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Karnataka 2nd PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Gaurav पद्य Chapter 3 रहीम के दोहे
रहीम के दोहे Questions and Answers, Notes, Summary
भावार्थ :
प्रश्न 1.
रहिमन विद्या बुद्धि नाहि नही घरम, जस, दान।
भू पर जनम वृथा धरै, पसु बिनु पूँछ विषान।।
उत्तर:
रहीम इस दोहे में अच्छे और सज्जन पुरुष की पहचान क्या होती है कह रहे है। जिस मनुष्य में विद्या ज्ञान नही, जो धर्म के अनुसार न चलता हों, जो दान धर्म न करता हो, जिसने जिन्दगी में सफलता न पाई हो, ऐसा मनुष्य धरती पर बोझ के समान है वह बिना पूंछ और सिंग के जानवर के तरह है। मनुष्य के रूप में उसका जन्म बेकार है।
प्रश्न 2.
रहिमन पानी राखिये, बिनु पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून।।2।।
उत्तर:
इस दोहे में रहीम पानी शब्द का प्रयोग तीन अर्थो में कर रहे है। मनुष्य के पानी याने इज्जत है, मोती के लिए पानी चमक है और चूने के लिए पानी उसका सफेदपन और गीलापन है। रहीम कहते है मनुष्य को चाहिए कि वह अपनी प्रतिष्टा बचाए रखे, बिना प्रतिष्ठा मनुष्य, मनुष्य कहलवाने योग्य नही रहता, मोती को चमक चाहिए और चूना सफेद और गिला ही नही तो सब बेकार है।
प्रश्न 3.
रहिमन पठिन चितान ते, चिंता को चित चेत।
चिता दहति निर्जीव को चिंता जीव समेत।।3।।
उत्तर:
रहीम इस पद में चिंता और चिता की बात कर रहे है। चिंता मनुष्य के जिन्दगी के लिए कितनी खतरनाक है यह बताते हुए वे कह रहे है, चिता तो एक बार ही लगती है वह निर्जीव (मरे हुए) शरीर को जलाती है लेकिन चिंता जिन्दगी भर मनुष्य को जलाती रहती है। उससे हमारे शरीर को बडा भारी नुकसान होता है इसलिए वह चिता से भी बुरी है, खतरनाक है।
प्रश्न 4.
निज कर क्रिया रहीम कहि, सुधि भावी के हाथ।
पाँसे अपने हाथ में दांव न अपने हाथ।
उत्तर:
इस पद में रहीम भगवान की लीला और मनुष्य जीवन की सीमा की बात कर रहे हो वे कहते है काम करना हमारे हाथ में होता है उसके फल के बारे में सोचना भगवान के हाथ में है। हमे सिर्फ अपने कार्य करते रहना चाहिए। अच्छे कार्य का अच्छा फल हमें मिलेगा इस विश्वास के साथ। उसका उदाहरण वे इस तरह देते है – कि शतरंज के मोहरे (पाँसे) तो अपने हाथ में रहते है, खेलते हम है लेकिन दाँव अपने हाथ में नही होता। किसी भी कार्य का अजाम हम पर निभ्रर नही होता।
प्रश्न 5.
रहीम न गली है सांकरी, दूजो ना ठहराहिं।
आपु अहै तो हरि नहीं, हरि, तो आपुन नहीं।
उत्तर:
परमात्मा की भक्ति के बारे में बात करते हुए रहीम कह रहे है प्रेम की गली बहुत संकरी होती है इसमें एक जन ही आ जा सकता है, रह सकता है। भगवान तक पहुँचने का रास्ता भी ऐसा ही है अगर तुम मैं-मेरा-मुझे कहते रहोंगे तो तुम ही तुम रहोगे लेकिन अगर हर जगह भगवान ही भगवान है तो वहाँ भगवान रहेंगे, तुम नही।
प्रश्न 6.
रहिमन जिव्हा बावरी, कहि गइ सरग पताल आपु तो कहि भीतर रही जूती खात कपाल।।6।।
उत्तर:
रहिम बिना समझे बोलनेवालों को जीभ के द्वारा, उसका उदाहरण देकर समझा रहे है कि हमारी जीभ तो बिना कुछ सोचे-समझे कुछ भी बोल देती है। स्वर्ग, पाताल की बाते कर खुद तो मुँह के अंदर छिप जाती है लेकिन मार खानी पड़ती है कपाल को। बातों का अन्जाम यह होता है कि गुस्से की मार तो गाल पर पडती है, जीभ को कुछ नही होता। इसलिए हमे सोच समझकर बोलना
चाहिए।
प्रश्न 7.
धनि रहीम जल पंक को, लघु जिय पिअत अघाय। उदधि बड़ाई कौन है, जगत पिआओं जाय।
उत्तर:
रहीम यहाँ पर उदाहरण देते समझा रहे है कि आकार बडा हो या छोटा उससे क्या होता है? कभी कभी छोटा ही बड़े काम का होता है। सागर इतना बड़ा होता है, उसमे कितना पानी होता है लेकिन क्या फायदा? जिससे एक इसान की भी प्यास नही बुझती। उससे तो नद-नाल, या कीचड़ से भरा तालाब ही सही जहाँ छोटे-बड़े सारे जीव अपनी प्यास बुझा लेते है।
प्रश्न 8.
‘एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय।
रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै, अधाया’
उत्तर:
रहीम यहाँ पर साधना के बारे में बता रहे है। एक ज्ञान प्राप्त करे सबको सिखाए या एक साधना प्राप्त कर सबको साधना करना सिखाए तब सब सिखेंगे। सबके सब साधना चाहें तो कोई भी कुछ प्राप्त न कर पाए/साधना प्राप्त करना हर एक की बस की बात नही होती/साधक से वह ज्ञान प्राप्त कर सकते है। पेड-पौधे का उदाहरण देते हुए रहीम कहते है पौधे की जड़ को पानी दो तो वह पौधे के हर एक अंग तक पहुँच जाता है – वह फूलता-फलता है। जड़ को सँवार ने से पौधा संवर जाता है।
I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर: लिखिए:
प्रश्न 1.
बुद्धिहीन मनुष्य किसके समान है?
उत्तर:
बुद्धिहीन मनुष्य बिना पुँछ या सिंगके जानवर समान है।
प्रश्न 2.
किसके बिना मनुष्य का अस्तित्व व्यर्थ है?
उत्तर:
इज्जत के बिना मनुष्य का अस्तित्व व्यर्थ है।
3. चिता किसे जलाती है?
उत्तर:
चिता निर्जिव शरीर को जलाती है।
4. कर्म का फल देनेवाला कौन है?
उत्तर:
कर्म का फल देनेवाला ईश्वर है।
प्रश्न 5.
प्रेम की गली कैसी है?
उत्तर:
प्रेम की गली संकरी है।
प्रश्न 6.
रहीम किसे बावरी कहते है?
उत्तर:
रहीम जिव्हा को बावरी कहते है।
प्रश्न 7.
रहीम किसे धन्य मानते है?
उत्तर:
रहीम छोटे जलाशय को धन्य मानते है।
II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर: लिखिए:
प्रश्न 1.
रहीम ने मनुष्य की प्रतिष्ठा के सबंध में क्या कहा है?
उत्तर:
रहीम पानी शब्द का प्रयोग तीन अर्थों में कर रहे हैं। मनुष्य के पानी याने इज्जत है, मोती के लिए पानी चमक है और चूने के लिए पानी उसका सफेदपन और गीलापन है। रहीम कहते है मनुष्य को चाहिए कि वह अपनी प्रतिष्टा बचाए रखे, बिना प्रतिष्ठा मनुष्य, मनुष्य कहलवाने योग्य नहीं रहता, मोती को चमक चाहिए और चूना सफेद और गिला ही मही तो सब बेकार है।
प्रश्न 2.
रहीम ने चिता और चिंता के अंतर को कैसे समझाया है?
उत्तर:
चिंता मनुष्य के जिन्दगी के लिए कितनी खतरनाक है यह बताते हुए रहीम कह रहे है, चिता तो एक बार ही लगती है वह निर्जीव (मरे हुए) शरीर को जलाती है लेकिन चिंता जिन्दगी भर मनुष्य को जलाती रहती है। उससे हमारे शरीर को बड़ा भारी नुकसान होता है इसलिए वह चिता से भी बुरी है, खतरनाक है।
प्रश्न 3.
कर्मयोग के स्वरुप के बारे में रहीम के क्या विचार है?
उत्तर:
रहीम भगवान की लीला और मनुष्य जीवन की सीमा की बात कर रहे हो वे कहते है काम करना हमारे हाथ में होता है उसके फल के बारे में सोचना भगवान के हाथ में है। हमे सिर्फ अपने कार्य करते रहना चाहिए। अच्छे कार्य का अच्छा फल हमें मिलेगा इस विश्वास के साथ। उसका उदाहरण वे इस तरह देते है – कि शतरंज के मोहरे (पाँसे) तो अपने हाथ में रहते है, खेलते हम है लेकिन दाँव अपने हाथ में नही होता। किसी भी कार्य का अंजाम हम पर निर्भर नही होता।
प्रश्न 4.
अहंकार के संबंध रहीम के विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
आकार बड़ा हो या छोटा उससे क्या होता है? कभी-कभी छोटा ही बड़े काम का होता है। सागर इतना बड़ा होता है, उसमे कितना पानी होता है लेकिन क्या फायदा? जिससे एक इंसान की भी प्यास नही बुझती। उससे तो नद-नाल, या कीचड़ से भरा तालाब ही सही जहाँ छोटे-बड़े सारे जीव अपनी प्यास बुझा लेते है।
प्रश्न 5.
वाणी को क्यों संयत रखना चाहिए?
उत्तर:
रहिम बिना समझे बोलनेवालों को जीभ के द्वारा, उसका उदाहरण देकर समझा रहे है कि हमारी जीभ तो बिना कुछ सोचे-समझे कुछ भी बोल देती है। स्वर्ग, पाताल की बाते कर खुद तो मुँह के अंदर छिप जाती है लेकिन मार खानी पड़ती है कपाल को। बातों का अन्जाम यह होता है कि गुस्से की मार तो गाल पर पडती है, जीभ को कुछ नही होता। इसलिए हमे सोच समझकर बोलना चाहिए।
प्रश्न 6.
भगवान की अनन्य भक्ति के बारे में रहीम क्या कहते है?
उत्तर:
परमात्मा की भक्ति के बारे में बात करते हुए रहीम कह रहे है प्रेम की गली बहुत संकरी होती है इसमें एक जन ही आ जा सकता है, रह सकता है। भगवान तक पहुँचने का रास्ता भी ऐसा ही है अगर तुम मैं-मेरा-मुझे कहते रहोंगे तो तुम ही तुम रहोगे लेकिन अगर हर जगह भगवान ही भगवान है तो वहाँ भगवान रहेंगे, तुम नही।
III. ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:
प्रश्न 1.
रहिमन पानी राखिये बिनु पानी सब सून
पानी गए न उबरै, मोती, मानुष, चुन
उत्तर:
प्रसंग : इन पक्तियों को रहीम के दोहे से लिया गया है।
व्याख्या : इस दोहे में रहीम पानी शब्द का प्रयोग तीन अर्थो में कर रहे है। मनुष्य के पानी याने इज्जत है, मोती के लिए पानी चमक है और चूने के लिए पानी उसका सफेदपन और गीलापन है। रहीम कहते है मनुष्य को चाहिए कि वह अपनी प्रतिष्टा बचाए रखे, बिना प्रतिष्ठा मनुष्य, मनुष्य कहलवाने योग्य नही रहता, मोती को चमक चाहिए और चूना सफेद और गिला ही नही तो सब बेकार है।
प्रश्न 2.
घनि रहीम जल पंक को, लधु जिय पिअत अधाय उदाधि बड़ाई कौन है, जगत पिआसो जाया।
उत्तर:
प्रसंग : इन पक्तियों को रहीम के दोहे से लिया गया है।
व्याख्या : रहीम यहाँ पर उदाहरण देते समझा रहे है कि आकार बडा हो. या छोटा उससे क्या होता है? कभी-कभी छोटा ही बड़े काम का होता है। सागर इतना बड़ा होता है, उसमे कितना पानी होता है. लेकिन क्या फायदा? जिससे एक इसान की भी प्यास नही बुझती। उससे तो नद-नाल, या कीचड़ से भरा तालाब ही सही जहाँ छोटे-बड़े सारे जीव अपनी प्यास बुझा लेते है।
रहीम के दोहे Summary in English
1. A person without knowledge, kind without a glitter a slaked lime (CTT) without wetness is useless, so be aware of such thing.
2. In this Doha, Rahim is telling us that man should always protect his honour and self-respect. Without self-respect a man is not worth being called man. Just like the oyster cannot shine without water, so also a man cannot shine without self-respect.
3. In this Doha, Rahim is telling us that worries and tensions are very bad for our health and like how a fire burns a dead body, tension kills us in the same way.
4. In this Doha, Rahim tells us about the greatness of God and the importance of work. If we do our work and our duties, it is enough, and we must leave the rest to God. In the game of life, we feel that we have the dice in our hands, but the actual game is in God’s hands.
5. Rahim says that the road to love is very narrow, only one can go there at a time. When you are there God is not, and if God is there, you are not
6. Rahim very sarcastically says that as our tongue has no bones, it talks everything from heaven to hell and hides inside the mouth, but who faces, the consequences? We get a ‘slap on our cheeks.
7. Rahim talks about big and small things. Sea is vast and hence feels proud. There are many lakes, ponds, wells and rivers. These small water bodies quench the thirst of people. Then why does the sea feels so proud, when it cannot quench even one person’s thirst?
8. Rahim says that when you water a plant, you only water the down part or the roots of the plant, but water reaches to every part of the plant. Similarly, one trained and knowledgeable person can teach many. if all go, no one will be benefitted by it.
रहीम के दोहे Summary in Kannada