KSEEB Solutions for Class 9 Hindi वल्लरी Chapter 1 जय-जय भारत माता

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Karnataka State Syllabus Class 9 Hindi वल्लरी Chapter 1 जय-जय भारत माता

जय-जय भारत माता Questions and Answers, Summary, Notes

अभ्यास

I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए:

प्रश्न 1.
‘जय-जय भारत माता’ कविता के कवि कौन हैं?
उत्तर:
‘जय-जय भारत माता’ इस कविता के कवि श्री मैथिलीशरण गुप्त हैं।

प्रश्न 2.
गुप्त जी को कौन-सी उपाधि मिली है?
उत्तर:
गुप्त जी को ‘पद्मभूषण’ उपाधि मिली है।

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प्रश्न 3.
कवि किस देवी की वंदना कर रहे हैं?
उत्तर:
कवि भारतमाता देवी की वन्दना कर रहे हैं।

प्रश्न 4.
हिमालय रूपी हृदय में क्या भरा है?
उत्तर:
हिमालय रूपी हृदय में स्नेह भरा है।

प्रश्न 5.
पानी कैसे फूटा आता है?
उत्तर:
पानी सौ-सौ सोतों की धारा से बह-बहकर फूटा आता है।

प्रश्न 6.
पानी में क्या खिले हैं?
उत्तर:
पानी में कमल खिले हैं।

प्रश्न 7.
सुंदर भाव कहाँ पले हैं?
उत्तर:
सुंदर भाव धानी आँचल में पले हैं।

अधिक प्रश्नोत्तरः

प्रश्न 8.
दिल में आग दबाकर कौन रखता है?
उत्तर:
हिमालय दिल में आग दबाकर रखता है।

प्रश्न 9.
सौ-सौ सोतों से बहकर क्या फूटा आता है?
उत्तर:
सौ-सौ सोतों से बहकर पानी फूटा आता है।

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प्रश्न 10.
धरती पर क्या फले हैं?
उत्तर:
धरती पर आम फले हैं।

प्रश्न 11.
कवि भारत माता की लाल दिशा में किसको चिरकाल तक रहने की कामना करता है?
उत्तर:
कवि भारत माता की लाल दिशा में चन्द्र-सूर्य के चिरकाल तक रहने की कामना करता है।

II. दो या तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए:

प्रश्न 1.
हिमालय के बारे में कवि की भावना क्या है?
उत्तर:
हिमालय के बारे में कवि कहते हैं – हिमालय अनेक प्रकार के कष्टों को खुद सहता है। पर सब लोगों को सुखी रखता है। उसकी गोद में अनेक नदियाँ जन्म लेती हैं। सारे देश में बहकर देश को हरा-भरा रखती है।

प्रश्न 2.
“दिल में आग दबाकर” का मतलब क्या है?
उत्तर:
अनेक प्रकार के कष्टों को अनुभव करते हुए एवं अनेक प्रकार की समस्याएं सहते हुए हिमालय दूसरों को सुख-आनंद प्रदान करती है।

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प्रश्न 3.
कवि ऊँचा हिया क्यों कहते हैं?
उत्तर:
कवि हिमालय को भारतमाता का ऊँचा हृदय कहते हैं। हिमालय जितना ऊँचा हैं भारतमाता का हृदय भी उतना ही ऊँचा और विशाल है। इस में सबको स्नेह, आश्रय मिलता है।

प्रश्न 4.
हमें मिलजुल कर क्या गाना गाना चाहिए?
उत्तर:
हमें मिलजुल कर भारतमाता की यश की गाथा गाना चाहिए।

अधिक प्रश्नोत्तरः

प्रश्न 5.
धरती के धानी आँचल में कौन-कौनसे भाव पले हैं?
उत्तर:
धरती के धानी आँचल में सरोवर के पानी में सुंदर कमल खिले हुए हैं। वहीं कहीं कहीं आम फल फूल रहे हैं तो कहीं कहीं सौ सौ सोतों से पानी बहकर फूट रहा है। इस तरह प्रकृति के धानी आँचल में सुंदर भाव पल रहे हैं।

III. खाली स्थान भरिएः

  1. भारत का हिया ________ है।
  2. दिल में ___________ दबाकर रखता हमको __________।
  3. ___________ चिरकाल रहें।

उत्तरः

  1. हिमालय;
  2. अपने आग, हरा-भरा;
  3. चंद्र-सूर्य।

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IV. नमूने के अनुसार तुकांत शब्द लिखिएः

उदाः स्नेह-भरा – हरा-भरा

  1. आता – ________
  2. पले – ________
  3. नाता – _________

उत्तरः

  1. जाता;
  2. फले;
  3. माता।

V. कविता में ‘बह-बहकर पानी आता’ का प्रयोग हुआ है। उसी प्रकार निम्नलिखित शब्दों में से सही शब्द चुनकर वाक्य पूर्ण कीजिए:

(गिर-गिरकर, मिट-मिटकर, सुन-सुनकर, देख-देखकर)

  1. बालक ____________ सीखता है।
  2. भाषा __________ बोली जाती है।
  3. मेघ _________ बरसते हैं।
  4. बच्चा ____________ चलता है।

उत्तरः

  1. देख-देखकर;
  2. सुन-सुनकर;
  3. मिट-मिटकर;
  4. गिर-गिरकर।

VI. इस कविता की प्रथम आठ पंक्तियों को कंठस्थ कीजिए।

जय-जय भारत माता।
ऊँचा हिया हिमालय तेरा
उसमें कितना स्नेह भरा
दिल में अपने आग दबाकर
रखता हमको हरा-भरा,
सौ-सौ सोतों से बह-बहकर
है पानी फूटा आता,
जय-जय भारत माता।

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VII. अनुरूपताः

  1. सागर : विशाल : : हिमालय : ___________
  2. अंधकार : अंधेरा : : पवित्र : ___________
  3. आम : धरती : : कमल : __________
  4. सूर्य : सूरज : : चंद्र : ____________

उत्तरः

  1. ऊँचा;
  2. पावन;
  3. पानी;
  4. चंद्रमा।

जय-जय भारत माता Summary in Hindi

जय-जय भारत माता कवि परिचयः
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी (1886-1964) का जन्म चिरगाँव, झाँसी जिला, उत्तर प्रदेश में हुआ। इनके पिता श्री सेठ रामचरण भी ब्रजभाषा के कवि थे। आपने प्रबंध काव्यों तथा खंड काव्यों की रचना की है। खड़ीबोली के विकास में गुप्त जी का योगदान अनन्यतम है। साहित्यिक सेवा के सम्मानार्थ सन् 1961 ई. में उन्हें ‘पद्म भूषण’ उपाधि मिली थी। ‘साकेत’ महाकाव्य पर आपको ‘गंगा प्रसाद पारितोष’ मिला था। आप राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे।
‘पंचवटी’, ‘जयद्रथ वध’, ‘रंग में भंग’, ‘भारत-भारती’, ‘अनघ’, ‘नहुष’ आदि आप की महत्वपूर्ण कृतियाँ हैं।

कविता का आशयः
कवि इस कविता में भारत माता का गुणगान कर रहे हैं। कवि प्रार्थना कर रहे हैं कि इस देश के पावन आँगन में अँधेरा हटे और ज्ञान मिले। सब लोग मिलजुल कर भारत माता के यश की गाथा गाएँ।

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कविता का सारांश/भावार्थः

1) जय-जय भारत माता।
ऊँचा हिया हिमालय तेरा
उसमें कितना स्नेह भरा
दिल में अपने आग दबाकर
रखता हमको हरा-भरा,
सौ-सौ सोतों से बह-बहकर
है पानी फूटा आता,
जय-जय भारत माता।

कवि भारतमाता का गुणगान करते हुए कहते हैं, हे भारत माता, तुम्हारी जय हो। उत्तर में ऊँचा हिमालय पहाड़ है। लगता है कि उसमें पूरा स्नेह भरा हुआ है। यानी इस देश में लोग अत्यंत स्नेह के साथ रहते हैं। हिमालय अनेक प्रकार के कष्टों को खुद सहता है। पर सब लोगों को सुखी रखता है। उसकी गोद में अनेक नदियाँ जन्म लेती हैं। सारे देश में बहकर देश को हरा-भरा रखती है।

जय-जय भारत माता Summary in Hindi

2) कमल खिले तेरे पानी में
धरती पर हैं आम फले,
इस धानी आँचल में देखो
कितने सुंदर भाव पले,
भाई-भाई मिल रहें सदा ही
टूटे कभी न नाता,
जय-जय भारत माता।

भारतमाता, तुम्हारे भूभाग के सरोवरों में कमल खिले हैं। इस धरती पर मीठे आम फलते हैं। भारतमाता के धानी आँचल में सुन्दर भाव भरे हुए हैं। भाई-भाई के बीच प्यार भरा रहे। इनका यह भाई-चारे का नाता कभी न टूटे। यह आदर्श यहाँ सदा रहे। भारतमाता, तुम इनका पोषण करती रहो।

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3) तेरी लाल दिशा में ही माँ
चंद्र-सूर्य चिरकाल रहें,
तेरे पावन आँगन में
अंधकार हटे और ज्ञान मिले,
मिलजुल कर ही हम सब गाएँ
तेरे यश की गाथा,
जय-जय भारत माता।

हे भारतमाता, तेरी दिशा में चन्द्र और सूर्य सदा प्रकाशित होकर चमकते रहे। उनके चमकने से तेरे आंगन का अज्ञान रूपी अंधकार हट जाए और ज्ञान रूपी प्रकाश फैल जाए। हम सब भारतवासी एक होकर, मिलजुल कर तुम्हारी यश की गाथा गाएंगे। हे भारतमाता, तुम्हारी जय हो।

जय-जय भारत माता Summary in Kannada

जय-जय भारत माता Summary in Kannada 1

जय-जय भारत माता Summary in Kannada 2

जय-जय भारत माता Summary in English

In this poem, the poet Maithilisharan Gupta is singing praises of the motherland. He prays for the removal of darkness and ignorance and for the light of knowledge to shine upon the country. Further, he prays for everyone to join and sing the glory of mother India.

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The poet is extolling the virtues of his motherland. Praising Mother India, the poet says your heart is as large as the Himalayas. It is filled with affection. You tolerate all our pain and sorrows and keep us prosperous.

Many rivers take their birth in the Himalayas. These rivers are the lifelines of this country. They flow all over. Similarly, there are people belonging to different religions who are spread throughout the length and breadth of this country, who live in peace and harmony. Hence the poet says glory be to the motherland.

Lotuses bloom in your water bodies. Mango trees bear fruit. There is love and affection among the people. There is brotherly feeling among the people though there is so much diversity. The poet prays that such feelings should live forever.

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The poet prays that the sun and moon should shine over this country forever. Let the darkness of ignorance disappear and let enlightenment take its place. Let every one of us sing the glory of the motherland. Let mother India be victorious.