Students can Download Hindi Lesson 3 मेरा देश, मेरी माँ Questions and Answers, Summary, Notes Pdf, Activity, KSEEB Solutions for Class 8 Hindi helps you to revise the complete Karnataka State Board Syllabus and to clear all their doubts, score well in final exams.
Karnataka State Syllabus Class 8 Hindi वल्लरी Chapter 3 मेरा देश, मेरी माँ
मेरा देश, मेरी माँ Questions and Answers, Summary, Notes
अभ्यास
I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
भारत पर दुश्मनों ने कब आक्रमण किया?
उत्तर:
भारत पर दुश्मनों ने सन् उन्नीस सौ पैंसठ (195) में आक्रमण कर दिया।
प्रश्न 2.
मेजर को तुरंत किसका स्मरण हो आया?
उत्तर:
मेजर को तुरंत मातृभूमि का स्मरण हो आया।
प्रश्न 3.
भारतीय सेना के लिए किस नहर का क्षेत्र चुनौती की दीवार बना खड़ा था?
उत्तर:
भारतीय सेना के लिए इच्छोगिल नहर का क्षेत्र चुनौती की दीवार बना खड़ा था।
प्रश्न 4.
इच्छोगिल नहर को तोड़ने के लिए कौन तैयार थे?
उत्तर:
इच्छोगिल नहर को तोड़ने के लिए भारतीय सेना के मेजर आशाराम त्यागी तैयार थे।
प्रश्न 5.
मेजर ने किसकी परवाह नहीं करते हुए मोर्चा को सँभाला?
उत्तर:
मेजर ने मौत की परवाह किए बिना मोर्चा संभाला।
प्रश्न 6.
मेजर ने अधिकारियों से क्या कहा?
उत्तर:
मेजर ने अधिकारियों से कहा – मेरी माँ तक संदेश पहुँचा देना कि आपके बेटे ने गोलियाँ सीने पर ही खायी हैं, पीठ पर नहीं।
प्रश्न 7.
मेजर आशाराम त्यागी ने मातृभूमि की रक्षा में किसकी बाजी लगा दी?
उत्तर:
मेजर आशाराम त्यागी ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा दी।
प्रश्न 8.
मेजर आशाराम त्यागी ने किसे दिये हुए वचनों का पालन किया?
उत्तर:
मेजर आशाराम त्यागी ने माँ के दिये हुए वचनों का पालन किया।
अतिरिक्त प्रश्नः
प्रश्न 9.
दुश्मनों ने भारत पर कब आक्रमण किया?
उत्तर:
दुश्मनों ने भारत पर सन् उन्नीस सौ पैंसठ में हमला कर दिया।
प्रश्न 10.
छुट्टियाँ बिताने गये सैनिकों को क्या आदेश मिला?
उत्तर:
छुट्टियाँ बिताने अपने घर गये सैनिकों को तुरंत वापस आने का आदेश मिला।
प्रश्न 11.
मेजर ने किसके पैर छूकर प्रणाम किया?
उत्तर:
मेजर ने माँ के पैर छूकर प्रणाम किया।
प्रश्न 12.
किस नहर का मोर्चा भारतीय सेना के लिए चुनौती था?
उत्तर:
इच्छोगिल नहर का मोर्चा भारतीय सेना के लिए चुनौती था।
प्रश्न 13.
मौत की परवाह किये बिना मेजर ने क्या सँभाल लिया?
उत्तर:
मौत की परवाह किये बिना मेजर ने मोर्चा संभाल लिया।
प्रश्न 14.
मेजर पर किसका जोश पूरी तरह छाया हुआ था?
उत्तर:
मेजर पर देशभक्ति का जोश पूरी तरह छाया हुआ था।
प्रश्न 15.
दुश्मन की गोलियाँ मेजर के शरीर में कहाँ-कहाँ घुस गई?
उत्तर:
दुश्मन की गोलियाँ मेजर के हाथ, पेट और सीने में घुस गई।
प्रश्न 16.
किनके शब्द मेजर को प्रेरणा दे रहे थे?
उत्तर:
‘भारतीय परंपरा सीने पर गोली खाने की है पीठ पर नहीं’ – माँ के ये शब्द मेजर को प्रेरणा दे रहे थे।
प्रश्न 17.
रुंधे गले से अधिकारियों ने मेजर से क्या पूछा?
उत्तर:
अधिकारियों ने रुंधे गले से मेजर की अंतिम इच्छा के बारे में पूछा।
प्रश्न 18.
भारतीय सेना क्यों चौंक गई?
उत्तर:
अचानक हुए हमले ने भारतीय सेना को चौंका दिया।
प्रश्न 19.
छुट्टी पर आये मेजर का क्या नाम था?
उत्तर:
छुट्टी पर आये मेजर का नाम था – आशाराम त्यागी।
प्रश्न 20.
मेजर ने कैसा साहस दिखाया?
उत्तर:
मेजर ने दुश्मन के सारे टैंकों को ध्वस्त कर दिया। विजयश्री को गले लगाकर ही उन्होंने दम लिया।
प्रश्न 21.
आदमी के लिए पुनीत कर्तव्य क्या है?
उत्तर:
शत्रु से देश की रक्षा करना आदमी के लिए पुनीत कर्तव्य हैं।
प्रश्न 22.
देश के लिए प्राण अर्पित किए मेजर का नाम क्या है?
उत्तर:
देश के लिए प्राण अर्पित किए मेजर का नाम आशाराम त्यागी है।
प्रश्न 23.
सैनिकों का जीवन कैसा होता है?
उत्तर:
सैनिकों का जीवन खतरों से भरा रहता है।
प्रश्न 24.
त्यागी ने किसके वचनों का पालन किया?
उत्तर:
त्यागी ने अपनी माँ के वचनों का पालन किया।
प्रश्न 25.
जननी और जन्मभूमि किससे भी महान है?
उत्तर:
जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान है।
प्रश्न 26.
वापस आने की सूचना मिलते ही मेजर ने क्या किया?
उत्तर:
वापस आने की सूचना मिलते ही, मेजर जाने की तैयारी कर माँ के पैर छूकर प्रणाम किया।
II. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
सैनिकों को तुरंत वापस आने का आदेश अचानक क्यों दिया गया?
उत्तर:
दुश्मनों ने भारत पर आक्रमण कर दिया। अचानक हुए इस हमले ने भारतीय सेना को चौका दिया। छुट्टियाँ बिताने अपने घर गये सैनिकों को तुरंत वापस आने के आदेश भेजे गये ।।
प्रश्न 2.
युद्धभूमि जाने से पहले मेजर ने जब माँ को प्रणाम किया तब दोनों की स्थिति कैसी थी?
उत्तर:
युद्धभूमि जाने से पहले मेजर ने माँ के पैर छूकर प्रणाम किया। माँ का ममत्व जाग उठा। आँखों में आँसू भर गये और उन्होंने बेटे को सीने से लगा लिया। मेजर का गला भी रुंध गया, पर तुरंत ही मातृभूमि का स्मरण हो गया।
प्रश्न 3.
युद्धभूमि को जाते हुए पुत्र के सिर पर हाथ रखकर माँ ने क्या आशीर्वाद दिये?
उत्तर:
युद्धभूमि को जाते हुए पुत्र के सिर पर हाथ रखकर माँ ने कहा, “बेटे, राष्ट्ररक्षा ही हर भारतीय का कर्तव्य है, जाओ और दृढ़ता से अपने कर्तव्य का पालन करो’। याद रहे – “भारतीय परंपरा सीने पर गोली खाने की है, पीठ पर नहीं।”
प्रश्न 4.
अमृतसर के अस्पताल में मेजर के अंतिम शब्द क्या थे?
उत्तर:
बुरी तरह घायल मेजर को अमृतसर के सैनिक अस्पताल में लाया गया। उसके बचने की कोई आशा नही थी। अधिकारियों ने इनकी अंतिम इच्छा पूछी तो उन्होंने जवाब दिया कि मेरी माँ तक संदेश पहुँचा देना – आपके बेटे ने गोलियाँ सीने पर खायी है, पीठ पर नहीं।
प्रश्न 5.
मेजर आशाराम त्यागी की युद्ध कुशलता के बारे में आप क्या जानते हैं? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
शत्रु से देश की रक्षा करना देशवासियों को परम पुनीत कर्तव्य होता है। लड़ाई में पीठ दिखाकर भागना नहीं | चाहिए। सीना तानकर आगे बढ़ना चाहिए। ये सभी मेजर आत्माराम दुबे की युद्धकुशलता हैं।
अतिरिक्त प्रश्नः
प्रश्न 6.
मेजर ने किस तरह युद्ध किया?
उत्तर:
मेजर ने जान की बाजी लगाकर युद्ध किया। मौके का इंतजार करने के लिए समय नहीं था। गोलीबारी करते हुए दुश्मनों के टैंकों को ध्वस्त करते हुए मेजर आगे बढ़ रहे थे। कई गोलियाँ हाथ और पेट में घुस गई थी। वे चोट की परवाह किए बगैर आगे बढ़ते रहे और विजयश्री को प्राप्त किया।
प्रश्न 7.
अमृतसर के अस्पताल में मेजर ने अधिकारियों से क्या कहा?
उत्तर:
अमृतसर के अस्पताल में मेजर ने अधिकारियों से कहा – “मेरी माँ तक संदेश पहुँचा देना, तुम्हारे बेटे ने गोलियाँ सीने पर ही खायी है, पीठ पर नहीं।”
III. उदाहरण के अनुसार विरोधार्थक शब्द लिखिएः
उदाः अच्छा × बुरा
- बड़ा × _________
- आगे × ________
- दोस्त × _________
- भेद्य × _________
उत्तरः
- छोटा;
- पीछे;
- दुश्मन;
- अभेद्य।
IV. उदाहरण के अनुसार स्त्रीलिंग एकवचन के बहुवचन रूप लिखिए:
‘ई’ की जगह ‘इयाँ लिखने से स्त्रीलिंग एकवचन का बहुवचन रूप बनता है। बदलते रूप को समझिए।
उदाः तैयारी – तैयारियाँ।
- छुट्टी – _________
- गोली – _________
- रोटी – _________
- लाठी – _________
- खिड़की – _________
- जिम्मेदारी – _________
उत्तरः
- छुट्टियाँ;
- गोलियाँ;
- रोटियाँ;
- लाठियाँ;
- खिडकियाँ;
- जिम्मेदारियाँ।
V. नमूने के अनुसार शब्द बनाइए :
उदाः मालिक – मालकिन
- धोबी – _________
- बाघ – _________
- माली – __________
- साथी – __________
- तेली – __________
उत्तरः
- धोबी – धोबिन
- बाघ – बाघिन
- माली – मालिन
- साथी – साथिन/साथिनी
- तेली – तेलिन
VI. नमूने के अनुसार अन्य वचन शब्द बनाइए :
उदाः परीक्षा – परीक्षाएँ
- माला – ________
- शाखा – ________
- कविता – ________
- पत्रिका – ________
- रेखा – ________
उत्तरः
- माला – मालाएँ
- शाखा – शाखाएँ
- कविता – कविताएँ
- पत्रिका – पत्रिकाएँ
- रेखा – रेखाएँ
VII. इन शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए:
उदाहरणः दीवार
इस दीवार का रंग सफेद है।
- छुट्टी
- वातावरण
- प्रणाम
- आसान
- गोली
- अस्पताल।
उत्तरः
- छुट्टी – आज स्वतंत्रता दिवस की छुट्टी है।
- वातावरण – भारत में शांति का वातावरण फैला हुआ है।
- प्रणाम – गुरु को देखते ही प्रणाम करना चाहिए।
- आसान – परीक्षा में अच्छे अंक पाना आसान काम नहीं है।
- गोली – बंदूक में गोली है।
- अस्पताल – बीमार लोगों को अस्पताल में भरती करते हैं।
VIII. कन्नड या अंग्रेज़ी में अनुवाद कीजिए :
अतिरिक्त प्रश्नः
खाली जगह भरिए :
- घायल मेजर को __________ के सैनिक अस्पताल को लाया गया।
- मेजर का नाम ___________ था।
- शत्रु से देश की रक्षा करना ____________ का पुनीत कर्तव्य होता है।
- लड़ाई में ____________ दिखाकर भागना नहीं चाहिए।
- सीना तानकर आगे बढ़ने से ही वीर ____________ पहनते
- ___________ का मोर्चा भारतीय सेना के लिए चुनौती की दीवार बना खड़ा था।
- मेजर पर ___________ का जोश पूरी तरह छाया हुआ था।
उत्तरः
- अमृतसर;
- आशाराम त्यागी;
- देशवासियों;
- पीठ;
- विजयमाला;
- इच्छोगिल नहर;
- देशभक्ति।
भाषा ज्ञान
‘सर्वनाम’
वाक्य में ‘संज्ञा’ के बदले प्रयुक्त शब्द ‘सर्वनाम’ कहलाते हैं। सर्वनाम के प्रयोग से वाक्य सुंदर, सरल और संक्षिप्त लगते हैं।
सर्वनाम के भेद :
2) निजवाचक सर्वनाम
जैसेः खुद, स्वयं, स्वतः आदि
3) निश्चयवाचक सर्वनाम
जैसेः इसने, इन्होंने, उसने, उन्होंने, मैं, हम, आदि
4) अनिश्चयवा के सर्वनाम
जैसेः कोई, कुछ, कहीं, किसी आदि
5) प्रश्नवाचक सर्वनाम
जैसेः कौन, कहाँ, क्यों, किसमें आदि।
6) संबंधवाचक सर्वनाम
जैसेः जो-सो, ज्यों-त्यों, जैसे-तैसे, जहाँ-तहाँ आदि।
पूरक वाचन
पढ़िए और लिखिए :
आज से कई साल पहले तक लोग यही मानते थे कि पेड़-पौधों में जीवन नहीं होता। वे सुख-दुख का अनुभव नहीं कर सकते। परंतु हमारे ही देश के एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक ने प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध कर दिया कि पेड़-पौधों में जीवन होता है। उन पर भी हमारी तरह गर्मी-सर्दी और विष आदि का प्रभाव पड़ता है। वे भी अन्य प्राणियों की तरह खाते-पीते, सोते-जागते, हँसते-रोते, काम करते और आराम करते हैं। जगदीशचंद्र बसु ने सबसे पहले इस बात का पता लगाया था और यह भी सिद्ध कर दिया कि सभी जीव-जंतुओं की तरह पेड़-पौधों में भी प्राण हैं, बिलकुल हमारी तरह। वे भी रात को आराम करते हैं। हमारी तरह उन्हें भी प्यास लगती है। इसलिए पेड़-पौधों को रोज़ पानी देना चाहिए।
प्रश्न 1.
इस गद्यांश के लिए उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
‘पेड़ पौधों में जीवन’
प्रश्न 2.
किस वैज्ञानिक ने बताया कि पेड़-पौधों में जीवन है?
उत्तर:
जगदीशचन्द्र बसु ने बताया कि पेड़-पौधों में जीवन है।
प्रश्न 3.
आज से कई साल पूर्व तक लोग क्या मानते थे?
उत्तर:
आज से कई साल पूर्व तक लोग यही मानते थे कि पेड़-पौधों में जीवन नहीं होता है।
प्रश्न 4.
पेड़-पौधे अन्य प्राणियों की तरह क्या-क्या करते हैं?
उत्तर:
पेड़-पौधे अन्य प्राणियों की तरह खाते-पीते, सोते-जागते, हँसते-रोते, काम करते और आराम करते हैं।
मेरा देश, मेरी माँ Summary in Hindi
मेरा देश, मेरी माँ पाठ का सारांश :
यह एक देशभक्त मेजर की कहानी है। देशप्रेमी कभी मौत से नहीं डरते। हमेशा कफन बाँधकर रणभूमि में उछल पड़ते हैं। भारतीय सैनिक को वीरता की निशानी के रुप में यहाँ देखते हैं। देश की रक्षा के आगे सैनिक अपने स्वार्थ को भूल जाते हैं। लड़ाई में वे पीठ नहीं दिखाते। सीना तानकर आगे बढ़ते हैं। जीत गये तो भूराज्य, मर गए तो स्वर्ग राज्य, यही उनका नारा है। संस्कृत में कहा गया है – जननी जन्म भूमिश्च, स्वर्गादपि गरियसी – जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान है।
यह सन् उन्नीस सौ पैंसठ (1965) की घटना है। चारों तरफ शांति का वातावरण फैला हुआ था। किसी तरह की कोई आशंका नहीं थी। अचानक वातावरण बदल गया। दुश्मनों ने भारत पर आक्रमण कर दिया। इस अनहोनी घटना से भारतीय सैनिक चौंक गए। छुट्टियाँ बिताने अपने घर आये सैनिकों को जल्द वापस आने के आदेश भेजे गये।
एक मेजर छुट्टियाँ बिताने के लिए गाँव गया था। तुरंत उसे वापस आने की सूचना मिली। उन्होंने माँ के पैर छूकर प्रणाम किया। माँ की ममता जाग उठी। उन्होंने बेटे को सीने से लगा लिया। उसके सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद देते हुए कहा – राष्ट्र की रक्षा करना हर एक का कर्तव्य है। कर्तव्य का पालन करो। हर एक भारतीय सैनिक की परंपरा सीनें . पर गोली खाने की है, पीठ पर नहीं।
युद्ध भीषण रुप से फैल रहा था। इच्छोगिल नहर (लाहौर से 14 कि.मी. की दूरी पर है) का मोर्चा भारतीय सेना के लिए चुनौती का दीवार बना खड़ा था। यह चुनौती एक मेजर ने स्वीकार कर ली। यह वीर और कोई नहीं गाँव से माँ का आशीर्वाद लेकर आया हुआ मेजर था। इच्छोगिल नहर को जीतना बायें हाथ का खेल नहीं था। इसके लिए जान की बाजी लगानी थी। मेजर गोलीबारी करते हुए आगे बढ़ रहे थे। दुश्मन उन पर गोली की वर्षा कर रहे थे। गोलियाँ सीने पर घुस रही थी। मेजर जान की परवाह न किये दुश्मनों से जूझ रहा था।
उनके सारे टैंको को ध्वस्त कर रहा था। बेचारे मेजर का सीना गोलियों से छलनी हो चुका था। लड़ाई में तो जीत गया लेकिन बुरी तरह घायल हुआ था। उसके बचने की कोई आशा नहीं थी। तुरंत उन्हें अस्पताल लाया गया। अधिकारियों ने उनकी अंतिम इच्छा पूछी तो उसने कहा – मेरी माँ तक संदेश पहुँचा देना, तुम्हारे बेटे ने गोलियाँ सीने पर ही खायी हैं, पीठ पर नहीं। मातृभूमि की रक्षा के लिए मेजर ने जान की कुरबानी दी। इस मेजर का नाम आशाराम त्यागी था। दीपक बुझ गया लेकिन उसकी बलिदान की रोशनी चारों तरफ फैल गई।
मेरा देश, मेरी माँ Summary in Kannada
टिप्पणीः
- इच्छोगिल नहर : यह लाहौर से 14 कि.मी. की दूरी पर है।
- आशाराम त्यागी : आशाराम त्यागी जी भारतीय सेना के मेजर थे। 21 सितंबर 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में वे शहीद हुए। युद्धोपरांत उन्हें ‘महावीर चक्र’ प्रदान कर सम्मानित किया गया।
मेरा देश, मेरी माँ Summary in English
(It is the bounden duty of everyone to defend the nation from enemies. One should not run away from the battlefield. Only then will the valiant wear the garland of victory. This lesson inspires the children to be prepared to sacrifice their life for the nation.)
It was an evening of 1965. There was an atmosphere of peace all around. There was no tension of any kind. At this time a neighbouring country invaded India. This unexpected attack surprised the Indian army. The soldiers who had gone on leave were ordered to report to duty without any delay.
A soldier of Major rank, who was spending his holidays at home, made preparations to depart as soon as he learnt about the attack. He touched his mother’s feet and sought her blessings. The mother shed tears and embraced him. The son was overcome with strong emotions but he restrained himself when he remembered his motherland. She placed her hand on his head and said, “Son, defending the nation is the greatest duty of every Indian. Go and perform your duty. But remember – ‘Indian tradition is to face the enemies and take the bullets fired by them on the chest and not to run away from them and take the bullets in the back”.
The war was spreading in a grave manner. The frontier at the Ichogil canal was a challenge to the Indian army. The question was who would take the responsibility of breaking this wall. It was not an easy task. It was a direct fight with death. But the valiant never fear death. Immediately a brave man accepted this responsibility. He was the same Major who had come from the village.
The Major moved cautiously. The sound of firing from the enemy side was deafening. The Major was full of patriotic feelings. There was hardly any time to wait for the right opportunity. Therefore he fired at the tanks of the enemies and moved ahead. In the meanwhile, many bullets entered the body of the Major. But the words of his mother continued to inspire him. Ignoring the injuries he moved forward but the bullets continued to enter his body.
The higher authorities understood the situation and he was ordered to retreat. But the Major ignored it. After destroying all the tanks of the enemy the victorious Major fell. The Major was taken to the Military Hospital at Amritsar. By that time his whole chest was filled with bullets. The higher officers inquired with him if he had any last wish. The bullets in the chest were causing extreme pain but the Major said with a smile – “Yes, send the message to my mother that her son received bullets on the chest and not in the back.”
Do you know who this brave man was? He was Major Asharam Tyagi who fulfilled his mother’s words and gave up his life to defend his motherland. The lamp is extinguished but its light will continue to show the path to patriots.