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Karnataka 2nd PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Gaurav पद्य Chapter 5 अधिकार
अधिकार Questions and Answers, Notes, Summary
भावार्थः
1. वे मुस्काते फूल, नहीं
जिनको आता है मुरझाना,
वे तारों के दीप, नहीं
जिनको भात हैं बुझ जानाः
कवयित्री महादेवी वर्मा इन पाक्तियों में कह रही है कि फूल खिलते है दूसरों को खुशी देने के लिए। वह खिलकर हर तरफ खुशी फैलाकर मुरझा जाते है। वह फूले ही क्या जो ऐसे ही खिलकर मुरझा जाते है ? दूसरों के लिए खिलकर मुरझाने में ही खुशी है। आकाशमें टिमटिमाते तारे, दुनिया भर को खुशियों से भर देते है, उनमें उम्मीद जगाते है, रोशनी देने में मदद करते है, नही तो उनका होना भी बेकार है। जो ऐसे ही बुझ जाते है।
2. वे नीलम से मेध नहीं
जिनको है घुल जाने की चाह,
वह अनन्त ऋतुराज, नहीं
जिसने देखी जाने की राह!
कवयित्री महादेवी कहती है वे नीले मेध (बादल) ही नहीं जो बरसकर गिर पडे, जो बारीश मे घुल जाए वही सच्चे मेध है। वह ऋतुराज भी क्या जो बदलता नही। प्रकृति का नियम ही है कि ऋतुऐं एक के बाद एक आती है। वह ऋतु जिसे जाने की राह नही पता वह ऋतु ही क्या?
3. वे सूने से नयन, नहीं –
जिनमें बनते आंसू – मोती,
वह प्राणों की सेज, नहीं –
जिनमें बेसुध पीड़ा सोती,
कवयित्री, कर रही है वह आँखे भी क्या जिनमें कभी आँसू आते ही नही। लोगों का दुःख, पीडा देखकर जिन आँखो में आँसु भर आते है, जो दूसरों को लिए करुणा से भर आते है। उन्ही से आँखो की सुन्दरता बढ़ती है।
वहीं होते है नेत्र नही तो वह आँखे ही क्या? वैसेही जिस दिल में वेदना की टीस नही वह दिल ही क्या? प्राण के रहते कोई शरीर ऐसे ही जीता है तो वह जीना भी क्या? जिसके हृदय में पीडा न पनपे? जिसे औरों के दुःख से दुःख न होता हो।
4. ऐसा तेरा लोक, वेदना
नहीं, नहीं, जिसमें अवसाद,
जलना जाना नहीं नहीं
जिसने जाना मिटने का स्वाद!
महादेवी इन पंक्तियों में कहती है जिस लोक में अवसाद नही, वेदना नही ऐसे लोक को लेकर क्या होगा? जो खुद अपने लिए जीता है उसको जीना भी क्या? जो परिस्थितियों से डटकर मुकाबला करता है वही असली जीना जीता है। जिसमें आग नही है, जिसने जलना नही जाना उसका जीना भी क्या? उसे तो खुशीसे मर-मिटना भी नही पता होता। जो दुःख में जल जाना सिखता है वह मुसकुराना भी जानता है।
5. क्या अमरों का लोक मिलेगा?
तेरी करुणा का उपहार?
रहने दोश देव! अरे
यह मेरा मिठने का अधिकार
कवयित्री इन पक्तियों में कहती है – किसी के लिए मर-मिटना मुझे स्वीकार है ना कि अमर हो जाना जिसका हृदय हे भगवान तुमने करुणा से भर दिया है, वही लोक कल्याण के लिए खुद कष्ट सह कर अमर हो सकता है। हे देव, मैं खुश हूँ कि मुझे भी दूसरों के लिए मर-मिटने का उपहार का उपहार मिला है अधिकार मिला है। मैं किसी के लिए मर-मिट सकती हूँ।
शब्दार्थ : भाना – अच्छा लगना, अवसाद-दुःख, ऋतुराज – वसंत ऋतु, पीडा-वेदना, दुःख, उपहार-भेंट, बेसुध – बेहोश
I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
प्रश्न 1.
मुस्काते फूल को क्या आना चाहिए?
उत्तरः
मुस्काते फूल को मुरझाना भी आना चाहिए।
प्रश्न 2.
मेघ में किस चीज की चाह होनी चाहिए?
उत्तरः
मेघ में गरजकर बरस पड़ने की चाह होनी चाहिए।
प्रश्न 3.
आँखों की सुन्दरता किससे बढती है?
उत्तरः
जिन आँखों से दूसरों का दुःख देखकर आँसू बहते है
प्रश्न 4.
प्राणों की सार्थकता किसमें है?
उत्तरः
जो दूसरों के दुःख से दुःखी होता है जिसमें पीड़ा बसती है।
प्रश्न 5.
कवयित्री को किसकी चाह नही है?
उत्तरः
कवयित्री को अमरों के लोको की चाह नही है।
प्रश्न 6.
कवयित्री किस अधिकार की बात कर रही है ?
उत्तरः
कवयित्री मिटने के अधिकार की बात कर रही है।
प्रश्न 7.
परमात्मा की करुणा से कवयित्री को क्या मिला?
उत्तरः
परमात्मा की करुणा से दूसरों के लिए मर मिटने का अधिकार उसे मिला है।
II. निम्न लिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
प्रश्न 1.
फूल और तारों के विषय में कवयित्री क्या कहती है?
उत्तरः
कवयित्री कहती है फूल खिलते है तो दूसरों को खुश कर देते है, मुसकुराते सुंदर फूल अगर मुरझाना ही नही चाहते तो वे सुंदर फूल ही नही। आकाश में चमकते तारे भी रोशनी देकर उम्मीदे बांधकर बुझ जाते है। वह तारे ही क्या जो बुझना ही नही चाहते।
प्रश्न 2.
बादल एवं वसन्त ऋतु से इमे क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर:
कवयित्री कहती है वह बादल ही क्या जो बरसना ही नही चाहते, काले, धने बादलों का धर्म ही होता है बारीश के रूप में धरती को तृप्त करे। वह ऋतु ही क्या जो बदलना ही नही चाहता क्योंकि ऋतुओं का धर्म है, वह बदलते ही रहते है।
प्रश्न 3.
जीवन की सार्थकता किसमें है?
उत्तरः
कवयित्री महादेवी कहती है – जीवन की सार्थकता परिस्थितियों से डटकर मुकाबला करने में है न कि पलायन करने में। उन आँखों को हम सुन्दर क्यों कहे जो दूसरों का दूःख-दर्द देखकर ऑसूओं से भर न जाए। वह प्राण ही क्या जो दूसरों की पीड़ा से न तडपे। जीवन की सार्थक ता संघर्ष करने में है, हर तरह के वेदना से सामना करने में है।
प्रश्न 4.
कवयित्री अमरों के लोक को क्यों ठुकरा देती है?
उत्तरः
कवयित्री महादेवी को अमरों के लोक की चाह नही है। इसका मानना है कि भगवान की कृपा ही मुझे यह मिटने का अधिकार मिला है। अमर होना उसके जीवन का उद्देश्य नहीं है। वह खुश है कि वह वेदना की अनुभूति कर मिट जाए। मिटने का स्वाद वही जानता है जो मुस्कुराकर जीना जानता है।
प्रश्न 5.
‘अधिकार’ कविता में प्रयुक्त प्राकृतिक तत्वों के वारों में लिखिए।
उत्तरः
‘अधिकार’ कविता में कवयित्री महादेवी ने फूल, तारे, मेधे और ऋतुराज इन प्राकृतिक तत्वों का उल्लेख कर किसतरह वेदना-दुःख सहकर भी दुसरों के लिए दिल में तड़प लेकर मीट जाते है बताया है। मुस्कुराते सुंदर फूल चंद घड़ियों की खुशी देकर मुरझा जाते है। काले बादल धीर आते है बारिश बन गिरने के लिए। तारे भी बुझ जाते है, ऋतुएँ भी बदल जाती है – मिटना सभी को है। यहाँ हमेशा के लिए कुछ भी नही रहता।
III. ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:
ऐसा तेरा लोक, वेदना,
नही, नही जिसमें अवसाद,
जलना जाना नही, नही
जिसने जाना मिटनेका स्वाद
उत्तरः
महादेवी वर्मा को वेदना की कवयित्री कहा जाता है। अपने वेदना का स्वागत करते हुए वह कहती है जिस लोक में अवसाद (दुःख) नही वेदना नही, ऐसे लोक को लेकर क्या होगा? जीवन की सार्थकता परिस्थितियों से डटकर मुकाबला करने में है ना कि भाग जाने में। फूल, बादल, तारे ऋतुराज, वसंत आदि के उदाहरण देकर वह कहती है कि जिसने दुःख क्या हे जाना है, आग में जलना क्या होता है जिसने जाना है, वही मनुष्य अपनी जिन्दगी को जीता है।
कवयित्री को वेदना का वह रूप प्रिय है जो मनुष्य के संवेदनशील हृदय को सारे संसार से बांध देती है। वह कहती है मुझे अमरों का लोक नही चाहिए – मुझे जो मिटनेका अधिकार मिला है, उसे मैं खोना नही चाहती उसे वह बचाए रखना चाहती है। उस प्राण को कोई प्राण कैसे कहे जिसमें वेदना की तडप नही, वह आँखे भी क्या जिसमें दुःख के आँसू न बहो इनके उदाहरण देकर कवयित्री जीवन में वेदना की अनुभूति का महत्व समझाती है। संघर्ष के पथपर हमेशा आगे बढ़ने का संदेश वह इस कविता में देती है।
अधिकार Summary in English
Mahadevi Verina is well known as a poetess of misery and sadness. She happily welcomes all the sadness that comes in her life. According to her, what is life if there is no pain, no regret or no remorse. You will succeed in life only when you face all the hurdles and difficulties in life, not by running away from them. She is giving the examples of flowers, clouds, stars and seasons.
Flowers bloom for a day and give so much happiness and wither away. Stars don’t have their own light. Sometimes they hide behind the clouds. Beautiful white clouds, when heavy with water, become ominous and dark rain-bearing clouds. Seasons keep changing and nothing is permanent in this life. Obstacles keep coming up and destruction is inevitable.
Texas’s what makes life worth living. What is the greatness of flowers if they don’t want to wither, seasons if they don’t change? Life is not worth living if there are no challenges to surmount. Mahadevi wants to experience all these upheavals in her life.
Only that, gives her fulfillment as a life well-lived. Moving forward, facing hardships is a life lived successfully. She questions the readers what are those eyes which were not moist by other’s tears or a heart which has never felt the pain of others.
अधिकार Summary in Kannada