC Hindi Model Question Paper 2 with Answers

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Karnataka 2nd PUC Hindi Model Question Paper 2 with Answers

Time: 3.15 Hours
Max Marks: 100

सूचना:

  1. सभी प्रश्नों के उत्तर हिन्दी भाषा तथा देवनागरी लिपि में लिखना आवश्यक है।
  2. प्रश्नों की क्रम संख्या लिखना अनिवार्य है।

I.(अ)एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए : ( 6 x 1 = 6 )

प्रश्न: 1.
बुढापे में आदमी की क्या मारी जाती हैं?
उत्तर:
बुढ़ापे में आदमी की बुद्धि मारी जाती है ।

प्रश्न: 2.
गंगा मैया ने किसे सर्वशक्तिमान कहा हैं ?
उत्तर:
गंगा मैया ने प्रकृति को सर्वशक्तिमान कहा है ।

प्रश्न: 3.
विश्वेश्वरय्या किस उम्र में असिस्टेंट इंजिनियर के पद पर नियुक्त हुए?
उत्तर:
विश्वेश्वरय्या 23 वर्ष की उम्र में असिस्टेंट इंजिनियर के पद पर नियुक्त हुए ।

2nd PUC Hindi Model Question Paper 2 with Answers

प्रश्न: 4.
मेम साहब को क्या पसद आये थे?
उत्तर:
मेमसाहब को पर्दे, सोफा, कवर डिजाइन और घर की सजावट पसंद आये थे।

प्रश्न: 5.
भोलाराम का जीव किसे चकमा दे गया?
उत्तर:
भोलाराम का जीव यमदूत को चकमा दे गया ।

प्रश्न: 6.
‘पानी’ के लिए जापानी भाषा में कौन सा शब्द है?
उत्तर:
गौतम बुद्ध को जापानी भाषा में दायबुत्सु कहते

आ) निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लिखिए : ( 3 x 3 = 9 )

प्रश्न: 7.
सुजान महतो की संपत्ति बढ़ी तो क्या करने लगा?
उत्तर:
सुजान महतो की सम्पत्ति बढ़ी तो चित्त की वृत्ति धर्म की ओर झुक पड़ी। साधु संतों का आदर सत्कार होने लगा। बड़े अफसर गाँव में आने तो मजान के चौपाल में भी वहाते। मकी देख-रेख अच्छी जज से करते थे। भजन-भाव होने लगा। मजार गांव में एक पक्का क रवाया। गया की यात्री गांव में आकर तहो तो अके साथ सजान और अकी पापी गवा जाकर आए। आने के बाद बज और फिर हम भोजा इस तरह के काकाने से गांव के लोग उनका आदर करने लगे।

प्रश्न: 8.
धर्म पालन करने के मार्ग क्या-क्या अडचन आते हैं।
उत्तर:
धर्म पालन करने के मार्ग में सबसे अधिक बाधा चिन की चंचलता, उद्देश्य की अस्थिरता और मन की निर्मलता से पड़ती है। मनुष्य के कर्तव्य मार्ग में एक ओर तो आत्मा के भले और बुरे कानों का ज्ञान और दूसरी ओर आलस्य और स्वार्थपरता रहती है। बस मनुष्य इन्हीं दोनों के बीनपटा रहता है। और अंत में यदि उमाका मन पक्का आलो वह आत्मा की आज्ञा मानकर अपने धर्म पातर करता है। यदि उसका मन कुछ समय तक दविधा में पड़ा रहा तो स्वार्थपाला निश्चय ही उसे आ पेरेगी। और उसका चरित्र पूणा स पात्र बन जाएगा।

प्रश्न: 9.
पडोस कल्चर के बारे में लेखिका क्या करती?
उत्तर:
तर पडोम फन्चर के बारे में लेखिका मन भण्डारी कहती है कि जमाने में घर की दीवार पर तक समाप्त नहीं हो जाती थीं बल्कि पूरे मोहल्ले तक फैली रहती थी। इसलिए मोहल्ले के किसी भी घर में जाने पर कोई पाबंदी नहीं थी, बल्कि कुछ घर तो परिवार का हिस्सा ही थे। लेकिन आज आधुनिक दबाव ने महानगरों में फ्लैट में रहनेवालों को हमारे इस परंपरागत पडोस कल्चर से विच्छिन्न करके हमें संकुचित, असहाय और असुरक्षित बना दिया है।

प्रश्न: 10.
हैदराबाद नवाब के सामने कौन-सी मुसीबत थी?
उत्तर:
जब विश्वेश्वरय्या हैदराबाद राज्य के इंजीनियरिंग सलाहकार थे, उन दिनों हैदराबाद रियासत पर निज़ाम नवाब का शासन था। उनके सामने एक मुसीबत आ खड़ी हुई थी। हर वर्ष मूसी नदी में भयंकर बाढ़ आती थी। इस वजह से खूब तबाही उ होती थी, उस बाढ़ का पानी हैदराबाद नगर में घुस आता था, जिससे सारे काम-काज बंद हो जाते थे। विश्वेश्वरय्या ने मूसी नदी के पानी को काबू करने की योजना बनाई, बाँध भी बनवाया। साथ ही हैदराबाद नगर के लिए पानी तथा नालियों का भी बड़ा अच्छा इंतजाम किया
जिससे नवाब साहब की मुसीबत टल गई।

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प्रश्न: 11.
चीफ़ और माँ की पहली मुलाकात का वर्णन कीजिए?
उत्तर:
चीफ़ साहब बरामदे में आ गये। माँ हडबडाकर उठ बैठी। झठ से पल्ला सिर पर रखती हुई खड़ी हो गईं। उनके पाँव लड़खड़ाने लगे, अँगुलियाँ थर-थर काँपने लगी। चीफ के चेहरे पर मुस्कुराहट थी। उन्होंने कहा-नमस्ते ! माँ ने सिमटते हुए दोनों हाथ जोड़े। चीफ ने हाथ मिलाने को कहा। माँ घबरा गई। शामनाथ ने कहा – माँ हाथ मिलाओ। माँ के दायें हाथ में माला थी। घबराहट में माँ ने अपना बायाँ हाथ ही चीफ के दायें हाथ में रख दिया। शामनाथ दिल ही दिल में जल उठे। देसी अफ़सरों की स्त्रियाँ खिलखिलाकर हँस पड़ी।

II. निम्नलिखित वाक्य किसने किससे कहे : ( 4 x 1 = 4)

प्रश्न: 12.
लौटकर बहुत कुछ गुबार निकल जाए तब बुलाना।
उत्तर:
मन्नू ने अपनी माँ से कहा।

प्रश्न: 13.
जब से बीमारी से उठी हूँ नाक से साँस नहीं ले सकती।
उत्तर:
शामनाथ की माँ ने शामनाथ से कहा।

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प्रश्न: 14.
क्रोधी तो सदा के हैं । अब किसी की सुनेंगे थोड़े ही।
उत्तर:
बुलाकी ने भोला से कहा।

प्रश्न: 15.
मुझे भिक्षा नहीं चाहिए । मुझे भोलाराम के बारे में कुछ पूछ ताछ करनी हैं।
उत्तर:
नारद ने भोलाराम की बेटी से कहा।

(आ) निम्नलिखित में से किन्हीं दो का ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए : ( 2 x 3 = 6 )

प्रश्न: 16.
‘पिता के ठीक विपरीत थीं हमारी बेपढ़ी लिखी माँ।’
उत्तर:
प्रस्तुत गद्यांश ‘एक कहानी यह भी’ नामक पाठ से लिया गया है जिसकी लेखिका मन्नू भण्डारी हैं।
संदर्भ : लेखिका अपनी माँ का परिचय देते हुए यह वाक्य कहती है।
स्पष्टीकरण : मन्नू भण्डारी के पिताजी एक ओर बेहद कोमल और संवेदनशील शिक्षित व्यक्ति थे तो दूसरी ओर बेहद क्रोधी और अहंवादी थे। एक बहुत बड़े आर्थिक झटके के कारण, गिरती आर्थिक स्थिति, नवाबी आदतें, अधूरी महत्वाकांक्षाएँ आदि के कारण वे क्रोधी और शक्की मिज़ाज़ के हो गये थे। लेकिन मन्नू की माँ पिता के ठीक विपरीत थीं। धरती माँ जैसी सहनशील। पिताजी की हर ज़्यादती को अपना प्राप्य और बच्चों की हर उचित अनुचित फरमाइश और ज़िद को पूरा करना अपना फर्ज़ समझकर बड़े सहज भाव से स्वीकार करती थी। उन्होंने जिंदगी भर अपने लिए कुछ माँगा नहीं, चाहा नहीं, केवल दिया ही दिया।

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प्रश्न: 17.
पर ऐसा कभी नहीं हुआ था।
उत्तर:
प्रस्तुत गद्यांश भोलाराम का जीव नामक पाठ से लिया गया है जिसके लेखक हैं श्री हरिशंकर परसाई।
संदर्भ:धर्मराज लाखों वर्षों से असंख्य आदमियों को कर्म और सिफारिश के आधार पर स्वर्ग या नरक में निवास स्थान अलॉट करते आ रहे थे। पर ऐसा कभी नहीं हुआ था कि कोई जीव यमदूत को चकमा दे गया हो।

स्पष्टीकरण:धर्मराज के सामने एक विकट समस्या आ खड़ी हुई। इससे पहले यमलोक में ऐसा कभी नहीं हुआ था। धर्मराज लाखों वर्षों से असंख्य आदमियों को कर्म और सिफारिश के आधार पर स्वर्ग या नरक में निवास स्थान अलॉट करते आ रहे थे। एक बार भी ऐसा नहीं हुआ था। चित्रगुप्त ने रिजिस्टर पर रिजिस्टर देखकर बताया-महाराज, रिकार्ड सब ठीक है, भोलाराम के जीव ने पाँच दिन पहले देह त्यागी
और यमदूत के साथ इस लोक के लिए रवाना भी हुआ पर यहाँ अभी तक नहीं पहुंचा। वह यमदूत भी लापता है। असल में भोलाराम का जीव यमदूत को चकमा देकर गायब हो गया था।

प्रश्न: 18.
चूड़ियाँ कहाँ से लाऊँ बेटा? तुम तो जानते हो, सब जेवर तुम्हारी पढाई में बिक गए।
उत्तर:
प्रस्तुत गद्यांश चीफ की दावत नामक पाठ से लिया गया है जिसके लेखक भीष्म साहनी हैं। संदर्भ :जब शामनाथ अपनी माँ से कहता है कि कोई चूडियाँ-बूड़ियाँ हों तो पहन लो। उस वक्त माँ उत्तर देते हुए यह वाक्य कहती है।

माँ गाँव की रहनेवाली अनपढ़ और अंग्रेजी रीति-रिवाज़ नहीं जानती थी। शामनाथ ने अपनी माँ को सफेद कमीज़ और सफेद शलवार पहनने के लिए कहा। उसने अपनी माँ से चूड़ियाँ पहनने के लिए भी कहा। उस समय माँ उपरोक्त कथन कहती हैं कि सब जेवर तुम्हारी पढ़ाई में ही बिक गये।

प्रश्न: 19.
यहाँ तो डेंटिस्ट मक्खी मारते होंगे।
उत्तर:
प्रस्तुत गद्यांश हमारी ‘यात्रा जापान की’ नामक पाठ से लिया गया है जिसकी लेखिका हैं श्रीमती ममता कालिया।
संदर्भ :जापान की सभी लड़कियाँ खाना खाने के बाद हर बार, बिना नागा दाँत साफ करती हैं।

स्पष्टीकरण:अंतरर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में भाग लेने हेतु जब लेखिका जापान की यात्रा पर गई थीं तब उन्हें वहाँ दिलचस्प नज़ारा देखने को मिलता है। वाश बेसिन के सामने छात्राओं की लम्बी कतार हैं। सब ने अपने पर्स में ट्रथब्रश और टूथपेस्ट निकालकर रखे हैं। बाद में पता चला, सभी लड़कियाँ खाना खाने के बाद हर बार, बिना नागा दाँत साफ करती हैं। इसे देखकर ममता कालिया जी ने उपरोक्त वाक्य को कहा।

III. (अ) एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए। (6 x 1 = 6)

प्रश्न: 20.
चकोर पक्षी किसे देखता रहता हैं?
उत्तर:
चकोर पक्षी चाँद को देखता रहता है।

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प्रश्न: 21.
सूरदास किसकी शोभा पर बलि जाते हैं ?
उत्तर:
सूरदास श्रीकृष्ण की शोभा पर बलि जाते हैं ।

प्रश्न: 22.
कवयित्री किस अधिकार की बात कर रही
उत्तर:
कवयित्री ‘मिटने का अधिकार’ की बात कर रही

प्रश्न: 23.
कवि दुष्यंत कुमार के अनुसार जनता की पीडा किसके समान हैं?
उत्तर:
कवि दुष्यन्त कुमार के अनुसार जनता की पीड़ा पर्वत के समान है।

प्रश्न: 24.
कवि गोन्द्र शर्मा क्या न बनने का संदेश देते .
उत्तर:
कवि नरेन्द्र शर्मा कायर न बनने का संदेश देते

प्रश्न: 25.
भारतीयता कहाँ बहु रूप में संवरती हैं?
उत्तर:
भारतीयता कर्नाटक में बहु रूप में सँवरती है ।

(आ) निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो के उत्तर लिखिए। ( 2 x 3 = 6 )

प्रश्न: 26.
रैदास ने किस प्रकार के राज्य का वर्णन किया है?
उत्तर:
रैदास ने रामराज्य का वर्णन किया है। वे कहते हैं ऐसा राज्य होना चाहिए, जिसमें सभी प्रजा को अन्न मिले, जहाँ छोटे-बड़े, धनी गरीब दीनदलित सभी को समान अधिकार मिले। सभी समान रूप से, सौहार्दता से जिएँ । वे परिश्रम करके खुश हाल रहे।

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प्रश्न: 27.
कर्मयोग के स्वरूप के बारे में रहीम के क्या विचार हैं?
उत्तर:
रहीम के अनुसार मनुष्य को आलसी न होकर सदा काम में लगे रहना चाहिए। कर्म करते रहना चाहिए, फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि फल तो भाग्य या भगवान देनेवाला है। उदाहरण देकर रहीम कहते हैं कि पाँसे अपने हाथ में ज़रूर हैं, पर खेल का दाँव अपने हाथ में नहीं

प्रश्न: 28.
पर्यावरण के संरक्षण के संबंध में कवि कुँवर नारायण के विचार लिखिए?
उत्तर:
वृक्षों के महत्व का वर्णन करते हुए पर्यावरण के संरक्षण के संबंध में कुँवर नारायण जी कहते हैं कि वृक्ष हर मौसम में मानव का हमदर्द बनकर उसकी भलाई करता है। हम जानते हैं कि मनुष्य को जीने के लिए जो हवा और पानी की आवश्यकता है, वे वृक्षों के कारण ही प्राप्य है। पर्यावरण में प्राणवायु वृक्षों के द्वारा ही बढ़ती है जिससे मानव आराम से साँस ले सके। वृक्ष गर्मियों में छत्रछाया बनकर हमारी थकावट दूर करते हैं। वृक्षों से ही बारिश होती है। वृक्षों को काटना नहीं चाहिए। वृक्षों के बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। इसके बिना मनुष्य का जीना दूभर हो जाएगा। इसलिए पर्यावरण का संरक्षण बहुत ही आवश्यक है।

प्रश्न: 29.
राजस्थान की वीरता के संबंध में मानव के क्या विचार हैं?
उत्तर:
राजस्थान में राणा की हुंकार है। यहाँ की हल्दीघाटी की चट्टानों पर वीरों की तलवार खनकी है। यहाँ पर वीरों के मस्तक स्वाभिमान से ऊँचे थे जो कट सकते थे पर झुके नहीं। युद्ध क्षेत्र में गोरा बादल अंग-भंग होने पर भी युद्ध करते हैं। यहाँ पर वीरता, सेनानी और जौहर की कीर्ति उभर आती है। इस प्रकार मानव ने राजस्थान की वीरता के संबंध में अपने विचार व्यक्त किये हैं।

(इ) ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए। ( 2 x 4 = 8 )

प्रश्न: 30.

(1) निसि-बासर मोहि बहुत सतायो,
अब हरि अरि हाथ हि आए।
माखन-दधि मेरौ सब खायौ
बहुत अचगरी कीन्हीं।
अब तो घात परे हो लालन,
तुम भलै मैं चीन्ही।
उत्तर
प्रस्तुत गद्यांश ‘सूरदास के पद’ से लिया गया है। जिसके रचयिता सूरदासजी हैं।
संदर्भ:उपरोक्त पद्यांश में एक ग्वालिन बाल कृष्ण को माखन चोरी करते हुए रंगे हाथों पकड़ लेती है और उन पर क्रोध प्रकट करती है।

व्याख्या:सूरदास इस पद में कृष्ण के माखन चोरी पर रुष्ट ग्वालिन के भावों का वर्णन करते हैं। • कृष्ण की रोज़-रोज़ की माखन चोरी से एक गोपी बहुत परेशान थी। कई दिनों से इंतज़ार में थी कि किसी प्रकार कृष्ण को रमगे हाथों पकड़ा जाये। आज कृष्ण पकड़ में आ गये तो गोपी कहने लगी-हे कृष्ण, तुमने रात-दिन मुझे बहुत सताया है, रोज़ रोज़ चोरी करकेन भाग जाते हो। किसी तरह आज पकड़ में आये हो। मेरा सारा दही मक्खन खा लिया। मैं अब तक सही चोर को पहचान नहीं पाई थी, पर अब मेरे हाथ लगे हो। मैंने भी इस माखन चोर को भली-भाँति पहचान लिया है। इसके बाद गोपी ने कृष्ण के दोनों हाथ पकड़ कर कहा-बोलो, अब कहाँ जाओगे? कहो तो तुम्हारी माँ से सारा दही मक्खन मँगवा लूँ, जितना तुमने खाया है।
विशेष:ब्रज भाषा : वर्णनात्मक शैली का प्रयोग। वात्सल्य रस।

अथवा

बढ़त-बढ़त समान्ति सलिलु मन सरोजु बढ़ि
जाइ।
घटत- घटत फिरि न घटे, बरु समूल कुम्हिलाइ।
उत्तर
कवि कहता है-सम्पत्ति रूपी जल के बढ़ने के साथ साथ मन रूपी कमल की बेल बढ़ जाती है। परंतु जब सम्पत्ति रूपी जल घटना आरंभ हो जाता है तब वह कमल की नाल छोटी नहीं होती, चाहे जड़ से ही सूख क्यों न जाये। वर्षा ऋतु में जब तालाब में पानी बढ़ता है, तब कमल की नाल लंबी हो जाती है और पानी के ऊपर ही ऊपर तैरती रहती है। फूल पानी के ऊपर रहता है। परन्तु जब तालाब की पानी घटता है, तब नाल छोटी नहीं होती। इसी प्रकार जब संपत्ति बढ़ती है तब मनुष्य की इच्छाएँ और आवश्यकताएँ बढ़ जाती है परंतु जब सम्पत्ति कम हो जाती है तब इच्छाएँ कम नहीं होती चाहे मनुष्य बिल्कुल नष्ट ही क्यों न हो जाय।

अथवा

प्रश्न: 31.
मेरा यह बचपन, तुम्हारा मातृत्व
ये ही गहने हैं मेरे लिए, माँ;
मैं तुम्हारा गहना, तुम मेरा गहना;
फिर अन्य गहने क्यों चाहिए माँ ?
उत्तर
प्रस्तुत गद्यांश ‘गहने’ नामक आधुनिक कविता से लिया गया है, जिसके रचयिता कुवेंपु हैं।
संदर्भ :कुवेम्पु जी आपसी रिश्तों में प्रेम को ‘गहनों’ से भी कई ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं। वे कहना चाहते हैं कि भौतिक पदार्थ (सोना, आभूषण इत्यादी) माँ की ममता और पुत्री के स्नेह के आगे कुछ भी महत्व नहीं रखते। भावार्थ :बेटी माँ से ‘गहनों’ की व्यस्तता के बारे में कह रही है। वह कहती है कि मेरा यह प्यारा बचपन जिसमें तुमने मुझे खूब प्यार दिया है, मेरे लिए मेरा-यह बचपन गहने से भी बढ़कर है। तुम्हारा मातृत्व -सुख दुनिया का सबसे बड़ा सुख है। हमारा यह सुख (मेरा बचपन का और तुम्हारा मातृत्व का) सबसे बड़ा सुख है। इस उम सुख की प्राप्ति धन से या आभूषणों से नहीं की जा सकती। माँ, जब हमारे पास इतनी बड़ी सम्पत्ति है तब फिर अन्य सम्पत्ति या गहने क्यों चाहिए? इस प्रकार कुवेंपु जी माँ-बेटी के बचपन और मातृत्व के सुख को सब सुखों में बढ़कर बताते हैं। विशेष : कन्नड से अनुवादित कविता है।

अथवा

आज यह दीवार परदों की तरह हिलने लगी। शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए ।
उत्तर:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के हो गई पीर पर्वत सी’ नामक आधुनिक कविता से लिया गया है जिसके रचयिता दुष्यंत कुमार हैं। संदर्भ : इस गज़ल में कवि ने देशवासियों को . जागरण का संदेश देते हुए परिवर्तन का आवाहन (३ किया है। भावार्थ : कवि कहते हैं कि आज यह जाति भेदभाव धर्म और शोषण की दीवार ऐसे हिल रही है, मानो खिड़कियों और दरवाज़ों के लगे उत्त हुए परदे हिल रहे हैं, वास्तव में होना यह है कि सम्पूर्ण बुनियाद ही हिल जाए ताकि फिर से कुछ

नया निर्माण किया जा सके ऐसी शर्त रख रहे हैं कि परिवर्तन की चाह है जिसमें धर्म-जाति, भेदभाव, शोषण, अत्याचार को जड़ से मिटाना
चाहिए।

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IV.(अ) एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए। ( 5 x 1 = 5 )

प्रश्न: 32.
हर बात पर आपने मायके की तारीफ कौन करती रहती हैं?
उत्तर:
हर बात पर अपने मायके की तारीफ बेला करती

प्रश्न: 33.
किसने सारी की सारी छत फावड़े से खोद डाली?
उत्तर:
मालवी ने सारी की सारी छत फावड़े से खोद डाली।

प्रश्न: 34.
भारवि की माँ का नाम क्या हैं?
उत्तर:
भारवि की माँ का नाम सुशीला है।

प्रश्न: 35.
श्रीधर पण्डित भारवि को खोजने के लिए किसका सहारा लेना चाहते थे ?
उत्तर:
श्रीधर पण्डित भारवि को खोजने के लिए राजकीय सहायता का सहारा लेना चाहते थे।

प्रश्न: 36.
भारवि ने प्रतिशोध की आग में क्या करना चाहा?
उत्तर:
भारवि ने प्रतिशोध की आग में पिता के जीवन . को समाप्त करना चाहा ।

(आ) निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो के उत्तर – लिखिए। ( 2 x 5 = 10 )

प्रश्न: 37.
इन्दु को अपनी भाभी बेला पर क्यों क्रोध आया?
उत्तर:
इंदु को अपनी भाभी बेला पर क्रोध इसलिए आया क्योंकि उसने घर की पुरानी नौकरानी रजवा को काम से निकाल दिया था। बेला बात-बात पर अपने मायके के बारे में बड़ी ऊँची बातें और प्रशंसा अधिक करती थी। हर बात पर अपने घर की बड़ाई करती थी। उसे अपने ससुराल की कोई भी चीज़ पसंद नहीं आती थी। यहाँ के लोगों का खाना-पीना, पहनना-ओढ़ना, कुछ भी पसंद न आता था, इस बाद से इंदु को अपनी भाभी बेला पर क्रोध आया।

अथवा

परेश का चरित्र चित्रण कीजिए ।
उत्तर:
मँझली बहू सदा दूसरों की हँसी उड़ाने में ही आनंद लेती है। स्वयं बात-बात पर हँसती रहती है। भाई के बारे में कहती है-आज भाई परेश की वह गति बनी, बेचारा अपना सा मुँह लेकर दादाजी के पास भाग गया। जबान है छोटी बहू की या कत्तरनी… जब अंग्रेजी बोलने लगती है, तो कुछ समझ में ही नहीं आता। परेश बेचारा अपना सा मुँह लेकर रह जाता है। जाने तहसीलदार कैसे बन गया? कचहरी में होंगे, तहसीलदार घर में तो अपराधियों से भी गये बीते हैं। मालवी और बन्सीलाल का भी मज़ाक उड़ाने में मँझली भाभी कभी चूकती नहीं। इस प्रकार छोटी बहू बेला के बारे में और घर में अन्य सदस्यों के बारे में टीका-टिप्पणी करने में महारत हासिल है मँझली भाभी को।

प्रश्न: 38.
भारवि अपने पिता से क्यों बदला लेना चाहता था?
उत्तर:
भारवि के पिता श्रीधर भरी सभा में उसका अपमान करते हैं। वहाँ बैठे हुए सभी पण्डित भारवि के स्वर में ही बोलकर उसका परिहास करते हैं। इस बात को भारवि अपने दिल से लगा लेता है और उसके मन में यह बात घर कर जाती है कि पिता ने सब के सामने उसका
अपमान किया। उनके रहते वह अपनी जिंदगी में आगे नहीं बढ़ सकता। इस वजह से पिता के प्रति उसका क्रोध अंतिम सीमा तक पहुँच जाता है और वह अपने पिता से बदला लेना चाहता था।

अथवा

सुशीला पात्र का चरित्र-चित्रण कीजिए ।
उत्तर:
सुशीला महापण्डित श्रीधर की पत्नी और भारवि की माता है। अपने विद्वान पुत्र पर पिता की तरह उसे भी गर्व है। वह अपने पुत्र भारवि के घरन न लौटने के कारण दुःखी है। वह पुत्र शोक में सो नहीं पाती। वह मानता है कि यदि पुत्र के लिए माँ की ममता मूर्खता है तो ऐसी मूर्खता हमेशा बनी रहे। पति के समझाने पर भी पुत्र मोह कम नहीं होता। पुत्र की व्यामोह में वह अपने पति से भी काफी वाद-विवाद करती है, परंतु अपनी मर्यादा में रहकर अपने पति धर्म को निभाती है।

2nd PUC Hindi Model Question Paper 2 with Answers

V. (अ) वाक्य शुद्ध कीजिए : ( 4 x 1 = 4 )

प्रश्न: 39.

(अ) मनुष्य के जीवन कर्तव्य से भरा पड़ा हैं।
उत्तर:
मनुष्य का जीवन कर्त्तव्य से भरा पड़ा है।

(आ) इनकम होती तो टैक्स होता।
उत्तर:
इनकम होती तो टैक्स होता।

(इ) आपने मेरी ज्ञान-चक्षु खोल दिए।
उत्तर:
आपने मेरी ज्ञान-चक्षु खोल दी।

(ई) मैं ने जाकर माँ की चरण छुए।
उत्तर:
मैंने जाकर माँ के चरण छुए।

2nd PUC Hindi Model Question Paper 2 with Answers

(आ) कोष्टक में दिये गये उचित शब्दों से रिक्त स्थान भरिए। ( 4 x 1 = 4 )
(पर, में, से, के)

प्रश्न:  40.

(1) हाथ ……….गिलास छूट गया।(से)
(2) वे साहित्य और दर्शन ………… विद्वान थे। (के)
(3) सड़क ………. लोग जमा हैं।(पर)
(4) नाव नदी ……….. डूब गई। (में)

(इ) निम्नलिखित वाक्यों को सूचनानुसार – बदलिए। ( 3 x 1 = 3 )

प्रश्न: 41.
(i) कुछ और पहले की घटना याद आती हैं। (भूतकाल में बदलिए)
उत्तर:
कुछ और पहले की घटना याद आती थी।

(ii) लडकियाँ फूल चुनोंगी। (वर्तमान  काल में बदलिए)
उत्तर:
लड़कियाँ फूल चुनती हैं।

(iii) अंधी लडकी लकडी के सहारे मार्ग तय करती हैं। (भविष्यत् काल में बदलिए)
उत्तर:
अंधी लड़की के सहारे मार्ग तय करेगी।

(ई) निम्नलिखित मुहावरों को अर्थ के साथ जोड़कर लिखिए। ( 1 x 4 = 4 )

प्रश्न: 42.
(i) कमर सीधी करना – (a) गुस्सा करना
(ii) नाम कमाना – (b) व्याकुल होना
(iii) आग उगलना – (c) आराम करना
(iv) दिल बैठ जाना – (d) कीर्ति पाना
उत्तर:
i) c), ii) d), iii) a), iv) b)

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IV.43.(उ) अन्य लिंग रूप लिखिए। ( 3 x 1 = 3 )

i) मेहतर ii) एकाकिनी iii) बाल
उत्तर:
i) मेहतरानी, ii) एकाकी, iii) बाला,

(उ) अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए। ( 3 x 1 = 3 )

प्रश्न: 44.
(i) आँखों के सामने होनेवाला ।
(ii) घूमने फिरनेवाला।
(iii) जिसकी कोई उपमा न हो ।
उत्तर:
(i) प्रत्यक्ष, समक्ष (ii) घुमक्कड (iii) निरुपमा

(ए) निम्नलिखित शब्दों के साथ उपसर्ग जोड़कर 10 नए शब्दों का निर्माण कीजिए। ( 2 x 1 = 2 )

प्रश्न: 45.
(i) हद (ii) जीवन
उत्तर:
(i) बेहद (ii) आजीवन

(ऐ) निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय अलग कर लिखिए। ( 2 x 1 = 2 )

प्रश्न: 46.
(i) देवरानी (ii) कहानियाँ
उत्तर:
(i) आनी-देवर- आनी (ii) इयाँ-कहानी-इयाँ

VI.(अ) किसी एक विषय पर निबंध लिखिए। ( 5 x 1 = 5 )

प्रश्न: 47.
(i)(a) समय का सदुपयोग :
सचमुच, समय एक अनमोल वस्तु है। संसार में खोई वस्तु मिल सकती है, किन्तु खोया हआ समय फिर हाथ नहीं आता। दुनिया में ऐसी कोई भी घड़ी नहीं है, जो गुज़रे हुए घंटों को फिर से बजा दे। समय के सदुपयोग पर ही हमारे जीवन की सफलता निर्भर रहती है। जो व्यक्ति समय का सदुपयोग करना जानता है, वही अपने जीवन का सदुपयोग कर सकता है।

यह दुःख की बात है कि कई लोग समय का दुरुपयोग करते हैं। दिन भर में जितने घंटे हम काम करते हैं, उसमें कई गुना अधिक समय फिजूल की बातों और निरर्थक कामों में बिताते हैं। कई लोग तो दिन भर ताश और शतरंज की बाजी में उलझे रहते हैं। गपशप लड़ाने में या दसरों की निन्दा करने में भी लोग अपना काफी समय बरबाद कर देते हैं। जो लोग समय का आदर नहीं करते, उन्हें बाद में सिर पकड़कर पछताना पड़ता है।

महापुरुषों के जीवन में समय के सदुपयोग का बड़ा महत्त्व रहा है। गांधी, नेहरू, तिलक आदि महापुरुषों ने हमेशा अपने समय का सदुपयोग किया था। समय के सदुपयोग ने ही उनको अमर कीर्ति प्रदान की है।

समय का सदुपयोग करने के लिए प्रत्येक काम को निश्चित समय में ही पूरा करने का प्रयत्न करना चाहिए। अध्ययन, व्यायाम, समाज सेवा, मनोरंजन और दूसरे कामों के लिए हमें समय का ठीक से बँटवारा करना चाहिए। इस तरीके से हमें कोई काम बोझ मालूम नहीं होता और हम राहत की साँस ले सकते हैं।

यदि हमें अपने जीवन से प्रेम है तो अपने बहुमूल्य समय को कभी भी नष्ट नहीं करना चाहिए। जो समय को नष्ट करता है, समय उसे ही नष्ट कर देता है। हमें कबीर का यह दोहा ध्यान में रखना चाहिए –

“काल करै सो आज कर, आज करै सो अब।
पल में पर लै होयगी, बहुरि करेगी कब ।।”

(b) दूरदर्शन :
दूरदर्शन आधुनिक विज्ञान का एक अनुपम वरदान है। स्काटलैंड के वैज्ञानिक जे.एल.बेयर्ड का यह अद्भुत आविष्कार आज सारी दुनिया का हृदयहार बन गया है।

टेलीविजन-सेट रेडियों से कहीं बढ़-चढ़कर है। रेडियों पर हम समाचार, नेताओं के भाषण, गायकों के गीत आदि केवल सुन ही सकते हैं, लेकिन टेलीविजन पर हम भाषण देते हुए नेताओं और गीत गाते हुए गायकों को उनके हाव-भावों के साथ देख सकते हैं। इस प्रकार टेलीविजन दूर के दृश्यों को हमारे सामने प्रस्तुत करता है, इसलिए उसे ‘दूरदर्शन’ कहते हैं।

टेलीविजन मनोरंजन का एक महत्त्वपूर्ण साधन है। इस पर विविध कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। टेलीविजन पर हम घर बैठे ही क्रिकेट मैच, नृत्य, नाटक, सिनेमा आदि अनेक कार्यक्रम देख-सुन सकते हैं। इस पर विविध विषयों का मार्गदर्शन कराया जा सकता है। टेलीविजन द्वारा नए-नए एवं औद्योगिक प्रयोग दिखाए जा सकते हैं।

इतना उपयोगी होने के बावजूद भी दूरदर्शन अपने कुछ दुष्प्रभाव भी डाल रहा है। प्रतिदिन इसे देखने में काफी समय व्यर्थ होता है। इसके आकर्षण से छात्रों की पढ़ाई पर भी बुरा असर हो सकता है। बहुत निकट से निरंतर टेलीविजन देखते रहने से आँखों को हानि पहुँचती है।

फिर भी दूरदर्शन की महत्ता जरा भी कम नहीं होती। सचमुच, दूरदर्शन आधुनिक विज्ञान का अनूठा उपहार है। यह घर-घर का आभूषण और जीवन का एक अभिन्न अंग बनता जा रहा है।

(c) बेरोज़गारी की समस्याः

बेरोज़गारी का अर्थ है, काम चाहनेवाले व्यक्ति को कार्यक्षमता रहते हुए भी काम न मिलना। बेरोज़गारी के कारण राष्ट्रों का सर्वांगीण विकास नहीं हो पा रहा है, जिससे वे त्रस्त हैं। भारत में बेरोज़गारी की समस्या कुछ ज़्यादा ही गंभीर है। भारत के गाँव, शहर तथा शिक्षित अशिक्षित सभी इस समस्या से ग्रस्त है।

अब बेरोज़गारी की समस्या के कारण और निवारण । दोनों पर दृष्टिपात करना आवश्यक है। जनसंख्या वृद्धि, कृषि पर अधिक भार, प्राकृतिक प्रकोप, मशीनीकरण एवं दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली बेरोज़गारी के मूल कारण है। भारत में उत्पादन एवं रोज़गार वृद्धि पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। फलतः बेरोज़गारों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।

बेरोज़गारी की समस्या दूर करने के लिए शिक्षा एवं परिवार नियोजन की सहायता से जनसंख्या वृद्धि की दर घटाना आवश्यक है। भारत की आबादी का 60 प्रतिशत भाग कृषि पर निर्भर है। इधर जनसंख्या वृद्धि के कारण कृषि भूमि में दिनों-दिन कमी हो रही है। इसके कारण भी बेरोज़गारी की संख्या में इजाफा हो रहा है। भारतीय किसानों को प्राकृतिक प्रकोपों का भी सामना करना पड़ता है। कभी अतिवृष्टि तो कभी अनावृष्टि । इससे लोग बेकार हो जाते हैं। अतः इस समस्या के समाधान हेतु सहकारिता एवं वैज्ञानिक उपाय खेती के लिए अपनाने होंगे। वर्तमान युग तो मशीनों का युग है। इन मशीनों ने उद्योगों में लगे लाखों मज़दरों के नौकरी छीनकर उन्हें बेकारों की पंक्ति में खड़ा कर दिया है। इ३, कारणवश हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने मशीनीकरण का विरोध किया था। इससे छुटकारा पाने के लिए गाँवों तथा शहरों में कुटीर उद्योगों का जाल फैलाना होगा। वर्तमान शिक्षा प्रणाली में आमूल परिवर्तन लाकर ही इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके लिए व्यावहारिक शिक्षा प्रणाली अपनानी होगी, जिससे ज्ञानी मस्तिष्क के साथ-साथ कुशल हाथ भी निकले अर्थात् शिक्षा को रोज़गारोन्मुखी बनाया जाए। साथ ही साथ लोगों में नौकरी परस्ती की प्रवृत्ति के बजाय रोज़गार परक प्रवृत्ति जागृत करनी होगी।

बेरोज़गारी का दुष्प्रभाव प्रकारांतर से समाज पर पड़ता है जिससे समाज अनेक समस्याओं से ग्रस्त हो जाता है। खासकर शिक्षित बेरोज़गार युवकों’ का मस्तिष्क रचनात्मक न रहकर विध्वंससात्मक हो जाता है। समाज में आश्चर्यचकित करनेवाले अपराध हो रहे हैं जो बेरोज़गारों के मस्तिष्क की उपज हैं। अशिक्षितों के बेरोज़गार रहने से उतनी गंभीर समस्या उत्पन्न नहीं होती-जितनी गंभीर समस्या शिक्षित बेरोज़गारों से उत्पन्न होती है।

अथवा

(ii) अपने क्षेत्र में सार्वजनिक पुस्तकालय एवं वाचनालय खोलने की प्रार्थना करते हुए संबंधित अधिकारी को पत्र लिखिए ।
उत्तर:
प्रेषक
तिथि: 3 मार्च 2019
14/48, जाम नगर
गुजरात
मान्य महोदय,
विषय : सार्वजनिक पुस्तकालय एवं वाचनालय की स्थापना
निवेदन है कि हम गुजरात के मेहरू नगर में रहते हैं। हम पिछले पाँच वर्षों से यहाँ पर रहते जा रहे हैं। यहाँ परिवहन, अस्पताल, बिजली, पानी, खेल का मैदान, सड़क आदि मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध हैं। मगर पुस्तकालय और वाचनालय की स्थापना अभी तक नहीं की गई है। आप से निवेदन है कि कृपया इस सुविधा की आपूर्ति में योगदान दें। यह कार्य शीघ्र ही हो जाना चाहिए। सधन्यवाद ।

भवदीय
क,ख,ग आ)

आ) 48. निम्नलिखित अनुच्छेद पढ़कर उस पर पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए। ( 5 x 1 = 5 )

ईश्वर ने संसार के सारे रहस्य प्रकृति में छिपाकर रख दिये थे । मनुष्य ने अपने परिश्रम और प्रयत्न से उन रहस्यों पर से परदा उठा दिया। यह कहना गलत हैं कि मनुष्य संसार में आते समय अपना भाग्य लेकर आता हैं; वास्तव में वह अपने भाग्य का स्वयं निर्माता हैं। जो वह अपनी मेहनत से बनाता हैं। प्रकृति मनुष्य के भाग्य से डरकर नहीं बल्कि परिश्रम से हार मानती हैं। जो लोग भाग्य पर विश्वास करते हैं, वे आलसी हैं। वास्तव में वीर और परिश्रमी व्यक्ति अपना भाग्य स्वयं · बनाता हैं?

प्रश्न : 1.
ईश्वर ने संसार के सारे रहस्य कहाँ छिपाकर रखा हैं?
उत्तर:
प्रकृति।

प्रश्न : 2.
किसने अपने परिश्रम और प्रयत्न से रहस्यों पर से परदा उठा दिया?
उत्तर:
मनुष्य संसार में आते ही भाग्य लेकर आता है।

प्रश्न :3.
प्रकृति किससे हार मानती हैं ?
उत्तर:
परिश्रमी

2nd PUC Hindi Model Question Paper 2 with Answers

प्रश्न : 4.
भाग्य पर विश्वास करनेवाले लोग कैसे होते
उत्तर:
आलसी

प्रश्न : 5.
अपने भाग्य का निर्माता कौन है?
उत्तर:
स्वयं

49. हिंदी में अनुवाद कीजिए  ( 5 X 1 = 5 )

2nd PUC Hindi Model Question Paper 2 with Answers - 1
2nd PUC Hindi Model Question Paper 2 with Answers - 2