2nd PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Gaurav पद्य Chapter 4 बिहारी के दोहे

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Karnataka 2nd PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Gaurav पद्य Chapter 4 बिहारी के दोहे

बिहारी के दोहे Questions and Answers, Notes, Summary

2nd PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Gaurav पद्य Chapter 4 बिहारी के दोहे

भावार्थ:
1. कनक-कनक तैं सौगुनौ मादकता अधिकाइ
उहिं खाएं बौराइ, इहिं पाएं ही बौंराई।।1।।
बिहारी ने यहाँ पर ‘कनक’ का शब्द का अर्थ दो तरह से किया है। वे कहते है एक कनक याने धतुरा जिसके प्राशन करने से नाश चढ जाता है, दूसरा अर्थ है ‘सोना’ सोने को देख इन्सान पगला जाता है इस तरह दोनों से, धतुरे से और सोनेसे – मादकता बढ जाती है। दोनों को पाकर मनुष्य पगला जाता है।

2. जपमाला छापा तिलक, सरै न एकौ कामु।
मान काँचै, नाचै वृथा, साँचै राँचै रामु।।2।।
बिहारी यहाँ पर बाह्य आडंबर का विरोध करते हुए कह रहे है कि जपमाला जपनेसे, तिलक, लगाने से क्या होगा? यह तो सारे ढोंग है, दिखावा है। मन कच्चा होता है वह एक जगह स्थिर नही रहता। इधर-उधर भटकता रहता है। चित्तको स्थिर कर सच्चे मन से की गई प्रार्थना ही, राम को भाती है।

3. अधर-धरत हरि कैं परत, ओठ-डीठि-पट-जोति।
हरित बांस की बाँसुरी, इंद्र धनुष-रंग होति।।3।।
बिहारी यहाँ कृष्ण के रूप सौंदर्य का वर्णन करते हुए कह रहे है कि कृष्ण के लाल रंग के होंठ, होठो पर धरी हरे रंग की बाँसुरी, पीली पितांबरी (कपडे) आसमान के नील रंग में दिखाई देनेवाले इंद्रधनुष का आभास दे रही है। इंद्रधनुष के समान चमक रहे है, सुन्दर दिख रहे है।

2nd PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Gaurav पद्य Chapter 4 बिहारी के दोहे

4. अति अगाधु, अति औथरौ, नदी, कूप, सरु, बाइ
सो ताकौ सागरू जहाँ, जाकी प्यास बुझाइ।।4।।
बिहारी इस दोहे में कह रहे है-सागर कितना गहरा और कितना विशाल होता है। बाकी के सब, जलाशय नदी, कूप, सरोवर नालाव समंदर से छोटे और उथले होते है लेकिन वही सबकी प्यास बुझाते है। समंदर के पास जाने से कोई प्यासा ही वापस आता है।

5. या अनुरागी चित्तकी, गति समुझै नहिं कोई
ज्यौं-ज्यौं बूडै स्याम रंग, त्यौं त्यौं उज्जलु होइ।।।5।।
बिहारी इस दोहे में कृष्ण प्रेम की बात कर रहे है। वे कहते है कृष्ण के प्रेम में डूबे मनुष्य के चित्र (मन) की स्थिति कोई नही समझ सकता। जो उनके प्रेम में डूबेगा, उतना ही वह गहरा होता जाएगा जैसे शाम होते-होते आसमान गहरा लाल हो जाता है।

6. बढ़त-बढ़त सम्पत्ति – सलिलु, मन सरोजु बढ़ि जाइ।
घटत-घटत फिरि न घटे, बरु समूल कुम्हिलाई।।।6।।
बिहारी इस दोहे में प्रेम और भक्ति के बारे में बात करते कह रहे है कि घन रुपी पानी जब तक बढता रहता है तब तक प्रेमरुपी कमल उसमें खिलते रहते है। जैसे-जैसे पानी कम होता है, वैसे वैसे कमल सूख जाते है, मुरझा जाते है। ठीक वैसे ही प्रेम के घटने से मन पूरी तरह से मुरझा जाता है, उदास और दुःखी होता है।

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7. समै-समै सुन्दर सबै, रूप कुरूप न कोई।
मन की रुचि जेती जिते, तित तेती रुचि होई।।।7।।
दुनियादारी की बात करते हुए बिहारी कहते है कि इस दुनियामें कोई सुंदर और कुरुप ऐसे नही होता। यह तो मन पर निर्भर है कब कौन सुंदर लगे। कौन मन को जीते वही सुंदर है, पसंद है। कौन सी वस्तु कब सुंदर दिखे, जिसमें कब रुचि पैदा हो जाए कह नही सकते।

8. कहै यहै श्रुति सुर्मत्यौ, यहै सयाने लोग।
तीन दबावत निसकहीं, पातक, राजा, रोग।।।।8।।
बिहारी यहाँ पर वेदशात्र आदि में ज्ञानी लोगो ने जो बात कही है उसके बारे में बात रहे है। वह कह रहे है दुर्बलों को पापी, राजा और रोग दबाते है। इन्ही लोगों के सामने वह दब जाते है। इसलिए हमे चाहिए कि इस दुर्बल न बने, कमजोर को सभी दबाते है। पापी लोग उन्ही को दबाते है। कमजोर शरीर पर रोग सभी हमला करते है।

I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर: दीजिए।

प्रश्न 1.
किस वस्तु को पाकर मनुष्य उन्मत्त होता है?
उत्तर:
सोना और धतुरे को पाकर मनुष्य उन्मत्त होता है।

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प्रश्न 2.
भगवान कब प्रसन्न होता है?
उत्तर:
भगवान सच्ची भक्ति से प्रसन्न होता है।

प्रश्न 3.
बाँसुरी किस रंग की है?
उत्तर:
बाँसुरी हरे रंग की है।

प्रश्न 4.
प्रेमी चित्त कब उजला होत। है?
उत्तर:
श्याम रंग में डूबकर प्रेमी चित्त उजला होता है।

प्रश्न 5.
सम्पत्ति रूपी सलिल के बढने क्या क्या परिणाम होता है?
उत्तर:
सम्पत्ति रूपी सलिल के बढ़ने से प्रेम के कमल खिल जाते है।

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प्रश्न 6.
वस्तुएं कब सुन्दर प्रतीत होती है?
उत्तर:
जब मन उनपर आ जाता है, जब मन पसंद करता है वह वस्तु सुन्दर प्रतीत होती है।

प्रश्न 7.
पातक, राजा और रोग किसे दबाते है?
उत्तर:
दुर्बल को राजा, पातक और रोग दबाते है।

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर: लिखिए:

प्रश्न 1.
बिहारी ने दोनों कनक के संबंध में क्या कहा है?
उत्तर:
कनक शब्द के दो अर्थ हैं। एक – सोना और दूसरा – धतूरा। बिहारी लाल कहते हैं कि धतूरे को खाने से मादकता छा जाती है और पागलपन हो जाता है लेकिन ‘सोने’ को पाने मात्र से ही मादकता छा जाती है, पागलपन बढ़ जाता है। सोने में धतूरे की तुलना में सौ गुना ज्यादा नशा होता है।

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प्रश्न 2.
संपत्ति रुपी पानी और मन रुपी कमल के संबंध में बिहारी के क्या विचार है?
उत्तर:
बिहारी प्रेम और भक्ति के बारे में बात करते कह रहे है कि घन रुपी पानी जब तक बढता रहता है तब तक प्रेमरुपी कमल उसमें खिलते रहते है। जैसे-जैसे पानी कम होता है, वैसे-वैसे कमल सूख जाते है, मुरझा जाते है। ठीक वैसे ही प्रेम के घटने से मन पूरी तरह से मुरझा जाता है, उदास और दुःखी होता है।

प्रश्न 3.
सब वेद और स्मृतियाँ क्या बताते है?
उत्तर:
सभी वेद और स्मृतियाँ यही बताते हैं कि संसार में जो निर्बल या दुर्बल होता है, वही दबाया जाता है अथवा उसी को तकलीफ उठानी पड़ती है। सयाने लोग भी यही कहते हैं कि पातक (पापी), राजा और रोग – ये तीनों दुर्बलों को ही दबाते हैं।

III. संसदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:

प्रश्न 1.
कनक-कनक तैं सौगुनौ मादकता अधिकाइ
उहिं खाएं बौराइ, इहिं पाएं ही बौंराई।।1।।
उत्तर:
प्रसंग : यह पक्तियाँ बिहारी के दोहे से ली गई है। जिसे संत कवि बिहारी लाल ने लिखा है।

व्याख्या : बिहारी ने यहाँ पर ‘कनक’ का शब्द का अर्थ दो तरह से किया है। वे कहते है एक कनक याने धतुरा जिसके प्राशन करने से नाश चढ जाता है, दूसरा अर्थ है ‘सोना’ सोने को देख इन्सान पगला जाता है इस तरह दोनों से, धतुरे से और सोनेसे – मादकता बढ़ जाती है। दोनों को पाकर मनुष्य पगला जाता है।

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प्रश्न 2.
अति अगाधु, अति औथरौ, नदी, कूप, सरु, बाइ
सो ताकौ सागरू जहाँ, जाकी प्यास बुझाइ।।4।।
उत्तर:
प्रसंग : यह पक्तियाँ बिहारी के दोहे से ली गई है। जिसे संत कवि बिहारी लाल ने लिखा है।

व्याख्या : बिहारी इस दोहे में कह रहे है-सागर कितना गहरा और कितना विशाल होता है। बाकी के सब, जलाशय नदी, कूप, सरोवर नालाव समंदर से छोटे और उथले होते है लेकिन वही सबकी प्यास बुझाते है। समंदर के पास जाने से कोई प्यासा ही वापस आता है।

बिहारी के दोहे Summary in English

1. Bihari says that gold and lust for a lady both make a man mad, those who have it and those who don’t have it. Both of these things always attract a man.

2. Bihari says it is of no use to put ‘Tilak’ on your forehead and sit in a temple for hours together if there is no God in your heart and your mind is wandering here and there.

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3. The colour of Krishna’s flute is green, he is wearing a yellow-colored dress, his lips are red and all these together give the impression of a Rainbow.

4. Here Bihari is comparing big and small by its quantity and quality. Sea is so deep and vast but what is the use. Not a single person’s thirst can it quench, but see those small water bodies like wells, rivers, lakes, and ponds, which quench everyone’s thirst.

5. You can never guess what is in the mind of a lover. The deeper one goes into it, the deeper it grows in love. As the evening progresses, we see orange colour in the sky deepening with time. Love also grows likewise with time.

6. Only when there is enough water, a lotus blooms. Similarly, when there is enough wealth, then … only people are happy. The lack of it, like a lotus without water, makes them wither away.

7. In this, Bihari again talks about the human mind. Nothing is good or bad by itself, but only how a person sees it. According to our needs and fulfillment of those needs, things look nice to us. It is only our individual perception. As such, no one is ugly or good looking, but when you like somebody, they always look good to you.

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8. All the Vedas, Scriptures, Epics, and spiritual Gurus say and advise us that sinners (bad people), Kings, and diseases (sickness) catch hold of only those who are weak physically and mentally. So be strong, and these three things can never bring you under their influence and control.

बिहारी के दोहे Summary in Kannada

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