Students can Download 2nd PUC Hindi Previous Year Question Paper March 2019, Karnataka 2nd PUC Hindi Model Question Paper with Answers helps you to revise the complete Karnataka State Board Syllabus and to clear all their doubts, score well in final exams.
Karnataka 2nd PUC Hindi Previous Year Question Paper March 2019
Time: 3.15 Hours
Max Marks: 100
सूचना:
- सभी प्रश्नों के उत्तर हिन्दी भाषा तथा देवनागरी लिपि में लिखना आवश्यक है।
- प्रश्नों की क्रम संख्या लिखना अनिवार्य है।
I.(अ)एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए : ( 6 x 1 = 6 )
प्रश्न: 1.
घर में किसका राज होता है?
उत्तर:
घर में जो कमाता है उसीका राज होता है।
प्रश्न: 2.
माँ के चेहरे पर क्या थी?
उत्तर:
माँ के चेहरे पर उदासी थी ।
प्रश्न: 3.
शताब्दी की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है?
उत्तर:
15 अगस्त 1947, भारत की आज़ादी ।
प्रश्न: 4.
विश्वेश्वरय्या किसके बड़े पाबंद थे?
उत्तर:
विश्वेश्वरय्या समय के बडे पाबंद थे।
प्रश्न: 5.
भोलाराम का जीव किसे चकमा दे गया?
उत्तर:
भोलाराम के जीव ने उसे लेने गए दूत को चकमा दिया।
प्रश्न: 6.
‘शिन्कान्सेन’ का शाब्दिक अर्थ क्या है?
उत्तर:
‘शिन्कान्सेन’ का शाब्दिक अर्थ है न्यू ट्रंक लाइन.
आ) निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लिखिए : ( 3 x 3 = 9 )
प्रश्न: 7.
झूठ की उत्पत्ति और उसके रूपों के बारे में लिखिए ।
उत्तर:
झूठ की उत्पत्ति पाप, कुटिलता और कायरता के कारण होती है। बहुत से लोग नीति और आवश्यकता के अनुसार झूठ बोलने का बहाना बनाते हैं। संसार में बहुत से ऐसे नीच लोग है जो झूठ बोलकर अपने को बचा लेते हैं। लेकिन यह सब सच नहीं झूठ बोलना पाप का ही काम है और उससे कोई काम भी नहीं होता। झूठ बोलना और भी कई रूपों में देख पड़ता है। जैसे चुप रहना, किसी बात को बढ़ाकर कहना, किसी बात को छिपाना, भेद बदलना, दूसरों के हाँ में हाँ मिलाना, वचन देकर पूरा न करना आदि।
प्रश्न: 8.
प्रदूषण के संबंध में गंगा मैया ने क्या कहा है?
उत्तर:
गंगामैय्या ने प्रदूषण के बारे में कहा कि उसे खुद पता नहीं कि यह क्यों हो रहा है? जब सारे देश का वातावरण ही प्रदूषित हो गया है तब वह कैसे बच सकती थी? लोग समझते हैं कि वह कैसे भी कर्म करे, गंगामैय्या उन्हें तार देगी। असल में प्रदूषण छुआछूत का रोग है। व्यापारी लोग दसरों को कष्ट देते हैं फिर गंगामैय्या में डुबकी लगाकर गंगा के निर्मल जल को भी गंदा कर देते हैं।
प्रश्न: 9.
मैसूर राज्य के विकास में विश्वेश्वरय्या के योगदान के बारे में लिखिए।
उत्तर:
मैसूर राज्य के विकास के लिए विश्वेश्वरय्या के तीन प्रमुख कार्य है कावेरी पर बाँध जो कृष्णराज सागर नाम से मशहूर है। इस बाँध के निर्माण से उद्योगों के लिए बिजली मिली। पानी सिंचाई के लिए सुविधा हुई। दूर- दूर से लोह बाँध देखने आने लगे।
वृंदावन उद्यान का निर्माण करने के कारण मैसूर जैसे इन्द्रपुरी बन र्गहा। शासन व्यवस्था में भी कई सुधार किए। पंचायतो की व्यवस्था की। गाँव और शहरों में जनता के द्वारा प्रतिनिधि चुने गए। एक बैंक भी खोला। मैसूर राज्य में एक अलग विश्वविद्यालय भी खोला।
प्रश्न: 10.
चीफ़ और माँ की मुलाकात का वर्णनकीजिए ।
उत्तर:
बैंठक से उठकर खाने के लिए जा रहे चीफ़ की नजर जैसे ही शामनाथ के माँ पर पडी उन्होंने माँ को नमस्ते कही फिर दाँया हाथ आगे बढाकर हाउ डू तू डू कहा दाँए हाथ में माला होने कारण माँ ने बाथों हाथ आगे किया। जब शामनाथ ने कहा कि उसकी माँ गाँव की है तो चीफ़ ने उन्हे गाँव के लोग बहुत पसंद है कहते हुए माँ को गाने का आग्रह किया। तो माँ ने एक पुराना विवाह गीत भी गाया। साहब ने बहुत तालियाँ पीटी। साहब ने पंजाब के गाँव की दस्तकारी के बारे में पूछा तो साहब को दिखाने वह पुरानी फुलकारी ले आई। पूरे समय वह धबराई और डरी हुई थी क्योंकि उसे अपने बेटे के क्रोध का पता था। लेकिन चिफ़ ने उससे मिलकर बहुत खुश था।
प्रश्न: 11.
‘टफ्स’ के पुस्तकालय के बारे में लिखिए।
उत्तर:
‘टफ्स’ के चार मंजिली इमारत की हर मंज़िल पर विशाल वाचनालय है। जहाँ पर 6,18,615 पुस्तकें है। विद्युत चालित आलमारियों में रखी ये पुस्तकें मात्र बटन दबाने से सामने उपलब्ध होती है। आप जी भर कर पढ़िये, पन्ने पलटिये या नोट्स बनाइये वापस बटन दबाइये, अलमारी अपने आप बन्द हो जाएगी। एक अलार्म के द्वारा यह पता चलता है कि आपने कोई बुक तो नहीं छुपाई। इंडिक भाषा विभाग में कई दुर्लभ ग्रंथ लेखिका ने देखे। हिन्दी, अवधी, ब्रज, राजस्थानी, भोजपुरी, पहाड़ी और मैथिली की भी बहुतायत पुस्तकें थी। एक साथ इतनी महत्वपूर्ण सामग्री लेखिका ने अपने देश के राष्ट्रीय पुस्तकालय, कलकत्ते में भी नहीं देखी थी।
II. निम्नलिखित वाक्य किसने किससे कहे : ( 4 x 1 = 4 )
प्रश्न: 12.
‘क्रोधी तो सदा के हैं। अब किसी की सुनेंगे थोड़े ही।
उत्तर:
बुलाकी ने यह वाक्य भोला से कहा।
प्रश्न: 13.
‘यू हैव मिस्ड समथिंग ।’
उत्तर:
यह वाक्य डॉ. अंबालालजी ने अपने मित्र लेखिका के पिता से कहा।
प्रश्न: 14.
‘जो वह सो गयी और नींद में खर्राटे लेने लगी तो !’
उत्तर:
बुलाकी ने यह वाक्य भोला से कहा।
प्रश्न: 15.
क्यों धर्मराज, कैसे चिंतित बैठे हैं ?’
उत्तर:
इस वाक्य को नारद ने धर्मराज से कहा है।
(आ) निम्नलिखित में से किन्हीं दो का ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए : ( 2 x 3 = 6 )
प्रश्न: 16.
‘भगवान की इच्छा होगी तो फिर रूपये हो जायेंगे, उनके यहाँ किस बात की कमी हैं?’
उत्तरः
प्रसंग: इस वाक्य को सुजान भगत पाठ से लियए गया है, जिसके लेखक है- प्रेमचंद व्याख्या -इस वाक्य को सुजान ने अपनी पत्नी बुलाकी से कहा है। एक दिन जब गयाके यात्री उसकी यहाँ ठहरे तो सुजान ने कहा कि उसकी भी बहुत दिनों से इच्छा थी कि गया जाए। बुलाकी ने अगले साल देखेंगे, हाथ खाली हो जाएगा कहा तो सुजान ने अगले साल का क्या भरोसा, धर्म के काम को टालना नही चाहिए कहते हुए ऊपर की बात कही।
प्रश्न: 17.
‘कर्तव्य करना न्याय पर निर्भर है।’ ।
उत्तर:
प्रसंग : इस वाक्य को डॉ. श्यामसुन्दर दास के लिखे पाठ कर्तव्य और सत्यता पाठ से लिया गया है। व्याख्या :कर्तव्य के बारे में बताते हुए लेखक यहाँ कह रहे हैं कि पहले-पहले दबाव के कारण हमें अपने कर्तव्य निभाने पड़ते हैं क्योंकि कोई उसे करना नहीं चाहता। लेकिन वह न्याय है समझने पर लोग उसे प्रेम के साथ करने लगते हैं। हम अपने कर्तव्य करे यही धर्म है। इसीसे हमारे चरित्र की शोभा बढ़ जाती है।
प्रश्न: 18.
‘पिता के विपरीत थी हमारी बेपढ़ी-लिखी – माँ।’
उत्तर:
प्रसंग : इस वाक्य को मन्नू भंडारी के लिखे एक कहानी यह भी’ से लिया गया है। व्याख्या : मन्नू की माँ उनके पिता के ठीक विपरीत थी। वह पढ़ी-लिखी नहीं थी। धरती से ज्यादा धैर्य और सहनशक्ति थी उसमें। पिताजी की हर ज्यादती को वह सह लेती और बच्चों की हर जिद हर फरमाइश सहज भाव से स्वीकार करती। सबकी इच्छा और पिताजी की आज्ञा को पालन करने के लिए सदैव तैयार रहती। सारे बच्चों का लगाव माँ के साथ था । लेकिन चुपचाप असहाय मजबूरी में रहना, उनका त्याग वगैरा सब मन्नू के लिए कभी आदर्श नहीं रहा।
प्रश्न: 19.
‘पेंशन का आर्डर आ गया’ ?
उत्तर:
प्रसंग : इस वाक्य को ‘भोलाराम के जीव’ पाठ से लिया गया है जिसके लेखक है-हरिशंकर परसाई।
व्याख्या : नारद मुनि ने पेंशन के दफ्तर में जाकर बड़े बाबू से बात की और अपनी वीणा उसे भेंट के रूप में दी तो बाबू ने तुरंत भोलाराम की फाइल को लाने के लिए कहा। फिर से एक बार बड़े बाबू ने ‘भोलराम’ ही ना? पूछा तो एकदम से ऊपर की आवाज़ उस फाइल से आई।
जो भोलाराम के जीव की आवाज़ थी।
III.(अ)एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर – लिखिए। (6 x 1 = 6 )
प्रश्न: 20.
रैदास अपने आपको किसका सेवक मानते
उत्तर:
रैदास अपने-आपको राम याने अपने स्वामी के सेवक मानते है।
प्रश्न: 21.
बुद्धिहीन मनुष्य किसके समान है?
उत्तर:
बुद्धिहीन मनुष्य बिना छ या सिंगंके जानवर समान है।
प्रश्न: 22.
बेटी किन्हें गहने मानती है?
उत्तर:
बेटी अपनी सादगी और अपनी प्राकृतिक सुंदरता अपने बचपन को गहने मानती है।
प्रश्न: 23.
कौन राह रोकता है?
उत्तर:
रास्ते के पत्थर हमारे राह रोकते है।
प्रश्न: 24.
सूखी डाल कैसी है? ।
उत्तर:
सूखी डाल राइफिल सी है।
प्रश्न: 25.
दीवार किसकी तरह हिलने लगी?
उत्तर:
सूखी डाल राइफिल सी है।
आ) निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो के उत्तर लिखिए। ( 2 x 3 = 6)
प्रश्न: 26.
श्रीकृष्ण के रूप सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
दूसरे पद में सूरदास कृष्ण के रुपसौंदर्य का वर्णन कर रहे है।
गोपिकाएँ कह रही है जमुना नदीके किनारे कृष्ण को देखा। उन्होने मोर मुकुट पहना है उनके कान के कुंडल मकराकृत है, शरीर पर चंदन है और उन्होने पीला वस्त्र पहनाहो ऐसे कृष्ण का रूप देखकर आँखोंकी प्यास बुझ गई, आँखे तृप्त हुई। हृदय की आग बुझ गई। प्रेम में पागल गोपिकाओं का हृदय भर आया है, उसके मुख से शब्द नही निकल रहे है। नदी के किनारे खडे कृष्ण से मिलने जा रही नारियाँ लज्जा से गड गई है। सूरदास कह रहै है कृष्ण प्रभु तो अंर्तज्ञानी है। वे इन गोपिकाओं की मनस्थिति को समझ सकते है।
प्रश्न: 27.
कवयित्री अमरों के लोक को क्यों ठुकरा देती है?
उत्तर:
कवयित्री महादेवी को अमरों के लोक की चाह नही है। इसका मानना है कि भगवान की कृपा से ही मुझे यह मिटने का अधिकार मिला है। अमर होना उसके जीवन का उद्देश नही है। वह खुश है कि वह वेदना की अनुभूति कर मिट जाए। मिटने का स्वाद वही जानता है जो मुस्कुराकर जीना जानता है।
प्रश्न: 28.
कर्नाटक के गौरवशाली इतिहास और संस्कृति के सम्बन्ध में ‘मानव’ के क्या उद्वार है?
उत्तर:
कर्नाटक की गौरव गाथा गाते हुए कवि मानव जी कह रहे है कि दुनिया भर माथा ऊँचा करनेवाले टीपू सुलतान की वीरता, अपने बलिदान के लिए प्रसिद्ध रानी चेन्नम्मा इस घरती की देन है। प्रकृति का सुंदर रुप यहाँ देखने को मिलता है। ऐतिहासिक घटनाओं का प्रमुख क्रीड़ास्थल यह कर्नाटक ही है जहाँ महापराक्रमी राजा एवं अनेकों युद्ध इस घरती पर हुए है। भारतीयता में हमारे कन्नड नाडू कर्नाटक बहु रूपों में प्रसिद्ध है। ऐसी यह वीरों और सन्तों की घरती है।
प्रश्न: 29.
‘हो गई है पीर पर्वत सी’ गज़ल से पाठकों को क्या संदेश मिलता है?
उत्तर:
कवि इसमें यह संदेश दे रहे हैं कि अन्याय और अत्याचार की हद हो गई है। अब तो परिवर्तन तो लाना ही है। सिर्फ घोषणाओं से, नारों से, लेखों से कुछ नहीं होगा। क्रांति की यह आग जन-मानस तक पहुँचनी चाहिए । हर मनुष्य को सजग होकर अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठानी है। बदलाव लाना है तो क्रांति करनी ही होगी। तब तक सब को न्याय नहीं मिलेगा।
(इ) ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए । ( 2 x 4 = 8)
प्रश्न: 30.
(1) ऐसा चाहो राज में,
जहाँ मिले सबन को अन्न ।
छोटा-बड़ों सभ सभ बसै,
रैदास रहै प्रसन्न ।।
उत्तर:
रैदास इन पक्तियों में एक राज्य के बारे में कह रहे है कि मुझे ऐसे राज्य में रहना है, जहाँ कोई भूखा न रहता हो सबको खाने के लिए अन्न मिलताहो। जहाँ अमीर-गरीब, उँच-नीच का कोई भदभावन हो/सब को जहाँ समान रूप से सम्मान मिलता हो। छोटे-बड़े का भेदभाव न हो।
अथवा
(2) कनक कनक तैं सौगुनी, माधकता अधिकाई।
उहिं खाएं बौराइ, इहिं पाएं ही बौंराइ ।।
उत्तर:
बिहारी ने यहाँ पर ‘कनक’ का शब्द का अर्थ दो तरहसे किया है। वे कहते है एक कनक याने धतुरा जिसके प्राशन करने से नाश चढ जाता है, दूसरा अर्थ है ‘सोना’ सोने को देख इन्सान पगला जाता है इसतरह दोनों से, धनुरे से और सोनेसे – मादकता बढ़ जाती है। दोनों को पाकर मनुष्य पगला जाता है।
प्रश्न: 31.
1) युद्धं देहि कहे जब पामर
दे न दुहाई पीठ फेर कर
या तो जीत प्रीति के बल पर
या तो पद चूमे तस्कर ।
उत्तर:
कुछ भी बन बस कायर मत बना कवि कह रहे है अगर कोई दृष्ट, क्रूर मनुष्य तुमसे टक्कर लेने खडा हो जाए तो उसकी ताकद से डरकर तू पीछे मत हट। पीठ दिखाकर भाग न खडा हो। बुद्ध – मदर तेरेसा जैसे कई महापूरुष/स्त्रियाँ होकर गई है जिन्होने अपने प्यार और सेवाभाव से दृष्टों को भी जीत लिया है। क्यों कि हिंसा का जवाब प्रतिहिंसा से देना भी दुर्बलता है लेकिन फिर भी कायरता तो उससे भी अपवित्र है। इसलिए कुछ भी बन लेकिन कायर मत बन।
अथवा
2) अबकी घर लौटा तो देखा वह नहीं था – वही बूढ़ा चौकीदार वृक्ष
जो हमेशा मिलता था घर के दरवाजे पर तैनात ।
उत्तर:
इसमें कवि कुँवर नारायण ने वृक्ष के प्रति अपनी
भावनाएँ व्यक्त की है। बचपन से जिस वृक्ष को देखते थे, उसके न दिखने से वह दुःखी हो जाते है। यहाँ वह कह रहे है जब इस बार मैं घर लौटा तो चौकीदार के तरह घरके दरवाजे पर वह वृक्ष नही था उसकी याद में खोकर वे कहते है उसका शरीर कितना सख्त था, पुराना होने के कारण वह बहुत झुर्रियोदार और खुरदरा था। उस पर घूल जम गई थी- जिसके कारण वह मैलाकुचैला सा था, एक सूखी डाल राइफल सी तनी खडी तो ऊपर के तरफ फूल और पत्तो जैसे किसी ने पगडी पहनी हो। उसकी जड़ इतनी कठोर और सख्त थी जैसे पुराना जूता, फटापूराना चरमराता सा लेकिन फिर भी टिकाऊ सा।
IV.(अ)एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए। ( 5 x 1 = 5 )
प्रश्न: 32.
नौकरों से काम लेने के लिए क्या होनी चाहिए?
उत्तर:
नौकरों से काम लेने के लिए भी तमीज होनी चाहिए।
प्रश्न: 33.
दादाजी के अनुसार उनका परिवार किस पेड़ के समान है?
उत्तर:
दादाजी के अनुसार उनका परिवार बरगद के पेड़ के समान है।
प्रश्न: 34.
‘सूखीडाली’ के एकांकीकार का नाम लिखिए ।
उत्तर:
‘सूखी डाली’ के एकांकीकार है उपेन्द्रनाथ अश्क।
प्रश्न: 35.
सुशीला किसके लिए बेचैन है ?
उत्तर:
भारवि अभी तक घर लौटा नहीं इसलिए सुशीला बेचैन है।
प्रश्न: 36.
अहंकार किसमें बाधक है?
उत्तर:
अहंकार उन्नति में बाधक हैं ।
(आ) निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो के उत्तर लिखिए। ( 2 x 5 = 10 )
प्रश्न: 37.
इन्दु को अपनी भाभी बेला पर क्यों क्रोध आया?
उत्तर:
छोटी बहू बेला अभी-अभी शादी कर घर आई है। वह बड़े बाप की एकलौती बेटी है। बहुत पढ़ी-लिखी भी है। घर की अन्य महिलाएँ सीधी-साधी है। घर में इंदु ही सबसे अधिक पढ़ी-लिखी समझी जाती थी और घर में उसकी ही खूब चलती थी। लेकिन छोटी बहू बेला जब से घर में आई घर में तनाव बढ़ने लगे। दस साल से जो मिश्रानी उनके घर काम कर रही थी उसे बैठक साफ करने तक का सलीका नहीं है कह कर निकाल दिया। हमेशा वह अपने मायके की ही बढाई करती है जैसे यहाँ के सब लोग मूर्ख और गवार है। उसी बात को लेकर इंदु और बेला में झगड़ा हुआ। बेला का कहना था कि सिर्फ झाडू कारने से कमरा थोड़े ही साफ होता है, ऐसे फूहड नौकर को उसके मायके में दो घड़ी भी न टिकने देते। इन बातों से इन्दु को अपनी भाभी पर क्रोध आया।
अथवा
दादजी का चरित्र-चित्रण कीजिए ।
उत्तर:
दादाजी घर के सबसे बड़े हैं। उनकी उम्र 72 है, शरीर अभी तक झुका नहीं और उनकी सफेद दाढ़ी नाभि को छूती है। घर में सब उनकी इज्जत करते हैं। वे अपने परिवार को बरगद के पेड़ के समान मानते हैं और पेड़ से एक भी डाल टूटकर अलग हो जाए यह उनको पसन्द नहीं । जीते जी वह यह होने देना नहीं चाहते इसीलिए सबको बुलाकर वे बेला के साथ आदर के साथ बर्ताव करने कहते हैं। वे परेश को भी समझाते हैं और वह आधुनिक विचारों की है कहकर बाजार भी ले जाने को कहते हैं। सरकार से मिले एक मुरब्बे को अपने परिश्रम, निष्ठा, दूरदर्शिता से उसके दस मुरब्बे बनाये हैं।
प्रश्न: 38.
शास्त्रार्थ में पंडितों को हराते देख पिता ने भारवि के बारे में क्या सोचा?
उत्तर:
पिता अपने बेटे भारवि का पांडित्य देखकर बहुत ही प्रसन्न हुए है। वह जानते हैं कि कोई भी भारवि को नहीं हरा सकता। भारवि संसार का सर्वश्रेष्ठ महाकवि है। दूर-दूर के देशों में उसकी समानता करने का किसी में साहस नहीं। लेकिन वे चाहते थे कि भारवि और भी अधिक पण्डित और महाकवि बने। लेकिन आजकल भारवि में अहंकार आ गया है। अहंकार के कारण उसकी उन्नति नहीं होगी। इसलिए समय-समय पर वे उसे मूर्ख और अज्ञानी कहते हैं। उन्होंने सब के सामने भारवि का अपमान भी किया।
अथवा
महाकवि भारवि का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:
भारवि के पिता श्रीधर को गर्व था कि भारवि संसार का श्रेष्ठ महाकवि है। दर-दर के देशों में उसकी समानता करनेवाला कोई नहीं है। लेकिन धीरे-धीरे भारवि के मन में अहंकार भर गया। वे उसके अहंकार को मिटाना चाहते थे क्योंकि अहंकार और अभिमान से किसी की उन्नति नहीं होती यह वे जानते थे। बार-बार वे उसे मूर्ख और अज्ञानी कहते थे लेकिन उनके मन में पुत्र के प्रति मंगल कामना छिपी थी। वे चाहते थे कि उसका पुत्र और विद्वान और यशस्वी बने। अहंकारी नहीं।
जब भारवि अपने पिता के सामने कहता है कि पिता की हत्या के बारे में सोचनेवाला पापी पुत्र को प्रायश्चित करना है। तब उसके पिता कहते हैं कि उसका पश्चाताप ही प्रायश्चित है लेकिन भारवि नहीं मानता और कहता है कि उसके मन की शांति के लिए शास्त्रानुसार दण्ड की व्यवस्था दे। वह प्रायश्चित वह अभी. से करना चाहता है। भारवि के मन को शांति मिले इसलिए उसके पिता उसे दण्ड देते हैं, वे कहते हैं कि भारवि छः महीनों तक श्वसुरालय में जाकर सेवा करेगा और जूठे भोजन पर अपना भोजना करेगा। भारवि के लिए क्षमा असह्य थी, खुद को दण्ड देने के लिए वह आत्महत्या करता इसलिए उसके
पिता ने उसने जो चाहा वह दिया।
V.(अ)वाक्य शुद्ध कीजिए : ( 4 x 1 = 4 )
प्रश्न: 39.
(अ) सुमन माधव का पुत्री है।
उत्तर:
सुमन माधव की पुत्री है ।
(आ) एक दूध का गिलास दो ।
उत्तर:
दूध का गिलास दो ।
(इ) ‘मुझको घबराना पड़ा।
उत्तर:
मुझे घबराना पड़ा।
(ई) हम तीन भाई हूँ।
उत्तर:
हम तीन भाई है ।
(आ) कोष्टक में दिये गये उचित शब्दों से रिक्त स्थान भरिए। ( 4 x 1 = 4 )
(पावन, विज्ञान, समय, भला)
प्रश्न: 40.
(1) आप …………… तो जग भला।
उत्तर:
भला
(2) वह सरस्वती देवी का ………… मंदिर है।
उत्तर:
पावन
(3) आज का युग ………… का युग है।
उत्तर:
विज्ञान
(4) …………… परिवर्तनशील है।
उत्तर:
समय
(इ) निम्नलिखित वाक्यों को सूचनानुसार बदलिए। ( 3 x 1 = 3 )
प्रश्न: 41.
(अ) आत्मानंद देश की सेवा करता है। (भूतकाल में बदलिए)
उत्तर:
आत्मानंद ने देश की सेवा की थी।
(आ)शीला कपड़े धोती थी।(वर्तमान काल में बदलिए)
उत्तर:
शीला कपड़े धोती है ।
(इ) मैं कहानी लिखती हूँ ।(भविष्यत् काल में बदलिए)
उत्तर:
मैं कहानी लिखुंगी ।
(ई) निम्नलिखित मुहावरों को अर्थ के साथ जोड़कर लिखिए। (1 x 4 = 4 )
प्रश्न: 42.
(1) खिल्ली उडाना – (अ) बहुत प्यारा
(2) तारे गिनना – (आ) हँसी उड़ाना
(3) आँखों का तारा – (इ) मेहनत से बचना
(4) जी चुराना – (ई) प्रतीक्षा करना
उत्तर:
(1) अ (2)ई (3) अ (4) इ
IV. 43. (उ) अन्याल खिए। ( 3 x 1 = 3 )
(i) कवि, नायक, विधुर
उत्तर:
कवयित्री, नायिका, विधवा
(ऊ) अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए। ( 3 x 1 = 3 )
प्रश्न: 44.
(क) जिसके पास बल न हो।
(ख) जो दान करता हो।
(ग) जल में रहनेवाला।
उत्तर:
निर्बल, बलहीन
दयावान
जलचर
(ए) निम्नलिखित शब्दों के साथ उपसर्ग जोड़कर नए शब्दों का निर्माण कीजिए। ( 2 x 1 = 2 )
प्रश्न: 45.
(i) हार
(ii) शासन
उत्तर:
(i) उप + हार
(ii) प्र + शासन, अनु + शासन
(ऐ) निम्नलिखित शब्दों. में से प्रत्यय अलग कर लिखिए। ( 2 x 1 = 2 )
प्रश्न: 46.
(i) विशेषता,
(ii) धनवान
उत्तर:
(i) विशेष + ता – विशेषता
(ii) धन + वान – धनवान
VI. (अ) किसी एक विषय पर निबंध लिखिए
प्रश्न: 47.
(i) (a) इंटरनेट की दुनिया
उत्तर:
इंटरनेट दुनिया भर में फैले कम्प्यूटरों का एक विशाल संजाल है जिसमें ज्ञान एवं सूचनाएँ भौगोलिक एवं राजनीतिक सीमाओं का अतिक्रमण करते हुए अनवरत प्रवाहित होती रहती है।
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सियोनार्ड क्लिनरॉक को इन्टरनेट का जन्मदाता माना जाता है। इन्टरनेट की स्थापना के पीछे उद्देश्य यह था कि परमाणु हमले की स्थिति में संचार के एक जीवंत नेटवर्क को बनाए रखा जाए। लेकिन जल्द ही रक्षा अनुसंधान प्रयोगशाला से हटकर संभावनाओं का मार्ग प्रशस्त हुआ और अपना धन लगाना प्रारम्भ कर दिया।
1992 ई. के बाद इन्टरनेट पर ध्वनि एवं वीडियो का आदान-प्रदान संभव हो गया। अपनी कुछ दशकों की यात्रा में ही इंटरनेट ने आज विकास की कल्पनातीत दूरी तय कर ली है। आज के इन्टरनेट के संजाल में छोटे-छोटे व्यक्तिगत कम्प्यूटरों से लेकर मेनफ्रेम और सुपर कम्प्यूटर तक परस्पर सूचनाओं का आदान-प्रदान कर रहे हैं। आज जिसके पास भी अपना व्यक्तिगत कम्प्यूटर है वह इंटरनेट से जुड़ने की आकांक्षा रखता है।
इन्टरनेट आधुनिक विश्व के सूचना विस्फोट की क्रांति का आधार है। इन्टरनेट के ताने-बाने में आज पूरी दुनिया है। दुनिया में जो भी घटित होता है और नया होता है वह हर शहर में तत्काल पहुँच जाता है। इन्टरनेट आधुनिक सदी का ऐसा ताना-बाना है, जो अपनी स्वच्छन्द गति से पूरी दुनिया को अपने आगोश में लेता जा रहा है। कोई सीमा इसे रोक नहीं सकती। यह एक ऐसा तंत्र है, जिस पर किसी एक संस्था या व्यक्ति या देश का अधिकार नहीं है बल्कि सेवा प्रदाताओं और उपभोक्ताओं की सामूहिक सम्पत्ति है। इन्टरनेट सभी संचार माध्यमों का समन्वित एक नया रूप है। पत्र-पत्रिका, रेडियो और टेलीविजन ने सूचनाओं के आदान-प्रदान के रूप में जिस सूचना क्रांति का प्रवर्तन किया था, आज इन्टरनेट के विकास के कारण यह विस्फोट की स्थिति में हैं। इन्टरनेट के माध्यम से सूचनाओं का आदान-प्रदान एवं संवाद आज दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक पलक झपकते संभव हो चुका है।
इन्टरनेट पर आज पत्र-पत्रिकाएं प्रकाशित हो रही हैं, रेडियो के चैनल उपलब्ध हैं और टेलीविजन के लगभग सभी चैनल भी मौजूद हैं। इन्टरनेट से हमें व्यक्ति, संस्था, उत्पादों, शोध आंकड़ों आदि के बारे में जानकारी मिल सकती है। इन्टरनेट के विश्वव्यापी जाल (www) पर सुगमता से अधिकतम सूचनाएँ प्राप्त की जा सकती हैं। इसके अतिरिक्त यदि अपने पास ऐसी कोई सूचना है जिसे हम सम्पूर्ण दुनिया में प्रसारित करना चाहें तो उसका हम घर बैठे इन्टरनेट के माध्यम से वैश्विक स्तर पर विज्ञापन कर सकते हैं। हम अपने और अपनी संस्था तथा उसकी गतिविधियों, विशेषताओं आदि के बारे में इन्टरनेट पर अपना होमपेज बनाकर छोड़ सकते हैं। इन्टरनेट पर पाठ्यसामग्री, प्रतिवेदन, लेख, कम्प्यूटर कार्यक्रम और प्रदर्शन आदि सभी कुछ कर सकते हैं। दूरवर्ती शिक्षा की इन्टरनेट पर असीम संभावनाएं हैं।
इन्टरनेट की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भी अहम् भूमिका है। विभिन्न प्रकार के सर्वेक्षण एवं जनमत संग्रह इन्टरनेट के द्वारा भली-भाँति हो सकते हैं। आज सरकार को जन-जन तक पहुंचने के लिए ई-गवर्नेस की चर्चा हो रही है। व्यापार के क्षेत्र में इन्टरनेट के कारण कई संभावनाओं के द्वार खुले हैं। आज दुनिया भर में अपने उत्पादों और सेवाओं का विज्ञापन एवं संचालन अत्यंत कम मूल्य पर इन्टरनेट द्वारा संभव हुआ है। आज इसी संदर्भ में वाणिज्य के एक नए आयाम ई-कॉमर्स की चर्चा चल रही है। इन्टरनेट सूचना, शिक्षा और मनोरंजन की त्रिवेणी है। यह एक अन्तःक्रिया का बेहतर और सर्वाधिक सस्ता माध्यम है। आज इन्टरनेट कल्पना से परे के संसार को धरती पर साकार करने में सक्षम हो रहा है। जो बातें हम पुराण और मिथकों में सुनते थे और उसे अविश्वसनीय और हास्यास्पद समझते थे वे सभी आज इन्टरनेट की दुनिया में सच होते दिख रहे हैं। टेली मेडिसिन एवं टेली ऑपरेशन आदि इन्टरनेट के द्वारा ही संभव हो सके हैं।
(b) विद्यार्थी और अनुशासन
उत्तर:
‘अनुशासन’ शब्द ‘शासन’ के साथ ‘अनु’ उपसर्ग जोड़ने से बना है, जिसका अर्थ है ‘शासन के पीछे’ अर्थात् ‘शासन के पीछे चलना’। श्रेष्ठजनों के आदेश पर चलना या स्वशासन के अन्तर्गत रहना ही अनुशासन कहलाता है। इस प्रकार अनुशासन शारीरिक एवं वैचारिक नियमों का पालन है।
अनुशासन हमारे जीव की केन्द्रस्थ धुरी है। रथ का एक चक्र यदि पूरब की ओर तथा दूसरा पश्चिम की ओर जाय, तो रथ की गति क्या हो सकती है? इसी प्रकार मनरूपी सेनापति की अवज्ञा कर यदि दोनों पाँव दो ओर चलें, दोनों हाथ दो ओर उठे, दोनों कान दो ओर सुनें तथा दोनों आँखें दो ओर देखें, तो मनुष्य की क्या स्थिति हो सकती है? इसलिए यह आवश्यक है कि हम जीवन में कदम-कदमपर अनुशासनबद्ध होना सीखें।
युद्ध के मैदान में विजयी होने का रहस्य हैसेनापति के एक इशारे पर बिना कुछ सोचेविचारे जूझ पड़ना। खेल के मैदान में भी वे ही प्रशंसा के पात्र होते हैं, जो कैप्टेन के आदेश का पालन तत्परतापूर्वक करते है। शिक्षा-प्राप्ति की भी स्वर्णिम कुंजी है-अनुशासन। जो व्यक्ति अपने गुरू की आज्ञा का उल्लंघन करता है, उनके द्वारा बताये मार्ग का अनुगमन नहीं करता, वह शिक्षित नहीं हो सकता, वह अपने जीवन में पद, प्रतिष्ठा एवं धन-सभी से वंचित रहता है।
कक्षाओं में सियार की बोली बोलनेवाले छात्र जीवन में सियार की तरह ही भटकते चलते है। परीक्षा-भवन में छुरे की नोक पर कमाल दिखलानेवाले छात्र आजीवन छुरे की नोक पर ही चलते रहते हैं-कहाँ है उनके जीवन में फूलों की सेज, कीर्ति की कुसुमाला एवं आदर का तिलक ! परिवार में ऊधम मचानेवाले, मातापिता की बातों की परवाह न करनेवाले, बड़ेबूढ़ों के वचन पर कान न देनेवाला स्वेच्छाचारी व्यक्तियों पर जीवनभर उपहास की धूलि पड़ती है, उन्हें अपमान का गरल पान करना पड़ता है।
अतः अनुशासन जीवन की चतुर्दिक् सफलता का महामंत्र है। जैसे पुण्य सूई और धागे का अनुशासन मानकर हार बन जाते है, वैसे ही जीवन नियमों एवं नीतियों का अनुशासन मानकर महान् बन जाता है। हम महापुरुषों के जीवन पर किंचित् दृष्टिपात करें, तो अनुशासन की लाभहानि से परिचित हो जायेंगे।
महात्मा गाँधी, स्वामी विवेकानन्द, लोकमान्य तिलक इत्यादि का जीवन अनुशासन की डोरी से ही बंधा था। अनुशासन के अर्थ को स्पष्ट करते हुए आरम्भ में ही कहा गया है-अनुशासन का अर्थ शासन के पीछे चलना है, अर्थात् जैसा शासन होगा, वैसा अनुशासन होगा। माता-पिता आरम्भ में बच्चों को दुलार में बहकाने के लिए छोड़ देते हैं और परिणाम होता है कि वे बड़े होकर सभी के सिर पर चढ़ जाते हैं। अँगरेजी की एक कहावत है, ‘Spare the rod and spoil the child’ (छड़ी रोकना बच्चे को बिगाड़ना है; ‘लालनाश्रयिणो दोषाः’, अर्थात् किसी को लगातार दुलारना उसे दष्ट बनाना है)। शासन ही लोगों में अनुशासन लाने का जिम्मेवार होता है। मगर आज का शासन अनुशासित नहीं है।
शासन में चुनकर आनेवाले नेता सिद्धान्त और वायदों को छोड़कर गद्दी के लालच में दल बदलते है। यही कारण है कि वे अपने कर्मचारियों में अनुशासन नहीं ला सकते। मगर यह शासन हमारा है। हमें चाहिए कि हम खुद अनुशासित हो, अनुशासन न मानेवाले ऐसे लोगों को वोट और आन्दोलन के द्वारा शासन से हटाये और तब सरकारी कर्मचारियों को भी अनुशासन में लाये।
अनुशासन कई तरह से आता है। जब हम छोटे रहते हैं तब परिवार यहा गुरुजनों पर निर्भर रहते है और उनकी आज्ञा या सीख के अनुसार चलकर अनुशासन के अभ्यस्त होते है। फिर बड़े होने पर समाज के बीच आने और खाने-कमाने पर कुछ सामाजिक कायदे और कुछ सरकारी कानून हमें अनुशासन में रखते हैं।
परिवार, गुरुजनों की सीख, समाज के कायदे और सरकारी कानून – अनुशासन के ये चारों स्तम्भ भी समय के अनुसार होते है, समय की माँग के अनुसार या देश तथा समाज की आवश्यकता के अनुसार इनमें हेरफेर होता है। मगर हमें ध्यान रखना है कि यह हेरफेर भी तोड़फोड़ या उठापटक के ढंग पर न होकर तर्क के आधार पर, पंचायती ढंग से हो। तर्क के आधार पर पंचायती ढंग का कायदा यह है कि हम अपने लोगों को ही नहीं, बल्कि जिन्हें हम दुश्मन समझते है उनकी भी सही बात और माँग को सुनने-समझने का धैर्य रखे और उनके प्रति न्याय करे।
(c) किसी ऐतिहासिक स्थल की यात्रा।
उत्तर:
ताजमहलः आगरा नगर में यमुना नदी के किनारे पर स्थित ताजमहल एक विश्वविख्यात प्रवासी स्थल है। अपने सौन्दर्य एवं अद्भुत भव्यता के कारण यह विश्व के सात आश्चर्यों में से एक है। इसको मुगल बादशाह शाहजहाँ ने अपनी प्रिय बेगम मुमताज महल की स्मृति में बनवाया था। दुनियाँ के हर कोने से पर्यटक ताजमहल को देखने के लिए आते हैं। ताजमहल देखकर वे दंग रह जाते हैं। चाँदनी रात में श्वेत स्फटिक पर बिखरी हुई चाँदनी इसकी सुन्दरता को निखार देती है।
लाल पत्थरों के ऊँचे आधार पर यह भवन बना हुआ है। इसके मुख्य भाग के चारों कोनों पर ऊंची-ऊंची चार मीनारें बनी हुई हैं। चारों मीनारों के मध्य इसका बृहद् गुम्बद इसकी सुन्दरता को निखारता है। सामने बड़े बड़े घास के मैदान हैं। उनके मध्य से लम्बा सा भाग है, जिसमें सुन्दरसुन्दर वृक्ष और फव्वारे लगे हुए हैं।
फुब्बारों का दृश्य इसकी शोभा को अतुलनीय बना देती है । इसके पीछे यमुना नदी बहती है। संगमरमर से बना यह विशाल भवन अपने आप से ही सुन्दरता में अद्वितीय है।
कहते हैं कि इसके निर्माण के लिए संगमरमर का पत्थर राजस्थान से लाया गया था। प्रतिदिन बीस हजार शिल्पी और कर्मचारी काम करते थे। इसके निर्माण में वाईस वर्षों का समय लगा।
अथवा
(ii) छात्रावास से अपने पिताजी को एक पत्र लिखिए।
उत्तर:
शारदा छात्रावास
बेंगलूर
26 जून 2014
पूज्य पिताजी सादर प्रणाम
मैं यहाँ सकुशल हूँ, आशा है घर में भी सब लोग सकुशल होंगे ।
यहाँ छात्रावास में मैंने बहुत से दोस्त बना लिए हैं। हम एक दूसरे की मदद करते हैं, कॉलेज भी साथ-साथ जाते है। आपको पता है मेरी रूममेट मेरी ही कक्षा में है जिसके कारण हम पढ़ाई भी साथ-साथ करते हैं। अब यहाँ का खाना भी मुझे कुछ अच्छा लगने लगा है। माँ को भी कहिए की मेरी फिक्र मत करें । हाँ, लेकिन मैं आप सबको बहुत याद करती हूँ। लेकिन मैं आप सब को बहुत याद करती हूँ। बंटी का क्या हाल है? पढ़ता है कि नहीं ठीक है, पापा, मम्मी और बंटी को मेरा प्यार ।
आपकी बेटी
क.ख.ग.
आ) 48. निम्नलिखित अनुच्छेद पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए। ( 5 x 1 = 5 )
राजाराम मोहन राय बचपन से ही बड़े प्रतिभाशाली थे। उनके पिता ने उनकी पढ़ाई का समुचित प्रबन्ध किया। गाँव की पाठशाला में उन्होंने बँगला सीखी। उन दिनों कचहरियों में फारसी का बोलबाला था। अतः उन्होंने घर पर ही मौलवी से फारसी पढ़ी । नौ वर्ष की उम्र में वे अरबी की उच्च शिक्षा के लिए पटना भेजे गए। वहाँ वे तीन वर्ष तक रहे । उन्होंने कुरान का मूल अरबी में अध्ययन किया। बारह वर्ष की उम्र में वे काशी गए। चार वर्ष तक वहाँ उन्होंने संस्कृत का अध्ययन किया। इस बीच में उन्होंने भारतीय दर्शन का भी अध्ययन किया।
प्रश्न : 1.
राजाराम मोहन राय की पढ़ाई की व्यवस्था किसने की ?
उत्तर:
उनके पिता ने उनकी पढ़ाई की व्यवस्था की।
प्रश्न : 2.
राजाराम मोहन राय ने बँगला कहाँ सीखी?
उत्तर:
गाँव की पाठशाला में उन्होंने बँगला सीखी ।
प्रश्न : 3.
उन्होंने अरबी की शिक्षा कहाँ से प्राप्त की?
उत्तर:
उन्होंने अरबी की शिक्षा पटना से प्राप्त की।
प्रश्न : 4.
बारह वर्ष की उम्र में वे कहाँ गए?
उत्तर:
बारह वर्ष की उम्र में वे काशी गए ।
प्रश्न : 5.
उत्तर:
चार वर्ष तक उन्होंने संस्कृत का अध्ययन किया।
49. (इ) हिन्दी में अनुवाद कीजिए। ( 5 x 1 = 5 )
उत्तर: